अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन बनाम शहरी भूमि अभिलेख और सतत विकास

अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन बनाम शहरी भूमि अभिलेख और सतत विकास

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास, भारत में भूमि सुधार, शहरी नियोजन और सतत विकास से संबंधित मुद्दे, समावेशी विकास और इससे उत्पन्न मुद्दे ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारतीय संविधान का संघ सूची , राज्य सूची और समवर्ती सूची का विषय , राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित शहरी आवास भूमि सर्वेक्षण , राष्ट्रीय भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (NLRMP) , डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) , राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज़ पंजीकरण प्रणाली (NGDRS) ’ खंड से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ?

 

  • हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने “शहरी भूमि अभिलेखों के सर्वेक्षण – पुनःसर्वेक्षण में आधुनिक तकनीकों के उपयोग” पर एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया था। 
  • यह कार्यशाला डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) के तहत भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
  • इस कार्यक्रम के तहत, 100 से अधिक शहरों में शहरी भूमि रिकॉर्ड के लिए एक पायलट कार्यक्रम, राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित शहरी आवास भूमि सर्वेक्षण (नक्शा) प्रारंभ किया गया है। भूमि अभिलेख विनिर्माण में ड्रोन, 3D इमेजरी, और एरियल फोटोग्राफी का उपयोग किया जाएगा।
  • डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) जो 1 अप्रैल 2016 से लागू है, केंद्र द्वारा 100% वित्तपोषित एक केंद्रीय योजना है, जिसका उद्देश्य एक आधुनिक, व्यापक, और पारदर्शी रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली विकसित करना है। इसमें विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (ULPIN) और राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज़ पंजीकरण प्रणाली (NGDRS) जैसी नवीन पहलें शामिल हैं।

 

भूमि का महत्त्व : 

  1. आजीविका का मुख्य स्रोत होना : भूमि मानव और अन्य जीवों के लिए आवश्यक आवास और पोषण प्रदान करती है। भारत में 50% से अधिक कार्यशील आबादी कृषि में कार्यरत है, जो भूमि पर निर्भर है। इसके अलावा, भूमि का उपयोग वानिकी, खनन आदि गतिविधियों के लिए भी होता है, जो आय और रोजगार का सृजन करते हैं।
  2. अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होना : भूमि एक महत्वपूर्ण संपत्ति है, जो निवेश को आकर्षित करती है और विकास को प्रोत्साहित करती है। विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZs) भूमि-आधारित पहलों के उदाहरण हैं।
  3. प्राकृतिक संसाधनों एवं खनिजों का अकूत भंडार : भूमि में खनिज, जल और वन जैसे संसाधन होते हैं, जो मनुष्यों द्वारा उद्योगों को संचालित करने के लिए उपयोगी हैं।
  4. लोगों की सांस्कृतिक पहचान का मुख्य आधार होना : भूमि लोगों की पहचान का स्रोत भी हो सकती है, जो विशेष सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं से जुड़ी होती है।

 

भूमि अभिलेख प्रबंधन प्रणाली के डिजिटलीकरण होने का प्रमुख लाभ : 

 

  1. भूमि – विवादों से संबंधित संख्या में कमी लाना : भारत में वर्तमान समय में भूमि विवादों को कम करने के लिए एक पारदर्शी भूमि अभिलेख प्रबंधन प्रणाली की अत्यंत आवश्यकता है। यह भूमि स्वामित्व अधिकार को स्पष्ट और सुरक्षित बनाकर भूमि – विवादों से संबंधित संख्या को घटा सकती है, जिससे भूमि – विवादों और धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी आएगी।
  2. पारदर्शिता में सुधार : डिजिटलीकरण से भूमि अभिलेख की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार होगा। यह पुराने और गलत अभिलेखों को अद्यतन करके उपयोगकर्ताओं के लिए अधिक उपयोगी बनाएगा।
  3. निवेश और विकास को बढ़ावा मिलना : एक पारदर्शी प्रणाली लेन-देन की लागत और अनिश्चितताओं को कम करके भूमि बाजारों को सुधारती है, जिससे निवेश को बढ़ावा मिलता है।
  4. समानता सुनिश्चित करना : यह प्रणाली भूमि सुधारों का समर्थन कर सकती है, जो भूमिहीन और हाशिए पर स्थित या खड़े वर्गों के लिए भूमि के पुनर्वितरण में सहायक होगी।
  5. सार्वभौमिक पंजीकरण प्रणाली : विभिन्न राज्यों में प्रचलित भिन्न-भिन्न प्रणालियों को एकीकृत करने के लिए राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (NGDRS) विकसित की गई है।
  6. भाषाई बाधाओं का समाधान : संविधान में उल्लिखित सभी 22 अनुसूचित भारतीय भाषाओं में अधिकार-अभिलेख का लिप्यंतरण किया गया है।
  7. सेवाओं की उपलब्धता और सुविधाओं के लिए ऑनलाइन सूचना प्रदान करने में सहायक होना : DILRMP योजना जाति, आय एवं अधिवास प्रमाणपत्र जैसी सेवाएँ और फसल बीमा एवं क्रेडिट सुविधाओं के लिए ऑनलाइन सूचना प्रदान करेगी।
  8. मध्यस्थता और सीमा-संबंधी विवादों का सौहार्दपूर्ण ढंग से समाधान करने में सहायक : एक व्यापक भूमि अभिलेख प्रबंधन प्रणाली मध्यस्थता मामलों और सीमा-संबंधी विवादों का सौहार्दपूर्ण ढंग से समाधान कर न्यायपालिका और प्रशासन पर बोझ कम करेगी।
  9. भूमि अभिलेखों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने में सहायक : डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) का उद्देश्य भूमि स्वामित्व और लेन-देन के अभिलेख को डिजिटलीकृत और अद्यतन करना है, जिससे ये अभिलेख आम लोगों के लिए ऑनलाइन उपलब्ध होंगे।
  10. समानता और अधिकारिता को सुनिश्चित करना : DILRMP भूमि सुधारों का समर्थन करते हुए महिलाओं और कमजोर समूहों को भूमि अधिकारों की मान्यता प्रदान करेगा, जिससे उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार होगा।

 

राष्ट्रीय भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (NLRMP) : 

 

  • NLRMP, जो DILRMP का पूर्ववर्ती कार्यक्रम है, वर्ष 2008 में भूमि अभिलेख प्रणाली को आधुनिक बनाने और स्वामित्व की गारंटी देने के लिए शुरू किया गया था। इसमें भूखंडों के लिए यूनिक पहचान संख्या और दस्तावेजों की सार्वभौमिक प्रणाली शामिल है। भूखंडों के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या (ULPIN) या भू-आधार संख्या निर्दिष्ट की गई है, जो भू-निर्देशांक पर आधारित 14 अंकों की अल्फ़ान्यूमेरिक यूनिक आईडी है। DILRMP न्यायपालिका और प्रशासन पर बोझ कम करने में मदद करेगा, जिससे भूमि संबंधी विवादों का समाधान सुगम तरीके से संभव हो सकता है।

 

भारत में भूमि अभिलेख डिजिटलीकरण से संबद्ध मुख्य चुनौतियाँ : 

 

  1. राज्यों के बीच समन्वय और सहयोग का अभाव : भूमि राज्य सूची का विषय है और DILRMP का कार्यान्वयन राज्य सरकारों की इच्छा एवं सहयोग पर निर्भर करता है। कुछ राज्य राजनीतिक, प्रशासनिक, कानूनी या तकनीकी बाधाओं के कारण DILRMP को अपनाने के प्रति अनिच्छुक होते हैं। भारत में वर्तमान समय में भूमि कानूनों, नीतियों, प्रक्रियाओं और प्रणालियों के संदर्भ में विभिन्न राज्यों के बीच समन्वय एवं मानकीकरण का भी अभाव है।
  2. अपर्याप्त संसाधन और क्षमता : DILRMP को देश में भूमि अभिलेख प्रणाली के आधुनिकीकरण के व्यापक कार्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त वित्तीय, मानवीय और तकनीकी संसाधनों की आवश्यकता है। कार्यान्वयन के विभिन्न स्तरों पर धन, कर्मचारियों, उपकरणों और अवसंरचना की कमी है। इसके अलावा, भूमि अभिलेख प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीक और उपकरणों के उपयोग में संबंधित अधिकारियों और कर्मियों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की भी आवश्यकता है।
  3. हितधारकों के बीच जागरूकता और भागीदारी की कमी : DILRMP के सफल कार्यान्वयन हेतु भू-स्वामियों, खरीदारों, विक्रेताओं, किसानों, बिचौलियों जैसे विभिन्न हितधारकों की सक्रिय संलग्नता एवं भागीदारी आवश्यक है। लेकिन इन हितधारकों में DILRMP के लाभों और प्रक्रियाओं के बारे में जागरूकता और संवेदनशीलता का अभाव देखा जाता है।

 

समाधान / आगे की राह :  

 

राज्यों के बीच समन्वय और सहयोग बढ़ावा देना : 

  1. डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) से संबंधित चुनौतियों और समस्याओं को दूर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।
  2. भारत के विभिन्न राज्यों में प्रचलित भूमि संबंधित कानूनों, नीतियों, प्रक्रियाओं और प्रणालियों को सुसंगत और सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए।
  3. डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) की सर्वोत्तम प्रक्रियाओं और अनुभवों को परस्पर साझा करने की आवश्यकता है।

 

पारदर्शिता सुनिश्चित करना :

  1. डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) में होने वाली किसी भी हेरफेर या भ्रष्टाचार के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकारों को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
  2. भूमि सर्वेक्षण, डिजिटलीकरण, सत्यापन और स्वामित्व प्रदान करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  3. डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) से उत्पन्न विवादों या शिकायतों के समाधान हेतु एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।

 

पर्याप्त संसाधन जुटाने के साथ क्षमता विकास पर बल देना :

  1. डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) के कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा पर्याप्त धन, कार्मिक, उपकरण और अवसंरचना प्रदान की जानी चाहिए।
  2. भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन हेतु आधुनिक तकनीक और उपकरणों के उपयोग के संबंध में संबंधित अधिकारियों और कर्मियों को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है।
  3. इसमें दक्षता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) का लाभ उठाया जा सकता है।

 

हितधारकों के बीच जागरूकता और भागीदारी को बढ़ावा देना :

  1. केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा DILRMP के लाभों और प्रक्रियाओं के बारे में संलग्न हितधारकों को जानकारी प्रदान की जानी चाहिए।
  2. स्पष्ट और सटीक जानकारी देकर हितधारकों की आशंकाओं या भ्रामक धारणाओं को दूर करने की आवश्यकता है।
  3. भूमि अभिलेख प्रबंधन की प्रक्रिया में हितधारकों की संलग्नता और भागीदारी को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।

 

स्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

  1. भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण करना।
  2. पारंपरिक सर्वेक्षण तकनीकों का प्रयोग करना। 
  3. एक आधुनिक और पारदर्शी रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली विकसित करना।
  4. केवल ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों का अद्यतन जानकारी एकत्र करना।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा कथन सही है ?

A. केवल 1 और 3 

B. केवल 2 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं।

D. उपरोक्त सभी। 

उत्तर – A

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) के तहत आधुनिक तकनीकों के उपयोग से शहरी भूमि अभिलेखों के सर्वेक्षण और पुनःसर्वेक्षण का महत्त्व क्या है?  इसके साथ ही यह चर्चा कीजिए कि इनका भारत में शहर के नियोजन, सतत विकास, प्रशासन, संपत्ति प्रबंधन और आवास की उपलब्धता पर क्या दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

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