Green Credit Program ( हरित ऋण कार्यक्रम )

Green Credit Program ( हरित ऋण कार्यक्रम )

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र –  3‘ जैव विविधता और पर्यावरण, हरित ऋण कार्यक्रम से संबंधित गतिविधियाँ और  उससे संबंधित चिंताएँ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम, लाइफ कैंपेन, कार्बन क्रेडिट, क्योटो प्रोटोकॉल,, ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर ’ खंड से संबंधित है।  इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेखदैनिक करंट अफेयर्स’  के अंतर्गत  ‘  हरित ऋण कार्यक्रम ’  से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ?    

 

          

                    

  • हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अपने ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (जीसीपी) के लिए नए नियमों की घोषणा की है , जिसकेअनुसार अब हरित ऋण कार्यक्रम के तहत केवल वृक्षारोपण के बजाय पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने को प्राथमिकता दिए जाने पर जोर दिया गया है।

 

हरित ऋण कार्यक्रम ( ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम ) क्या है ? 

 

 

 

  • ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (जीसीपी) भारत सरकार की एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहल है जो पर्यावरण संरक्षण और स्थायी विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न हितधारकों को प्रोत्साहित करती है।
  • इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य व्यक्तियों, उद्योगों, और स्थानीय अधिकारियों को स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों के लिए प्रोत्साहित करना है।
  • इस कार्यक्रम के तहत, ग्रीन क्रेडिट उन गतिविधियों के लिए प्रदान किए जाते हैं जो पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
  • हरित ऋण कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाली प्रमुख गतिविधियों में स्थायी कृषि, वृक्षारोपण, जल प्रबंधन, कचरे का प्रबंधन, वायु प्रदूषण को कम करना, मैंग्रोव संरक्षण एवं पुनर्स्थापनपारिस्थितिक तंत्र के स्तर का विकास और  टिकाऊ इमारतें और बुनियादी ढाँचा शामिल हैं।
  • इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह केवल कार्बन पृथक्करण पर ही नहीं बल्कि स्थानीय मिट्टी, पानी और पारिस्थितिक तंत्र को लाभ पहुंचाने वाले गैर-कार्बन पर्यावरणीय सकारात्मक कार्यों पर भी जोर देता है।
  • हरित ऋण कार्यक्रम के तहत, व्यक्ति, उद्योग, परोपकारी संस्थाएं, और स्थानीय निकाय स्वेच्छा से भाग ले सकते हैं और ग्रीन क्रेडिट अर्जित कर सकते हैं। 
  • इस कार्यक्रम के सकारात्मक प्रभाव  को सुनिश्चित करने के लिए, एक अंतर-मंत्रालयी संचालन समिति द्वारा समर्थित एक शासन ढांचा निर्मित किया गया है। 
  • भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) हरित ऋण कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए एक  प्रशासकीय संसथान  के रूप में कार्य करता है।
  • भारत में मध्य प्रदेश राज्य  ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम को लागू करने में सबसे अग्रणी राज्य है, जिसने पिछले दो महीनों में 10 राज्यों में 4,980 हेक्टेयर को शामिल करते हुए 500 से अधिक भूमि क्षेत्रों में  वृक्षारोपण को आधिकारिक रूप से मंजूरी दे दिया है।
  • इस कार्यक्रम के तहत, खराब वन भूमि पर वृक्षारोपण करने और हरित क्रेडिट अर्जित करने के लिए चौदह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य संस्थाओं को पंजीकृत किया गया है।
  • ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम में भाग लेने के लिए, व्यक्तियों और संस्थाओं को केंद्र सरकार के समर्पित ऐप/वेबसाइट के माध्यम से अपनी गतिविधियों को पंजीकृत करना होगा। 
  • यह कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण के लिए एक व्यापक ‘ LiFE’ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) अभियान का हिस्सा है और स्वैच्छिक पर्यावरण-अनुकूल कार्यों को प्रोत्साहित और पुरस्कृत करता है।

 

हरित ऋण कार्यक्रम (ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम) का महत्त्व : 

 

 

 

 

  • भारत के हरित ऋण कार्यक्रम (GCP) का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और उससे जुडी हुई नीतियों में सुधार को बढ़ावा देना है। 
  • यह कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 और राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, 2006 के अनुरूप है, जो वनों और वन्यजीवों की रक्षा करते हैं।
  • ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम भारत के COP26 समझौते के अनुसार जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के प्रयासों का हिस्सा है। यह ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022 द्वारा शुरू की गई कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना के पूरक के रूप में काम करता है और CO2 कटौती से परे व्यापार योग्य क्रेडिट के दायरे को व्यापक बनाता है।
  • हरित ऋण कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र के पारिस्थितिकी तंत्र के बहाली के अनुरूप है, जो पारिस्थितिकी तंत्र से जुडी गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है। इसमें सभी हितधारकों की भागीदारी और पारंपरिक ज्ञान का उपयोग शामिल होता है।
  • ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम कार्बन क्रेडिट से अलग और एक स्वतंत्र प्रकार का कार्यक्रम है जिसे  ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत विनयमित और संचालित किया जाता है। 
  • कार्बन क्रेडिट, जिसे कार्बन ऑफसेट भी कहा जाता है, उत्सर्जन की अनुमति देते हैं। एक क्रेडिट 1 टन CO2 या अन्य ग्रीनहाउस गैसों के बराबर होता है। 
  • ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम के तहत उत्पन्न ग्रीन क्रेडिट में जलवायु सह-लाभ हो सकते हैं, जैसे कार्बन उत्सर्जन को कम करना या हटाना, जिससे कार्बन क्रेडिट का अधिग्रहण संभव हो सकता है।

 

भारत में ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम से जुड़ी मुख्य चुनौतियाँ : 

 

ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम से जुड़ी मुख्य चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं – 

  1. वन पारिस्थितिकी पर प्रभाव : ग्रीन क्रेडिट के नियमों से वन पारिस्थितिकी को हानि पहुँच सकती है। इन नियमों के अनुसार, वृक्षारोपण के लिए ‘निम्नीकृत भूमि’ की पहचान की जाती है, जिससे अवैज्ञानिक और स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
  2. अस्पष्ट शब्दावली : ‘निम्नीकृत’ जैसे शब्दों का उपयोग अस्पष्ट है और इससे औद्योगिक पैमाने पर वृक्षारोपण हो सकता है, जो मृदा की गुणवत्ता, स्थानीय जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को नुकसान पहुँचा सकता है।
  3. हरित रेगिस्तानों का निर्माण :  ग्रीन क्रेडिट नियमों से ‘हरित रेगिस्तान’ बन सकते हैं, जहाँ वृक्षारोपण से पारिस्थितिक जटिलताओं और जैवविविधता को अनदेखा कर दिया जाता है।
  4. वनों की गलत मापन पद्धति : वनों को केवल पेड़ों की संख्या के आधार पर मापने की आलोचना होती है, जो वन्यजीवों और उनके आवास की बहुस्तरीय संरचना को नजरअंदाज करता है।
  5. पर्यावरणीय सुदृढ़ता के संदर्भ पद्धति संबंधी चिंताएँ : ग्रीन क्रेडिट उत्पन्न करने की पद्धति पर पर्यावरणीय सुदृढ़ता के संदर्भ में प्रश्न उठाए गए हैं, और इससे पर्यावरणीय गिरावट हो सकती है।
  6. बंजर भूमि’ पर दबाव :  अपघटित भूमि खंडों’ पर पेड़ लगाने का दबाव उन क्षेत्रों पर पड़ता है जो पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण हैं और जहाँ वनीकरण से स्थानिक प्रजातियों और पारिस्थितिक कार्यों को नुकसान हो सकता है।

इन चुनौतियों के समाधान के लिए वैज्ञानिक और स्थानीय पारिस्थितिक ज्ञान का उपयोग, स्पष्ट नियमों का निर्माण, और पारिस्थितिकी तंत्र की जटिलताओं को समझने की आवश्यकता है।

 

 

निष्कर्ष / आगे की राह : 

 

 

  • भारत में हरित ऋण कार्यक्रम के अंतर्गत जैवविविधता-आधारित वनीकरण एक महत्वपूर्ण पहल है। इसका लक्ष्य पेड़ों की संख्या बढ़ाने के बजाय, विविध मूल प्रजातियों को संरक्षित करना और पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करना है। इस दृष्टिकोण से नव स्थापित वृक्षारोपण प्राकृतिक वनों की तरह होते हैं और वन्यजीवों की एक विस्तृत शृंखला को समर्थन प्रदान करते हैं।
  • प्रौद्योगिकी का एकीकरण इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है। सुदूर संवेदन और उपग्रह इमेजरी का उपयोग करके, वृक्षारोपण के लिए उपयुक्त वास्तव में निम्नीकृत भूमि की पहचान की जाती है, जिससे मौजूदा पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचने का जोखिम कम हो।
  • कार्यक्रम की पारदर्शिता और ज्ञान साझा करने की प्रक्रिया में “अपघटित भूमि” और “बंजर भूमि” की स्पष्ट परिभाषाएं शामिल हैं। इससे संबंधित हितधारकों को उनकी जिम्मेदारियों का बेहतर ज्ञान होता है और वे पर्यावरण के प्रति अधिक जिम्मेदार बनते हैं।
  • वन विभाग, व्यवसायों, और गैर सरकारी संगठनों के बीच ज्ञान साझा करने और क्षमता निर्माण के माध्यम से, पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार प्रथाओं को सुनिश्चित किया जाता है। इससे वनीकरण के प्रयासों में सुधार होता है और पर्यावरणीय लाभों का विस्तार होता है।

 

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

 

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में हरित ऋण कार्यक्रम (ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. हरित ऋण कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र के पारिस्थितिकी तंत्र से जुडी गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है।
  2. यह ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022 द्वारा शुरू की गई कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना के पूरक के रूप में काम करता है।
  3. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 और राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, 2006 वनों और वन्यजीवों की रक्षा से संबंधित है।
  4. यह जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के प्रयासों और COP26 के संधि  के अनुसार है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1, 2 और 3 

B. केवल 2, 3 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं।

D. उपरोक्त सभी।

उत्तर – D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1.हरित ऋण कार्यक्रम क्या है ? चर्चा कीजिए कि इस कार्यक्रम को लागू करने से भारत में पर्यावरण संरक्षण और देश के सामाजिक – आर्थिक विकास पर पड़ने वाले प्रभावों और उसको प्रभावी ढंग से संचालित करने के बीच कैसे संतुलन बनाया जा सकता है ? तर्कसंगत व्याख्या प्रस्तुत कीजिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

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