पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान

पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारतीय संविधान और शासन व्यवस्था , भारत में कल्याणकारी योजनाएँ , पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान के तीन वर्षीय मुख्य उपलब्धियां , अंतर – मंत्रालयी समन्वय समिति , तकनीकी सलाहकार समिति , निगरानी समिति ’ खंड से संबंधित है। )

 

खबरों में क्यों ?

 

  • हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान के महत्व पर जोर दिया है क्योंकि यह तीन परिवर्तनकारी वर्ष पूरे होने का प्रतीक है। 
  • इस महत्वाकांक्षी पहल का उद्देश्य आर्थिक वृद्धि और विकास को बढ़ावा देते हुए पूरे देश में बुनियादी ढांचे को बढ़ाना और कनेक्टिविटी को व्यवस्थित करना है।

पीएम गति शक्ति : 

  • पीएम गति शक्ति भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है जिसका उद्देश्य बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को बढ़ाना है। 
  • इसमें पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान भी शामिल है, जो 44 केंद्रीय मंत्रालयों और 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के डेटा को एकीकृत करता है, जिससे योजना और निष्पादन को सुव्यवस्थित किया जाता है। 
  • इसके तहत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) प्रमुख क्षेत्रों में डेटा की सटीकता सुनिश्चित करती है। 
  • इस पहल ने 15.39 लाख करोड़ रुपये की 208 प्रमुख परियोजनाओं का मूल्यांकन किया है और तीन आर्थिक गलियारों के तहत प्रमुख परियोजनाओं का आकलन किया है।

 

महत्वपूर्ण तथ्य :

  • इस पहल की शुरुआत 13 अक्टूबर, 2021 को की गई।
  • इसका योजना का मुख्य उद्देश्य एकीकृत बुनियादी ढांचे की योजना और क्रियान्वयन के लिए एक व्यापक ढांचा तैयार करना है।
  • इस योजना के तहत 44 केंद्रीय मंत्रालयों और 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से 1,614 डेटा एकीकृत करना शामिल हैं।
  • इसके तहत 15.39 लाख करोड़ रुपये की 208 प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया है।
  • यह योजना ऊर्जा, खनिज, सीमेंट, उच्च यातायात घनत्व और रेलवे से संबंधित आर्थिक गलियारे परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करता है।

उपलब्धियाँ :

  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने NMP का उपयोग करके 8,891 किलोमीटर से अधिक सड़कों की योजना बनाई।
  • रेल मंत्रालय (एमओआर) ने 27,000 किलोमीटर से अधिक रेलवे लाइनों की योजना बनाई और अंतिम स्थान सर्वेक्षण (एफएलएस) के पूरा होने में तेजी लाई, वित्त वर्ष 2022 में 449 एफएलएस पूरे किए, जबकि वित्त वर्ष 2021 में 57 एफएलएस पूरे किए गए। 
  • पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) ने विस्तृत मार्ग सर्वेक्षण (डीआरएस) को सुव्यवस्थित किया, इलेक्ट्रॉनिक डीआरएस (ईडीआरएस) का उपयोग करके रिपोर्ट निर्माण समय को 6-9 महीने से घटाकर सिर्फ एक दिन कर दिया है।

 

इसमें शामिल क्षेत्र :


परिवहन: रेलवे, सड़कें और बंदरगाह।
ऊर्जा : नवीकरणीय और पारंपरिक ऊर्जा परियोजना।
शहरी विकास : स्मार्ट शहर और शहरी बुनियादी ढांचा।
दूरसंचार : डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार।
सामाजिक अवसंरचना : स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास क्षेत्र।

 

विभिन्न समितियाँ :

  • अंतर-मंत्रालयी समन्वय समिति : यह विभिन्न मंत्रालयों के बीच सहयोग की सुविधा प्रदान करती है।
  • तकनीकी सलाहकार समिति : यह परियोजना नियोजन और क्रियान्वयन पर विशेषज्ञता प्रदान करती है।
  • निगरानी समिति : यह परियोजना के कार्यान्वयन और एसओपी के अनुपालन की निगरानी करती हैं।

 

पीएम गति शक्ति की पिछले तीन वर्षों की मुख्य उपलब्धियाँ :

  • सरकारी स्तर पर विभिन्न मंत्रालयों का एकीकरण : 1,600 से अधिक डेटा स्तरों के साथ 44 केंद्रीय मंत्रालयों और 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को एक एकीकृत मंच पर शामिल किया गया है। एकीकृत नियोजन सिद्धांतों के आधार पर 200 से  अधिक प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया है।
  • सामाजिक क्षेत्र का विकास : स्कूलों और अस्पतालों जैसे बुनियादी ढांचे में अंतराल की पहचान करने के लिए पीएम गति शक्ति को सामाजिक क्षेत्र के मंत्रालयों तक विस्तारित किया गया। स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आदिवासी विकास में बेहतर नियोजन के लिए अनुप्रयोग विकसित किए गए।
  • राज्य मास्टर प्लान : भारत के सभी 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने 533 परियोजनाओं की मानचित्रण  करते हुए पीएम गति शक्ति राज्य मास्टर प्लान (एसएमपी) पोर्टल विकसित किया है। इसके तहत विभिन्न क्षेत्रीय विकास और पूंजी निवेश को सुव्यवस्थित किया गया है।
  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति और व्यापार सुविधा प्रदान करना : लॉजिस्टिक लागत को कम करने और भारत के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (LPI) को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के साथ संरेखित किया गया।
  • सहकारी संघवाद के तहत विभिन्न हितधारकों से जुड़ाव होना : सहकारी संघवाद को बढ़ावा देते हुए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ज्ञान साझा करने के लिए पाँच क्षेत्रीय कार्यशाला आयोजित की गयी।
  • डेटा-संचालित विकास : वास्तविक समय की निगरानी के लिए GIS-आधारित उपकरण लागू किए गए, समय पर परियोजना पूरा करना सुनिश्चित किया गया और इसमें होने वाले देरी को कम किया गया।
  • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण : केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम में एकीकृत पाठ्यक्रमों के साथ 20,000 से अधिक अधिकारियों को पीएम गति शक्ति योजना के तहत प्रशिक्षित किया गया। जिसमें विभिन्न मंत्रालयों और राज्यों के साथ 150 से अधिक इंटरैक्टिव प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए।
  • जिला- स्तर पर जिला मास्टर प्लान (DMP) पोर्टल विकसित करना : जिला स्तर पर सहयोगी योजना के लिए AI और IoT को शामिल करते हुए पीएम गति शक्ति जिला मास्टर प्लान (DMP) पोर्टल विकसित करना सुनिश्चित किया गया।
  • भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विकसित करना : बुनियादी ढांचे की योजना के लिए पीएम गति शक्ति और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों के साथ सहयोग किया गया।

 

राष्ट्रीय रसद नीति की मुख्य विशेषताएं : 

एक कुशल, लागत प्रभावी रसद नेटवर्क बनाने के लिए 17 सितंबर, 2022 को इसे लॉन्च किया गया।

  • राज्य रसद योजनाएँ : 26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी राज्य रसद नीतियों को अधिसूचित करके एनएलपी के साथ गठबंधन किया है।
  • लीड्स सर्वेक्षण : विभिन्न राज्यों में रसद सुगमता (लीड्स) रिपोर्ट के पाँचवें और छठे संस्करण जारी किए गए, जिसमें विभिन्न राज्यों में रसद सुगमता का आकलन किया गया है।
  • यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटीग्रेटेड प्लेटफ़ॉर्म (यूएलआईपी) : इसके तहत 10 मंत्रालयों में 33 रसद-संबंधी प्रणालियों को एकीकृत किया गया, जिससे वास्तविक समय में कार्गो ट्रैकिंग और नवाचार की सुविधा मिली है।
  • लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (एलडीबी) : आरएफआईडी और आईओटी तकनीकों का उपयोग करके कंटेनरीकृत ईएक्सएएम कार्गो के 100% को ट्रैक करने के लिए विकसित किया गया, जो क्लाउड-आधारित विज़ुअलाइज़ेशन प्रदान करता है।
  • एलपीआई सुधार रणनीति : रसद दक्षता बढ़ाने और चुनौतियों का समाधान करने के लिए कई मंत्रालयों को शामिल करते हुए एक समर्पित कार्य योजना को शुरू किया गया है।
  • लॉजिस्टिक्स सुधार के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना तथा वैश्विक स्तर पर सहयोग : लॉजिस्टिक्स सुधार के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए एशियाई विकास बैंक के साथ साझेदारी की गई तथा विश्व बैंक के साथ संपर्क स्थापित किया गया।

 

पीएम गति शक्ति के तहत बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दे :

  • डेटा साझा करने में समस्या उत्पन्न होना : विभिन्न मंत्रालय और राज्य अभी भी डेटा को प्रभावी ढंग से साझा करने के लिए संघर्ष करते हैं, जिससे अक्षमताएँ पैदा होती हैं।
  • प्रशिक्षण को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए आवश्यक कौशल की कमी : हालाँकि भारत में इस पहल के तहत कई प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम मौजूद हैं, लेकिन कई स्थानीय अधिकारियों में परियोजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए आवश्यक कौशल की कमी है।
  • परियोजना में देरी होना : नौकरशाही की चुनौतियाँ और भूमि अधिग्रहण के मुद्दे अक्सर परियोजना की समय सीमा को धीमा कर देते हैं।
  • वित्तीय संसाधन की सीमित सीमाएँ : कई राज्यों को बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए आवश्यक धन हासिल करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
  • क्षेत्रीय स्तर पर असमान विकास होना : बुनियादी ढाँचे में सुधार क्षेत्रों के बीच व्यापक रूप से भिन्न होता है, जिससे कुछ क्षेत्र पीछे रह जाते हैं।
  • स्थायी प्रथाओं और स्थिरता से संबंधित मुद्दे : हरित बुनियादी ढाँचे पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, लेकिन स्थायी प्रथाओं का वास्तविक क्रियान्वयन असंगत है।
  • समन्वय की चुनौतियाँ : केंद्र और राज्य सरकारों, निजी क्षेत्रों और स्थानीय समुदायों के बीच बेहतर सहयोग की आवश्यकता है।
  • परिणामों का प्रभावी ढंग से मूल्यांकन करना : परियोजना की प्रगति को ट्रैक करने और परिणामों का प्रभावी ढंग से मूल्यांकन करने के लिए एक मजबूत ढाँचे की आवश्यकता है।
  • प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में असक्षम होना : यद्यपि जीआईएस जैसे उन्नत उपकरण योजना का हिस्सा हैं, फिर भी कई अधिकारी उन्हें प्रभावी ढंग से उपयोग करने में असक्षम हैं।

 

सतत विकास के लिए समाधान की राह :

  1. एक उन्नत और केंद्रीकृत डेटा-साझाकरण प्लेटफॉर्म विकसित करना : एक केंद्रीकृत डेटा-साझाकरण प्लेटफॉर्म विकसित करें जो सभी मंत्रालयों और राज्यों में डेटा तक निर्बाध एकीकरण और पहुँच की सुविधा प्रदान करे।
  2. लक्षित प्रशिक्षण कार्यक्रम : स्थानीय अधिकारियों और हितधारकों के लिए परियोजना प्रबंधन और प्रौद्योगिकी उपयोग में क्षमता निर्माण के अनुरूप प्रशिक्षण पहलों को लागू करें।
  3. विभागों के बीच समन्वय बढ़ाना तथा सुव्यवस्थित अनुमोदन प्रक्रियाओं को अपनाना : नौकरशाही की प्रक्रियाओं को सरल बनाकर और भूमि अधिग्रहण एवं परियोजना अनुमोदन में तेज़ी लाने के लिए विभागों के बीच समन्वय बढ़ाने की आवश्यकता है।
  4. नवोन्मेषी फंडिंग तंत्र को विकसित करना : निवेश को आकर्षित करने और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए फंडिंग स्रोतों में विविधता लाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और अन्य वित्तीय मॉडल का पता लगाएं।
  5. संतुलित क्षेत्रीय विकास को प्राथमिकता देना : सभी क्षेत्रों में समान विकास और कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए अविकसित क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को प्राथमिकता दें।
  6. स्थिरता दिशा निर्देश और मानक स्थापित करना : पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों और प्रथाओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सभी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए स्पष्ट स्थिरता दिशा निर्देश और मानक स्थापित करने की आवश्यकता है।
  7. स्थानीय समुदायों के बीच नियमित संवाद और साझेदारी को बढ़ावा देना : परियोजनाओं के सामूहिक स्वामित्व को सुनिश्चित करने के लिए सरकारी संस्थाओं, निजी क्षेत्र और स्थानीय समुदायों के बीच नियमित संवाद और साझेदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है।
  8. व्यापक निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली को विकसित करना : परियोजना की प्रगति को ट्रैक करने, चुनौतियों की जल्द पहचान करने और स्थिरता परिणामों को मापने के लिए एक व्यापक निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली बनाएं।
  9. सामुदायिक भागीदारी और समर्थन को प्रोत्साहित करते हुए जन जागरूकता अभियान चलाना : बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लाभों के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए अभियान शुरू करें, सामुदायिक भागीदारी और समर्थन को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
  10. उन्नत और स्मार्ट प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना : बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की वास्तविक समय की निगरानी और प्रबंधन के लिए IoT और AI जैसी स्मार्ट प्रौद्योगिकियों को अपनाने को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

 

निष्कर्ष :

  • पीएम गति शक्ति पहल भारत में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करती है, जिसका उद्देश्य एक निर्बाध और कुशल मल्टीमॉडल परिवहन नेटवर्क बनाना है। विभिन्न मंत्रालयों के प्रयासों को एकीकृत करके और उन्नत तकनीकों का लाभ उठाकर, यह पहल पूरे देश में कनेक्टिविटी बढ़ाने और रसद लागत को कम करने का प्रयास करती है। गति शक्ति संचार पोर्टल राइट ऑफ वे अनुमोदन प्रक्रिया को व्यवस्थित करके, दूरसंचार बुनियादी ढांचे को तेजी से शुरू करके और देश भर में 5 जी सेवाओं की तेजी से तैनाती की सुविधा प्रदान करके इस दृष्टिकोण का समर्थन करता है। इन संयुक्त प्रयासों से, भारत आत्मनिर्भरता के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने की स्थिति में है।

 

स्त्रोत – पीआईबी और द हिन्दू।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q.1. पीएम गति शक्ति के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. पीएम गति शक्ति बुनियादी ढांचे की योजना और क्रियान्वयन को बढ़ाने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और राज्य विभागों को एकीकृत करती है। 
  2. इस पहल का उद्देश्य 2025 तक भारत के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (एलपीआई) में 10 पायदान सुधार करना है। 
  3. पीएम गति शक्ति पहल में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी के प्रावधान शामिल हैं।

ऊपर दिए गए कथनों में से कितने सही हैं?

A. केवल एक

B. केवल दो

C. तीनों

D. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: B

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. भारत के बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को बदलने में पीएम गति शक्ति पहल के महत्व पर चर्चा करें। आर्थिक विकास, क्षेत्रीय विकास और बुनियादी ढांचे की योजना में टिकाऊ प्रथाओं पर इसके संभावित प्रभाव का मूल्यांकन करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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