भारतीय सेना को मिला AK-203 असॉल्ट राइफलों की पहली खेप

भारतीय सेना को मिला AK-203 असॉल्ट राइफलों की पहली खेप

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र –  2 के ‘ भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था, भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव ’ और सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के ‘ नवीनतम रक्षा प्रौद्योगिकी, फॉक्सट्रॉट क्लास पनडुब्बी, परमाणु पनडुब्बी कार्यक्रम ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत AK-203 असॉल्ट राइफल, ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल, सुखोई Su-30MKI, KA-226T ट्विन-इंजन यूटिलिटी हेलीकॉप्टर, INS विक्रमादित्य खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक करेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ भारतीय सेना को मिला AK-203 राइफलों की पहली खेप ’ से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ?

 

  • हाल ही में रूस ने भारतीय सेना को 27,000 रूसी AK-203 असॉल्ट राइफलों की पहली खेप सौंपी है। 
  • यह सन 2021 के जुलाई महीने में भारत और रूस द्वारा हस्ताक्षरित उस एक अनुबंध के तहत किया गया है, जिसके अनुसार रूस से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ भारत में 6.1 लाख से अधिक AK-203 असॉल्ट राइफलों का निर्माण किया जाना है। 
  • AK-203 असॉल्ट राइफलों के निर्माण के उद्देश्य से वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश के कोरवा में इंडो – रूसी राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) की स्थापना की गई थी। 
  • इसकी स्थापना भारत के तत्कालीन आयुध निर्माणी बोर्ड [वर्तमान में एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (AWEIL) और म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड (MIL)] और रूस के रोसोबोरोनेक्सपोर्ट (RoE) तथा कलाश्निकोव कंपनी के बीच की गई थी।

 

मेक इन इंडिया के तहत भारत का रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य : 

 

  • भारत ने रक्षा प्रौद्योगिकी से संबंधित इस परियोजना के लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें केवल 2 वर्षों में रक्षा प्रौद्योगिकी से जुड़े उपकरणों और रक्षा आयुधों या रक्षा सामग्रियों की 70% घरेलू उत्पादन अर्थात भारत में ही निर्माण करने के लक्ष्य तक पहुँचना है। 
  • वर्तमान में राइफल के लगभग 25% पुर्जे स्थानीय स्तर पर अर्थात भारत में ही निर्मित होते हैं। 
  • भारत के रक्षा विशेषज्ञों का एक अनुमान है कि दो से तीन वर्षों में मेक इन इंडिया योजना के तहत 100% स्थानीयकरण अर्थात भारत में ही निर्माण होने के साथ बड़े पैमाने पर राइफलों का उत्पादन किया जाएगा। 
  • वर्तमान में भारतीय सेना INSAS (इंडियन नेशनल स्मॉल आर्म्स सिस्टम) राइफलों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर रही है और इसके साथ – ही साथ अब वह नवीनतम और अधिक उन्नत हथियारों को बनाने का प्रयास कर रही है।
  • भारत और रूस के बीच AK-203 राइफल्स के निर्माण का समझौता रक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। 
  • यह राइफल भारतीय आयुध निर्माणी बोर्ड, कलाश्निकोव कंसर्न, और रोसोबोरोनेक्सपोर्ट के बीच संयुक्त अनुबंध के तहत निर्मित की जा रही है। 
  • इसका निर्माण अमेठी, उत्तर प्रदेश के एक कारखाने में हो रहा है।
  • यह समझौता दिसंबर 2021 में हुई थी, जिसमें भारत और रूस ने 6,01,427 असॉल्ट राइफल्स की खरीद के लिए समझौता किया था। 
  • इसका मूल्य 5,124 करोड़ रुपए था। 
  • रक्षा के क्षेत्र में यह समझौता भारत और रूस के बीच रक्षा संबंधी सबसे बड़ी समझौतों  में से एक है। इसमें प्रौद्योगिकी के पूर्ण हस्तांतरण का प्रावधान है और इन राइफल्स को मित्र देशों में भी निर्यात किया जाएगा। इन राइफल्स का निर्माण 100% स्वदेशी कलपुर्जों के साथ 128 महीनों की अवधि में किया जाएगा।

AK-203 राइफल का परिचय :

 

  • AK-203 असॉल्ट राइफल को AK-47 के नवीनतम और सबसे उन्नत संस्करण के रूप में जाना जाता है। यह AK-100 श्रेणी की राइफल है जो 7.62×39 मिमी कैलिबर में आती है और यह AK-74M की तरह विभिन्न कारतूस और लंबाई विकल्प प्रदान करती है।
  • यह राइफल भारतीय लघु हथियार प्रणाली (INSAS) 5.56×45 मिमी असॉल्ट राइफल की जगह लेगी, जिसका इस्तेमाल वर्तमान में भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना और अन्य सुरक्षा बलों द्वारा किया जा रहा है।
  • INSAS राइफल्स को ऊंचाई पर उपयोग के लिए अनुपयुक्त माना गया है और इनमें गन जैमिंग, तेल रिसाव जैसी कई तकनीकी समस्याएं हैं।

 

भारत और रूस के बीच रक्षा और सुरक्षा संबंध :

  • भारत और रूस के बीच रक्षा और सुरक्षा संबंधों के विकास की पृष्ठभूमि ऐतिहासिक रूप से जुदा हुआ  है, जिसमें दोनों देश उच्च-स्तरीय रक्षा प्रौद्योगिकियों के संयुक्त विकास और उत्पादन में सहयोग करते हैं। 
  • इस सहयोग का उद्देश्य न केवल उन्नत सैन्य सामग्री की खरीद है, बल्कि इसमें तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान और संयुक्त उद्यम भी शामिल हैं।

भारत और रूस के बीच सैन्य-तकनीकी सहयोग की प्रमुख विशेषताएं :

  • ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल : भारत और रूस ने साझे में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का विकास किया है। यह मिसाइल अत्यधिक गति से युद्ध क्षेत्र में उपयोग हो सकता है।
  • 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट : भविष्य के युद्धक विमानों के लिए एक संयुक्त प्रयास। इसका उद्देश्य न केवल युद्धक्षेत्र में बल्कि विमानों की तकनीकी उन्नति में भी सहायक होना है।
  • सुखोई Su-30MKI : यह उन्नत लड़ाकू जेट भारत में भी उत्पादित होता है और भारतीय वायुसेना के लिए महत्वपूर्ण है।
  • इल्यूशिन/एचएएल सामरिक परिवहन विमान : यह भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन विमान है , जो रूस के सहयोग से निर्मित हुआ है।
  • KA-226T ट्विन-इंजन यूटिलिटी हेलीकॉप्टर : यह भारतीय सेना और वायुसेना के लिए एक बहुउद्देशीय हेलीकॉप्टर है।

 

इसके अलावा, भारत ने रूस से विभिन्न सैन्य हार्डवेयर खरीदे या पट्टे पर लिए हैं, जैसे कि:

  • एस-400 ट्रायम्फ : यह एक उन्नत वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली है।
  • कामोव Ka-226 : ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत में निर्मित होने वाला हेलीकॉप्टर है।
  • टी-90एस भीष्म : एक मुख्य युद्धक टैंक है।
  • INS विक्रमादित्य : भारतीय नौसेना के लिए एक विमान वाहक पोत है , जो रूस द्वारा प्राप्त किया गया है।

 

रूस ने भारतीय नौसेना के पनडुब्बी कार्यक्रमों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जो निम्नलिखित है – 

  • फॉक्सट्रॉट क्लास पनडुब्बी : यह भारतीय नौसेना की पहली पनडुब्बी है, जिसमें रूस ने भी अपनी तकनीक के माध्यम से इसमें मदद किया है।
  • परमाणु पनडुब्बी कार्यक्रम : भारत अपने परमाणु पनडुब्बी कार्यक्रम के लिए रूस पर निर्भर है।
  • इन सभी कार्यक्रमों के माध्यम से, भारत-रूस संबंध न केवल रक्षा क्षेत्र में बल्कि रणनीतिक स्तर पर भी मजबूत होते जा रहे हैं। यह साझेदारी दोनों देशों के लिए आपसी लाभ और सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

 

भारत – रूस रक्षा संबंध में आगे की राह : 

 

 

  • भारत और रूस के बीच रक्षा संबंधों का भविष्य न केवल दोनों राष्ट्रों की सुरक्षा और रक्षा क्षमताओं के लिए अहम है, बल्कि यह वैश्विक शांति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी एक जरूरी पहल है।
  • रक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग से दोनों देशों को नवीन और उन्नत रक्षा तकनीकों का विकास करने में मदद मिलती है, जो आगे चलकर विश्व स्तर पर सुरक्षा के मानकों को बढ़ावा देती है।
  • भारत-रूस के बीच रक्षा संबंध दोनों देशों की सुरक्षा नीतियों के मूल में ही हैं और इसका विस्तार वैश्विक शांति और स्थायित्व के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। 
  • अतः रक्षा और आपसी सुरक्षा के क्षेत्र में यह साझेदारी नवीनतम रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास में सहायक है, जो विश्व स्तर पर सुरक्षा मानकों को उन्नत करने में योगदान देती है।

स्रोत –   द हिंदू एवं पीआईबी। 

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. AK-203 असॉल्ट  राइफल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 

  1. यह AK-47 का नवीनतम और सबसे उन्नत संस्करण है
  2.  यह AK-100 श्रेणी की राइफल है जो 7.62×39 मिमी कैलिबर में आती है
  3. इसका उपयोग भारतीय लघु हथियार प्रणाली (INSAS) 5.56×45 मिमी असॉल्ट राइफल के  स्थान पर होगा
  4. इसका निर्माण उत्तर प्रदेश के अमेठी के एक कारखाने में हुआ है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1, 3 और 4 

B. केवल 2, 3 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं। 

D. उपरोक्त सभी ।

उत्तर – D 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. AK-203 असॉल्ट राइफल की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत और रूस के बीच का रक्षा संबंध किस प्रकार वैश्विक शांति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अत्यंत आवश्यक है ? तर्कसंगत मत प्रस्तुत करें ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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