23 Aug केंद्रीय वित्त मंत्री की आरआरबी समीक्षा बैठक
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ समावेशी और सतत विकास , भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों का जुटाव, विकास से संबंधित मुद्दे और रोज़गार, समावेशी विकास और इससे उत्पन्न मुद्दे ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, वित्तीय समावेशन, नरसिंहम समिति, डिजिटल प्रौद्योगिकी और डिजिटल अर्थव्यवस्था , इंटरनेट बैंकिंग , ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएँ ’ खंड से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में 22 अगस्त 2024 को केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने उदयपुर में गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नौ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की।
- इस क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के समीक्षात्मक बैठक में वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव, आरबीआई, सिडबी और नाबार्ड के प्रतिनिधि, एवं पांच राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
आरआरबी समीक्षा बैठक के मुख्य तथ्य :
- सरकारी योजनाओं की जागरूकता : वित्त मंत्री ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से विशेष रूप से आकांक्षी जिलों में सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने का आग्रह किया है।
- प्रौद्योगिकी उन्नयन में सुधार पर जोर देना : 2022 से पश्चिमी मध्य क्षेत्र के नौ आरआरबी के प्रौद्योगिकी उन्नयन में सुधार की सराहना की गई।
- एमएसएमई क्लस्टर : एमएसएमई क्लस्टरों में छोटे और सूक्ष्म उद्यमों को ऋण सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय पहुँच बनाने पर जोर दिया गया।
- मुद्रा योजना को विस्तारित करना : केन्द्रीय वित्त मंत्री ने बुंदेलखंड क्षेत्र में मुद्रा योजना के कम उपयोग का उल्लेख किया और इसके प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए विशेष बैठकें आयोजित करने का निर्देश दिया गया।
- पीएम सूर्य घर योजना के लिए जन – जागरूकता पैदा करना : गुजरात और राजस्थान में इस योजना के लिए जागरूकता पैदा करने और ऋण प्रदान करने का आग्रह किया गया।
- ओडीओपी और पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत ऋण प्रदान करना : क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को इन योजनाओं के तहत संभावित कारोबार की पहचान करने और ऋण प्रदान करने का निर्देश दिया गया।
- कृषि ऋण वितरण में हिस्सेदारी बढ़ाना : जमीनी स्तर पर कृषि ऋण वितरण में हिस्सेदारी बढ़ाने और प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के उद्देश्यों को प्राप्त करने का निर्देश दिया गया।
- वित्तीय प्रदर्शन पर जोर देना : क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का सीआरएआर वित्त वर्ष 2021 में 7.8% से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 13.7% हो गया है और शुद्ध लाभ 2,018 करोड़ रुपये हो गया है।
- ग्राहक अनुकूलता और स्थानीय संपर्क का लाभ उठाना : वित्त मंत्री ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को और अधिक ग्राहक अनुकूल बनने और अपने स्थानीय संपर्क का लाभ उठाने का निर्देश दिया।
- प्रायोजक बैंकों की भूमिका सुनिश्चित करना : प्रायोजक बैंकों को तकनीकी सहायता प्रदान करने, सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को आवश्यक संसाधनों तक पहुँच सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का निर्देश दिया गया।
- चुनौतियों की पहचान करने पर जोर देना : प्रायोजक बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को परिसंपत्ति की गुणवत्ता बनाए रखने, डिजिटल सेवाओं का विस्तार करने और मजबूत कॉरपोरेट प्रशासन सुनिश्चित करने की चुनौतियों की पहचान करने पर जोर दिया गया।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) :
- इसकी स्थापना नरसिंहम समिति (1975) की सिफारिशों के आधार पर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 के तहत की गई है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण सुविधाओं को बढ़ाने के लिए इनकी स्थापना की गई है।
- आरआरबी को वाणिज्यिक बैंकों की तर्ज पर प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के दायरे में लाया गया है।
- इन बैंकों की शेयरधारिता क्रमशः केंद्र सरकार, संबंधित राज्य सरकार और प्रायोजक बैंक के साथ 50:15:35 के अनुपात में होता है।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का महत्व :
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) का महत्व निम्नलिखित है –
- ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने में : क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएँ सीधे लोगों के दरवाजे तक पहुँचाते हैं। इससे ग्रामीण जनता को बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने में सुविधा होती है, जो सामान्यतः वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उपलब्ध नहीं कराई जाती।
- कमजोर वर्गों को संस्थागत ऋण उपलब्ध कराने में : आरआरबी कमजोर वर्गों, जैसे कि छोटे और सीमांत किसान, भूमिहीन मजदूर, और छोटे उद्यमियों को संस्थागत ऋण उपलब्ध कराते हैं। इससे इन वर्गों को आर्थिक सहायता मिलती है और वे अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकते हैं।
- सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों को वित्त उपलब्ध कराने और ग्रामीण क्षेत्रों में सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहन देने में : क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों को आसानीपूर्वक और सीधा वित्त उपलब्ध कराते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहन मिलता है और सामुदायिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
- वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में : क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे उन क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करते हैं जहाँ वाणिज्यिक बैंक नहीं पहुँच पाते, जिससे ग्रामीण जनता को वित्तीय सेवाओं का लाभ मिलता है।
- कृषि और ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करने में : आरआरबी कृषि और ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार के ऋण और वित्तीय सेवाएँ प्रदान करते हैं। इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
- स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर का सृजन करने में : आरआरबी स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी प्रदान करते हैं। बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के साथ-साथ, इन बैंकों में स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। इस प्रकार, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के समक्ष वर्तमान चुनौतियाँ :
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) के समक्ष वर्तमान चुनौतियाँ निम्नलिखित है –
- उच्च स्तर पर घाटे में होना : क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) के कई शाखाओं में पर्याप्त व्यवसाय नहीं है, जिससे उन्हें घाटा हो रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि ये बैंक मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) जैसी सरकारी योजनाओं को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- ऋणों की वसूली दरों में गिरावट का होना : क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की ऋण वसूली दरों में पिछले कुछ वर्षों में गिरावट आई है, जिससे उनकी गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NPA) बढ़ गई हैं। यह स्थिति बैंक की वित्तीय स्थिति को कमजोर करती है और उनके संचालन को प्रभावित करती है।
- नियंत्रण में एकता का अभाव होना : इन बैंकों को केंद्र सरकार, प्रायोजक बैंकों, नाबार्ड और भारतीय रिजर्व बैंक जैसी विभिन्न एजेंसियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इस बहु-स्तरीय नियंत्रण प्रणाली के कारण निर्णय लेने में देरी और समन्वय की कमी होती है।
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के संचालन की लागत का अधिक होना : अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की तुलना में आरआरबी के संचालन की लागत अधिक है। सरकार चाहती है कि ये बैंक अपनी कमाई बढ़ाने के लिए काम करें, लेकिन सीमित संसाधनों और उच्च परिचालन लागत के कारण यह चुनौतीपूर्ण है।
- सीमित गतिविधियाँ और पर्याप्त व्यवसाय का नहीं होना : कई शाखाओं के पास पर्याप्त व्यवसाय नहीं है, जिसके कारण उन्हें घाटा हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में वे मुख्य रूप से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण जैसी सरकारी योजनाओं की पेशकश करते हैं, जिससे उनकी आय सीमित रहती है।
- सीमित इंटरनेट बैंकिंग सुविधाओं का होना : वर्तमान समय में केवल कुछ ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पास इंटरनेट बैंकिंग सुविधाएँ हैं। मौजूदा नियम केवल उन्हीं आरआरबी को इंटरनेट बैंकिंग की पेशकश करने की अनुमति देते हैं जो न्यूनतम वैधानिक पूंजी जोखिम-भारित संपत्ति अनुपात (CRAR) 10% से अधिक बनाए रखते हैं।
- डिजिटलीकरण की कमी होना : सरकार ने आरआरबी को डिजिटलीकरण की ओर बढ़ने के लिए कहा है ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें, लेकिन सीमित संसाधनों और तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में यह प्रक्रिया धीमी है।
- प्रायोजक बैंकों का समर्थन का अभाव होना : सरकार ने प्रायोजक बैंकों से आरआरबी को और मजबूत करने के लिए समयबद्ध तरीके से एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करने का आग्रह किया है। इसके साथ ही आरआरबी पर एक कार्यशाला आयोजित करने और परस्पर सर्वोत्तम उपायों को साझा करने का सुझाव दिया गया है। इन चुनौतियों के बावजूद, आरआरबी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनके सुधार के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
निष्कर्ष / आगे की राह :
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) की समीक्षा बैठक में, वित्त मंत्री ने आरआरबी की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न पहलुओं पर जोर दिया। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन और विकास को बढ़ावा देना है।
- इस बैठक ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए एक स्पष्ट दिशा और रणनीति निर्धारित की है, जिससे वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मजबूत कर सकें और विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचा सकें।
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की भूमिका ग्रामीण विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसमें निरंतर सुधार और उन्नयन करने की अत्यंत आवश्यकता है।
- इस प्रकार, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं की पहुंच को बढ़ावा देना और उन्हें सशक्त बनाना, ग्रामीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्त्रोत – पीआईबी।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसकी स्थापना क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 के तहत की गई है।
- केवल उन्हीं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा है जो न्यूनतम वैधानिक पूंजी जोखिम-भारित संपत्ति अनुपात (CRAR) 10% से अधिक बनाए रखते हैं।
- यह सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों को सीधा वित्त उपलब्ध कराते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कितने कथन सही है ?
A. केवल एक
B. केवल दो
C. तीनों
D. इनमें से कोई नहीं।
उत्तर – C
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ग्रामीण क्षेत्र में विशेष रूप से माइक्रोफाइनेंस (सूक्ष्म वित्त) के प्राथमिक स्त्रोत हैं, लेकिन वर्तमान वे कई समस्याओं से ग्रस्त हैं। चर्चा कीजिए कि इन बैंकों को पुनर्जीवित करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए? ( शब्द सीमा – 250 अंक -15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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