05 Aug कवच 4.0 : भारत की विश्वस्तरीय रेल सुरक्षा में क्रांतिकारी छलांग
पाठ्यक्रम – मुख्य परीक्षा के प्रश्नपत्र – 3 – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के संबंधित।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए – कवच 4.0, स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली, रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान, SIL-4, भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार संस्थान (IRISET)
खबरों में क्यों?
- हाल ही में भारतीय रेलवे ने 30 जुलाई 2025 को देश के सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण रेल गलियारों में से एक — दिल्ली-मुंबई मार्ग के मथुरा-कोटा खंड पर अत्याधुनिक रेल सुरक्षा प्रणाली कवच 4.0 का संचालन शुरू कर दिया है।
- केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा इस ऐतिहासिक शुरुआत की घोषणा की गई। यह कदम भारतीय रेलवे के क्षेत्र में केवल एक तकनीकी उन्नयन नहीं है, बल्कि यह भारत की रेलवे सुरक्षा प्रणाली में एक क्रांतिकारी परिवर्तन को दर्शाता है।
- यह पहल ऐसे समय में आई है जब भारत का रेल नेटवर्क विश्व के सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते नेटवर्कों में से एक बन चुका है।
- भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा की चिंताओं के समाधान के रूप में यह कदम एक नई दिशा देता है और यह सुनिश्चित करता है कि भारत की रेल यात्रा भविष्य में अधिक सुरक्षित, स्मार्ट और भरोसेमंद बन सकें।
कवच 4.0 : भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी कदम क्यों है?
- कवच 4.0, भारतीय रेलवे की स्वदेशी और विश्वस्तरीय स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है, जिसे Safety Integrity Level 4 (SIL-4) के मानकों पर डिज़ाइन किया गया है। SIL-4 वह उच्चतम सुरक्षा मानक है जो यह सुनिश्चित करता है कि सिस्टम में गड़बड़ी की संभावना 10 लाख में से सिर्फ एक बार होती है।
भारतीय रेलवे की यह स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली क्यों विशेष है?
- इस सुरक्षा प्रणाली से ट्रेनें अपने आप गति नियंत्रित कर सकती हैं।
- यह सामने सिग्नल लाल हो या ट्रैक पर कोई बाधा हो, तो ट्रेन स्वतः ब्रेक लगा लेती है।
- यह कोहरे या कम दृश्यता वाले मौसम में भी सटीक कार्य करती है।
- इस सुरक्षा प्रणाली से लोको पायलट को केबिन में ही डिजिटल डैशबोर्ड के माध्यम से सिग्नल व ट्रैक से जुड़ी पूरी जानकारी प्राप्त होती है।
- कवच 4.0 के आने से भारत अब उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जहां ऐसी उन्नत और स्वदेशी ट्रेन नियंत्रण प्रणाली प्रभावी रूप से कार्य कर रही है।
कवच 4.0 की अद्वितीय तकनीकी विशेषताएँ :
- कवच 4.0 को ‘रेल सुरक्षा का डिजिटल कवच’ कहा जा सकता है। इसके पीछे एक जटिल लेकिन अत्यधिक विश्वसनीय तकनीकी बुनियाद है। इसकी मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान (RFID टैगिंग) : हर एक किलोमीटर और हर सिग्नल पर RFID (Radio Frequency Identification) टैग लगाए गए हैं। ये टैग ट्रेन की सटीक लोकेशन ट्रैक करने में मदद करते हैं, जिससे टक्कर की संभावना लगभग समाप्त हो जाती है।
- टेलीकॉम टावर और ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क : हर कुछ किलोमीटर पर बनाए गए टेलीकॉम टावरों में ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी और विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था है। इससे ट्रेन और नियंत्रण प्रणाली के बीच रीयल-टाइम डेटा ट्रांसमिशन संभव होता है।
- संचार प्रणाली : लोकोमोटिव में लगे कवच डिवाइस, स्टेशन कंट्रोलर और RFID टैग के बीच स्थायी और दोतरफा संचार बना रहता है। किसी भी आपात स्थिति में ट्रेन को रुकने का आदेश तुरंत मिल जाता है।
- ब्रेकिंग सिस्टम का एकीकरण : कवच प्रणाली ट्रेन के ब्रेकिंग सिस्टम से सीधे जुड़ी हुई है। यदि ट्रेन सिग्नल की अनदेखी करती है या दूसरी ट्रेन के बहुत पास आ जाती है, तो यह स्वचालित रूप से ब्रेक लगा देती है।
- उच्च गति पर भी प्रभावी होना : मई 2025 में कवच 4.0 को 160 किमी प्रति घंटे की गति तक संचालन की अनुमति दी गई, जो इसे भारत के उच्च गति रेल नेटवर्क के लिए उपयुक्त बनाता है।
यात्री सुरक्षा के संदर्भ में कवच 4.0 तकनीकी का मुख्य लाभ :
- मानवीय गलतियों (ह्यूमन एरर) में कमी होना : लोको पायलट की गलती के कारण होने वाली दुर्घटनाएँ अब रोकी जा सकेंगी।
- स्वचालित एवं उन्नत डिजिटल नियंत्रण प्रणाली : ट्रेन की गति और दिशा पर पूरा नियंत्रण अब एक उन्नत डिजिटल प्रणाली के हाथों में है।
- कम दृश्यता में भी सुरक्षा प्रदान करना : कोहरा, धूल या रात के अंधेरे में भी कवच प्रभावी रहता है।
- यात्री विश्वास में वृद्धि होना : यात्रियों को इस बात का भरोसा होता है कि वे एक अत्यधिक सुरक्षित प्रणाली में यात्रा कर रहे हैं।
- देशव्यापी विस्तार की योजना : रेल मंत्री ने घोषणा की है कि अगले 6 वर्षों में देशभर में कवच प्रणाली लागू की जाएगी। यह एक मेगा प्रोजेक्ट है जिसमें मानव संसाधन, तकनीकी बुनियादी ढांचे और वित्तीय संसाधनों की भारी आवश्यकता होगी।
- तैयारी और प्रशिक्षण से तकनीकी रूप से दक्ष कार्यबल तैयार करना : अब तक 30,000+ रेलवे कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार संस्थान (IRISET) ने 17 इंजीनियरिंग कॉलेजों/विश्वविद्यालयों के साथ समझौते किए हैं ताकि कवच तकनीक को बी.टेक पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सके। इससे आने वाले वर्षों में एक तकनीकी रूप से दक्ष कार्यबल तैयार होगा।
कवच 4.0 को लागू करने में मुख्य चुनौतियाँ :
- वित्तीय निवेश की आवश्यकता : कवच को पूरे भारत में लागू करने के लिए हजारों करोड़ रुपये की आवश्यकता है। हालांकि सरकार निवेश कर रही है, लेकिन यह सतत वित्त पोषण की माँग करता है।
- तकनीकी एकरूपता को कवच के साथ समन्वित करने की बड़ी चुनौती : भारत में कई प्रकार के सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रेन कंट्रोल सिस्टम पहले से काम कर रहे हैं। उन्हें कवच के साथ समन्वित करना एक बड़ी चुनौती है।
- भौगोलिक विविधता के कारण कवच की वायरिंग और टॉवर इंस्टॉलेशन करने में कठिनाई : पहाड़, जंगल, रेगिस्तान और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में कवच की वायरिंग और टॉवर इंस्टॉलेशन करना कठिन है।
- जनशक्ति को नई प्रणाली के लिए प्रशिक्षित और ट्रेनिंग देने की चुनौती : लाखों रेलवे कर्मचारियों को नई प्रणाली के लिए प्रशिक्षित करना एक लंबी और सतत प्रक्रिया है।
समाधान की राह :
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP मॉडल) की आवश्यकता : कवच के विस्तार में निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने से वित्तीय बोझ कम हो सकता है। टेक्नोलॉजी कंपनियाँ टॉवर स्थापना, फाइबर बिछाने और सिस्टम मेंटेनेंस में भाग ले सकती हैं।
- स्थानीय नवाचार को बढ़ावा देने की जरूरत : देश में ही हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर निर्माण को प्रोत्साहित कर लागत में कमी लाई जा सकती है।
- चरणबद्ध तरीके से लागू करने की रणनीति : सबसे व्यस्त और संवेदनशील मार्गों पर पहले कवच लागू करना और फिर चरणबद्ध तरीके से पूरे नेटवर्क में विस्तार करना एक व्यावहारिक रणनीति है।
- निरंतर प्रशिक्षण और अपग्रेडेशन की जरूरत : भारतीय रेलवे के कर्मचारियों के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम और डिजिटल सिमुलेशन प्रयोगशालाएँ स्थापित की जा रही हैं ताकि वे समय के साथ तकनीक में दक्ष बन सकें।
निष्कर्ष :
- कवच 4.0 केवल एक तकनीक नहीं, बल्कि यह भारत के रेल सुरक्षा के क्षेत्र में भविष्य की नींव है। यह एक ऐसा विज़न जिसमें हर यात्री सुरक्षित महसूस करे, हर ट्रेन समय पर चले और हर यात्रा एक भरोसे के साथ पूरी हो।
- भारत जैसे देश में, जहाँ रेलवे केवल परिवहन का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन रेखा है, वहां कवच 4.0 जैसे नवाचार न केवल हादसों को रोकने में मदद करते हैं, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर रेल सुरक्षा की अग्रणी शक्तियों में भी स्थान दिलाते हैं।
- जैसे-जैसे कवच 4.0 का दायरा बढ़ेगा, भारत का रेल नेटवर्क न केवल दुनिया का सबसे बड़ा, बल्कि सबसे सुरक्षित भी बनने की ओर अग्रसर होगा। यह पहल प्रधानमंत्री के “मेक इन इंडिया” और “डिजिटल इंडिया” जैसे अभियानों को भी मजबूती देती है।
- अंततः, कवच 4.0 भारत के रेलवे इतिहास का वह अध्याय है जो भविष्य की पीढ़ियों को सुरक्षित, स्मार्ट और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रेरणा देगा।
- हर साल भारतीय रेलवे पर लाखों यात्री यात्रा करते हैं। इतने बड़े पैमाने पर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमेशा से चुनौती रहा है। कवच 4.0 इसके समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
स्त्रोत – पी. आई. बी एवं द हिन्दू।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. कवच 4.0 प्रणाली की निम्नलिखित में से कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं?
- यह “मेक इन इंडिया” अभियान को सशक्त करता है और यह ट्रेन को स्वतः ब्रेक लगाने की क्षमता देती है।
- यह रेलवे में निजीकरण को पूरी तरह समाप्त करता है।
- यह प्रणाली केवल दिन में कार्य करती है और यह ट्रेन की गति को नियंत्रित नहीं कर सकती है।
- यह लोको पायलट को डिजिटल डैशबोर्ड के माध्यम से जानकारी देती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1 और 4
B. केवल 2 और 3
C. इनमें से कोई नहीं।
D. उपरोक्त सभी।
उत्तर – A
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. चर्चा कीजिए कि भारतीय रेलवे द्वारा लागू की गई स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली कवच 4.0 को रेल यात्रा को सुरक्षित, स्मार्ट और भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम क्यों माना जा रहा है? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
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