जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध भारत : मौसम अध्ययन के नए आयाम और क्लाउड चैंबर की भूमिका

जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध भारत : मौसम अध्ययन के नए आयाम और क्लाउड चैंबर की भूमिका

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 1 के अंतर्गत ‘ भारत का भौतिक भूगोल , भारत के मौसम अध्ययन के नए आयाम और उसमें क्लाउड चैंबर की भूमिका , बादल भौतिकी , जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध भारत की नई रणनीतियाँ ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ मिशन मौसम , पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय , भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे , CAIPEEX , भारतीय मानसून और बादलों का गहन अध्ययन ’ खंड से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ? 

 

  • भारत मिशन मौसम के तहत, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (India Meteorological Department), पुणे में एक क्लाउड चैंबर स्थापित करने की योजना बना रहा है। 
  • भारत में एक क्लाउड चैंबर स्थापित करने से बादलों के निर्माण और उनकी प्रकृति का विस्तृत अध्ययन करना संभव होगा, जो विशेष रूप से भारतीय मानसून की स्थितियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 

मिशन मौसम क्या है ?

  • मिशन मौसम का नेतृत्व पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा किया जाता है। 
  • इसका मुख्य उद्देश्य मौसम और जलवायु विज्ञान के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को मजबूत करना है। 
  • इस मिशन का मुख्य उद्देश्य मानसून पूर्वानुमान, वायु गुणवत्ता अलर्ट, चरम मौसम की घटनाओं, चक्रवातों, कोहरे, ओलावृष्टि और बारिश जैसे जलवायु से संबंधित मुद्दों के प्रबंधन पर है। 
  • इसमें मौसम हस्तक्षेप, क्षमता निर्माण और जलवायु परिवर्तन से संबंधित जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर नागरिकों को जलवायु परिवर्तन के परिणामों से अवगत कराया जायेगा। 
  • इस मिशन के तहत, लौकिक और स्थानिक स्तर पर अत्यधिक सटीक और समय पर मौसम एवं जलवायु परिवर्तन से संबंधित जानकारी प्रदान करने के लिए अवलोकन और उससे संबंधित ज्ञान को समझने में आसानी होगी।

 

क्लाउड चैंबर का परिचय : 

 

  • क्लाउड चैंबर एक विशेष प्रकार का उपकरण है, जो एक बंद बेलनाकार ड्रम की तरह दिखता है। 
  • इसका उद्देश्य नियंत्रित आर्द्रता और तापमान के तहत जल वाष्प और एरोसोल को इंजेक्ट करके बादल निर्माण की प्रक्रियाओं का अध्ययन करना है।
  • यह वैज्ञानिकों को बादल की बूंदें और बर्फ के कण बनाने वाले बीज कणों का विस्तृत अध्ययन करने की अनुमति देता है।
  • इसका मुख्य लक्ष्य भारतीय मानसून के बादलों का गहन अध्ययन करना है। 
  • इस सुविधा में संवहन गुण शामिल होंगे, जो अन्य देशों के बादल कक्षों की तुलना में इसे विशिष्ट बनाते हैं। संवहन गुणों के कारण, वैज्ञानिक भारतीय मौसम प्रणालियों के प्रभावी अध्ययन में सक्षम होंगे।
  • अन्य देशों के बुनियादी बादल कक्षों से भिन्न, भारत का यह क्लाउड चैंबर संवहन गुणों को शामिल करता है, जो मानसून अनुसंधान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
  • यह वैज्ञानिकों को बादल की बूंदें और बर्फ के कण बनाने वाले बीज कणों का अध्ययन करने की अनुमति देता है। 
  • भारत में यह अपनी तरह का पहला क्लाउड चैंबर है, जो विशेष रूप से भारतीय मौसम प्रणालियों की भौतिकी को समझने में मदद करेगा।

 

मिशन मौसम के तहत क्लाउड चैंबर की स्थापना का मुख्य कारण : 

  • मिशन मौसम क्लाउड चैंबर की स्थापना मिशन मौसम के तहत की जा रही है, जिसका उद्देश्य भारत में मौसम पूर्वानुमान को बेहतर बनाना और विशेष मौसम संबंधी घटनाओं जैसे वर्षा, ओलावृष्टि, कोहरा, और बिजली गिरने का प्रबंधन करना है। 
  • क्लाउड एरोसोल इंटरेक्शन एंड पार्टिसिपेशन एनहांसमेंट एक्सपेरिमेंट (CAIPEEX) के माध्यम से भारत को पहले से ही क्लाउड सीडिंग का अनुभव प्राप्त है, जिससे वर्षा में औसतन 46% की वृद्धि संभव हो सकी है।
  • इस प्रकार, क्लाउड चैंबर न केवल एक अनुसंधान उपकरण है, बल्कि यह भारत के मौसम विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता रखता है।

 

 

भारत द्वारा संवहनीय बादल कक्ष के निर्माण के पीछे क्या कारण है? 

  • बादल भौतिकी में बादलों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। 
  • बादलों के व्यवहार का अध्ययन के तहत कणों के बीच परस्पर क्रिया, वर्षा की बूंदों और बर्फ के निर्माण, तथा चक्रवातों या निम्न-दाब प्रणालियों से वायुमंडलीय नमी के प्रभाव को शामिल किया गया है। 
  • संवहनीय बादल कक्ष की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीय मौसम की विशिष्ट परिस्थितियों में इन प्रक्रियाओं की गहरी समझ विकसित करना है। 
  • यह वैज्ञानिकों को मानसून बादलों के व्यवहार को बेहतर ढंग से समझने के लिए नियंत्रित वातावरण के द्वारा तापमान, आर्द्रता और संवहन जैसे मापदंडों को नियंत्रित करने की सुविधा प्रदान करेगा। 
  • भारत के लिए जलवायु परिवर्तन से संबंधित यह ज्ञान मौसम संशोधन के प्रयासों के लिए रणनीतिक योजना बनाने में सहायक होगा।

 

भारत में क्लाउड चैंबर की स्थापना का मुख्य उद्देश्य :

 

  • भारत का क्लाउड चैंबर विशेष रूप से भारतीय मौसम प्रणालियों और मानसून बादलों की क्लाउड भौतिकी को गहराई से समझने के लिए विकसित किया जाएगा। 
  • यह सुविधा अपने संवहन गुणों के कारण अनूठी है, जो विश्व स्तर पर दुर्लभ हैं। इसके माध्यम से, विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में बादलों के व्यवहार का विस्तृत अध्ययन करना संभव होगा। 
  • यह वैज्ञानिकों को बादलों के निर्माण और उनके व्यवहार में योगदान करने वाले कणों का विश्लेषण करने का अवसर प्रदान करेगा।

 

प्रमुख उद्देश्य :

  1. मौसम पूर्वानुमान की सटीकता में वृद्धि तथा जलवायु पूर्वानुमान प्रदान करना : इस मिशन का उद्देश्य उन्नत प्रौद्योगिकियों के माध्यम से सटीक और समय पर मौसम तथा जलवायु पूर्वानुमान प्रदान करना है।
  2. जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बेहतर तरीके से निपटने में सक्षम बनाना : यह पहल नागरिकों और विभिन्न हितधारकों को चरम मौसम की घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बेहतर तरीके से निपटने में सक्षम बनाएगी।
  3. मौसम विज्ञान में मौसम मॉडलिंग, पूर्वानुमान और निगरानी तंत्र का विकास होना : इसके तहत अनुसंधान और विकास के माध्यम से, यह मिशन वायुमंडलीय विज्ञान में भारत की क्षमताओं को मजबूती प्रदान करेगा, जिसमें मौसम मॉडलिंग, पूर्वानुमान और निगरानी शामिल हैं।

 

भारत में क्लाउड चैंबर की प्रमुख विशेषताएँ :

  • अनुकूलित अध्ययन में सहायक होना : विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों का अनुकरण करने के लिए वायुमंडलीय मापदंडों को समायोजित करने की क्षमता का विकास करना संभव हो पायेगा।
  • उपकरणीय विकास : इसके तहत अगले 18-24 महीनों में बादलों के व्यवहार की निगरानी के लिए अत्याधुनिक उपकरणों का निर्माण किया जाएगा।
  • सीड पार्टिकल इंजेक्शन तकनीक से बादलों के निर्माण को प्रभावित करने वाले विभिन्न परिदृश्यों का परीक्षण संभव होना : यह तकनीक बादलों के निर्माण को प्रभावित करने वाले विभिन्न परिदृश्यों का परीक्षण करने की अनुमति देगी। इस प्रकार, भारत का क्लाउड चैंबर मौसम विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जो अनुसंधान और विकास को नई दिशा प्रदान करेगा।

 

आगे की राह : 

 

 

  1. विकास की प्रक्रिया और वातावरणीय अध्ययन को समझने में आसानी : क्लाउड चैंबर का उपयोग करके हम विभिन्न तापमान, आर्द्रता और दबाव में बादलों के निर्माण और विकास की प्रक्रिया को समझ सकते हैं।
  2. जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता और नीतिगत बदलाव की जरूरत : सरकार को जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। नीतियों में वैज्ञानिक अनुसंधान को शामिल करना और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
  3. जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी से संबंधित अनुसंधान और विकास : वैज्ञानिक इस उपकरण का उपयोग नए जलवायु मॉडलों के विकास में कर सकते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी में सुधार होगा।
  4. जलवायु परिवर्तन के प्रति सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने की जरूरत : लोगों को जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है, ताकि वे अपने दैनिक जीवन में सुधार कर सकें।
  5. जलवायु परिवर्तन का अध्ययन संभव होना : क्लाउड चैंबर में जलवायु परिवर्तन के विभिन्न कारकों जैसे कि ग्रीनहाउस गैसों का बादलों पर प्रभावों का परीक्षण किया जा सकता है।
  6. अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्राप्त कर संयुक्त प्रयासों से समाधान निकालना : जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चुनौती है, इसलिए भारत को अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए ताकि संयुक्त प्रयासों से समाधान निकाला जा सके।

 

स्त्रोत – द हिन्दू एवं कुरुक्षेत्र। 

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. जलवायु परिवर्तन के समाधान के लिए भारत में निम्नलिखित में से कौन-कौन सी नीतियाँ अपनाई जा रही हैं?

  1. जलीय पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन
  2. क्लाउड चैंबर
  3. जल संसाधनों का प्रबंधन
  4. जनसंख्या और औद्योगिक विकास में वृद्धि

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा कथन सही है ?

A. केवल 1 और 4 

B. केवल 2 और 3 

C. केवल 2 और 4 

D. केवल 1 और 3 

उत्तर – B 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, क्लाउड चैंबर की संरचना, कार्यप्रणाली और जलवायु परिवर्तन के अध्ययन में इसकी भूमिका को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत को आने वाले वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और उनके संभावित समाधान एवं रणनीतियाँ क्या हो सकती हैं? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

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