तकनीकी वस्त्रों से भारत को सशक्त बनाना : मेक इन इंडिया की सफलता

तकनीकी वस्त्रों से भारत को सशक्त बनाना : मेक इन इंडिया की सफलता

पाठ्यक्रम – सामान्य अध्ययन – 3 – भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास – तकनीकी वस्त्रों के साथ भारत को सशक्त बनाना: मेक इन इंडिया की सफलता की कहानी

प्रारंभिक परीक्षा के लिए :

राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (NTTM), उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना, एग्रोटेक (कृषि संबंधी वस्त्र), मेडिटेक (स्वास्थ्य सेवा हेतु वस्त्र), जियोटेक (भू-तकनीकी वस्त्र) 

मुख्य परीक्षा के लिए :

राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (NTTM) क्या है? तकनीकी वस्त्रों में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?

 

खबरों में क्यों?

 

 

  • हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में भारत द्वारा हासिल की जा रही प्रगति पर ध्यान आकृष्ट किया है। 
  • उन्होंने राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (NTTM) और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना जैसी केंद्र सरकार की महत्त्वपूर्ण पहलों का उल्लेख करते हुए बताया कि ये योजनाएं देश में घरेलू निर्माण को सशक्त बना रही हैं, नवाचार को प्रोत्साहित कर रही हैं और निर्यात क्षमता में निरंतर वृद्धि कर रही हैं। 
  • सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर केंद्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह की एक पोस्ट के प्रत्युत्तर में प्रधानमंत्री ने यह बात कही। इन पहलों की तेज रफ्तार प्रगति भारत को तकनीकी वस्त्र उद्योग में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ा रही है।

 

तकनीकी वस्त्र क्या होता है और यह क्यों महत्वपूर्ण है ?

 

  • तकनीकी वस्त्र वे उन्नत कपड़े होते हैं जिन्हें पारंपरिक फैशन या सजावटी उपयोग के बजाय विशिष्ट कार्यों और उद्देश्यों को पूरा करने के लिए तैयार किया जाता है। ये वस्त्र उच्च स्तर की मजबूती, टिकाऊपन, तापमान और रसायनों के प्रति प्रतिरोध, तथा सुरक्षा या निस्पंदन जैसी विशेषताएँ प्रदान करते हैं।
  • इनका व्यापक उपयोग ऑटोमोबाइल निर्माण, कृषि, स्वास्थ्य सेवा, रक्षा, और निर्माण जैसे विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में होता है। उदाहरण स्वरूप एयरबैग, फसलों को ढकने वाले कवर, भू-तकनीकी वस्त्र (जियोटेक्सटाइल), और चिकित्सकीय गाउन तकनीकी वस्त्रों के प्रमुख उदाहरण हैं।
  • जहाँ पारंपरिक वस्त्र सौंदर्य और पहनावे पर केंद्रित होते हैं, वहीं तकनीकी वस्त्र व्यावहारिक चुनौतियों के समाधान के लिए विकसित किए जाते हैं। आधुनिक उद्योगों में इनकी भूमिका लगातार बढ़ रही है और ये नवाचार व औद्योगिक विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं।

 

भारत में कपड़ा तकनीकी क्षेत्र : आंकड़े

 

 

राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन : नवाचार, कौशल और निवेश की ओर एक सशक्त पहल: 

 

  • भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (NTTM), देश के तकनीकी वस्त्र क्षेत्र को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यह मिशन अनुसंधान, कौशल विकास, स्टार्टअप समर्थन और वैश्विक साझेदारी को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कई योजनाओं को क्रियान्वित कर रहा है।
  • जीआईएसटी 2.0 : शिक्षा और उद्योग के बीच सेतु : ‘Grant for Internship Support in Technical Textiles (GIST 2.0)’ योजना के माध्यम से तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। यह पहल न केवल शिक्षा और उद्योग के बीच की दूरी को कम करती है, बल्कि स्थानीय नवाचार को बढ़ावा देती है, ‘मेक इन इंडिया’ को सशक्त बनाती है और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाती है।
  • ग्रेट योजना : नवप्रवर्तन को व्यवसाय में बदलने की दिशा में कदम : ‘Grant for Research and Entrepreneurship in Technical Textiles (GREAT)’ योजना, अगस्त 2023 में आरंभ की गई, नवाचार को व्यावसायिक उत्पादों में रूपांतरित करने हेतु स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। अब तक, चिकित्सा, औद्योगिक और सुरक्षात्मक वस्त्रों में नवाचार के लिए 8 स्टार्टअप को ₹50 लाख तक की सहायता दी जा चुकी है। साथ ही, IIT इंदौर और NIT पटना समेत तीन प्रमुख संस्थानों को विशेष पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए ₹6.5 करोड़ का अनुदान मिला है।
  • कौशल विकास : 50,000 से अधिक प्रतिभाओं को प्रशिक्षण का लक्ष्य : NTTM के अंतर्गत तकनीकी वस्त्र उद्योग में कार्यरत व आकांक्षी जनशक्ति के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। SITRA, NITRA और SASMIRA जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा विकसित 12 उद्योग-केंद्रित पाठ्यक्रमों के माध्यम से, मेडिकल, सुरक्षात्मक, कृषि और मोबाइल टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
  • टेक्नोटेक्स 2024 : नवाचार का भव्य प्रदर्शन : भारत टेक्स 2024 के अंतर्गत आयोजित टेक्नोटेक्स 2024 कार्यक्रम ने भारतीय तकनीकी वस्त्र उद्योग की क्षमताओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया। 693 वर्ग मीटर में फैले ‘इनोवेशन ज़ोन’ में 71 उन्नत परियोजनाओं का प्रदर्शन किया गया, जिसमें 48 कार्यशील प्रोटोटाइप और 23 जानकारीपरक पोस्टर शामिल थे। इस मंच ने वैश्विक निवेशकों को भारत के तकनीकी वस्त्र क्षेत्र में अवसर तलाशने का उत्कृष्ट अवसर प्रदान किया है।

 

तकनीकी वस्त्रों के विविध उपयोग क्षेत्र : 

 

  1. एग्रोटेक (कृषि संबंधी वस्त्र) : कृषि उत्पादन को बढ़ाने और पर्यावरणीय कारकों से फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु तकनीकी वस्त्रों का उपयोग छाया जाल, फसल आवरण (क्रॉप कवर) और मल्च मैट के रूप में किया जाता है। ये समाधान कीटनाशकों की निर्भरता को कम करने के साथ-साथ मौसम जनित जोखिमों से भी रक्षा करते हैं।
  2. बिल्डटेक (निर्माण क्षेत्र के वस्त्र) : बिल्डटेक सामग्री जैसे जियो ग्रिड और स्कैफोल्डिंग नेट्स (मचान जाल) भवनों और ढांचागत परियोजनाओं की मजबूती, ध्वनि नियंत्रण और संरचनात्मक स्थिरता को सुनिश्चित करते हैं। इनका प्रयोग पुल, सुरंग, सड़क एवं ऊँची इमारतों के निर्माण में किया जाता है।
  3. क्लॉथटेक (फैशन एवं परिधान वस्त्र) : वस्त्र उद्योग में क्लॉथटेक का उपयोग परिधान की गुणवत्ता, टिकाऊपन और सौंदर्य को बढ़ाने के लिए इंटरलाइनिंग, सिलाई धागे और ज़िपर जैसे सहायक सामग्रियों में होता है। यह रोज़मर्रा की पहनावे को अधिक कार्यक्षम और दीर्घजीवी बनाता है।
  4. जियोटेक (भू-तकनीकी वस्त्र) : जियोटेक्सटाइल्स का उपयोग सड़क निर्माण, जल निकासी तंत्र और कटाव नियंत्रण जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में किया जाता है। ये मृदा स्थिरता को सुधारते हैं और निर्माण की लंबी उम्र सुनिश्चित करते हैं।
  5. मेडिटेक (स्वास्थ्य सेवा हेतु वस्त्र) : मेडिटेक उत्पाद जैसे सर्जिकल मास्क, गाउन, घाव की ड्रेसिंग और सैनिटरी आइटम चिकित्सा क्षेत्र में स्वच्छता, रोगी सुरक्षा और संक्रमण रोकथाम के लिए अनिवार्य हैं। कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी में इनकी महत्ता और अधिक स्पष्ट हुई।
  6. मोबिलटेक (वाहन संबंधी वस्त्र) : ऑटोमोबाइल उद्योग में तकनीकी वस्त्रों का प्रयोग सीट बेल्ट, एयरबैग, सीट कवर और इंटीरियर असबाब में किया जाता है। ये चालक और यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ वाहन के आराम और प्रदर्शन को भी सुधारते हैं।
  7. पैकटेक (पैकेजिंग सामग्री के वस्त्र) : टिकाऊ, पुन: प्रयोज्य और नमी प्रतिरोधी पैकेजिंग के लिए तकनीकी वस्त्रों का प्रयोग बुने हुए बोरे, जूट बैग और एफआईबीसी (फ्लेक्सिबल इंटरमीडिएट बल्क कंटेनर) जैसे उत्पादों में किया जाता है। यह समाधान पर्यावरण के अनुकूल विकल्प भी प्रस्तुत करता है।
  8. इंडुटेक (औद्योगिक क्षेत्र के वस्त्र) : इंडो टेक्सटाइल्स जैसे निस्पंदन (फिल्ट्रेशन) फैब्रिक, कन्वेयर बेल्ट और थर्मल इन्सुलेशन उत्पाद विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं की दक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। ये वस्त्र उच्च तापमान, रसायनों और घर्षण के प्रति भी उच्च प्रतिरोध प्रदान करते हैं।

 

 

भारत में तकनीकी वस्त्र संवर्धन : 

 

पहल/क्षेत्र विवरण
1. एनटीटीएम (2020-24) घरेलू उत्पादन, अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा, तकनीकी वस्त्रों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ₹1,480 करोड़ का मिशन।
2. जीआईएसटी 2.0 छात्रों को इंटर्नशिप सहायता उद्योग-अकादमिक अंतर को पाटती है।
3. महान योजना प्रत्येक स्टार्टअप को 50 लाख रुपये; विशिष्ट पाठ्यक्रमों के लिए संस्थानों (जैसे, आईआईटी इंदौर, एनआईटी पटना) को 6.5 करोड़ रुपये।
4. कौशल विकास SITRA, NITRA, SASMIRA आदि द्वारा 12 उद्योग-विशिष्ट पाठ्यक्रमों के माध्यम से 50,000 व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य।
5. टेक्नोटेक्स 2024 71 नवाचारों (48 प्रोटोटाइप) का प्रदर्शन; निवेश और वैश्विक पहुंच के लिए मंच।
6. शिक्षा सहायता आईआईटी, एनआईटी और कपड़ा संस्थानों में विशेष तकनीकी वस्त्र पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं।
7. बीआईएस मानक उत्पाद की गुणवत्ता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए 500 से अधिक मानक विकसित किए गए।
8. मेक इन इंडिया फोकस मशीनरी और सामग्री के स्वदेशी विनिर्माण को प्रोत्साहन।
9. निर्यात एवं एफडीआई प्रोत्साहन पीएलआई योजनाओं, व्यापार मेले में भागीदारी और निवेश सुविधा के माध्यम से समर्थन।
10. राज्य स्तरीय समर्थन तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्य नीतिगत और बुनियादी ढांचे संबंधी प्रोत्साहन दे रहे हैं।

 

तकनीकी वस्त्र क्षेत्र में क्रियान्वयन से जुड़ी प्रमुख बाधाएँ एवं मुख्य चुनौतियाँ : 

 

  1. जागरूकता की कमी : तकनीकी वस्त्रों के अनुप्रयोग और लाभों को लेकर नीति निर्माताओं, उद्यमियों और आम उपभोक्ताओं के बीच सीमित समझ है, जिससे इसकी संभावनाओं का पूर्ण उपयोग नहीं हो पा रहा।
  2. सीमित घरेलू मांग : कृषि, निर्माण, और स्वास्थ्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों में तकनीकी वस्त्रों को अपेक्षाकृत धीमी गति से अपनाया जा रहा है, जिससे बाजार की वृद्धि बाधित हो रही है।
  3. कौशल एवं विशेषीकृत प्रशिक्षण का अभाव : विशेषीकृत प्रशिक्षण कार्यक्रमों की कमी और प्रशिक्षित मानव संसाधन की सीमित उपलब्धता उद्योग की दक्षता और विस्तार में बाधा बन रही है।
  4. आयात पर निर्भरता : उन्नत मशीनरी और विशिष्ट कच्चे माल के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भरता से उत्पादन लागत बढ़ जाती है और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति धीमी रहती है।
  5. अनुसंधान व नवाचार में निवेश की कमी : उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच समन्वय का अभाव और अनुसंधान में अपर्याप्त निवेश नवाचार की गति को सीमित करते हैं।
  6. परीक्षण प्रयोगशालाओं और गुणवत्ता मानकों की अनुपलब्धता एवं परीक्षण अवसंरचना की कमी : भारत में मान्यता प्राप्त परीक्षण प्रयोगशालाओं और गुणवत्ता मानकों की अनुपलब्धता वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता को बाधित करती है।
  7. सीमित संसाधनों और तकनीकी औद्योगिक अवसंरचना : इस क्षेत्र में एमएसएमई इकाइयों का प्रभुत्व है, जो अक्सर सीमित संसाधनों और तकनीकी अवसंरचना के साथ कार्य करती हैं, जिससे विस्तार और निर्यात में कठिनाइयाँ आती हैं।
  8. विनियामक ढांचे में असंगति : BIS मानकों के क्रियान्वयन में देरी और प्रमुख क्षेत्रों में अनिवार्य उपयोग संबंधी दिशानिर्देशों का अभाव एकरूपता और पारदर्शिता को प्रभावित करता है।

 

समाधान की राह : 

 

  1. व्यापक जागरूकता अभियान की जरूरत : तकनीकी वस्त्रों के लाभ और अनुप्रयोगों के बारे में उद्योगों, नीति-निर्माताओं और उपभोक्ताओं को शिक्षित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आरंभ किए जाएं।
  2. कौशल निर्माण पर बल : उद्योग-केंद्रित प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को सुदृढ़ करें और उच्च शिक्षा संस्थानों में तकनीकी वस्त्रों को एकीकृत करें।
  3. स्वदेशी विनिर्माण को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता : ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों के अंतर्गत मशीनरी और कच्चे माल का स्थानीय उत्पादन बढ़ाने के लिए नीतिगत प्रोत्साहन दिए जाएं।
  4. नवाचारों के व्यवसायीकरण को प्रोत्साहित करने हेतु अनुसंधान वित्त पोषण में वृद्धि करने की जरूरत : नवाचारों के व्यवसायीकरण को प्रोत्साहित करने हेतु अनुसंधान वित्त पोषण में वृद्धि की जाए और उद्योग-अकादमिक साझेदारी को प्रोत्साहित किया जाए।
  5. बाजार विस्तार के लिए नीति हस्तक्षेप को सुनिश्चित करने की आवश्यकता : रक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में तकनीकी वस्त्रों का अनिवार्य उपयोग सुनिश्चित किया जाए।
  6. प्रयोगशाला एवं परीक्षण अवसंरचना विकास केंद्र स्थापित करने की जरूरत : गुणवत्ता प्रमाणीकरण और निर्यात प्रतिस्पर्धा के लिए अधिक मान्यता प्राप्त परीक्षण केंद्र स्थापित किए जाएं।
  7. एमएसएमई को सक्षम बनाने की जरूरत : तकनीकी, वित्तीय और विपणन सहयोग के माध्यम से एमएसएमई इकाइयों को सशक्त बनाया जाए।
  8. विनियामक प्रक्रिया का सरलीकरण एवं एकल-खिड़की प्रणाली के माध्यम से नीति क्रियान्वयन को तेज़ और पारदर्शी बनाने की जरूरत : BIS मानकों का शीघ्र क्रियान्वयन और एकल-खिड़की प्रणाली के माध्यम से नीति क्रियान्वयन को तेज़ और पारदर्शी बनाया जाए।

 

निष्कर्ष :

 

  • तकनीकी वस्त्र उद्योग भारत की औद्योगिक संरचना में नवाचार, मूल्यवर्धन और रोजगार सृजन का एक शक्तिशाली माध्यम बन सकता है। 
  • सरकार द्वारा राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन, GIST 2.0, GREAT योजना और कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से उठाए गए कदम एक सकारात्मक दिशा में संकेत करते हैं।
  • तकनीकी वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में जब तक जागरूकता, कौशल, अनुसंधान और विनियमन से जुड़ी चुनौतियों का योजनाबद्ध और सहयोगात्मक रूप से समाधान नहीं किया जाता, तब तक इस क्षेत्र की पूर्ण संभावनाओं का दोहन संभव नहीं है। 
  • नीति – निर्माताओं, उद्योग, शैक्षणिक जगत और स्टार्टअप समुदाय को मिलकर एक समेकित रणनीति अपनानी होगी, जिससे भारत तकनीकी वस्त्रों के वैश्विक केंद्र के रूप में उभर सके और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक कदम बढ़ा सके।
  • भारत में तकनीकी वस्त्र उद्योग की प्रगति संभावनाओं से भरपूर है, फिर भी इसके व्यापक कार्यान्वयन की राह में कई जमीनी और संरचनात्मक चुनौतियाँ विद्यमान हैं। ये बाधाएँ न केवल उद्योग के विकास को धीमा करती हैं, बल्कि नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की क्षमता को भी सीमित करती हैं।

 

स्त्रोत – पी. आई. बी एवं द हिन्दू। 

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में तकनीकी वस्त्रों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन का उद्देश्य घरेलू खपत और निर्यात दोनों को बढ़ावा देना है।
2. ग्रेट योजना केवल वस्त्र निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वित्तपोषण प्रदान करती है।
3. जीआईएसटी 2.0 तकनीकी वस्त्र क्षेत्र में स्टार्टअप को समर्थन देने की एक पहल है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 2 और 3

उत्तर – ( c )

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. चर्चा कीजिए कि तकनीकी वस्त्र भारत की औद्योगिक नवाचार और आत्मनिर्भरता की आकांक्षाओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं? भारत में इसके कार्यान्वयन में कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं, और इनके समाधान के लिए आगे का रास्ता क्या हो सकता है? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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