घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 का डेटा जारी

घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 का डेटा जारी

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत भारतीय अर्थव्यवस्था का वृद्धि एवं विकास, घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण ’  खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत नीति आयोग, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण, मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय, सकल – घरेलू उत्पाद, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, सी. रंगराजन समिति ’ खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 का डेटा ’ से संबंधित है।)

    

ख़बरों में क्यों ?

 

 

  • हाल ही में भारत के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (Household Consumption Expenditure Survey- HCES) 2022-23 की विस्तृत रिपोर्ट जारी की गई है। 
  • घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण के इस रिपोर्ट ने भारत के विभिन्न राज्यों के ग्रामीण और शहरी परिवारों की व्यय आदतों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है।

 

घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (Household Consumption Expenditure Survey- HCES) : 

 

  • भारत में घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण का आयोजन राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office- NSO) द्वारा हर 5 वर्ष में किया जाता है। 
  • इसका मुख्य उद्देश्य भारत के विभिन्न राज्यों के घरों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के उपभोग के बारे में जानकारी एकत्र करना होता है।
  • घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण में संकलित आँकड़ों का उपयोग सकल घरेलू उत्पाद (GDP), गरीबी दर, और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index- CPI) जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों को निर्धारित करने के लिए भी किया जाता है। 
  • वर्तमान में जारी यह रिपोर्ट औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय (MPCE) की गणना 2011-12 के मूल्यों पर आधारित है।
  • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ दुर्गम गांवों / स्थानों को छोड़कर पूरे भारतीय संघ को शामिल किया गया है। 
  • सन 2017-18 में आयोजित अंतिम घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण के निष्कर्ष सरकार द्वारा “डेटा गुणवत्ता” के मुद्दों का हवाला देकर जारी नहीं किया गया था।

 

वर्तमान में जारी इस सर्वेक्षण रिपोर्ट से प्राप्त जानकारी :

 

  • भारत के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी यह सर्वेक्षण वस्तुओं (खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं सहित) और सेवाओं पर सामान्य व्यय के बारे में जानकारी प्रदान करता है। 
  • इसके अतिरिक्त, यह घरेलू मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय (MPCE) के अनुमान की गणना करने और विभिन्न MPCE श्रेणियों में परिवारों और व्यक्तियों के वितरण का विश्लेषण करने में भी मदद करता है।

 

हाल ही में जारी घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण के मुख्य तथ्य : 

 

 

हाल ही में जारी घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं – 

भारत के विभिन्न राज्यों में खाद्य व्यय के संबध में मुख्य प्राथमिकताएँ :

  1. पेय पदार्थ, जलपान और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ : हाल ही में जारी घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार इस श्रेणी के तहत भारत के कई राज्यों में खाद्य व्यय का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा रही है, विशेष रूप से तमिलनाडु राज्य में, जहाँ ग्रामीण (28.4%) और शहरी (33.7%) दोनों क्षेत्रों में सबसे अधिक व्यय प्रतिशत देखा गया है।
  2. दूध और दुग्ध उत्पादों को अधिक पसंद किया जाना : घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार इस श्रेणी के तहत हरियाणा (ग्रामीण 41.7%, शहरी 33.1%) और राजस्थान (शहरी 33.2%) जैसे भारत के उत्तरी राज्यों के ग्रामीण एवं शहरी परिवारों में प्रमुख रूप से दूध और दुग्ध उत्पाद अधिक पसंद किया जाता है।
  3. मांस, मछली और अंडा का अत्यधिक सेवन करना : सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार भारत के केरल राज्य में परिवारों ने ग्रामीण (23.5%) और शहरी (19.8%) दोनों ही स्थितियों में इस श्रेणी या इस मद में सबसे अधिक व्यय किया है।

 

भारत में समग्र खाद्य बनाम गैर-खाद्य व्यय :

  1. खाद्य व्यय : ग्रामीण भारत में खाद्य, कुल घरेलू उपभोग व्यय का लगभग 46% है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह लगभग 39% ही है।
  2. गैर-खाद्य व्यय : भारत के विभिन्न राज्यों में गैर-खाद्य वस्तुओं पर उच्च व्यय की ओर एक महत्त्वपूर्ण बदलाव देखा गया है, जबकि गैर-खाद्य वस्तुओं पर ग्रामीण व्यय वर्ष 1999 के 40.6% से बढ़कर 2022-23 में 53.62% हो गया और इसी अवधि में शहरी व्यय 51.94% से बढ़कर 60.83% हो गया।

 

प्रमुख गैर-खाद्य व्यय श्रेणियाँ :

  1. परिवहन : यह ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में गैर-खाद्य व्यय में शीर्ष स्थान पर रहा, केरल में इसका प्रतिशत सबसे अधिक रहा।
  2. चिकित्सा व्यय : ग्रामीण क्षेत्रों में केरल, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश तथा शहरी क्षेत्रों में पश्चिम बंगाल, केरल और पंजाब में यह विशेष रूप से अधिक है।
  3. टिकाऊ वस्तुएँ : टिकाऊ वस्तुओं पर सबसे अधिक व्यय केरल के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में देखा गया।
  4. ईंधन और प्रकाश : पश्चिम बंगाल और ओडिशा ने क्रमशः ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण व्यय दर्शाया।

 

क्षेत्रीय विविधताएँ :

विभिन्न राज्यों ने विशिष्ट खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं पर खर्च के लिये अलग-अलग प्राथमिकताएँ दिखाईं, जो सांस्कृतिक और क्षेत्रीय आर्थिक अंतर को दर्शाती हैं।

 

उपभोग व्यय में वृद्धि :

  1. सर्वेक्षण से पता चलता है कि पिछले दशक में उपभोग व्यय में पर्याप्त वृद्धि हुई है। वर्ष 2011-12 से 2022-23 तक ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति मासिक खपत में 164% की वृद्धि हुई, जबकि शहरी क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति मासिक खपत में 146% की वृद्धि हुई।
  2. भारत में शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति मासिक खपत में अधिक वृद्धि देखी गई है।
  3. शहरी और ग्रामीण MPCE के बीच अंतर में पिछले कुछ वर्षों में कमी देखी गई है, जो वर्ष 2009-10 के 90 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 75 प्रतिशत हो गया है। 

 

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय : 

  • परिचय : वर्ष 2019 में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistical Office- CSO) और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (National Sample Survey Office- NSSO) को विलय करके राष्ट्रीय  सांख्यिकी कार्यालय को गठित किया गया था। 
  • सी. रंगराजन समिति ने सबसे पहले सभी प्रमुख सांख्यिकीय गतिविधियों के लिये नोडल निकाय के रूप में NSO की स्थापना का सुझाव दिया था। 
  • यह वर्तमान में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation- MoSPI) के अंतर्गत कार्य करता है।
  • कार्य : विश्वसनीय, वस्तुनिष्ठ एवं प्रासंगिक सांख्यिकीय डेटा एकत्र, संकलित और प्रसारित करता है।

 

समाधान / आगे की राह : 

 

 

घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 के डेटा जारी होने के बाद, इसके परिणामों का विश्लेषण और समाधान की दिशा में आगे बढ़ने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं – 

  1. विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों के उपभोग प्रणाली को समझने के लिए डेटा का विश्लेषण करना : इस सर्वेक्षण के परिणामों का गहन विश्लेषण किया जाना चाहिए ताकि विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों के उपभोग प्रणाली को समझा जा सके। इससे नीति निर्माताओं को गरीबी, बेरोजगारी, और अन्य सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।
  2. नीति निर्माण और कार्यक्रमों को लागू करना : हाल ही में जारी इस सर्वेक्षण के परिणामों के आधार पर, सरकार को नई नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करना चाहिए जो गरीब और वंचित वर्गों के जीवन स्तर को सुधारने में सहायक हों। विशेष रूप से, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में उपभोग व्यय के अंतर को कम करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
  3. सामाजिक कल्याण कार्यक्रम को पारदर्शी बनाना : प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना जैसे विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से गरीब परिवारों को सहायता प्रदान की जानी चाहिए। सर्वेक्षण के परिणामों के आधार पर, इन कार्यक्रमों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जाना चाहिए और आवश्यकतानुसार सुधार किए जाने चाहिए।
  4. आर्थिक संकेतकों के आधार पर सुधारों को लागू करना : सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (CPI) जैसे व्यापक आर्थिक संकेतकों को ध्यान में रखते हुए, आर्थिक सुधारों को लागू किया जाना चाहिए। इससे देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
  5. जन जागरूकता कार्यक्रम चलाना : घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 का डेटा सर्वेक्षण के परिणामों के बारे में जनता को जागरूक किया जाना चाहिए ताकि वे अपने उपभोग पैटर्न को समझ सकें और अपने जीवन स्तर को सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठा सकें।
  6. इन कदमों के माध्यम से, घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 के परिणामों का उपयोग करके समाज के विभिन्न वर्गों के जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की जा सकती है।

 

स्रोत – द हिंदू एवं पीआईबी।

 

Download plutus ias current affairs Hindi med 11th June 2024

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में कुछ राज्यों में आधिकारिक गरीबी रेखाएँ अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर होने का प्रमुख कारण क्या होता है ? ( UPSC – 2019)

A. भारत में सकल राज्य उत्पाद अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है।

B. भारत के विभिन्न राज्यों में सार्वजनिक वितरण की गुणता अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है।

C. भारत के विभिन्न राज्यों में गरीबी की दर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है।

D. भारत के अलग-अलग राज्य में वस्तुओं का कीमत-स्तर अलग-अलग होता है।

उत्तर – D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022 – 23 के प्रमुख निष्कर्षों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण भारत में किस तरह आर्थिक योजना और विकास रणनीतियों को प्रभावित करता है और उन प्रभावों से निपटने के लिए समाधान के उपायों की भी चर्चा कीजिए । ( शब्द सीमा – 250 अंक -15 ) 

No Comments

Post A Comment