पीएम ई – ड्राइव 2024–26 : भारत में इलेक्ट्रिक ट्रकिंग के लिए एक क्रांतिकारी पहल

पीएम ई – ड्राइव 2024–26 : भारत में इलेक्ट्रिक ट्रकिंग के लिए एक क्रांतिकारी पहल

पाठ्यक्रम – सामान्य अध्ययन – 3 – पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी – पीएम ई-ड्राइव 2024-26: भारत में इलेक्ट्रिक ट्रकिंग के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव

प्रारंभिक परीक्षा के लिए : 

पीएम ई-ड्राइव योजना क्या है?

मुख्य परीक्षा के लिए : 

पीएम ई-ड्राइव योजना के कार्यान्वयन में मुख्य चुनौतियाँ क्या हैं?

 

 

खबरों में क्यों?

 

 

  • हाल ही में भारत सरकार ने पीएम ई-ड्राइव योजना की शुरुआत की है, जो देश में इलेक्ट्रिक ट्रकों को बढ़ावा देने के लिए पहली समर्पित योजना है। इस योजना के लिए कुल ₹500 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है और इसका उद्देश्य 5,600 इलेक्ट्रिक ट्रकों की खरीद को प्रोत्साहन देना है। इन कुल फंडों में से 20% राशि दिल्ली के पंजीकृत ट्रकों के लिए आरक्षित की गई है। 
  • यह योजना 1 अक्टूबर 2024 से 31 मार्च 2026 तक लागू रहेगी और पूर्व की ईएमपीएस-2024 योजना को इसमें समाहित कर दिया गया है। इसके साथ-साथ यह योजना दोपहिया, तिपहिया और कार्गो ई-वाहनों के लिए श्रेणीबद्ध प्रोत्साहनों की भी व्यवस्था करती है। 
  • इस योजना में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक डिजिटल ई-वाउचर प्रणाली शुरू की गई है। साथ ही, यह योजना सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशन बढ़ाने पर भी बल देती है ताकि रेंज एंग्जायटी जैसी समस्याओं को दूर किया जा सके।

 

योजना का मुख्य उद्देश्य : 

 

  1. इलेक्ट्रिक ट्रकों को बढ़ावा देना : पूरे भारत में मालवहन और लॉजिस्टिक क्षेत्रों में वाणिज्यिक इलेक्ट्रिक ट्रकों के बड़े पैमाने पर उपयोग को प्रोत्साहित करना।
  2. डीजल पर निर्भरता कम करना : डीजल आधारित परिवहन पर निर्भरता घटाकर ईंधन आयात और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना।
  3. प्रदूषणकारी वाहनों की स्क्रैपिंग को बढ़ावा देना : पुराने और अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों को हटाने के लिए लाभों को स्क्रैपिंग से जोड़ना।
  4. नेट ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करना : वर्ष 2070 तक भारत के नेट ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करने हेतु स्थायी परिवहन को प्रोत्साहित करना।
  5. शहरी वायु गुणवत्ता सुधार लाना : खासकर दिल्ली जैसे अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता में सुधार लाना।
  6. प्रोत्साहनों के माध्यम से वहनीयता सुनिश्चित करना : प्रोत्साहन के जरिये इलेक्ट्रिक वाहनों को व्यक्तिगत और फ्लीट ऑपरेटरों के लिए किफायती बनाना।
  7. स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देना : ‘मेक इन इंडिया’ के अंतर्गत घरेलू स्तर पर ईवी, मोटर और बैटरी निर्माण को प्रोत्साहित करना।
  8. ईवी इन्फ्रास्ट्रक्चर को सशक्त बनाना : सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों और डिजिटल ई-वाउचर जैसे सहायक ढांचे का विकास करना।

 

योजना की प्रमुख विशेषताएँ : 

 

वित्तीय प्रावधान और योजना की अवधि :

 

  • इस योजना के अंतर्गत ₹500 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है जिससे 5,600 इलेक्ट्रिक ट्रकों को प्रोत्साहन मिलेगा। योजना की समयावधि 1 अक्टूबर 2024 से 31 मार्च 2026 तक है। इसमें से 20% फंड दिल्ली के ट्रकों के लिए आरक्षित हैं।

 

पात्रता मानदंड :

 

  • बैटरी की वारंटी 5 वर्ष या 5 लाख किलोमीटर (जो पहले हो)।
  • वाहन और मोटर की वारंटी 5 वर्ष या 2.5 लाख किलोमीटर।
  • प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए पुराने डीजल ट्रकों की स्क्रैपिंग अनिवार्य है। 

वाहन-वार सब्सिडी संरचना :

 

  • दोपहिया वाहन : पहले वर्ष ₹5,000 प्रति kWh (अधिकतम ₹10,000), दूसरे वर्ष ₹2,500 प्रति kWh (अधिकतम ₹5,000)।
  • तिपहिया वाहन : पहले वर्ष ₹25,000, दूसरे वर्ष ₹12,500।
  • एल5 कार्गो तिपहिया वाहन : पहले वर्ष ₹50,000, दूसरे वर्ष ₹25,000। 

ई-वाउचर प्रणाली :

 

  • एक व्यक्ति एक आधार पर केवल एक वाहन के लिए पात्र होगा।
  • वाहन बिक्री के समय ई-वाउचर स्वतः उत्पन्न होगा।
  • ओईएम को सरकार से प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए यह वाउचर आवश्यक होगा। 

चार्जिंग अवसंरचना :

 

  • सार्वजनिक इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों (EVPCS) को बढ़ावा देना।
  • उच्च ईवी उपयोग वाले शहरों और प्रमुख मालवाहक मार्गों पर विशेष ध्यान देना।
  • रेंज की चिंता को कम कर ईवी अपनाने के वातावरण को मजबूत बनाना।

 

अन्य योजनाओं के साथ एकीकरण : 

 

  1. पूर्ववर्ती योजनाओं का विलय : यह योजना ईएमपीएस-2024 को समाहित करती है जिससे ईवी प्रोत्साहन के प्रयास एकीकृत हो सकें।
  2. फेम योजना के विस्तार : यह योजना FAME I और II को पूरक बनाते हुए इलेक्ट्रिक ट्रकों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिन्हें पहले इसमें शामिल नहीं किया गया था।
  3. एनईएमएमपी के साथ तालमेल : यह योजना राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (NEMMP) के तहत जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लक्ष्य में सहयोग करती है।
  4. स्क्रैपिंग नीति को मजबूत बनाना : पुराने डीजल वाहनों की स्क्रैपिंग को अनिवार्य बनाकर स्क्रैपिंग इकोसिस्टम को सशक्त बनाती है।
  5. ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को समर्थन : देश में ईवी और उसके कलपुर्जों के निर्माण को प्रोत्साहित करती है।
  6. राज्य स्तरीय ईवी नीतियों से समन्वय : यह योजना केंद्र और राज्यों के प्रयासों को समन्वित करती है।
  7. वैश्विक जलवायु प्रतिबद्धताओं में योगदान : यह योजना पेरिस समझौते जैसे वैश्विक जलवायु लक्ष्यों में भारत की भागीदारी को मजबूती प्रदान करती है।

 

योजना का महत्व : 

 

  1. यह मालवाहक परिवहन के लिए पहली इलेक्ट्रिक वाहन योजना है।
  2. यह शहरी प्रदूषण को लक्षित रूप से कम करने का प्रयास करती है।
  3. यह डीजल से स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण को बढ़ावा देती है।
  4. यह घरेलू विनिर्माण और एमएसएमई क्षेत्र को सशक्त बनाती है।
  5. यह ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करती है।
  6. यह उपयोगकर्ताओं के लिए वित्तीय व्यवहार्यता को बढ़ाती है।
  7. यह भविष्य की ईवी नीतियों का ब्लूप्रिंट तैयार करती है।

 

योजना से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ और चिंताएँ : 

 

  1. ₹500 करोड़ का बजट भारत के विशाल मालवाहक क्षेत्र के लिए अपर्याप्त हो सकता है।
  2. सभी वाहन निर्माता 5 वर्ष की वारंटी देने में सक्षम नहीं हो सकते।
  3. चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर अभी भी छोटे शहरों और राजमार्गों पर सीमित है।
  4. छोटे ऑपरेटरों के लिए प्रारंभिक लागत अधिक बनी रहती है।
  5. डिजिटल साक्षरता की कमी के कारण ई-वाउचर प्रणाली सभी तक नहीं पहुंच सकती है।
  6. बैटरी आपूर्ति और कच्चे माल का आयात-निर्भर होना भी एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
  7. जमीनी स्तर पर निगरानी, वितरण और राज्य परिवहन विभागों के साथ समन्वय में कठिनाइयाँ हो सकती हैं।

 

समाधान / आगे की राह : 

 

  1. आने वाले केंद्रीय बजट में वित्तीय सहायता में वृद्धि की जानी चाहिए।
  2. चार्जिंग स्टेशनों में निजी निवेश को प्रोत्साहित करना चाहिए।
  3. योजना को लंबी दूरी और अंतर-राज्यीय परिवहन तक विस्तारित करना चाहिए।
  4. ई-वाउचर प्राप्ति की प्रक्रिया को सरल और समावेशी बनाना चाहिए।
  5. वाहन स्क्रैपिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ करना आवश्यक है।
  6. स्थानीय बैटरी उत्पादन और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना चाहिए।
  7. ओईएम, डीलरों और परिवहन अधिकारियों को प्रशिक्षित करना चाहिए।

 

निष्कर्ष : 

 

  • पीएम ई-ड्राइव योजना भारत की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी क्रांति में एक निर्णायक और दूरदर्शी पहल के रूप में उभर रही है, जो विशेष रूप से वाणिज्यिक और मालवाहक वाहनों को विद्युतीकरण की ओर ले जाने पर केंद्रित है। 
  • यह योजना ई-वाउचर प्रणाली, चरणबद्ध प्रोत्साहन और पूर्ववर्ती योजनाओं के एकीकरण के माध्यम से नीतिगत खामियों, लागत संबंधी बाधाओं और अवसंरचना की कमियों को दूर करने का प्रयास करती है। 
  • इस योजना में यद्यपि सीमित बजट, बैटरी आपूर्ति शृंखला की निर्भरता और चार्जिंग नेटवर्क की अपर्याप्तता जैसे व्यावहारिक अवरोध मौजूद हैं, फिर भी यह योजना भारत को नेट ज़ीरो उत्सर्जन, शहरी वायु गुणवत्ता में सुधार, और ऊर्जा आत्मनिर्भरता जैसे लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु एक मजबूत आधार और दिशा प्रदान करती है। 
  • सरकार के स्तर पर यदि नीति-स्तर पर निरंतर समर्थन, निजी निवेश और व्यापक क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए, तो यह योजना भारत के सतत और स्वच्छ परिवहन भविष्य की आधारशिला बन सकती है।

 

स्त्रोत – पी. आई. बी एवं द हिन्दू। 

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

Q.1. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें : 

  1. यह योजना भारत की पहली समर्पित योजना है जो इलेक्ट्रिक ट्रकों को बढ़ावा देती है।
  2. यह ईएमपीएस-2024 योजना को समाहित करती है।
  3. केवल भारत में निर्मित वाहनों को ही इस योजना के अंतर्गत पात्रता दी गई है।
  4. योजना के अंतर्गत प्रोत्साहनों का लाभ उठाने के लिए पुराने डीजल ट्रकों की स्क्रैपिंग अनिवार्य है।

उपर्युक्त कथनों में से कूट के माध्यम से सही कथन चुनिए।
A. 1, 2 और 3
B. 1, 2 और 4
C. 2 और 3
D. 1 और 4


उत्तर – B

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :  

 

Q.1. पीएम ई-ड्राइव योजना की शुरुआत भारत की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी नीति में एक परिवर्तन को दर्शाती है। स्वच्छ और सतत मालवाहक परिवहन को प्राप्त करने के संदर्भ में इसके उद्देश्यों, प्रमुख विशेषताओं, महत्व और चुनौतियों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

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