20 Jul अस्मिता परियोजना
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 1 के अंतर्गत ‘ भारतीय समाज और साहित्य ’ खंड से तथा सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ राजनीति और शासन व्यवस्था , शिक्षा, भारतीय संविधान, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप ’ और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय , विश्वविद्यालय अनुदान आयोग , अस्मिता परियोजना , राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 ’ खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक करेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ अस्मिता परियोजना ’ खंड से संबंधित है। )
ख़बरों में क्यों ?
- हाल ही में 16 जुलाई 2024 को भारत के केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अस्मिता परियोजना का अनावरण किया है, जिसका उद्देश्य भारतीय भाषाओं में शैक्षिक संसाधनों की उपलब्धता को बढ़ाना है।
- इस महत्वाकांक्षी परियोजना का लक्ष्य अगले पाँच वर्षों में भारतीय भाषाओं में 22,000 पुस्तकें विकसित करना है।
- अस्मिता परियोजना (Augmenting Study Materials in Indian Languages through Translation and Academic Writing – ASMITA) के तहत, अनुवाद और अकादमिक लेखन के माध्यम से भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री का संवर्धन और संरक्षण किया जाएगा।
- यह परियोजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के अनुरूप है, जो भारत के वर्तमान शिक्षा प्रणाली में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा की गई कई पहलों में से एक है।
अस्मिता परियोजना :
- अस्मिता परियोजना केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा लॉन्च किया गया एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य शिक्षा में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना है।
- यह UGC और भारतीय भाषा समिति द्वारा शुरू किया गया एक संयुक्त प्रयास है।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना वर्ष 1953 में विश्वविद्यालय शिक्षा में शिक्षण, परीक्षा, और अनुसंधान के मानकों के समन्वय, निर्धारण तथा संरक्षण के लिए किया गया था, जो कुछ वर्षों बाद वर्ष 1956 में भारत में विश्वविद्यालय शिक्षा के लिए एक सांविधिक संगठन बना।
- भारतीय भाषा समिति वर्ष 2021 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए गठित की गई एक आधारभूत समिति है।
- इस परियोजना का नेतृत्व करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के सदस्य विश्वविद्यालयों के साथ-साथ 13 नोडल विश्वविद्यालयों की पहचान की गई है।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने प्रत्येक निर्दिष्ट भाषा में पुस्तक-लेखन प्रक्रिया के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) बनाई है।
- इस परियोजना का लक्ष्य पाँच वर्षों के भीतर 22 भारतीय भाषाओं में 1,000 पुस्तकें तैयार करना है, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय भाषाओं में 22,000 पुस्तकें तैयार होंगी।
- इसके अतिरिक्त, इस आयोग का लक्ष्य जून 2025 तक कला, विज्ञान और वाणिज्य संकाय के लिए तक़रीबन 1,800 पाठ्यपुस्तकें तैयार करना है।
- प्रोजेक्ट अस्मिता का मुख्य उद्देश्य भारत में भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा को सुलभ और प्रभावी बनाना है, जिससे भारतीय छात्रों को अपनी मातृभाषा में पढ़ाई का अवसर मिले और भारत की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो।
- यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय भाषाओं के प्रचार और संरक्षण को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
भारत में अस्मिता परियोजना के साथ शुरू की गई कुछ अन्य पहल :
भारत में अस्मिता परियोजना के साथ शुरू की गई कुछ अन्य पहल निम्नलिखित है –
- अस्मिता शब्दकोश : यह एक व्यापक बहुभाषी शब्दकोश है, जिसे केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (Central Institute of Indian Languages) ने भारतीय भाषा समिति के सहयोग से विकसित किया है। इसका उपयोग आधुनिक क्षेत्रों में भारतीय शब्दों, वाक्यांशों और वाक्यों का अध्ययन करने में मदद करेगा।
- रीयल-टाइम अनुवाद वास्तुकला : यह परियोजना भारतीय भाषाओं में वास्तविक समय अनुवाद को बढ़ाने के लिए विकसित की गई है। इसका उद्देश्य भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री को बढ़ावा देना है।
- राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम (National Educational Technology Forum) : यह परियोजना भारतीय भाषाओं में 22,000 किताबें विकसित करने के लिए शुरू की गई है।
- NETF और भारतीय भाषा समिति द्वारा विकसित, यह परियोजना भारतीय भाषाओं में अनुवाद और शैक्षिक लेखन के माध्यम से वास्तविक समय अनुवाद को बढ़ाने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रयास करता है।
- इस पहल से भारतीय भाषाओं में वास्तविक समय अनुवाद की क्षमता में सुधार होगा और भाषाई विविधता को समृद्ध किया जाएगा।
भारत में अस्मिता परियोजना का मुख्य उद्देश्य :
- भारत में अस्मिता परियोजना का मुख्य उद्देश्य भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 अनुसूचित भाषाओं में शैक्षणिक संसाधनों का एक व्यापक पूल बनाने, भाषाई विभाजन को पाटने, सामाजिक सामंजस्य और एकता को बढ़ावा देने तथा देश के युवाओं को सामाजिक रूप से एक ज़िम्मेदार वैश्विक नागरिक के रूप में बदलने में मदद मिलेगी।
- भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में निम्नलिखित 22 भाषाएँ शामिल हैं –
- असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी।
भारत में अस्मिता परियोजना का महत्व :
- भारत में यह कार्यक्रम एनईपी के उद्देश्यों के अनुरूप हैं।
- इन पहलों का उद्देश्य विभिन्न भारतीय भाषाओं में शैक्षिक सामग्री की एक श्रृंखला स्थापित करना है।
- भारत में इससे भाषा संबंधी बाधाएं दूर होंगी, सद्भाव बढ़ेगा और आपसी एकता और भाईचारे को प्रोत्साहन मिलेगा।
- इसके अलावा, इन पहलों का उद्देश्य भारत की नई पीढ़ी को उनके अध्ययन में सहायता प्रदान करके तथा देश की सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा करके वैश्विक नागरिक के रूप में ढालना है।
आगे की राह :
अस्मिता परियोजना के विकास और विस्तार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है। इस दिशा में आगे की राह को स्पष्ट रूप से निम्नलिखित बिंदुओं में विभाजित किया जा सकता है –
संसाधन और बजट का प्रबंधन :
- वित्तीय आवंटन : अस्मिता परियोजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त बजट आवंटित करना आवश्यक है। इसके लिए सरकारी और निजी दोनों प्रकार के स्रोतों से धन जुटाने की योजनाएं बनानी होंगी।
- संसाधनों की प्रभावशीलता : उपलब्ध संसाधनों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए नियमित निगरानी और मूल्यांकन की व्यवस्था करनी होगी।
भाषाई और सांस्कृतिक सामग्री का निर्माण और अद्यतन :
- सामग्री की विविधता : विभिन्न भारतीय भाषाओं में शैक्षिक सामग्री की गुणवत्ता और विविधता को बढ़ाना आवश्यक है। इसमें ग्रंथ, पाठ्यपुस्तकें, ऑनलाइन संसाधन और इंटरएक्टिव सामग्री शामिल होनी चाहिए।
- सांस्कृतिक संदर्भ : सामग्री में सांस्कृतिक संदर्भ और स्थानीय परिप्रेक्ष्य को शामिल करना चाहिए, जिससे यह छात्रों को उनकी सांस्कृतिक विरासत के बारे में अधिक जानकारी प्रदान कर सके।
प्रौद्योगिकी का उपयोग :
- डिजिटल प्लेटफॉर्म : एक प्रभावी डिजिटल प्लेटफॉर्म की स्थापना, जिसमें विभिन्न भाषाओं में शैक्षिक सामग्री आसानी से उपलब्ध हो, अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें मोबाइल ऐप्स, वेब पोर्टल्स, और ई-लर्निंग टूल्स शामिल हो सकते हैं।
- सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर : प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए विद्यालयों और शिक्षकों के पास उचित सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी।
शिक्षकों और प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण :
- प्रशिक्षण कार्यक्रम : शिक्षकों और प्रशिक्षकों के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, ताकि वे नई सामग्री और प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें।
- संपर्क और सहयोग : शिक्षकों को एक दूसरे के साथ नेटवर्किंग और सहयोग के अवसर प्रदान किए जाएं, जिससे वे अनुभवों और संसाधनों का आदान-प्रदान कर सकें।
समाज में जागरूकता और सहभागिता :
- सार्वजनिक जागरूकता : अस्मिता परियोजना के उद्देश्यों और लाभों के बारे में समाज में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। इसके लिए मीडिया अभियान, कार्यशालाएँ और सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं।
- सामाजिक सहभागिता : स्थानीय समुदायों, भाषाई समूहों, और सांस्कृतिक संगठनों को परियोजना में शामिल करना चाहिए, ताकि वे इसे अपने तरीके से समर्थन कर सकें।
मूल्यांकन और प्रतिक्रिया प्रणाली :
- प्रभाव मूल्यांकन : परियोजना की प्रभावशीलता और लाभों का नियमित मूल्यांकन करना आवश्यक है। इसके लिए विभिन्न मेट्रिक्स और विश्लेषणात्मक उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है।
- फीडबैक तंत्र : छात्रों, शिक्षकों, और अन्य संबंधित पक्षों से नियमित फीडबैक एकत्र करना और परियोजना में सुधार के लिए इसे लागू करना चाहिए।
सहयोग और साझेदारी :
- शैक्षिक संस्थानों के साथ साझेदारी : विश्वविद्यालयों, शैक्षिक संस्थानों और शोध संगठनों के साथ सहयोग करके नई सामग्री और शोध को शामिल करना चाहिए।
- सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी : सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देना, जिससे संसाधनों और विशेषज्ञता का आदान-प्रदान हो सके।
कानूनी और नीति संबंधी समर्थन :
- नीति निर्माण : अस्मिता परियोजना के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए उपयुक्त नीतियों और दिशानिर्देशों का निर्माण करना चाहिए।
- कानूनी समर्थन और नियमों को लागू करना : आवश्यक कानूनी ढांचे और नियमों को लागू करना, ताकि परियोजना का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, अस्मिता परियोजना को एक मजबूत और प्रभावी दिशा में आगे बढ़ाया जा सकता है, जिससे भारत की शैक्षिक और सांस्कृतिक विविधता को संपूर्ण रूप से समझा जा सके और संरक्षित किया जा सके।
स्रोत – द हिंदू एवं पीआईबी।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में किस संविधान संशोधन द्वारा चार भाषाओं को जोड़ा गया था ? ( UPSC – 2008 )
A. 91वाँ संविधान संशोधन ।
B. 92वाँ संविधान संशोधन ।
C. 93वाँ संविधान संशोधन ।
D. 103वाँ संविधान संशोधन ।
उत्तर – B
Q.2. भारत में निम्नलिखित में से किस भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया है ? ( UPSC – 2015 )
A. कोंकणी
B. अंगिका
C. असमिया
D. उड़िया
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. चर्चा कीजिए कि भारत में भाषाई विविधता के संदर्भ में अस्मिता परियोजना किस प्रकार भाषा संबंधी बाधाओं को दूर कर भारत की अनेकता में एकता के पहचान को सुनिश्चित करता है? तर्क प्रस्तुत करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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