23 Nov जल शक्ति मंत्रालय की नई पहल : ‘भू-नीर’ पोर्टल से भूजल संरक्षण में सुधार
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी , जल संसाधन , पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण , सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत “भू-नीर” पोर्टल , केंद्रीय भूजल प्राधिकरण , राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) , अमृत मिशन (AMRUT) , जल शक्ति अभियान – ‘कैच द रेन’ अभियान ’ खंड से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- जल शक्ति मंत्रालय ने हाल ही में 8वें भारत जल सप्ताह-2024 के दौरान “भू-नीर” पोर्टल लॉन्च किया है , जिसका उद्देश्य भारत में भूजल विनियमन को सुधारना और बढ़ावा देना है।
- यह पोर्टल केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) द्वारा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के सहयोग से विकसित किया गया है, जिसका लक्ष्य भूजल उपयोग में पारदर्शिता और स्थिरता लाना है।
भू-नीर पोर्टल की मुख्य विशेषताएँ :
- इस पोर्टल में भूजल अनुपालन और नीतियों के लिए एक केंद्रीकृत डेटाबेस उपलब्ध है, जो भूजल के विनियमन की प्रक्रिया को सरल और उसके व्यापार में सहायक के रूप में कार्य करती है।
- यह एकल ID प्रणाली पर आधारित है, जिसमें स्थायी खाता संख्या का उपयोग होता है, और उपयोगकर्ताओं के लिए इंटरफेस को सरल व सुविधाजनक बनाया गया है।
- इस पोर्टल में अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) तैयार करने के लिए QR कोड आधारित सुव्यवस्थित प्रक्रिया को शामिल किया गया है।
- भारत में भूजल संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन को नियंत्रित करने के लिए पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत केंद्रीय भूजल प्राधिकरण का गठन किया गया था।
- भारत में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC), को वर्ष 1976 में स्थापित किया गया था।
- यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के अधीन एक प्रमुख संगठन है जो ई-गवर्नमेंट अनुप्रयोगों के विकास और सतत विकास के लिए डिजिटल अवसरों को बढ़ावा देता है।
भारत में भूजल संकट के प्रमुख कारण :
भारत में भूजल संकट के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
- सिंचाई के लिए अत्यधिक भूजल का उपयोग करना : भारत में जल उपयोग का लगभग 80% हिस्सा सिंचाई से जुड़ा है, और इसका अधिकांश भूजल से आता है। खाद्य उत्पादन की बढ़ती मांग के कारण भूजल का अत्यधिक निष्कर्षण हो रहा है, जिससे स्तर गिरता जा रहा है।
- जलवायु परिवर्तन का होना : वर्तमान समय में वैश्विक भू -तापन से बढ़ता तापमान और वर्षा पैटर्न में बदलाव भूजल पुनर्भरण दरों को प्रभावित कर रहे हैं। सूखा और असामान्य मानसून घटनाएं भूजल संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव डाल रही हैं।
- खराब जल प्रबंधन का होना : जल का अकुशल उपयोग, रिसते पाइप और वर्षा जल संचयन की कम सुविधाएं भूजल संकट को और बढ़ा रही हैं।
- प्राकृतिक पुनर्भरण में कमी का होना : वनों की कटाई और मृदा अपरदन के कारण भूजल जलभृतों का प्राकृतिक पुनर्भरण प्रभावित हो रहा है, जिससे भूजल स्तर घट रहा है।
भूजल कमी से संबंधित समस्याएँ :
- जल की कमी होना : भूजल के अत्यधिक दोहन और भूजल स्तर के गिरने से घरेलू, कृषि और औद्योगिक उपयोग के लिए पानी की उपलब्धता में कमी हो सकती है, जिससे भविष्य में जल संघर्ष बढ़ सकता है।
- बाढ़ का खतरा और भूमि अवतलन का होना : अत्यधिक भूजल निष्कर्षण से भूमि का धंसना और बुनियादी ढांचे को नुकसान हो सकता है, जिससे बाढ़ का खतरा भी बढ़ सकता है।
- मीठे पानी का प्रदूषित और पर्यावरणीय क्षरण का होना : भूजल गिरने से तटीय क्षेत्रों में खारे पानी का प्रवेश और मीठे पानी का प्रदूषण हो सकता है।
- जल उपचार एवं पम्पिंग की लागत बढ़ना और आर्थिक प्रभाव : कृषि उत्पादन में गिरावट और जल आपूर्ति की लागत में वृद्धि आर्थिक नुकसान का कारण बन सकती है और जल उपचार एवं पम्पिंग की लागत बढ़ सकती है।
- डेटा की कमी के कारण जल संकट का सही आकलन करना कठिन होना : भूजल के अत्यधिक दोहन वाले क्षेत्रों की केवल 14% ब्लॉकों को ही अधिसूचित किया गया है, जिससे संकट का सही आकलन करना कठिन हो रहा है।
भारत सरकार द्वारा भूजल संरक्षण के लिए शुरू की गई प्रमुख पहल :
भूजल संरक्षण के लिए भारत सरकार की प्रमुख पहलें निम्नलिखित हैं:
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना : इस योजना का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में जल की अधिकतम बचत करना और सिंचाई के लिए पानी के उचित उपयोग को बढ़ावा देना है।
- जल शक्ति अभियान – ‘कैच द रेन’ अभियान : इस अभियान के तहत वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण पर जोर दिया जाता है, ताकि भूजल स्तर को स्थिर किया जा सके।
- अटल भूजल योजना : यह योजना भूजल के सतत प्रबंधन और संरक्षण के लिए स्थानीय समुदायों को जोड़कर जलभृतों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करती है।
- जलभृत मानचित्रण और प्रबंधन कार्यक्रम : इस पहल का उद्देश्य जलभृतों के सही मानचित्रण और उनकी प्रभावी प्रबंधन रणनीतियों को लागू करना है, ताकि जल का सटीक उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
- अमृत मिशन (AMRUT) : शहरी क्षेत्रों में जल आपूर्ति, सीवरेज और शहरी जल निकासी प्रणालियों के सुधार के लिए यह मिशन कार्यान्वित किया गया है, जिससे जल संकट को कम किया जा सके।
समाधान की राह :
- स्वच्छ वर्षा जल से भूजल पुनर्भरण और जल संरक्षण को बढ़ावा देना : शहरी क्षेत्रों में भूजल पुनर्भरण बढ़ाने के लिए ‘ग्रीन कॉरिडोर’ और रिचार्ज ज़ोन चैनलों का निर्माण किया जा सकता है। इसके अलावा, निष्क्रिय बोरवेलों का उपयोग स्वच्छ वर्षा जल से भूजल पुनर्भरण के लिए किया जा सकता है।
- जल पुनर्भरण और भूजल निकासी का विनियमन की प्रक्रिया सुनिश्चित करना : भूजल के अत्यधिक निष्कर्षण को रोकने के लिए कड़े नियम लागू किए जा सकते हैं। उद्योगों के लिए ‘जल प्रभाव आकलन’ और ‘ब्लू सर्टिफिकेशन’ अनिवार्य करना चाहिए, ताकि जल पुनर्भरण और पुनः उपयोग की प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके।
- वैकल्पिक जल स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना : अपशिष्ट जल के उपचार और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने से भूजल की मांग कम हो सकती है। वैकल्पिक जल स्रोतों का उपयोग के तहत कृषि और बागवानी में पुनर्चक्रित जल के उपयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए।
- जल संरक्षण से संबंधित जागरूकता अभियान चलाना और स्थिर जल प्रबंधन को लागू करना : जल संरक्षण और भूजल की कमी को रोकने की आवश्यकता पर लोगों को जागरूक करने से जल के समर्पित उपयोग को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे स्थिर जल प्रबंधन को लागू किया जा सके।
स्त्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. ‘ भू-नीर पोर्टल ’ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह पोर्टल एकल ID प्रणाली पर आधारित है, जिसमें स्थायी खाता संख्या का उपयोग होता है।
- इस पोर्टल में अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) तैयार करने के लिए QR कोड आधारित प्रक्रिया शामिल है।
- यह पोर्टल केवल सरकारी उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध है।
- इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य भूजल के व्यापार को बढ़ावा देना है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/कौन से सही हैं?
A. केवल 1 और 3
B. केवल 1 और 2
C. केवल 2 और 4
D. केवल 1 और 4
उत्तर – B
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत में भूजल की कमी के प्रमुख कारण क्या हैं और इसके समाधान के लिए कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं? उदाहरणों के साथ चर्चा करते हुए, यह स्पष्ट कीजिए कि “भू-नीर” पोर्टल जैसे डिजिटल प्रयास भारत में भूजल संकट से निपटने में किस प्रकार सहायक हो सकते हैं? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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