केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण और उपभोक्ता संरक्षण

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण और उपभोक्ता संरक्षण

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारतीय संविधान और शासन व्यवस्था , महत्वपूर्ण प्राधिकरण और आयोग , सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA), भारतीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 ’ खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण और उपभोक्ता संरक्षण ’ से संबंधित है।)

 

समाचारों में क्यों ?

 

 

  • हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने एक एडटेक प्लेटफॉर्म के विज्ञापन पर 3 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। 
  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) द्वारा जुर्माने की यह कार्रवाई उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 21 के तहत की गई है, जिसमें उक्त विज्ञापन को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत “झूठा और भ्रामक” पाया गया था।

 

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) :  

 

 

  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CPA), 2019 की धारा 10 के तहत स्थापित एक नियामक निकाय है, जो उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन और अनुचित व्यापार प्रथाओं से संबंधित मामलों की निगरानी और नियंत्रित करता है। 
  • इस अधिनियम के तहत CCPA को झूठे या भ्रामक विज्ञापनों को रोकने और उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अधिकार प्राप्त है। 
  • यह प्राधिकरण उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CPA), 2019 की धारा 21 CCPA को झूठे या भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ निर्देश और दंड जारी करने की शक्ति प्रदान करती है। 
  • इस धारा के तहत भ्रामक विज्ञापन की परिभाषा, CCPA की शक्तियाँ और दंड (2 वर्ष तक की कैद और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना) निर्धारित हैं।

 

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत निम्नलिखित प्रावधानों को शामिल किया गया है – 

  • ई-कॉमर्स और डायरेक्ट सेलिंग : इसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन लेनदेन के माध्यम से उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए नए नियम शामिल हैं।
  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की स्थापना : यह प्राधिकरण झूठे या भ्रामक विज्ञापनों को रोकने और उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
  • भ्रामक विज्ञापनों के लिए सख्त मानदंड : यह नए नियम उपभोक्ताओं को झूठे विज्ञापनों से बचाने के लिए अधिक सख्ती लाते हैं।
  • उत्पाद दायित्व के लिए सख्त मानदंड : यह उत्पादों के नियम और दायित्व को भी स्पष्ट करता है।
  • अनुचित अनुबंध (अनफेयर कॉन्ट्रैक्ट) : यह नया प्रावधान अनुचित अनुबंधों के खिलाफ उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए है।

 

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के कर्तव्य और दायित्व : 

  • जागरूक और सूचित उपभोक्ता : भारत में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण भ्रामक विपणन को रोककर उपभोक्ताओं को जागरूक करते हुए सत्य और पहले से ही उस उत्पाद के प्रति सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
  • पारदर्शी विज्ञापन : केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के हस्तक्षेप उपभोक्ताओं तक सत्य और पारदर्शी विज्ञापन प्रथाओं को बढ़ावा देने में मदद करता है।
  • विश्वसनीय दावे : भारत में CCPA भ्रामक दावों को रोकता और हतोत्साहित करता है, जिससे उपभोक्ताओं का उस वस्तु या उत्पाद पर विश्वास बढ़ता है।
  • निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा : भारत में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण यह सुनिश्चित करता है कि उत्पाद के संबंध में किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा उस उत्पाद की वास्तविक योग्यता पर आधारित हो, न कि भ्रामक दावों या विज्ञापनों के आधार पर निर्भर हो।

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ( Central Consumer Protection Authority, CCPA ) : 

  • भारतीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (Consumer Protection Act, 2019) के तहत राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (Central Consumer Protection Authority, CCPA) की स्थापना की गई है। 
  • इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और सुरक्षा करना , उसका प्रोत्साहन करना और प्रवर्तन करना है। 
  • CCPA उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए अन्यायपूर्ण व्यापार प्रथाओं और भ्रांतिपूर्ण विज्ञापन के खिलाफ कार्रवाई करता है। 
  • यह उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए प्रगतिशील विधानों के प्रवर्तन के माध्यम से काम कर रहा है। 

 

भारत में CCPA निम्नलिखित कार्यों को करती है – 

 

 

  • उपभोक्ता हकों के उल्लंघन की जांच करना और अन्यायपूर्ण व्यापार प्रथाओं के खिलाफ कार्रवाई करना।
  • उपभोक्ता आयोग के सामक्ष शिकायत दर्ज करना।
  • उपभोक्ता हकों से संबंधित मामलों की समीक्षा करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता हकों के अनुशासन की सिफारिश करना।
  • उपभोक्ता हकों के क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करना।
  • उपभोक्ता हकों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
  • उपभोक्ताओं के हित की सुरक्षा करना।
  • खतरनाक या असुरक्षित वस्त्र या सेवाओं के खिलाफ सुरक्षा सूचनाएँ जारी करना।
  • केंद्रीय और राज्य सरकार के मंत्रालयों और विभागों को उपभोक्ता कल्याण के उपायों पर सलाह देना।
  • अन्यायपूर्ण व्यापार प्रथाओं को रोकना।

 

छुट्टियों के निलंबन के माध्यम से उपभोक्ता न्यायालयों में लंबित मामलों को कम करना : 

 

परिचय :

  • राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) और राज्य उपभोक्ता आयोगों ने पारंपरिक ग्रीष्मकालीन अवकाश प्रथाओं को निलंबित करके लंबित मामलों के निपटान के लिए एक प्रभावी कदम उठाया है। इस पहल का उद्देश्य उपभोक्ता मामलों की तेजी से सुनवाई और निपटारा सुनिश्चित करना है।

 

पृष्ठभूमि :

  • जुलाई 2020 में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की स्थापना के बाद से 415,104 मामले दर्ज किए गए हैं और 440,971 मामलों का निपटारा किया गया है, जो एक सकारात्मक रुझान दर्शाता है। हालांकि, दिसंबर 2022 तक उपभोक्ता आयोगों के समक्ष 555,000 मामले लंबित थे, जो एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी।
  • वर्ष 2022 में, NCDRC ने राज्य उपभोक्ता आयोगों के लिये गर्मियों की छुट्टियों को स्थगित करने की पहल शुरू की। NCDRC ने CCPA के प्रावधानों का हवाला दिया, जिसमें यह निर्दिष्ट है कि सभी आयोगों को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित अवकाश अनुसूची का पालन करना चाहिए और किसी भी राज्य कार्यालय में गर्मियों की छुट्टी का कोई प्रावधान नहीं है।

 

प्रभाव और परिणाम :

  1. वर्ष 2022 तक : वर्ष 2022 में NCDRC ने 3,420 मामले प्राप्त किए और 4,138 मामलों का समाधान किया, जबकि 2021 में 2,449 मामले प्राप्त हुए और 2,011 मामलों का समाधान किया गया था।
  2. वर्ष 2023 : वर्ष 2023 में NCDRC ने 5,276 मामले प्राप्त किए और 6,422 मामलों का समाधान किया, जिससे लंबित मामलों में और कमी आई।
  3. मई 2024 तक : उपभोक्ता आयोगों ने 70,576 मामलों का समाधान किया, जबकि 69,615 मामले दायर किए गए, जो लंबित मामलों के निपटान में सकारात्मक रुझान दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, ई-कोर्ट की शुरुआत ने उपभोक्ता विवाद निवारण प्रक्रिया की दक्षता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

 

निष्कर्ष :

 

 

  • भारत में उपभोक्ता न्यायालयों में लंबित मामलों को कम करने के लिए गर्मियों की छुट्टियों के निलंबन का कदम एक प्रभावी उपाय साबित हुआ है। 
  • इससे न केवल मामलों के निपटान में तेजी आई है बल्कि उपभोक्ताओं के न्याय प्राप्ति के अधिकार को भी सशक्त बनाया गया है।
  • NCDRC और राज्य उपभोक्ता आयोगों की यह पहल अन्य न्यायिक संस्थाओं के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करती है।
  • उपभोक्ता फोरम को ज़िला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर वर्गीकृत किया गया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुसार, दावे के मूल्य के आधार पर शिकायत दर्ज की जा सकती है:
  • 50 लाख रुपए तक के दावों के लिए ज़िला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (DCDRC)।
  • 50 लाख रुपए से 2 करोड़ रुपए के बीच के दावों के लिए राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (SCDRC)।
  • 2 करोड़ रुपए से अधिक के दावों के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC)।

 

भारत में उपभोक्ता संरक्षण हेतु शुरू की गई महत्वपूर्ण पहल :

  1. उपभोक्ता कल्याण कोष
  2. केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद
  3. उपभोक्ता संरक्षण नियम, 2021
  4. उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020
  5. राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (24 दिसंबर)

 

स्रोत –  द हिन्दू एवं पीआईबी।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. भारत में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ।

  1. यह प्राधिकरण उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
  2. इसकी शक्तियों में 2 वर्ष तक की कैद और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना निर्धारित करना शामिल है।
  3. यह उपभोक्ताओं को सत्य और पारदर्शी विज्ञापन प्रथाओं को बढ़ावा देने में मदद करता है।
  4. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CPA), 2019 की धारा 21 इसको झूठे या भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ निर्देश और दंड जारी करने की शक्ति प्रदान करती है। 

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1, 2 और 3 

B. केवल 2, 3 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं ।

D. उपरोक्त सभी ।

उत्तर – D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के कार्यों एवं दायित्वों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि यह किस प्रकार भारत में उपभोक्ताओं के अधिकारों को संरक्षित करता है ? तर्कसंगत मत प्रस्तुत कीजिए। ( UPSC CSE – 2020 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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