16 Nov जनजातीय गौरव दिवस 2024
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 1 के अंतर्गत ‘ आधुनिक भारतीय इतिहास , विरासत , कला एवं संस्कृति , भारत का स्वतंत्रता संग्राम और जनजातीय आंदोलन ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ जनजातीय गौरव दिवस 2024, विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह , बिरसा मुंडा , उलगुलान (महान कोलाहल) आंदोलन, संथाल विद्रोह और सरदारी आंदोलन, प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान, वन धन विकास केंद्र ’ खंड से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री ने महान जनजातीय नेता और स्वतंत्रता सेनानी ‘ बिरसा मुंडा ’ के भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में एक अभूतपूर्व और अमिट योगदान को सम्मानित करते हुए उनके 150 वें जन्म दिवस के सम्मान में ‘ एक विशेष स्मारक सिक्का ’ और ‘ डाक टिकट ’ जारी किया है।
- भारत के प्रधानमंत्री द्वारा जारी ये प्रतीक महान जनजातीय नेता और स्वतंत्रता सेनानी ‘ बिरसा मुंडा ’ के अद्वितीय विरासत को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए जारी किए गए हैं।
- जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदायों के अद्वितीय योगदान को मान्यता देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 15 नवंबर को किया जाता है।
- यह दिन संपूर्ण भारत में विशेष रूप से ‘ बिरसा मुंडा की जयंती ’ के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अभूतपूर्व योगदान दिया था।
जनजातीय गौरव दिवस का ऐतिहासिक महत्व :
- यह दिवस पहली बार 2021 में मनाया गया था, जब भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्षों के उपलक्ष्य में आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और संघर्ष को सम्मानित किया गया।
- इस दिन को मनाने का उद्देश्य उन साहसी जनजातीय आंदोलनों और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध किए गए विद्रोह की याद दिलाना है, जिनका नेतृत्व ‘ बिरसा मुंडा ’ जैसे महान जनजातीय नेताओं ने किया था।
- इनमें ‘ उलगुलान ’ (क्रांति) जैसे महत्वपूर्ण आंदोलन शामिल हैं, जिनमें ‘संथाल’, ‘तमाड़’ , ‘भील’ , ‘खासी’ , ‘ मिज़ो ’ जैसे अन्य जनजातीय समुदायों ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह कर अपनी जान की बाज़ी लगाई थी।
- यह दिवस उन संघर्षों और बलिदानों की याद दिलाकर सुनिश्चित करता है कि उनकी वीरता को आने वाली पीढ़ियाँ भी याद रखें और उन्हें सम्मानित करें।
जनजातीय गौरव दिवस 2024 की प्रमुख विशेषताएँ :
PM-JANMAN पहल :
- प्रधानमंत्री ने ‘ प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (PM-JANMAN) ’ के अंतर्गत 11,000 घरों के उद्घाटन में भाग लिया, जो दूरदराज के आदिवासी इलाकों में बुनियादी सुविधाओं के सुधार का एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार से संबंधित पहल :
- भारत के सुदूर और दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की बेहतर पहुँच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, 23 ‘ मोबाइल मेडिकल यूनिट्स ’ (MMUs) की शुरुआत की गई है, जो स्वास्थ्य सेवाओं को जनजातीय इलाकों तक पहुँचाने में मदद करेंगी।
DAJGUA अभियान :
- धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (DAJGUA) के तहत अतिरिक्त 30 मोबाइल मेडिकल यूनिट्स (MMUs) का उद्घाटन किया गया, जिससे ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में और सुधार होगा।
जनजातीय उद्यमिता और शिक्षा :
- भारत के प्रधानमंत्री ने जनजातीय छात्रों की शिक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए ‘ 300 वन धन विकास केंद्र ’ (VDVK) और ‘ 10 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय ’ (EMRS) का उद्घाटन किया।
- इसके साथ ही, 25 और नए EMRS स्कूलों की आधारशिला रखी गई, जो आदिवासी छात्रों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराएंगे।
सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण और उसका प्रसार :
- मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और जबलपुर में दो ‘ जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों ’ का उद्घाटन किया गया, जो जनजातीय संघर्षों और उनके नायकों की ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करेंगे।
- जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर और सिक्किम के गंगटोक में दो ‘ जनजातीय अनुसंधान संस्थान ’ की स्थापना की गई, जो जनजातीय समुदायों की संस्कृति और इतिहास पर अनुसंधान करेंगे।
- इन सभी पहलों से ‘ जनजातीय गौरव दिवस 2024 ’ ने जनजातीय समुदायों की सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक समृद्धि की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
बिरसा मुंडा : एक महान आदिवासी नेता
प्रारंभिक जीवन :
- बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के छोटा नागपुर पठार में हुआ। वे ‘ मुंडा जनजाति ’ से थे और उनके जीवन का प्रारंभिक वर्ष आदिवासी समुदाय के बीच बीता, जहाँ उन्होंने बचपन में ही अपने माता-पिता के साथ विभिन्न गांवों का दौरा करते हुए उन समुदायों को सामने आने वाली समस्याओं को बहुत ही करीब से देखा और समझा।
धर्मिक और सामाजिक जागरूकता :
- बचपन से ही बिरसा ने देखा कि ब्रिटिश उपनिवेशी शासन के साथ-साथ मिशनरियों द्वारा आदिवासी लोगों के धर्मांतरण के प्रयास बढ़ रहे थे। इस स्थिति ने उन्हें आंदोलित किया और उन्होंने ‘ बिरसाइत संप्रदाय ’ की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य आदिवासी पहचान की रक्षा करना और मिशनरियों के धर्मांतरण अभियान का विरोध करना था।
आंदोलन में भागीदारी :
- बिरसा ने ‘ मुंडा और उरांव ’ समुदायों को ब्रिटिश शासन और मिशनरियों के खिलाफ एकजुट किया। उन्होंने आदिवासी समाज को जागरूक किया और उन्हें यह समझाया कि उनके अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, साथ ही वे एकजुट होकर इन शोषणकारी ताकतों का मुकाबला कर सकते हैं।
- सन 1886 से 1890 के बीच, बिरसा ने झारखंड के चाईबासा में सरदारों के आंदोलन से प्रेरणा ली, और इस दौरान उनका समर्पण ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों में गहरा हो गया। इस आंदोलन ने उनके मन में आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करने की एक दृढ़ भावना विकसित की।
उलगुलान आंदोलन :
- सन 1899 में, बिरसा मुंडा ने ‘ उलगुलान ’ (महान कोलाहल) आंदोलन का नेतृत्व किया, जो ब्रिटिश साम्राज्य और उनके शोषण के खिलाफ एक सशक्त प्रतिरोध था। इस आंदोलन में उन्होंने गुरिल्ला युद्ध की रणनीतियों का इस्तेमाल किया और आदिवासी समुदायों से अपील की कि वे “बिरसा राज” की स्थापना के लिए संघर्ष करें। उनका उद्देश्य था कि आदिवासी समुदायों को अपनी ‘ भूमि ’ और ‘ संस्कृति ’ की रक्षा के लिए एकजुट किया जाए।
गिरफ्तारी और मृत्यु :
- सन 1900 ई. में, बिरसा को उनके गुरिल्ला दल के साथ ‘ जामकोपाई जंगल ’ में ब्रिटिश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने अपने छोटे से जीवन में अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दी, लेकिन 9 जून 1900 को, महज 25 वर्ष की आयु में, राँची जेल में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।
विरासत :
- बिरसा मुंडा का जीवन जनजातीय भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए और आदिवासी अधिकारों के लिए कानून बनाने के दबाव के रूप में याद किया जाता है। उनका योगदान आदिवासी अधिकारों और स्वतंत्रता आंदोलन में अमूल्य था। उनके संघर्ष और बलिदान को सम्मानित करते हुए, 2000 में झारखंड राज्य की स्थापना की गई, जो आदिवासी अधिकारों और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके समर्पण और संघर्ष की धरोहर के रूप में आज भी अस्तित्व में है।
सरदारी आंदोलन :
- सरदारी आंदोलन (1858-90) : छोटा नागपुर क्षेत्र में एक सामाजिक-आर्थिक प्रतिक्रिया थी, जो जबरन मजदूरी, अवैध किराया वृद्धि और बिचौलियों द्वारा शोषण के खिलाफ था। इस आंदोलन ने बिरसा मुंडा को प्रेरित किया और उसे अपने संघर्ष के रूप में रूपांतरित किया, जिससे वह आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक प्रमुख नेता बने। उनके संघर्ष ने न केवल आदिवासी समाज की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित किया, बल्कि पूरे भारत में स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
भारत में जनजातीय विकास को समर्थन देने वाली प्रमुख पहलें :
वित्तीय और सामाजिक पहल :
- भारत सरकार ने 36,500 गाँवों की पहचान की है, जिनमें 50% जनजातीय आबादी है। इनमें 500 अनुसूचित जनजाति (ST) गाँव और नीति आयोग द्वारा पहचाने गए आकांक्षी जिले शामिल हैं।
- वित्तीय वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में केन्द्र सरकार द्वारा ‘ जनजातीय कार्य मंत्रालय ’ को 13,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष से 73.6% अधिक है।
- इसके अलावा, DAJGUA (धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान) के तहत 79,156 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जिससे 63,843 गाँवों के 5.38 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे।
- यह योजना विशेष रूप से “ कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) ” का समर्थन करने के लिए स्वास्थ्य, वित्तीय समावेशन और समुदाय आधारित कार्यक्रमों पर केंद्रित है।
- “ प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (PMAAGY) ” का उद्देश्य जनजातीय क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है, ताकि जनजातीय गाँवों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हो।
शिक्षा से संबंधित प्रमुख पहल :
- EMRS ( एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय ) योजना के तहत आदिवासी छात्रों को दूरदराज के क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा दी जाती है, जिससे उनके शैक्षिक अंतर को कम किया जाता है।
- आदिवासी शिक्षा ऋण योजना (ASRY) उच्च शिक्षा के लिए आदिवासी छात्रों को सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराती है।
- इसके अलावा, “ प्री-मैट्रिक ”, “ पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति ”, “ राष्ट्रीय फैलोशिप ” और “ विदेशी छात्रवृत्ति ” जैसी योजनाएँ आदिवासी छात्रों की शिक्षा को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं।
आय सृजन से संबंधित योजनाएँ :
- “ सावधि ऋण योजना ” : आदिवासी व्यवसायों को 90% तक वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- “ आदिवासी महिला सशक्तीकरण योजना ” उद्यमिता के लिए रियायती ऋण देती है, जबकि माइक्रो क्रेडिट योजना आदिवासी समूहों को 5 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराती है।
स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित प्रमुख पहल :
- जनजातीय स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार ने ‘ सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन ’, ‘ मिशन इंद्रधनुष ’, ‘ निक्षय मित्र पहल ’ और ‘ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ’ (NHM) जैसी योजनाएँ शुरू की हैं।
- इसके अतिरिक्त, ‘ प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना ’ ने माताओं और बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ये तमाम पहलें भारत के जनजातीय समुदायों की समृद्धि, शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों को दर्शाती हैं।
निष्कर्ष :
- सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें शुरू की हैं। इन पहलों के माध्यम से, जागरूकता फैलाने और समाज में एकजुटता को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे हम जनजातीय संस्कृतियों के संरक्षण को सुनिश्चित कर सकते हैं। इससे न केवल इन समुदायों के जीवन स्तर में सुधार होगा, बल्कि वे भारत की प्रगति में भी अहम योगदान दे सकेंगे।
- ‘ जनजातीय गौरव दिवस ’ जैसे आयोजनों के जरिए आदिवासी समाज की ऐतिहासिक विरासत को सम्मानित किया जाता है और उनके योगदान को उजागर किया जाता है। इन प्रयासों से, आदिवासी समुदाय न केवल अपनी आत्मनिर्भरता को मजबूत करेंगे, बल्कि राष्ट्र निर्माण में भी सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
स्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. जनजातीय गौरव दिवस 2024 के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह दिवस केवल बिरसा मुंडा की जयंती पर मनाया जाता है, क्योंकि बिरसा मुंडा भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी थे।
- भारत में जनजातीय गौरव दिवस 15 नवंबर को हर साल मनाया जाता है।
- बिरसा मुंडा का योगदान केवल जनजातीय समुदायों तक सीमित था। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में भारत के स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में हिस्सा लिया था।
- बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज को अंग्रेजों के खिलाफ संगठित किया था और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह किया था।
उपर्युक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1 और 3
B. केवल 2 और 4
C. इनमें से कोई नहीं।
D. उपरोक्त सभी।
उत्तर – B
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. जनजातीय गौरव दिवस 2024 के संदर्भ में, भारत के विभिन्न जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर, सामाजिक संरचना और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को रेखांकित करते हुए, यह चर्चा करें कि सरकार की वर्तमान नीतियाँ और योजनाएँ भारत के जनजातीय समुदायों के संरक्षण, विकास और सशक्तिकरण के लिए किस प्रकार प्रभावी सिद्ध हो सकती हैं? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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