20 Jun आईएनएस अर्णाला बेड़े में शामिल : नौसेना युद्ध में आत्मनिर्भरता को बल
पाठ्यक्रम – सामान्य अध्ययन – 3 – विज्ञान और प्रौद्योगिकी- INS अर्णाला बेड़े में शामिल : नौसेना युद्ध में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना
प्रारंभिक परीक्षा के लिए :
पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) उथले पानी के जहाज क्या हैं? वे समुद्री सुरक्षा में कैसे योगदान करते हैं?
मुख्य परीक्षा के लिए :
भारत में स्वदेशी रक्षा विनिर्माण में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
खबरों में क्यों?
- हाल ही में 18 जून 2025 को भारत ने विशाखापत्तनम स्थित नौसेना डॉकयार्ड में INS अर्णाला को नौसेना में शामिल किया। यह 1,500 टन वजनी, पहली स्वदेशी रूप से निर्मित शैलो वॉटर एंटी-सबमरीन वारफेयर क्राफ्ट (ASW-SWC) है।
- ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत तटीय सुरक्षा को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू किए गए 16 जहाजों वाले इस प्रोजेक्ट का यह पहला पोत है, जो समुद्री सुरक्षा में एक नई रणनीतिक शुरुआत का संकेत देता है।
ASW-SWCs क्या है ?
- पनडुब्बी रोधी युद्ध शैलो वाटर क्राफ्ट विशेष पोत हैं जिन्हें तटीय और तटीय जल के लिए डिज़ाइन किया गया है। वे सोनार सिस्टम, पनडुब्बी रोधी हथियार, माइन-लेइंग क्षमता और खोज-और-बचाव गियर से लैस हैं। जीआरएसई और सीएसएल द्वारा “मेक इन इंडिया” के तहत निर्मित 16 पोतों वाले बेड़े में पुराने अभय-श्रेणी के कोरवेट की जगह लेंगे।
आईएनएस अर्णाला की मुख्य विशेषताएं :
- डिजाइन और प्रणोदन : 77-78 मीटर लंबाई, ~1,490t विस्थापन, डीजल इंजन जल-जेट प्रणोदन के साथ युग्मित – इस सेटअप का उपयोग करने वाला सबसे बड़ा भारतीय नौसैनिक मंच।
- स्टील्थ और सेंसर सूट : निम्न रडार/ध्वनिक/आईआर हस्ताक्षर; पनडुब्बी का पता लगाने के लिए पतवार पर लगे सोनार और खींचे जाने वाले निम्न-आवृत्ति वाले परिवर्तनीय-गहराई वाले सोनार।
- आयुध : आरबीयू-6000 रॉकेट लांचर, हल्के वजन वाली टारपीडो ट्यूब, पनडुब्बी रोधी माइंस, 30 मिमी नौसैनिक सतह बंदूक और जुड़वां 12.7 मिमी आरडब्ल्यूएस।
- बहु-मिशन क्षमता : तटीय ASW, भूमिगत निगरानी, LIMO संचालन, बारूदी सुरंग बिछाने और खोज एवं बचाव के लिए उपयुक्त।
- स्वदेशीकरण : 80% से अधिक भारतीय सामग्री, बीईएल, एलएंडटी, महिंद्रा डिफेंस, एमईआईएल, बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल ने 3,100 टन विशेष ग्रेड स्टील की आपूर्ति की) और 55 से अधिक एमएसएमई से सोर्सिंग।
- सांस्कृतिक प्रतीकवाद : ऐतिहासिक अर्णाला किले के नाम पर इसका नाम रखा गया है, इसका शिखर (बरमा) और आदर्श वाक्य “अर्णवे शौर्यम्” लचीलेपन और तटीय सतर्कता को दर्शाता है।
आईएनएस अर्णाला का महत्व :
- तटीय पनडुब्बी रोधी युद्ध को बढ़ावा : INS अर्नला भारत का पहला विशेष उद्देश्य से निर्मित ASW उथले पानी का जहाज है, जिसे तटीय क्षेत्रों में दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने और उन्हें बेअसर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे तटीय रक्षा मजबूत होती है
- स्वदेशी निर्मित मील का पत्थर : 80% से अधिक स्थानीय सामग्री के साथ और जीआरएसई द्वारा आत्मनिर्भर भारत के तहत निर्मित, यह भारत के आत्मनिर्भर रक्षा विनिर्माण की ओर कदम बढ़ाने का प्रतीक है
- पुराने हो चुके कॉर्वेट के लिए प्रतिस्थापन : यह पुराने अभय श्रेणी के जहाजों की जगह लेगा, जिसमें आधुनिक सेंसर, प्रणोदन और आयुध उपलब्ध होंगे, यह योजनाबद्ध 16 जहाजों के बेड़े का हिस्सा है
- हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक निवारक : पानी के अंदर निगरानी और उथले पानी में हमला करने की क्षमता बढ़ाकर, यह हिंद महासागर में भारत की समुद्री स्थिति को मजबूत करता है
- घरेलू उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा : सेल-बीएसएल के 3,100 टन विशेष ग्रेड स्टील और बीईएल, एलएंडटी, महिंद्रा और एमएसएमई के एकीकृत प्रणालियों का उपयोग करके निर्मित, यह जहाज निर्माण के गुणक प्रभाव को रेखांकित करता है।
क्षेत्रीय महत्व :
- उन्नत तटीय सुरक्षा : बंदरगाहों के निकट पानी के भीतर के खतरों के विरुद्ध निगरानी और निवारण को बढ़ावा देता है।
- बंदरगाह सुरक्षा नेटवर्क : 16 जहाजों में से पहला जहाज प्रमुख बंदरगाहों के चारों ओर पनडुब्बी रोधी घेरा बनाएगा।
- आधुनिक बेड़े की स्थिति : जल-जेट प्रणोदन का उपयोग करके पुराने कॉर्वेट को अधिक गुप्त, चुस्त संपत्तियों से प्रतिस्थापित किया जाएगा
- रणनीतिक निवारण : यह तटीय बफर के रूप में कार्य करता है तथा क्षेत्रीय शत्रुओं की पनडुब्बी गतिविधियों को हतोत्साहित करता है।
- परिचालन तालमेल : स्तरित रक्षा के लिए ASW हेलीकॉप्टरों और समुद्री निगरानी विमानों के साथ मिलकर काम करता है।
अंतर्राष्ट्रीय महत्व :
- समुद्री क्षेत्र जागरूकता : यह हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की भूमिका को सुदृढ़ करता है।
- आत्मनिर्भर ब्लूप्रिंट : घरेलू जहाज निर्माण और रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा, आयात पर निर्भरता कम करेगा।
- तकनीकी निर्यात संभावना : स्वदेशी ASW प्लेटफार्मों का विपणन मित्र राष्ट्रों को किया जा सकता है।
- समुद्री कूटनीति : सामरिक प्रतिस्पर्धा के बीच क्षेत्रीय साझेदारों को क्षमता और विश्वसनीयता का संकेत देता है।
- हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन : पड़ोसी देशों के बढ़ते पनडुब्बी बेड़े का मुकाबला करने के लिए भारत की समुद्री युद्ध क्षमताओं को बढ़ाता है।
तटीय जल में प्रमुख सुरक्षा मुद्दे :
- छिद्रयुक्त, विस्तृत तटरेखा : जटिल भूभाग (खाड़ियाँ, द्वीप, मुहाना) वाली 7,500 किमी से अधिक लंबी तटरेखा अपर्याप्त निगरानी और घुसपैठ के अंतराल का कारण बनती है
- एजेंसी क्षेत्राधिकारों का ओवरलैप होना : भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल, समुद्री पुलिस, सीमा शुल्क, मत्स्य पालन और बंदरगाह प्राधिकरणों में स्पष्ट भूमिका सीमांकन का अभाव है, जिसके कारण अधिकार क्षेत्र को लेकर लड़ाई होती है
- ज्ञान और प्रौद्योगिकी अंतराल : अपर्याप्त रडार कवरेज, एआईएस स्थापना, सेंसर नेटवर्क और उपग्रह/ड्रोन निगरानी के कारण महत्वपूर्ण अंधे स्थान मौजूद हैं।
- संसाधनों की कमी से जूझ रही समुद्री पुलिस और तटरक्षक बल : अपर्याप्त प्रशिक्षण, अपर्याप्त प्लेटफॉर्म (इंटरसेप्टर नौकाएं) और बुनियादी ढांचे की कमी तटीय गश्ती की प्रभावशीलता को कमजोर करती है
- गैर-पारंपरिक समुद्री खतरे : समुद्री आतंकवाद, तस्करी, अवैध, अनियमित और अप्रतिबंधित (आईयूयू) मछली पकड़ना, नशीली दवाओं/हथियारों की तस्करी, समुद्री डकैती और प्रदूषण जैसी गतिविधियाँ जारी हैं
- कमजोर कानूनी एवं समन्वय तंत्र : व्यापक कानूनी ढांचे का अभाव और कमजोर बहु-एजेंसी समन्वय व्यवस्था रणनीतिक प्रतिक्रिया में बाधा डालती है।
- मछुआरा समुदाय एकीकृत नहीं : मछुआरे प्रायः समुद्री बलों पर भरोसा नहीं करते; बायोमेट्रिक पहचान-पत्र और संचार चैनलों का कम उपयोग किया जाता है।
समिति द्वारा अनुशंसित आगे की राह एवं तंत्र :
समिति/संस्था | वर्ष | मुख्य अनुशंसाएँ |
कारगिल समीक्षा समिति एवं सीमा प्रबंधन पर टास्क फोर्स | 2000–2001 | – तटीय पुलिस स्टेशनों और इकाइयों के साथ एक विशेष समुद्री पुलिस बल की स्थापना करना
– राज्य समुद्री बलों के लिए इंटरसेप्टर बोट बेड़े का विस्तार – स्थानीय और अंतर-एजेंसी समन्वय के लिए संयुक्त संचालन केंद्रों और मछुआरों के निगरानी समूहों को बढ़ावा देना |
तटीय सुरक्षा के लिए संचालन समिति (एससीआरसीएस)औरसमुद्री और तटीय सुरक्षा सुदृढ़ीकरण पर राष्ट्रीय समिति (एनएससीएमएससी) | 2013 | – तटीय निगरानी नेटवर्क के दूसरे चरण का कार्यान्वयन: 38 नए स्थिर रडार + 8 मोबाइल यूनिट पोर्ट वीटीएमएस और एआईएस प्रणालियों के साथ एकीकृत
– IMAC, IFC-IOR और केंद्रीय रडार एकीकरण के माध्यम से राष्ट्रीय समुद्री डोमेन जागरूकता (NMDA) को मजबूत करना |
गृह मामलों पर 187वीं संसदीय स्थायी समिति | 2015 | – समुद्री पुलिस को सशक्त बनाना: प्रशिक्षण, इंटरसेप्टर नौकाएं, जेटी, मछुआरों के लिए बायोमेट्रिक आईडी कार्ड, सीसीटीवी और एसओपी
– कानूनी सुदृढ़ीकरण: निगरानी संबंधी कमियों को पूरा करना; मत्स्य विभागों को कानूनी प्रवर्तन शक्तियां प्रदान करना |
रक्षा स्थायी समिति की समीक्षा | 2024 | – तटरक्षक की भूमिका को बढ़ाना: बंदरगाह और औद्योगिक क्षेत्र की कमजोरियों (जैसे, परमाणु संयंत्र) पर ध्यान केंद्रित करना
– एनएससीएमएससी, आईएमएसी और एनसी3आई ग्रिड के माध्यम से बहु-एजेंसी समन्वय की सिफारिश करना |
निष्कर्ष :
- कुछ वर्ष पूर्व ही 26/11 के हमलों के बाद भारत की तटीय सुरक्षा में उल्लेखनीय आधुनिकीकरण तो हुआ है, किंतु यह अब भी कई व्यावहारिक और नीतिगत चुनौतियों से जूझ रही है।
- विभिन्न एजेंसियों के बीच दायित्वों की अस्पष्टता, तकनीकी संसाधनों और प्रशिक्षित जनशक्ति की सीमाएं, कानूनी व्यवस्थाओं में अंतराल तथा स्थानीय समुदायों के साथ विश्वास की कमी जैसे पहलू इसकी प्रभावशीलता को बाधित करते हैं।
- तटीय क्षेत्र में लगातार बदलते खतरों, चाहे वे आतंकवादी गतिविधियाँ हों या जलवायु और पर्यावरण जन्य संकट—के आलोक में, अब समय आ गया है कि संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक दोनों स्तरों पर ठोस सुधार लागू किए जाएं।
- यदि प्रौद्योगिकी का समुचित समावेशन, सुरक्षा एजेंसियों को अधिक सशक्त बनाने की रणनीति, विधायी ढांचे का उन्नयन और समुदाय-आधारित सहयोग को नीति का हिस्सा बनाया जाए, तो भारत की तटीय सुरक्षा प्रणाली न केवल अधिक संगठित व प्रभावी होगी, बल्कि यह राष्ट्रीय समुद्री हितों और रक्षा लक्ष्यों की दिशा में भी एक सशक्त कदम सिद्ध होगी।
स्त्रोत – पी.आई.बी एवं इंडियन एक्सप्रेस।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. हाल ही में भारतीय नौसेना में शामिल किए गए आईएनएस अर्णाला के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें :
1. यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत स्वदेशी रूप से निर्मित पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जल शिल्पों में से पहला है।
2. इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा किया गया है।
3. आईएनएस अर्णाला तटीय सुरक्षा के लिए उन्नत सोनार प्रणाली और हल्के टॉरपीडो से सुसज्जित है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सत्य हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर – (b)
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. “आईएनएस अर्णाला, भारत का पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट के संबंध में यह चर्चा कीजिए कि यह किन प्रमुख डिजाइन विशेषताओं से लैस है और यह भारत की तटीय समुद्री सुरक्षा को तटीय क्षेत्रों में कैसे सुदृढ़ करता है?” ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
No Comments