इसरो की विश्वसनीयता की परीक्षा : PSLV-C61 मिशन की असफल उड़ान

इसरो की विश्वसनीयता की परीक्षा : PSLV-C61 मिशन की असफल उड़ान

सामान्य अध्ययन -3- विज्ञान और प्रौद्योगिकी- पीएसएलवी-सी61 मिशन विफल: इसरो के विश्वसनीय लांचर में एक दुर्लभ गड़बड़ी

प्रारंभिक परीक्षा के लिए : 

EOS-09 उपग्रह के मुख्य लक्ष्य क्या थे? PSLV-C61 मिशन की विफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

मुख्य परीक्षा के लिए : 

इसरो और भारत के अंतरिक्ष मिशनों के लिए पीएसएलवी क्यों महत्वपूर्ण है?

 

खबरों में क्यों?

 

 

  • हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को अपने PSLV – C 61 मिशन में असफलता का सामना करना पड़ा। 
  • इस मिशन का उद्देश्य पृथ्वी पर नजर रखने वाले उपग्रह EOS-09 को अंतरिक्ष में भेजना था, लेकिन उड़ान के तीसरे चरण में तकनीकी खराबी के कारण यह मिशन असफल हो गया। 
  • यह घटना इसलिए अहम है क्योंकि PSLV आमतौर पर अपनी विश्वसनीयता और लगातार सफल प्रक्षेपणों के लिए जाना जाता है, और इस तरह की विफलता इसके लिए बहुत ही असामान्य मानी जाती है।

 

पृष्ठभूमि एवं मिशन अवलोकन : 

 

पैरामीटर विवरण
मिशन का नाम PSLV-C61 / EOS-09
प्रक्षेपण की तारीख 18 मई, 2025, 5:59 पूर्वाह्न IS
प्रक्षेपण स्थल सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा
उपग्रह / सैटेलाइट का वजन 1,696.24 किलोग्राम
वाहन विन्यास PSLV-XL (पीएसएलवी-एक्सएल ) (अतिरिक्त बड़ा)

EOS-09 के मुख्य उद्देश्य :

 

  • EOS-09 उपग्रह का मुख्य लक्ष्य पृथ्वी का व्यापक अवलोकन करना है, जिसके लिए यह कई महत्वपूर्ण काम करेगा:
  • हर मौसम में धरती की निगरानी : यह उपग्रह सी-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) का इस्तेमाल करेगा, जिससे यह बादल, बारिश या दिन-रात की परवाह किए बिना धरती की तस्वीरें ले पाएगा।
  • उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली साफ़ और बारीक तस्वीरें : यह पृथ्वी की सतह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली रडार तस्वीरें खींचेगा, जो बारीकी से निगरानी और विश्लेषण में मदद करेंगी।
  • प्राकृतिक आपदाओं के दौरान तुरंत चेतावनी देने में सहायक होना : यह बाढ़, चक्रवात और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान तुरंत चेतावनी देने, राहत कार्य में सहायता करने और नुकसान का आकलन करने में सहायक होगा।
  • खेती-बाड़ी की निगरानी में सहायक : यह रडार से ली गई तस्वीरों के जरिए फसलों का जायजा लेने, उपज का अनुमान लगाने और कीटों या बीमारियों का पता लगाने में मदद करेगा।
  • जंगलों और जैव विविधता की निगरानी में सहायक होना : यह जंगलों की स्थिति, कटाई, अतिक्रमण और जैव विविधता से जुड़े बदलावों को समय के साथ ट्रैक करेगा।
  • मिट्टी की नमी और भूजल के पुनर्भरण का अध्ययन करने में सहायक : यह मिट्टी की नमी का आकलन करने, जल निकायों का नक्शा बनाने और भूजल के पुनर्भरण का अध्ययन करने में सहायक होगा, जो जल प्रबंधन के लिए बहुत ज़रूरी है।
  • जलवायु और पर्यावरण के दीर्घकालिक विश्लेषण या अध्ययन में सहायक : यह जलवायु परिवर्तन अनुसंधान, ग्लेशियरों की निगरानी और पर्यावरण के दीर्घकालिक विश्लेषण के लिए लगातार डेटा देगा।
  • रिमोट सेंसिंग की बेहतर डेटा विश्वसनीयता को सुनिश्चित करना : यह मौसम या प्रकाश की स्थिति से परे, लगातार और बिना रुकावट के रिमोट सेंसिंग डेटा सुनिश्चित करेगा।
  • भारत की सीमा निगरानी औए राष्ट्रीय सुरक्षा की निगरानी में सहायक : यह रडार इमेजिंग का उपयोग करके भारत की सीमा निगरानी, रणनीतिक संपत्तियों की निगरानी और बुनियादी ढांचे की योजना को मजबूत करेगा।

 

PSLV-C61 मिशन  की विफलता :

 

पीएसएलवी-सी61 मिशन का तीसरे चरण में खराबी के कारण असफल रहा। यह चरण रॉकेट को सही गति और दिशा देने के लिए जिम्मेदार होता है।

  1. विफलता का समय: यह समस्या तीसरे चरण के दौरान आई, जिसमें ठोस रॉकेट मोटर का इस्तेमाल होता है।
  2. तीसरे चरण का काम: इसका काम रॉकेट को वांछित कक्षीय गति और तय रास्ते पर पहुँचाने के लिए बल प्रदान करना है।
  3. तकनीकी समस्या: शुरुआती जांच में पता चला है कि तीसरे चरण की मोटर में चैंबर दबाव कम हो गया था।
  4. जांच जारी: इसरो ने इस विफलता के मूल कारण का पता लगाने के लिए एक जांच समिति बनाई है।
  5. मिशन का अंजाम: उपग्रह को उसकी तय सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (SSPO) में स्थापित नहीं किया जा सका।
  6. ऐतिहासिक पहलू: 1993 के बाद यह पीएसएलवी की तीसरी विफलता है, जो इसकी ऐतिहासिक सफलता को भी दर्शाती है।

 

PSLV-C61 मिशन की असफलता का महत्व :

 

  • पीएसएलवी की साख पर असर पड़ना : सन 1993 में अपनी पहली उड़ान के बाद से पीएसएलवी को इसरो का सबसे भरोसेमंद और बहुमुखी रॉकेट माना जाता रहा है।
  • पीएसएलवी का मजबूत प्रदर्शन : इस मिशन से पहले, पीएसएलवी ने बिना किसी बड़ी समस्या के 63 सफल लॉन्च किए थे।
  • पीएसएलवी के ऑपरेशनल इतिहास में दुर्लभ विफलता के रूप में होना : पीएसएलवी के तीन दशकों के ऑपरेशनल इतिहास में यह केवल तीसरी विफलता है।
  • पीएसएलवी विफलता के लंबे अंतराल के रूप में होना : पिछली पीएसएलवी विफलता 2017 में पीएसएलवी-सी39 मिशन के दौरान हुई थी। इस प्रकार, लगभग 8 साल की लगातार सफलता के बाद यह एक दुर्लभ घटना है।
  • मिशन का महत्व : EOS-09 एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पृथ्वी अवलोकन उपग्रह था, जिसका उद्देश्य भारत की रिमोट सेंसिंग क्षमताओं को बढ़ाना था।
  • इसरो की छवि पर प्रभाव पड़ना : यह विफलता इसरो के त्रुटिहीन पीएसएलवी रिकॉर्ड और अंतरिक्ष प्रक्षेपण विश्वसनीयता के लिए एक झटका है।
  • आधुनिक अंतरिक्ष मिशनों में परिचालन संबंधी प्रभाव के रूप में दिखना : यह आधुनिक अंतरिक्ष मिशनों में बढ़ती जटिलता और जोखिम को दर्शाता है।
  • तकनीकी सतर्कता की आवश्यकता होना : यह भविष्य के मिशनों में उच्च विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए कठोर परीक्षण, सत्यापन और विफलता विश्लेषण के महत्व पर जोर देता है।

 

समाधान की राह :

 

  • इसरो इस विफलता से उबरने और भविष्य के मिशनों को और भी मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठा रहा है। जो निम्नलिखित है – 
  • गहन तकनीकी जांच की आवश्यकता : इसरो तीसरे चरण में आई तकनीकी गड़बड़ी के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए एक विशेष जांच समिति के ज़रिए पूरी गहराई से जांच करेगा।
  • गुणवत्ता प्रक्रिया को मजबूत बनाना : रॉकेट के अहम हिस्सों, खासकर तीसरे चरण की ठोस मोटर, की जांच और परीक्षण के नियमों को और कड़ा और असरदार बनाकर गुणवत्ता जांच और परीक्षण प्रक्रियाओं को सुधारा जाएगा
  • उन्नत तकनीकी के साथ अनुसंधान की प्रक्रिया को तेज करना : रॉकेट प्रणोदन प्रणाली को और भरोसेमंद बनाने के लिए नई सामग्री, डिजाइन और तकनीकों पर अनुसंधान तेज़ किया जाएगा। इसमें नई सामग्री और तकनीकों का इस्तेमाल शामिल है।
  • बेहतर निगरानी व्यवस्था को सुनिश्चित करना : लॉन्च के दौरान किसी भी गड़बड़ी का जल्दी पता लगाने और उसे तुरंत ठीक करने के लिए एडवांस्ड रियल-टाइम निगरानी और टेलीमेट्री सिस्टम या डेटा ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग किया जाएगा।
  • मिशन में जोखिम का बेहतर आंकलन  के तरीकों को और बेहतर बनाने की आवश्यकता : हाल की असफलताओं से मिले सबक को शामिल करके मिशन जोखिम विश्लेषण के तरीकों को और बेहतर बनाया जाएगा, ताकि भविष्य में अनिश्चितताओं को कम किया जा सके।
  • क्षमता और प्रशिक्षण बढ़ाने की जरूरत : इंजीनियरों और मिशन नियंत्रकों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएंगे, जिनमें गड़बड़ी का पता लगाने और संकट प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा, ताकि उनकी तकनीकी विशेषज्ञता बढ़े।
  • बैकअप और आकस्मिक या आपदा योजनाओं को शामिल करने की जरूरत : मिशन विफल होने पर राष्ट्रीय प्राथमिकताओं पर कम से कम असर पड़े, इसके लिए मजबूत आकस्मिक रणनीतियां बनाई जाएंगी, जिसमें बैकअप लॉन्च वाहन या उपग्रह शामिल हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त बैकअप रॉकेट, उपग्रह और वैकल्पिक योजनाएं तैयार की जाएंगी।
  • पारदर्शी संचार में सभी संबंधित पक्षों और जनता को समय पर जानकारी प्रदान करना : इसरो अपनी क्षमताओं में विश्वास बनाए रखने के लिए जांच की प्रगति और सुधार के उपायों के बारे में सभी संबंधित पक्षों और जनता को समय पर जानकारी देता रहेगा।
  • आगामी मिशनों की सुरक्षा में सुधार करने की जरूरत : भविष्य के PSLV मिशनों में अतिरिक्त सुरक्षा उपायों और जांच तंत्र जोड़े जाएंगे, ताकि विश्वसनीयता बनी रहे और कोई भी तकनीकी गड़बड़ी समय रहते पहचान की जा सके।

 

निष्कर्ष : 

 

  • PSLV-C61 मिशन की विफलता हमें याद दिलाती है कि अंतरिक्ष अन्वेषण जैसे जटिल और जोखिम भरे क्षेत्र में, सबसे भरोसेमंद प्रणालियाँ भी कभी-कभी असफल हो सकती हैं।
  • अंतरिक्ष अन्वेषण जैसे जटिल और जोखिम भरे क्षेत्र में यह घटना ISRO के शानदार रिकॉर्ड में एक रुकावट को प्रदर्शित तो करती है, लेकिन यह सुधार, आत्म-मूल्यांकन और प्रोटोकॉल को अपग्रेड करने एवं मिशन को मजबूत करने का एक अवसर भी प्रदान करती है।
  • व्यापक विफलता विश्लेषण, तकनीकी सुधार और उत्कृष्टता के लिए निरंतर प्रतिबद्धता के साथ, इसरो भविष्य के मिशनों में और अधिक मजबूत, सुरक्षित और लचीला बनकर उभरेगा। 
  • भारत को अग्रणी अंतरिक्ष शक्ति बनाने का सपना, दशकों की मेहनत, नवाचार और जनता के विश्वास पर टिका है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण जैसे जटिल और जोखिम भरे क्षेत्र में भी, इसरो द्वारा यह आगे भी जारी रहेगा।

 

स्त्रोत – पी.आई.बी एवं द हिन्दू।  

Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 20th May 2025

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. PSLV-C61 / EOS-09 मिशन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें :
1. PSLV-C61 मिशन को EOS-09 उपग्रह को सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित करने के लिए प्रक्षेपित किया गया था।
2. पीएसएलवी के तीसरे चरण में उच्च प्रणोद के लिए क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग किया जाता है।
3. EOS-09 को सभी मौसम, दिन और रात की इमेजिंग के लिए सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) से सुसज्जित किया गया था।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर- (b)

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. चर्चा कीजिए कि PSLV-C61 मिशन की विफलता इसरो के अब तक के सफल प्रक्षेपण इतिहास में एक दुर्लभ विसंगति क्यों मानी जा रही है? EOS-09 उपग्रह के प्रमुख उद्देश्य क्या थे, इस विफलता के संभावित निहितार्थ क्या हो सकते हैं, और भविष्य में उपग्रह मिशनों की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जा सकते हैं? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

 

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