भारतीय सशस्त्र बलों की शक्ति और रणनीति का उन्नत समागम : सुधार वर्ष 2025

भारतीय सशस्त्र बलों की शक्ति और रणनीति का उन्नत समागम : सुधार वर्ष 2025

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 के अंतर्गत ‘ रक्षा प्रौद्योगिकी , प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण , सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप , भारत के सशस्त्र बलों में सुधार की आवश्यकता ’ खण्ड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ मशीन लर्निंग, हाइपरसोनिक्स, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, एकीकृत थिएटर कमांड, अग्निपथ योजना, साइबर युद्ध का खतरा, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी पर अमेरिका-भारत पहल ’ खण्ड से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ?

 

  • हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र बलों को बहु-क्षेत्रीय एकीकृत संचालन के लिए सक्षम बनाने और उन्हें तकनीकी रूप से उन्नत तथा युद्ध की बदलती परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार करने हेतु वर्ष 2025 को ‘ सुधार वर्ष (Year of Reforms) ‘ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
  • भारतीय सेना द्वारा वर्ष 2024 को ‘प्रौद्योगिकी आत्मसात वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है।

 

रक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2025 को ‘सुधार वर्ष’ के रूप में मनाने के लिए चिन्हित किए गए प्रमुख क्षेत्र :  

 

वर्ष 2025 को ‘सुधार वर्ष’ के रूप में मनाने के लिए निम्नलिखित क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है – 

  1. एकीकृत थिएटर कमांड (ITC) की स्थापना को आसान बनाना एवं एकीकरण करना : इसके तहत सैन्य सेवाओं के बीच सहयोग को मजबूत करना और एकीकृत थिएटर कमांड (ITC) की स्थापना को आसान बनाना और अंतर-सेवा सहयोग और प्रशिक्षण से परिचालन आवश्यकताओं और संयुक्त परिचालन क्षमताओं की साझा समझ विकसित करना शामिल है। इसमें तिरुवनंतपुरम स्थित समुद्री कमान, जयपुर स्थित पाकिस्तान-केंद्रित पश्चिमी कमान और लखनऊ स्थित चीन-केंद्रित उत्तरी कमान शामिल हैं।
  2. उभरती प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण और ज्ञान साझाकरण को बढ़ावा देना : रक्षा मंत्रालय के अनुसार भारतीय सैन्य सेवाओं में सुधारों के तहत भारतीय सशस्त्र बलों को साइबर, अंतरिक्ष, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, हाइपरसोनिक्स और रोबोटिक्स जैसी नई प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित करने भविष्य के युद्धों को जीतने के लिए आवश्यक रणनीतियों, तकनीकों और प्रक्रियाओं का विकास करने के क्षेत्र के साथ ही रक्षा और असैन्य उद्योगों के बीच प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और ज्ञान साझाकरण को बढ़ावा देना तथा सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना शामिल है।
  3. अधिग्रहण को सरल बनाना : इसके तहत भारत में सामरिक विकास को तेज़ करने और उसे मजबूत करने के लिए अधिग्रहण प्रक्रियाओं को सरल और समयबद्ध बनाना शामिल है।
  4. भारत को रक्षा उत्पादों के विश्वसनीय निर्यातक के रूप में स्थापित करना : इसके तहत भारत को रक्षा उत्पादों के एक भरोसेमंद निर्यातक के रूप में स्थापित करना और विदेशी कंपनियों के साथअनुसंधान एवं विकास में साझेदारी को बढ़ावा देना शामिल है। हाल ही के वर्षों में भारत का रक्षा निर्यात 2014 में 2,000 करोड़ से बढ़कर 21,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
  5. वयोवृद्ध की विशेषज्ञता का लाभ उठाना तथा उनका कल्याण सुनिश्चित करते हुए स्वदेशी संस्कृति को बढ़ावा देना : इस रणनीति के तहत भारतीय सशस्त्र बलों को वयोवृद्धों की विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए उनके कल्याण को सुनिश्चित करना तथा स्वदेशी क्षमताओं से वैश्विक मानकों को प्राप्त करने में भारतीय संस्कृति पर गर्व और आत्मविश्वास को बढ़ावा देना शामिल है।

 

भारत की रक्षा सेना की वर्तमान स्थिति :

 

  1. आयातक से निर्यातक : भारत अब सबसे बड़े शस्त्र आयातक से प्रमुख रक्षा निर्यातक बन गया है। वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात 210.83 बिलियन रुपए तक पहुँच गया है, और 2028-29 तक 500 बिलियन रुपये का लक्ष्य रखा गया है।
  2. रक्षा अधिग्रहण में सुधार : रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) भारतीय उद्योग को प्राथमिकता देती है। इसमें भारतीय कंपनियों को प्रमुख रक्षा प्रणालियों के निर्माण में भूमिका निभानी होती है और स्वदेशी सामग्री (IC) का उपयोग 50% या उससे अधिक बढ़ाने का लक्ष्य है।
  3. निजी क्षेत्र की भागीदारी : वर्ष 2022-23 तक निजी कंपनियाँ भारत के रक्षा उत्पादन में 20% योगदान करेंगी। वडोदरा में टाटा का एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स भारत का पहला निजी क्षेत्र का कारखाना है, जो C-295 परिवहन विमान का निर्माण करेगा।
  4. रक्षा औद्योगिक विकास : भारत का रक्षा उत्पादन कारोबार 2016-17 में 740.54 बिलियन रुपए से बढ़कर 2022-23 में 1,086.84 बिलियन रुपए हो गया। 2023 तक 14,000 MSME और 329 स्टार्टअप रक्षा क्षेत्र में शामिल होंगे।

 

भारतीय रक्षा बल में वर्तमान समय में सुधार की आवश्यकता क्यों है ?

 

  1. राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का अभाव : राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) का अभाव रक्षा रणनीतियों को राष्ट्रीय नीतियों से जोड़ने में कठिनाई उत्पन्न करता है, जिससे चीन और पाकिस्तान जैसे खतरों से निपटने में कमी होती है।
  2. साइबर युद्ध का उदय : साइबर युद्ध एक नया क्षेत्र बन चुका है, जिसमें राज्य प्रायोजित एजेंट और देश अपने आर्थिक और सैन्य प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुँचाते हैं। इसका उदाहरण यूक्रेन-रूस साइबर युद्ध है।
  3. आयात पर निर्भरता : भारत 2019-23 में विश्व का सबसे बड़ा हथियार आयातक बना रहा है। स्वदेशीकरण की धीमी गति और घरेलू रक्षा उद्योग के निर्माण में चुनौतियाँ, आत्मनिर्भरता में रुकावट डाल रही हैं।
  4. संयुक्तता का सांस्कृतिक प्रतिरोध : भारतीय सेना की प्रत्येक शाखा (सेना, नौसेना, वायु सेना) अपनी स्वायत्तता बनाए रखती है, जिसके कारण एकीकृत मॉडल अपनाने में कठिनाई होती है।
  5. अपर्याप्त वित्तपोषण : भारत का रक्षा बजट GDP का केवल 1.9% है, जो रक्षा बलों के आधुनिकीकरण को प्रभावित करता है। हालांकि, 2020 में FDI सीमा को 74% तक बढ़ा दिया गया है।
  6. तदर्थ खरीद प्रक्रियाएँ : वर्ष 2020 में गलवान घाटी में संघर्ष के बाद, सेना को आपातकालीन खरीद के विशेष अधिकार मिले थे, जिससे रणनीतिक तत्परता की कमी उजागर हुई।
  7. अल्पकालिक नीति : अग्निपथ योजना की आलोचना उसकी 6 महीने की छोटी प्रशिक्षण अवधि को लेकर की गई है, जिससे सैनिकों की युद्ध तैयारियों पर सवाल उठते हैं। 4 साल की सेवा अवधि में अनुभवी सैनिकों को खोने का जोखिम है, जो सेना की कार्य क्षमता और उसके मनोबल पर असर डाल सकता है।

 

रक्षा बलों में सुधार के लिए भारत की पहल :

 

  1. रक्षा औद्योगिक गलियारे : रक्षा उत्पादों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए विशेष गलियारे बनाए गए हैं। इससे उद्योगों के बीच सहयोग बढ़ेगा और रक्षा क्षेत्र को और मजबूत किया जाएगा।
  2. आयुध निर्माणी बोर्डों का निगमीकरण : आयुध निर्माणी बोर्डों को निजी क्षेत्र की तरह काम करने के लिए निगमीकरण किया जा रहा है, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और इसे बेहतर तरीके से चलाया जा सकेगा।
  3. डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज : यह पहल नवाचार और नई तकनीकों के लिए छोटे और नए व्यवसायों को प्रोत्साहित करती है, ताकि रक्षा क्षेत्र में उन्नति हो सके।
  4. सृजन पोर्टल : यह पोर्टल रक्षा उत्पादों की खरीद और आपूर्ति को तेज और सरल बनाने के लिए विकसित किया गया है, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुधार आएगा।
  5. रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX) : iDEX का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी विकास को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम भारतीय कंपनियों को नई रक्षा तकनीकों के अनुसंधान में शामिल करता है।
  6. मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति : यह मिशन रक्षा बलों के लिए आवश्यक जानकारी और तकनीकी विकास को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है, ताकि उनकी क्षमता को और बेहतर बनाया जा सके।

 

अमेरिका में गोल्डवाटर-निकोल्स सुधार :

परिचय : गोल्डवाटर-निकोल्स रक्षा पुनर्गठन अधिनियम, 1986 ने अमेरिकी रक्षा विभाग को पुनर्गठित किया। इसका उद्देश्य सैन्य प्रभावशीलता और दक्षता बढ़ाना था। यह सुधार वियतनाम युद्ध और ऑपरेशन ईगल क्लॉ जैसे मुद्दों के बाद किए गए थे।
लक्ष्य : इसका मुख्य उद्देश्य संयुक्त सैन्य अभियानों को सुधारना, नागरिक नियंत्रण को मजबूत करना और रक्षा निर्णयों को बेहतर बनाना था।
प्रमुख प्रावधान :

  1. राष्ट्रपति को बेहतर सैन्य सलाह देना।
  2. एकीकृत लड़ाकू कमांडरों के लिए स्पष्ट जिम्मेदारियाँ तय करना।
  3. एकीकृत कमांडरों के अधिकार और जिम्मेदारियाँ स्पष्ट करना।
  4. रणनीति और आकस्मिक योजना को सुधारना।
  5. संसाधनों का बेहतर उपयोग करना।
  6. संयुक्त सैन्य अभियानों की प्रभावशीलता बढ़ाना।
  7. रक्षा प्रबंधन और प्रशासन को बेहतर बनाना।

 

आगे की राह :

 

 

  1. संस्थागत स्तर पर सुधार की अत्यंत आवश्यकता : चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और सैन्य मामलों के विभाग (DMA) की स्थापना एक अच्छा कदम है, लेकिन इन दोनों के बीच जिम्मेदारियों को स्पष्ट करना ज़रूरी है। CDS को सैन्य निर्णयों में नेतृत्व करने के साथ-साथ नागरिक और सैन्य के बीच अंतर को कम करने पर भी ध्यान देना चाहिए।
  2. उन्नत प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित करने की जरुरत : स्वायत्त प्रणालियों, साइबर युद्ध और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर ध्यान केंद्रित करने से भारत को चीन या पाकिस्तान के साथ संघर्षों में तकनीकी बढ़त मिल सकती है। ड्रोन का उपयोग खुफिया जानकारी, निगरानी और सटीक हमलों के लिए बढ़ाना परिचालन में सुधार करेगा।
  3. घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना : भारत को घरेलू रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए सार्वजनिक-निजी साझेदारी और विदेशी सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। संसाधनों के कुशल उपयोग को प्राथमिकता देते हुए, उन्नत प्रौद्योगिकियों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
  4. रक्षा सहयोग को अधिकतम करने की आवश्यकता : भारत-अमेरिका iCET जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से क्षेत्रीय और वैश्विक साझेदारों के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाना, भारत की सुरक्षा और रणनीतिक स्वतंत्रता को मजबूत कर सकता है।
  5. राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (NDU) की स्थापना पर ध्यान देने की आवश्यकता : भारत को रणनीतिक विचारकों और योजनाकारों के मजबूत समूह को तैयार करने के लिए, रक्षा रणनीतियों, नीतियों और प्रौद्योगिकियों में उन्नत प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए NDU की स्थापना पर ध्यान देना चाहिए।

 

स्त्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।

 

Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 04th Jan 2025

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q.1. वर्ष 2025 को “सुधार वर्ष” के रूप में मनाने के लिए भारत के रक्षा मंत्रालय द्वारा चिन्हित किए गए प्रमुख क्षेत्र कौन से हैं?

  1. एकीकृत थिएटर कमांड (ITC) की स्थापना।
  2. साइबर युद्ध में विशेषज्ञता बढ़ाना।
  3. रक्षा उत्पादों के विश्वसनीय निर्यातक के रूप में भारत की पहचान बनाना।
  4. संयुक्त सैन्य अभियानों को बढ़ावा देना।

उपर्युक्त विकल्पों में से कौन सा विकल्प सही है ? 

A. केवल 1 और 3 

B. केवल 2 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं। 

D. उपरोक्त सभी।

उत्तर – A

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q.1. रक्षा मंत्रालय द्वारा 2025 को ‘सुधार वर्ष’ के रूप में मनाने के निर्णय की आवश्यकता और भारतीय रक्षा बलों में सुधार के लिए उठाए गए कदमों पर विस्तृत चर्चा करते हुए अमेरिका के गोल्डवाटर-निकोल्स सुधार और भारत में ऐसे सुधारों की संभावनाओं पर विचार करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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