20 Dec एक राष्ट्र – एक चुनाव 129वाँ संविधान संशोधन विधेयक 2024
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था , भारतीय संविधान , केन्द्र – राज्य संबंध , 129वाँ संविधान संशोधन विधेयक, 2024 की मुख्य विशेषताएँ, भारत में एक राष्ट्र – एक चुनाव के निहितार्थ ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ सहकारी संघवाद , संवैधानिक संशोधन , जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 , लोकसभा , राष्ट्रपति, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 ’ खंड से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में, केन्द्र सरकार ने लोकसभा में दो संविधान संशोधन विधेयक—’129वां संविधान संशोधन विधेयक, 2024′ और ‘केंद्रशासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक, 2024’ को पेश किया है।
- इन दोनों संविधान संशोधन विधेयकों के जरिए सरकार ने देश में “एक राष्ट्र – एक चुनाव” को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
- भारत में, सन 1951 से लेकर 1967 तक, लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ आयोजित होते थे।
‘ एक राष्ट्र – एक चुनाव ‘ 129वां संविधान संशोधन विधेयक, 2024 की मुख्य विशेषताएँ:
- इन विधेयकों के अंतर्गत, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को समन्वित करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश के आधार पर संविधान में अनुच्छेद 82A (1-6) जोड़ने का प्रस्ताव रखा गया है।
- संविधान में अनुच्छेद 82A का समावेश : विधेयक के तहत, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को समन्वित करने के लिए अनुच्छेद 82A (1-6) को संविधान में जोड़ने का प्रस्ताव है।
- अनुच्छेद 82A(1) : राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा चुनाव के बाद पहली बैठक की तिथि में परिवर्तनों को लागू करने के लिए समय-सीमा का प्रावधान किया गया है, जिसे “नियत तिथि” के रूप में संदर्भित किया जाएगा।
- अनुच्छेद 82A(2) : नियत तिथि के बाद, लोकसभा के कार्यकाल के समाप्त होने से पहले, सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल भी लोकसभा के साथ समाप्त हो जाएगा।
- अनुच्छेद 82A(3) : भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ आम चुनाव कराने का दायित्व सौंपा जाएगा।
- अनुच्छेद 82A(4) : इस अनुच्छेद के तहत “एक साथ चुनाव” को परिभाषित किया गया है, जिसमें लोकसभा और सभी विधानसभाओं के गठन के लिए आयोजित एक सामान्य चुनाव की प्रक्रिया शामिल है।
- अनुच्छेद 82A(5) : निर्वाचन आयोग को लोकसभा चुनाव के साथ किसी विशेष विधानसभा चुनाव को स्थगित करने का विकल्प दिया जाएगा।
- अनुच्छेद 82A(6) : यदि किसी विधानसभा का चुनाव स्थगित कर दिया जाता है, तो उसका कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल के साथ समाप्त हो जाएगा।
- अनुच्छेद 83 और 172 में संशोधन : यदि लोकसभा कार्यकाल समाप्त होने से पहले भंग हो जाती है, तो अगली लोकसभा केवल शेष अवधि तक कार्य करेगी और लंबित विधेयकों की समय-सीमा समाप्त हो जाएगी।
- राज्य विधानसभाओं के लिए अनुच्छेद 172 में संशोधन : यदि किसी राज्य विधानसभा को भंग कर दिया जाता है, तो चुनाव केवल शेष कार्यकाल के लिए कराए जाएंगे।
- अनुच्छेद 372 में संशोधन : विधेयक में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद एक साथ चुनाव कराने का प्रावधान है, जिससे राज्य विधानसभा चुनावों पर संसद की शक्ति बढ़ेगी।
- स्थानीय निकायों और नगर पालिकाओं के चुनाव : इस विधेयक में स्थानीय निकायों और नगर पालिकाओं के चुनावों को शामिल नहीं किया गया है।
- केंद्रशासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक, 2024 : विधेयक का उद्देश्य संघ राज्य क्षेत्र शासन अधिनियम, 1962, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन अधिनियम, 1991, और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करना है ताकि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकें।
भारत में चुनाव से संबंधित संवैधानिक प्रावधान :
- भाग XV (अनुच्छेद 324-329) : भारतीय संविधान का यह भाग निर्वाचन और उससे संबंधित मामलों में निर्वाचन आयोग की स्थापना और उसके अधिकारों से संबंधित है।
- अनुच्छेद 324 : यह अनुच्छेद निर्वाचन आयोग को संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनावों की पूरी प्रक्रिया का निगरानी, निर्देशन और नियंत्रण करने का अधिकार प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 325 : इसके तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के लिए एकल निर्वाचक नामावली (Electoral Roll) की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है।
- अनुच्छेद 326 : यह अनुच्छेद स्पष्ट करता है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव वयस्क मताधिकार (Universal Adult Suffrage) पर आधारित होंगे।
- अनुच्छेद 82 और 170 : इन अनुच्छेदों के तहत प्रत्येक जनगणना के बाद निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की आवश्यकता को सुनिश्चित करते हैं, ताकि निष्पक्ष प्रतिनिधित्व बना रहे।
- अनुच्छेद 172 : इस अनुच्छेद के तहत प्रत्येक राज्य की विधानसभा पांच वर्षों तक बनी रहती है, सिवाय इसके कि यदि इसे पहले विघटित नहीं कर दिया गया हो।
‘एक राष्ट्र – एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें :
- समिति का गठन और इसका मुख्य उद्देश्य : केंद्र सरकार ने सितंबर 2023 में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। इस समिति को लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता की जाँच करने का कार्य सौंपा गया था।
- एक साथ चुनाव कराने का औचित्य : भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने यह स्पष्ट किया कि बार-बार चुनावों का आयोजन राजनीतिक अस्थिरता और अनिश्चितता का कारण बनता है, जबकि एक साथ चुनाव कराने से स्थिर शासन प्राप्त होता है और व्यवधान कम होते हैं। इसके अतिरिक्त, इससे चुनावी लागत में कमी और मतदाता की अधिक सक्रिय भागीदारी की संभावना भी व्यक्त की गई है।
- निर्वाचक नामावली प्रबंधन : समिति ने भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को राज्य निर्वाचन आयोगों (SEC) के परामर्श से एकल निर्वाचक नामावली तैयार करने का सुझाव दिया है। इससे निर्वाचन प्रक्रिया में दोहराव कम होगा और विभिन्न चुनावी एजेंसियों की कार्यकुशलता में सुधार होगा।
- रसद व्यवस्था : इस समिति ने भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) दोनों को एक साथ चुनावों के सफल क्रियान्वयन के लिए विस्तृत योजना तैयार करने और उसकी निगरानी करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
एक साथ चुनाव कराए जाने से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ :
- बुनियादी ढाँचे का विकास और उसका सही तरीके से प्रबंधन करना : एक साथ चुनाव कराने के लिए प्रभावी तकनीकी बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है। इसमें ईवीएम (EVM) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल्स (VVPAT) का सही तरीके से परिनियोजन और प्रबंधन शामिल है। उदाहरण स्वरूप – 2024 के आम चुनाव में 1.05 मिलियन मतदान केंद्रों पर 1.7 मिलियन नियंत्रण एकक और 1.8 मिलियन VVPAT प्रणालियाँ लगाई गईं।
- न्यायिक समीक्षा और संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता और विधिक चुनौतियाँ : एक साथ चुनाव कराने के लिए संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता हो सकती है, जिससे यह प्रक्रिया विधिक चुनौतियों का सामना कर सकती है। इसके लिए न्यायिक समीक्षा और संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी।
- क्षेत्रीय असमानताएँ और क्षेत्रीय मुद्दों और हितों की अनदेखी होने की प्रबल संभावना : भारत के कई राजनीतिक दलों का मानना है कि एक साथ चुनाव कराने से राष्ट्रीय चुनावों के दौरान क्षेत्रीय मुद्दों और हितों की अनदेखी हो सकती है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा कि स्थानीय मुद्दे राष्ट्रीय एजेंडा में समाहित न हो जाएं।
- प्रशासनिक चुनौतियाँ : एक साथ चुनावों का आयोजन विभिन्न राज्यों में प्रशासनिक दृष्टि से कठिन हो सकता है। इसमें मतदाता सूची का प्रबंधन और सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल है। इसके अलावा, नागरिकों को नए चुनावी प्रक्रिया के बारे में शिक्षित करने के लिए एक व्यापक अभियान की आवश्यकता होगी।
एक राष्ट्र – एक चुनाव करवाने के पक्ष में तर्क :
- वित्तीय बचत और विभिन्न प्रकार के संसाधनों के लागत में कमी आना : अलग-अलग चुनावों के आयोजन से होने वाले भारी खर्च में कमी आएगी, क्योंकि चुनावों के लिए संसाधनों की एक बार में ही व्यवस्था की जा सकती है।
- स्थिर शासन प्रदान करना : देश और विभिन्न राज्यों में होने वाले बार-बार चुनावों की वजह से नैतिक आचार संहिता लागू रहती है, जिससे शासन प्रभावित होता है। एक साथ चुनाव कराने से ऐसी स्थिति से बचा जा सकता है और शासन की कार्यकुशलता में सुधार हो सकता है।
- मानव – संसाधन या जनशक्ति का बेहतर उपयोग करना : एक साथ चुनाव कराने से चुनाव ड्यूटी पर तैनात जनशक्ति को अन्य प्रशासनिक कार्यों में लगाया जा सकेगा, जिससे शासन संचालन पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।
एक राष्ट्र – एक चुनाव करवाने के विरुद्ध तर्क :
- प्रशासनिक समन्वय की जटिलता : विभिन्न राज्यों और केंद्र सरकार को चुनावों के आयोजन, संसाधनों के समन्वय और विभिन्न कार्यक्रमों की देखरेख में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
- क्षेत्रीय दलों के कमजोर होने की प्रबल संभावना : एक साथ चुनाव कराने से क्षेत्रीय दलों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख दलों की तुलना में कम अवसर मिल सकते हैं और इससे राष्ट्रीय मुद्दों के सामने क्षेत्रीय मुद्दे दब सकते हैं अथवा उसके कमजोर होने की प्रबल संभावना होती है।
आगे की राह / एक साथ चुनाव कराने के लिए अपनाई जा सकने वाली रणनीतियाँ :
- विधिक स्पष्टता और संवैधानिक संशोधन करना आवश्यक : एक साथ चुनाव कराने के लिए स्पष्ट विधिक दिशानिर्देश और प्रक्रिया तय करना, तथा चुनाव समन्वय हेतु संवैधानिक संशोधन करना आवश्यक है।
- चुनावी बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करना : कोविंद समिति की सिफारिश के आधार पर, एक एकीकृत मतदाता सूची प्रणाली विकसित की जानी चाहिए, जो लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनावों में काम आ सके। इससे चुनावों में दोहराव और गलतियों को कम किया जा सकेगा। चुनावी प्रक्रियाओं के प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग, जैसे मतदाता सत्यापन और परिणामों का सारणीकरण, दक्षता बढ़ाने में सहायक होगा।
- व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक : एक साथ चुनावों को करवाने के फायदों और मतदाताओं पर इसके प्रभाव के बारे में व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है। इसमें गैर सरकारी और सामुदायिक संगठनों का योगदान प्राप्त किया जा सकता है, ताकि जनता को प्रस्तावित परिवर्तनों के बारे में सूचित किया जा सके और उनका फीडबैक लिया जा सके।
- चुनाव अधिकारियों के लिए नियमित प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने की अत्यंत आवश्यकता : चुनाव आयोग को नई प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं के संबंध में चुनाव अधिकारियों के लिए नियमित प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने चाहिए, ताकि वे एक साथ चुनावों के लिए तैयार हो सकें। इससे चुनावों के संचालन में कुशलता बढ़ेगी।
- शासन के स्तर पर संरचनात्मक सुधार की आवश्यकता : देश में एक साथ चुनाव करवाने के लिए शासन की संरचना में सुधार की आवश्यकता है, ताकि मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता और मतदाताओं की समावेशिता एवं विश्वास को बढ़ाया जा सके।
- विधि आयोग की सिफारिशें : विधि आयोग की 22वीं रिपोर्ट, जो 2029 के आम चुनाव चक्र से एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकती है, के आधार पर भविष्य में चुनाव प्रक्रिया को और अधिक व्यवस्थित और सुधारात्मक दिशा में आगे बढ़ाया जा सकता है।
स्त्रोत – पी आई बी एवं द हिन्दू।
Download Plutus IAS Current Affairs Hindi Med 20th Dec 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. 129वां संविधान संशोधन विधेयक, 2024 के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को समन्वित करने के लिए अनुच्छेद 82A का समावेश किया गया है।
- लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ आयोजित करने की प्रक्रिया को परिभाषित किया गया है।
- निर्वाचन आयोग को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के लिए अलग-अलग तिथियाँ निर्धारित करने का अधिकार दिया गया है।
- इसमें स्थानीय निकायों और नगर पालिकाओं के चुनावों को भी शामिल किया गया है।
उपरोक्त में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1 और 3
B. केवल 2 और 4
C. केवल 3 और 4
D. केवल 1 और 2
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. “129वां संविधान संशोधन विधेयक, 2024” और “केंद्रशासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक, 2024” के तहत “एक राष्ट्र – एक चुनाव” के दिशा में किए गए संशोधनों पर चर्चा करें। इसमें प्रस्तावित अनुच्छेद 82A का महत्व, एक साथ चुनावों के आयोजन की प्रमुख चुनौतियाँ, उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें और इसे लागू करने के लिए आवश्यक विधिक, प्रशासनिक और तकनीकी रणनीतियों को विश्लेषित करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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