तमिलनाडु में राष्ट्रगान विवाद : केन्द्र – राज्य संबंधों के बीच का सत्ता संतुलन

तमिलनाडु में राष्ट्रगान विवाद : केन्द्र – राज्य संबंधों के बीच का सत्ता संतुलन

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था , भारतीय संविधान , भारत में केन्द्र – राज्य संबंध, राज्यपाल का विधानसभा में अभिभाषण ’ खण्ड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारत का राष्ट्र गान एवं राष्ट्रगीत , गृह मंत्रालय , मुख्यमंत्री ,  राज्यपाल , सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राष्ट्रगान के बजाने संबंधी निर्णय ’ खण्ड से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ?

 

 

  • हाल ही में, तमिलनाडु के राज्यपाल ने 2025 सत्र के पहले दिन अपना अभिभाषण शुरू करने से पहले भारत का राष्ट्रगान नहीं बजाए जाने पर विरोध जताते हुए अपना अभिभाषण दिए बिना ही विधानसभा से वापस चले गए। 
  • तमिलनाडु विधानसभा में घटे इस घटनाक्रम से भारत में केन्द्र – राज्य संबंधों के अनुसार भारत के संघात्मक और लोकतांत्रिक शासनात्मक व्यवस्था के अनुसार राज्य विधानमंडल में अपनाई जाने वाली औपचारिक प्रथाओं को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है।

 

भारत का राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत क्या है ? 

 

  1. भारत का राष्ट्रगान “जन-गण-मन” रवींद्रनाथ ठाकुर (रवींद्रनाथ टैगोर) द्वारा 1911 में बांग्ला भाषा में लिखा गया था। 
  2. इसे बाद में हिंदी में भारत के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया। 
  3. यह गीत ब्रिटिश शासन के विरुद्ध चले रहे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन के दौरान 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार गाया गया था।
  4. भारत का राष्ट्रगीत “वंदे मातरम” है, जिसे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने लिखा था। 
  5. बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित ‘ वंदे मातरम ’ गीत सन 1870 में लिखा गया था और सन 1882 में उनके प्रसिद्ध उपन्यास “ आनंदमठ ”  में शामिल किया गया था। 
  6. सन 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में इसे पहली बार गाया गया था। 
  7. यह गीत भारत माता के प्रति श्रद्धा और स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणा स्रोत के रूप में प्रचलित हुआ था।
  8. भारत के राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान को संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी 1950 को आधिकारिक रूप से अपनाया गया।

 

भारत में राष्ट्रगान बजाने के प्रोटोकॉल और परंपराएँ : 

 

  • संसद में राष्ट्रपति का अभिभाषण : भारत में राष्ट्रपति के अभिभाषण से पहले और बाद में राष्ट्रगान बजाया जाता है। राष्ट्रपति के मंच पर पहुंचने पर और जब वह सदन से बाहर निकलते हैं, दोनों ही बार राष्ट्रगान बजाया जाता है।
  • राज्य विधानमंडल में राज्यपाल का अभिभाषण : भारत में विभिन्न राज्य विधानमंडलों में राष्ट्रगान बजाने की परंपराएँ राज्य के हिसाब से भिन्न – भिन्न होती हैं।
  • नागालैंड : नागालैंड में 2021 तक राष्ट्रगान नहीं बजाया जाता था, लेकिन फरवरी 2021 में इसे पहली बार बजाया गया था।
  • त्रिपुरा : त्रिपुरा विधानसभा में राष्ट्रगान पहली बार मार्च 2018 में बजाया गया था।
  • तमिलनाडु : यहाँ एक विशेष परंपरा है, जिसमें राज्यपाल के अभिभाषण से पहले “तमिल थाई वझु” (राज्यगान) बजाया जाता है, और उसके बाद राष्ट्रगान बजाया जाता है। तमिलनाडु में यह परंपरा सन 1991 में शुरू की गई थी। इससे पहले राज्यपाल केवल विधानसभा में प्रवेश करते थे, अपना अभिभाषण देते थे और ऐसी औपचारिक प्रथाओं के बिना ही चले जाते थे।

 

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के बजाने संबंधी निर्णय : 

  • वर्ष 2016 में, सर्वोच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश जारी किया था जिसमें सभी सिनेमाघरों को यह निर्देश दिया गया था कि सिनेमाघरों में  फिल्मों की शुरुआत से पहले राष्ट्रगान बजाएं और दर्शकों को खड़ा होना अनिवार्य हो। सर्वोच्च न्यायालय  के इस आदेश का पालन सिनेमाघरों में किया गया। हालांकि, जनवरी 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने अपना रुख बदलते हुए कहा कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना अब अनिवार्य नहीं रहेगा, बल्कि यह वैकल्पिक होगा।

 

भारत में राष्ट्रगान के सम्मान की रक्षा के लिए उपाय : 

 

  1. संवैधानिक सिद्धांत : भारतीय संविधान की धारा 51(A)(a) के तहत यह कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करे और राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रगान का सम्मान करे।
  2. राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण (PINH) अधिनियम, 1971 : इस अधिनियम में राष्ट्रगान का अपमान करने या इसके उल्लंघन करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है, जिसमें 3 वर्ष तक की सजा, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इसके अलावा, दोषी व्यक्ति को 6 वर्षों तक संसद या राज्य विधानसभाओं के चुनाव में भाग लेने से अयोग्य कर दिया जाता है।
  3. राष्ट्रगान के सम्मान में भारत के गृह मंत्रालय का निर्देश : गृह मंत्रालय ने नागरिक और सैन्य समारोहों, राष्ट्रपति और राज्यपाल के आगमन/प्रस्थान, परेड और अन्य औपचारिक आयोजनों में पूरा राष्ट्रगान बजाने के निर्देश दिए हैं।

 

समाधान की राह : 

 

 

  1. संविधान और कानून के माध्यम से सुनिश्चित किया जाना : भारत का राष्ट्रगान, “जन-गण-मन”, देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। इसे सम्मानित करना भारतीय नागरिकों का संवैधानिक कर्तव्य है, जिसे संविधान और कानून के माध्यम से सुनिश्चित किया जाता है। इसके साथ ही, शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से इसे नागरिकों के बीच और प्रभावी तरीके से स्थापित किया गया है।
  2. संवैधानिक प्रावधान और संविधान का पालन करने के कर्तव्य को सुनिश्चित करना : भारतीय संविधान के धारा 51(A)(a) में यह स्पष्ट किया गया है कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करें। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रगान को लेकर किसी भी प्रकार की अवज्ञा या असम्मान की स्थिति से बचा जाए और हर भारतीय नागरिक इसके महत्व को समझे।
  3. राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण (PINH) अधिनियम, 1971 का पालन सुनिश्चित करना : राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971, राष्ट्रगान के अपमान के खिलाफ एक कड़ा कानून है। यह अधिनियम राष्ट्रगान के अपमान पर सजा का प्रावधान करता है। अपमान करने पर तीन साल तक की सजा, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इस कानून से राष्ट्रगान के सम्मान की रक्षा होती है। इसके साथ ही, यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रगान का अपमान करता है तो उसे 6 साल तक के लिए चुनाव में भाग लेने से अयोग्य भी ठहराया जा सकता है।
  4. शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता : भारत में राष्ट्रगान के सम्मान की रक्षा के लिए शैक्षिक संस्थानों, सरकारी कार्यक्रमों और मीडिया के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। 
  5. सरकारी और औपचारिक समारोहों में राष्ट्रगान बजाने का पालन सुनिश्चित करना : सरकारी और सैन्य समारोहों में राष्ट्रगान का पूर्ण रूप से पालन किया जाता है। राष्ट्रपति और राज्यपाल के आगमन या प्रस्थान के दौरान, नागरिकों और सैनिकों को राष्ट्रगान बजाने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा, राष्ट्रीय सलामी, परेड और अन्य औपचारिक कार्यक्रमों में भी राष्ट्रगान को बजाने का कड़ा आदेश है। ये आयोजन समाज में राष्ट्रगान की महत्ता और सम्मान को और भी अधिक बढ़ाते हैं।
  6. जनसंचार के माध्यमों के द्वारा राष्ट्रगान के महत्व पर चर्चा और जागरूकता अभियान चलाना : मीडिया और फिल्म उद्योग राष्ट्रगान के सम्मान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विभिन्न कार्यक्रमों और फिल्मों के माध्यम से जागरूकता फैलायी जाती है।
  7. राष्ट्रगान के सम्मान की रक्षा के लिए नागरिकों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करना : राष्ट्रगान का सम्मान केवल कानून से नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी से सुनिश्चित होता है। जब नागरिक राष्ट्रगान के प्रति सम्मान दिखाते हैं, तो यह देश के सामूहिक गौरव को मजबूत करता है। अतः राष्ट्रगान के संदर्भ में, समाज के सभी वर्गों को अपनी भूमिका निभाने की आवश्यकता है।

 

निष्कर्ष : 

 

  • भारत में राष्ट्रगान के सम्मान की रक्षा के लिए कानून, संवैधानिक प्रावधान, सरकारी आदेश और शिक्षा सभी मिलकर काम कर रहे हैं। लेकिन, यह केवल कानूनी उपायों तक सीमित नहीं रहना चाहिए; इसे समाज के हर स्तर पर सम्मानित किया जाना चाहिए। राष्ट्रगान न केवल एक गीत है, बल्कि यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम, हमारी पहचान और हमारे राष्ट्र की आत्मा का प्रतीक है। इसके सम्मान की रक्षा करना हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है।

 

स्त्रोत – पीआईबी एवं इंडियन एक्सप्रेस।

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारतीय राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. भारत का राष्ट्रगान “वंदे मातरम” है।
  2. “जन-गण-मन” भारत का राष्ट्रगान है।
  3. “वंदे मातरम” गीत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने लिखा था। 
  4. “जन-गण-मन” रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा सबसे पहले हिन्दी में लिखा गया था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1 और 4 

B. केवल 2 और 3 

C. केवल 2 और 4 

D. केवल 1 और 4 

उत्तर – B

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के महत्व, इतिहास, और इनके सम्मान की रक्षा के लिए उठाए गए कदमों पर चर्चा करें। सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय, राज्य विधानमंडल में इसकी परंपरा और इसके सम्मान के लिए किए गए कानूनी उपायों के बारे में बताते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारतीय नागरिकों की जिम्मेदारी और शिक्षा के माध्यम से राष्ट्रगान के सम्मान को बढ़ावा देने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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