जलवायु जोखिम सूचकांक 2025 : वैश्विक प्रभाव और समाधान

जलवायु जोखिम सूचकांक 2025 : वैश्विक प्रभाव और समाधान

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी, पर्यावरण और जैव विविधता, जलवायु जोखिम सूचकांक 2025 के मुख्य निष्कर्ष, भारत पर जलवायु परिवर्तन का संरक्षण और उसका प्रभाव, जलवायु परिवर्तन से संबंधित चुनौतियाँ और शमन रणनीतियाँ ’ खण्ड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ जलवायु जोखिम सूचकांक 2025, जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण प्रदूषण, बाढ़, एशियाई विकास बैंक की एशिया-प्रशांत (APAC) रिपोर्ट, सूखा, चक्रवात, अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संगठन जर्मनवाच ’ खण्ड से संबंधित है। )

 

खबरों में क्यों ?

 

 

  • हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संगठन ‘जर्मनवाच’ द्वारा 2025 के जलवायु जोखिम सूचकांक (Climate Risk Index- CRI) 2025 का प्रकाशन किया गया है। 
  • इस सूचकांक में भारत को छठे स्थान पर रखा गया है, जो देश की अत्यधिक मौसमीय घटनाओं के प्रति संवेदनशीलता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

 

जलवायु जोखिम सूचकांक 2025 : परिचय और निष्कर्ष : 

 

  • परिचय : जलवायु जोखिम सूचकांक (Climate Risk Index – CRI) एक वार्षिक रिपोर्ट है, जिसे जर्मनवाच द्वारा प्रकाशित किया जाता है। यह सूचकांक विभिन्न देशों को उनके द्वारा झेली गई चरम मौसम घटनाओं के आधार पर रैंक करता है। इसमें विशेष रूप से जलवायु-जनित आपदाओं, जैसे तूफान, बाढ़, सूखा और हीटवेव, से होने वाले मानव जीवन और आर्थिक हानि का विश्लेषण किया जाता है।
  • आवृत्ति और डेटा : जलवायु जोखिम सूचकांक (Climate Risk Index – CRI) की शुरुआत 2006 में हुई थी और यह रिपोर्ट हर वर्ष जारी की जाती है, जिसमें पिछले 30 वर्षों का आंकड़ा सम्मिलित होता है।
  • कार्यप्रणाली और मानदंड : जलवायु जोखिम सूचकांक (Climate Risk Index – CRI) देशों पर जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसम घटनाओं के प्रभाव का आकलन छह प्रमुख संकेतकों पर करता है: आर्थिक नुकसान, मृत्यु दर और प्रभावित लोगों की संख्या। इन संकेतकों के आधार पर देशों को उनके पूर्ण और सापेक्ष प्रभावों के आधार पर रैंक प्रदान किया जाता है।

 

जलवायु जोखिम सूचकांक 2025 के प्रमुख निष्कर्ष :

 

  • मृत्यु और आर्थिक नुकसान : वर्ष 1993 से 2022 तक, 765,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई और 4.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। इसके तहत बाढ़, सूखा और तूफान जैसे प्राकृतिक घटनाएं वैश्विक विस्थापन के प्रमुख कारण रहे हैं। डोमिनिका, चीन और होंडुरास सबसे अधिक प्रभावित देशों के रूप में सामने आए हैं। 
  • सर्वाधिक प्रभावित देश : सन 2022 में पाकिस्तान, बेलीज़ और इटली को चरम मौसम घटनाओं से सबसे अधिक नुकसान हुआ। इसके अतिरिक्त म्यांमार, इटली और भारत भी प्रमुख प्रभावित देशों के रूप में देखे गए। इस सूचकांक में कुल 10 सबसे अधिक प्रभावित देशों में से 7 निम्न और मध्यम आय वाले देशों का समावेशन किया गया था।
  • भारत पर प्रभाव : भारत 1993 से 2022 तक छठे स्थान पर रहा है, जहाँ 80,000 मौतें हुईं और 180 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। यहां बाढ़, हीटवेव, और चक्रवात जैसे घटनाएं नियमित रूप से देखी गई हैं, जैसे 1993, 2013 और 2019 में बाढ़, 2003 और 2015 में हीटवेव, तथा 2014 और 2020 में चक्रवात ‘हुदहुद’ और ‘अम्फान’ के कारण व्यापक नुकसान हुआ।
  • जलवायु जोखिम सूचकांक की कार्यप्रणाली : जलवायु जोखिम सूचकांक (CRI) द्वारा तीन प्रमुख क्षेत्रों—जलविज्ञान, मौसमविज्ञान और जलवायु विज्ञान—के आधार पर घटनाओं के प्रभावों का विश्लेषण किया जाता है।
    यह सूचकांक प्रत्येक वर्ष के डेटा पर आधारित होता है और पिछले 30 वर्षों का औसत लेकर भविष्य में संभावित प्रभावों का आकलन करता है।
  • भारत के लिए भविष्यवाणी : एशियाई विकास बैंक की एशिया-प्रशांत (APAC) रिपोर्ट के अनुसार, भारत के GDP में 2070 तक जलवायु परिवर्तन के कारण 24.7% की गिरावट आ सकती है, जो समुद्र स्तर में वृद्धि और श्रम उत्पादकता में कमी के कारण होगा।
  • निष्कर्ष : जलवायु जोखिम सूचकांक (Climate Risk Index – CRI) 2025 ने यह स्पष्ट किया है कि जलवायु परिवर्तन से होने वाली घटनाओं का प्रभाव अधिकतर गरीब और विकासशील देशों पर सबसे ज्यादा है, और भारत इसके प्रभावों से बचने के लिए जल्द कदम उठाएगा, अन्यथा इसके परिणाम अत्यधिक गंभीर हो सकते हैं।

 

जलवायु परिवर्तन शमन रणनीतियों से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ :

 

  • ऐतिहासिक उत्तरदायित्व बनाम भविष्य के उत्सर्जन : विकसित और उच्च आय वाले देश , जो ऐतिहासिक रूप से अधिक उत्सर्जन करते आए हैं, विकासशील देशों जैसे भारत और चीन से जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक जिम्मेदारी की उम्मीद करते हैं। इस प्रकार की अपेक्षाएँ, जलवायु वित्त और भार-भागीदारी पर तनाव का कारण बनती हैं।
  • वैश्विक तापमान सीमा का उल्लंघन होना : वर्ष 2024 में 1.5°C के वैश्विक तापमान सीमा का उल्लंघन किया गया, जो शमन प्रयासों की अपर्याप्तता को दर्शाता है। इस दिशा में की जा रही कोशिशों के बावजूद, यदि राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) की पूरी तरह से अनुपालन नहीं होता है तो विश्व 2100 तक 2.6-3.1°C के तापमान वृद्धि की ओर बढ़ता दिख रहा है।
  • कमजोर जलवायु प्रतिबद्धताएँ : कई देशों ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) को अद्यतन नहीं किया है, जिससे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई में रुकावट आ रही है। इसके अलावा, असंगत और अपर्याप्त नीतियों के कारण शमन उपायों की प्रभावशीलता कम हो रही है।
  • अपर्याप्त जलवायु वित्त : विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों को 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर वार्षिक जलवायु वित्त का समर्थन अपर्याप्त है। साथ ही, हानि एवं क्षति कोष के संचालन में देरी, जलवायु संवेदनशील देशों को आवश्यक सहायता प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न कर रही है।

 

जलवायु जोखिम सूचकांक से संबंधित मुख्य सिफारिशें :

 

  • जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता : उच्च आय और उच्च उत्सर्जन वाले देशों को जलवायु शमन और अनुकूलन प्रयासों को तीव्र गति से बढ़ाना चाहिए, ताकि भविष्य में मानवीय और आर्थिक लागतों को कम किया जा सके।
  • हानि और क्षति के लिए समर्थन की जरूरत : चरम मौसम घटनाओं से प्रभावित कमजोर समुदायों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना चाहिए।
  • उच्च जोखिम वाले देशों को चेतावनी के रूप में स्वीकार करने की जरूरत : CRI में सबसे अधिक प्रभावित देशों को इन निष्कर्षों को एक चेतावनी के रूप में स्वीकार करना चाहिए और उन्हें भविष्य की जलवायु आपदाओं से बचाने के लिए तत्परता के उपायों को लागू करना चाहिए।
  • मानवीय और आर्थिक क्षति में वृद्धि की संभावना : जब तक प्रभावी शमन नीतियाँ लागू नहीं की जातीं, जलवायु परिवर्तन के कारण मानवीय और आर्थिक नुकसान बढ़ता रहेगा।

 

समाधान / आगे की राह :

 

 

  1. जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कमजोर देशों को अधिक वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने की जरूरत : जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली हानियों और क्षतियों से निपटने के लिए कमजोर देशों को अधिक वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जानी चाहिए। यह मदद इन देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचने और अनुकूलन में सक्षम बनाएगी।
  2. जलवायु परिवर्तन से संबंधित शमन प्रयासों को सशक्त बनाने की जरूरत : राष्ट्रों को अपनी राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) को मजबूत करना होगा ताकि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C या उससे कम तक सीमित किया जा सके। इससे जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक प्रभावों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
  3. विकसित और उच्च आय वाले देशों की जवाबदेही तय करने की जरूरत : विकसित देशों को बढ़ती मानवीय और आर्थिक लागतों पर काबू पाने के लिए अपने शमन प्रयासों को तेज करना चाहिए। ये देश जलवायु संकट की गंभीरता को समझते हुए अधिक प्रभावी कदम उठाने के लिए उत्तरदायी होंगे।
  4. जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसानों पर त्वरित एवं प्रभावी कार्रवाई करने और शमन उपायों की आवश्यकता : जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसानों को बढ़ने से रोकने के लिए त्वरित और प्रभावी अनुकूलन और शमन उपायों की आवश्यकता है। इस दिशा में तत्काल कार्रवाई से ही भविष्य में जलवायु संकट को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।

 

स्रोत – डाउन टू अर्थ।

Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 25th Feb 2025

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 


Q.1. जलवायु जोखिम सूचकांक (CRI) 2025 के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?

  1. CRI देशों को चरम मौसम की घटनाओं जैसे गर्म लहरें, तूफान, बाढ़ और सूखे के प्रभाव के आधार पर रैंक करता है।
  2. CRI 5 वर्ष की अवधि में प्रभाव का मूल्यांकन करता है और यह 1995-2022 के आंकड़ों पर आधारित है।
  3. यह सूचकांक सर्वप्रथम विश्व बैंक द्वारा 2006 में शुरू किया गया था।
  4. वैश्विक स्तर पर चरम मौसम की घटनाओं के कारण होने वाली कुल आर्थिक क्षति में तूफानों का योगदान 56% है।

कूट के माध्यम से सही उत्तर का चयन करें:
A. केवल 1 और 3

B. केवल 1 और 4

C. इनमें से कोई नहीं।

D. उपरोक्त सभी।

उत्तर – B केवल 1 और 4

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है। जलवायु जोखिम सूचकांक (CRI) देशों को उनके जोखिम और चरम मौसम की घटनाओं जैसे हीटवेव, तूफान, बाढ़, और सूखे के प्रभाव के आधार पर रैंक करता है।
  • कथन 2 गलत है। CRI प्रकाशन से पहले 2 साल की अवधि में प्रभावों का मूल्यांकन करता है, और पिछले 30 वर्षों के डेटा का उपयोग किया जाता है, न कि 5 साल की अवधि में।
  • कथन 3 गलत है। जलवायु जोखिम सूचकांक (CRI) की शुरुआत विश्व बैंक ने नहीं बल्कि जर्मनवाच नामक एक स्वतंत्र पर्यावरण संगठन ने वर्ष 2006 में की थी।
  • कथन 4 सही है। वैश्विक स्तर पर चरम मौसम की घटनाओं के कारण होने वाली कुल आर्थिक क्षति में से 56% के लिए तूफान जिम्मेदार हैं, जो 2.33 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान पहुंचाते हैं। अतः विकल्प B सही उत्तर है।

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. जलवायु जोखिम सूचकांक 2025 के प्रमुख निष्कर्षों पर चर्चा करते हुए जलवायु परिवर्तन शमन के संदर्भ में प्रस्तुत की गई मुख्य चुनौतियों, सिफारिशें तथा समाधान के उपायों को विस्तृत रूप से स्पष्ट कीजिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

No Comments

Post A Comment