18 Nov प्रधानमंत्री मोदी की ब्राजील यात्रा : जी 20 सम्मेलन में भारत की अहम भूमिका
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 के अंतर्गत ‘ अंतरराष्ट्रीय संबंध , अंतर्राष्ट्रीय संगठन द्विपक्षीय समूह और समझौते , भारत पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों का प्रभाव ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ G-20 शिखर सम्मेलन , G-20 शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका , जी-20 शिखर सम्मेलन का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला प्रभाव , राष्ट्रमंडल ’ खंड से संबंधित है। )
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में 18 नवंबर को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19वें G-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील के रियो डी जेनेरियो पहुंचे।
- यह शिखर सम्मेलन 18 और 19 नवंबर 2024 को आयोजित किया जा रहा है।
- अपने आगमन के बाद, प्रधानमंत्री ने वैश्विक नेताओं के साथ महत्वपूर्ण चर्चाओं में भाग लेने और सम्मेलन के दौरान उपयोगी विचार-विमर्श में शामिल होने के बारे में अपनी उत्सुकता को व्यक्त किया है।
जी-20 क्या है?
- जी-20 एक अंतरराष्ट्रीय मंच है, जिसमें 19 प्रमुख देशों और यूरोपीय संघ की सरकार तथा केंद्रीय बैंक गवर्नर शामिल हैं।
- इस समूह का उद्देश्य दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाकर आर्थिक नीतियों पर चर्चा करना और वैश्विक समस्याओं का समाधान निकालने के लिए समन्वय स्थापित करना है।
जी-20 की मुख्य विशेषताएँ :
सदस्यता :
- जी-20 में 19 देश और यूरोपीय संघ तथा अफ्रीकी संघ शामिल हैं, जो दुनिया की प्रमुख विकसित और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
जी-20 का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला प्रभाव :
- जी-20 का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर है। यह समूह दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 85%, वैश्विक व्यापार का 75% और वैश्विक जनसंख्या का दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करता है। इसके कारण, जी-20 वैश्विक संकटों जैसे आर्थिक मंदी, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य संकटों और विकास संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए एक प्रमुख मंच बन गया है।
जी-20 की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि :
- जी-20 का गठन 1999 में 1997-98 के एशियाई वित्तीय संकट के बाद हुआ था।
- प्रारंभ में यह केवल वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों के लिए वैश्विक वित्तीय मुद्दों पर चर्चा का एक मंच था।
- वर्ष 2007-2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद जी-20 को इसके सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और उस देश के सरकार के प्रमुखों की वार्षिक बैठक में रूपांतरित कर दिया गया, और इसे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के सबसे महत्वपूर्ण मंच के रूप में स्थापित किया गया।
G 20 शिखर सम्मेलन और उससे संबंधित सम्मेलन :
- जी-20 हर साल एक शिखर सम्मेलन आयोजित करता है, जिसमें सदस्य देशों के नेता प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
- इसके अलावा इसके शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों, केंद्रीय बैंक गवर्नरों और अन्य उच्च अधिकारियों की बैठक पूरे वर्ष भर होती रहती हैं।
- शिखर सम्मेलन की मेज़बानी हर साल आपस में ही घूमते हुए सदस्य देशों के द्वारा की जाती है।
G – 20 समूह द्वारा ध्यान केंद्रित करने वाला मुख्य क्षेत्र :
- आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित करना : इस समूह का एक मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सदस्य देशों के बीच आर्थिक स्थिरता, विकास और व्यापार को प्रोत्साहित करना है।
- पर्यावरणीय एवं जलवायु परिवर्तन से संबंधित संकटों का स्थायी समाधान ढूंढ़ना : G- 20 समूह का मुख्य उद्देश्य पर्यावरणीय संकटों का समाधान ढूंढ़ना और स्थायी उपायों पर चर्चा करना है।
- वैश्विक स्वास्थ्य संकटों का समाधान ढूँढना : यह समूह वैश्विक स्तर पर होने वाले स्वास्थ्य से संबंधित संकटों का समाधान जैसे महामारी (COVID-19) से निपटना और स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने पर अपना ध्यान केंद्रित करता है।
- वैश्विक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध होना : यह समूह अपने कूटनीतिक और आर्थिक नीतियों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने को सुनिश्चित करने पर अपना ध्यान केंद्रित करता है।
- आर्थिक विकास और डिजिटल अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करना : इस समूह का एक उद्देश्य यह भी है कि यह प्रौद्योगिकी और नवाचार को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने पर अपना ध्यान केंद्रित करता है।
- सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करना : यह गरीबी उन्मूलन, शिक्षा और समावेशी विकास के उद्देश्य से सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने पर भी अपना ध्यान केंद्रित करता है।
अध्यक्ष के पद का घूर्णनशील प्रकृति का होना :
- जी-20 की अध्यक्षता इसके सदस्य देशों के बीच घूमती रहती है।
- प्रत्येक वर्ष, अध्यक्षता करने वाला देश शिखर सम्मेलन के लिए एजेंडा निर्धारित करता है और प्रमुख बैठकों की मेजबानी करता है।
- प्रेसीडेंसी ट्रोइका का भी नेतृत्व करती है, जो जी-20 प्रक्रिया में निरंतरता और समन्वय सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान, अतीत और भविष्य की अध्यक्षताओं से मिलकर बना एक समूह है।
G-20 का महत्व :
- वैश्विक स्तर पर आर्थिक नेतृत्व को प्रभावित करना : जी-20 दुनिया की जीडीपी का 85% और वैश्विक व्यापार का 75% हिस्सा प्रतिनिधित्व करता है, जिससे यह विश्व अर्थव्यवस्था और आर्थिक नीतियों को प्रभावी रूप से आकार देता है।
- वैश्विक स्तर पर संकट प्रबंधन का समाधान करना : यह वैश्विक संकटों जैसे 2008 के वित्तीय संकट और COVID-19 महामारी के दौरान समन्वित प्रतिक्रियाओं की दिशा तय करता है, जिससे वैश्विक आर्थिक स्थिति को स्थिर रखने में मदद मिलती है।
- समावेशी विकास पर पर ध्यान केंद्रित करना : G-20 गरीबी उन्मूलन, रोजगार सृजन और आर्थिक समावेश पर ध्यान केंद्रित करता है, खासकर विकासशील देशों के लिए, ताकि उन्हें भी वैश्विक अर्थव्यवस्था से लाभ मिल सके।
- सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में समर्थन देना : यह हरित विकास और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आर्थिक नीतियों को सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ जोड़ने का समर्थन करता है, जिससे पर्यावरणीय और सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित हो।
- वैश्विक व्यापार और निवेश प्रवाह को प्रोत्साहित करना : G-20 मुक्त और खुले बाजारों की वकालत करता है, व्यापार बाधाओं को कम करने का प्रयास करता है और वैश्विक व्यापार और निवेश प्रवाह को प्रोत्साहित करता है।
- बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना : यह वैश्विक आर्थिक नीतियों, वित्तीय स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय शासन सुधारों पर सहयोग को बढ़ावा देता है, जिससे देशों के बीच समन्वय और साझा लक्ष्य तय होते हैं।
- वैश्विक मानकों और वैश्विक नीति की रूपरेखा को तय करना : G-20 समूह कराधान, कॉर्पोरेट प्रशासन और डिजिटल अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण वैश्विक नीति की रूपरेखा को तय करता है, जो दुनिया भर में नीति निर्धारण को प्रभावित करती हैं।
- वैश्विक सुरक्षा और शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना : यह वैश्विक सुरक्षा, स्वास्थ्य और भू-राजनीतिक चुनौतियों पर चर्चा करता है, और शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है।
G-20 शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका :
- समावेशी विकास और आर्थिक सशक्तिकरण के पक्ष में आवाज उठाना : भारत एक प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में वैश्विक दक्षिण का प्रतिनिधित्व करता है और विकासशील देशों के लिए समावेशी विकास और आर्थिक सशक्तिकरण के पक्ष में आवाज उठाता है।
- जलवायु कार्रवाई और हरित विकास को बढ़ावा देना : भारत पर्यावरण के लिए जीवनशैली (LIFE) जैसे अग्रणी अभियानों के माध्यम से, भारत जलवायु कार्रवाई और हरित विकास को बढ़ावा देता है, जो सतत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
- भारत द्वारा समावेशी विकास का समर्थन करना : भारत गरीबी उन्मूलन, लैंगिक समानता, रोजगार सृजन और वित्तीय समावेशन जैसे मुद्दों पर जोर देता है, ताकि विशेष रूप से विकासशील देशों को समृद्धि के लाभ मिल सकें।
- भारत द्वारा डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देना : भारत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक समाधान प्रस्तुत करता है, जिससे वित्तीय समावेशन और डिजिटल विकास को प्रोत्साहन मिलता है।
- भारत द्वारा वैश्विक स्वास्थ्य और चुनौतियों में अग्रणी भूमिका निभाना : भारत ने महामारी प्रतिक्रिया, वैक्सीनेशन अभियान और वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों में अग्रणी भूमिका निभाई है, इसके साथ ही शांति और बहुपक्षवाद की मजबूती के लिए भी काम किया है।
- भारत द्वारा वैश्विक शासन को और अधिक समावेशी और निष्पक्ष बनाने के लिए आह्वान करना : भारत वैश्विक संस्थाओं को और अधिक समावेशी और निष्पक्ष बनाने के लिए आह्वान करता है, विशेषकर IMF और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं में सुधारों के पक्ष में है।
- भारत द्वारा G-20 प्रेसीडेंसी का वर्ष 2023 में नेतृत्व करना : भारत की अध्यक्षता में “वसुधैव कुटुम्बकम” (एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य) का संदेश दिया गया, जो सतत विकास, समावेशी विकास, जलवायु वित्त और महिला सशक्तिकरण जैसे प्रमुख मुद्दों पर केंद्रित था।
आगे की राह :
- प्रवर्तन तंत्र को को जवाबदेह बनाने हेतु ठोस तंत्र स्थापित करना : G -20 समूह देशों द्वारा जलवायु परिवर्तन से संबंधित, व्यापार और वित्तीय प्रतिबद्धताओं के पालन के लिए सदस्य देशों को जवाबदेह बनाने हेतु ठोस तंत्र स्थापित किया जाए।
- समावेशिता सुनिश्चित करना : इस समूह द्वारा विकसित और विकासशील देशों के बीच समान प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देना और गैर-सदस्यों के लिए परामर्श प्रक्रिया को शामिल करना चाहिए।
- हरित नीतियों को व्यापार ढांचे के साथ मिलाकर सतत आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना : इसे वैश्विक स्तर पर हरित नीतियों को व्यापार ढांचे के साथ मिलाकर सतत आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना चाहिए।
- बेहतर समन्वय स्थापित करना : इस समूह को अतिरेक से बचने और समन्वित नीति निर्धारण सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख वैश्विक संस्थाओं जैसे संयुक्त राष्ट्र और IMF के साथ अधिक सक्रिय सहयोग करना चाहिए।
- डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना : इसे विकासशील देशों के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे का विकास और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना चाहिए।
- एजेंडा का विस्तार सुनिश्चित करना : वैश्विक स्वास्थ्य, सुरक्षा और शांति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जी-20 के एजेंडे को अर्थव्यवस्था से परे विस्तारित करने को सुनिश्चित करना चाहिए।
- कूटनीति को मजबूत करना : भू-राजनीतिक संवाद और संघर्ष समाधान के लिए जी-20 को एक प्रमुख मंच के रूप में उपयोग करना चाहिए।
- हरित विकास को बढ़ावा देना : G -20 समूह को जलवायु वित्त को बढ़ाकर और टिकाऊ प्रौद्योगिकियों का समर्थन करके समावेशी विकास को बढ़ावा देना चाहिए।
निष्कर्ष :
- G-20 वैश्विक स्तर पर आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन इस समूह को किसी भी प्रकार के बाध्यकारी प्राधिकरण के नहीं होने की कमी, भू-राजनीतिक तनाव और असमान प्रतिनिधित्व जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- अतः इन चुनौतियों के समाधान के लिए, G-20 समूह को एक मजबूत और जिम्मेदार प्रवर्तन तंत्र को स्थापित करना चाहिए तथा सभी सदस्य देशों की समावेशिता को सुनिश्चित करना चाहिए।
- इस समूह को वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से संबंधित और व्यापार नीतियों को संरेखित करना चाहिए।
- इसे स्वास्थ्य, सुरक्षा और डिजिटल समावेशन को शामिल करने के लिए अपने मुख्य उद्देश्य के क्षेत्र का विस्तार भी करना चाहिए।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. G- 20 कॉमन फ्रेमवर्क” के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें (UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2022)
- यह पेरिस क्लब के साथ G20 द्वारा समर्थित एक पहल है।
- यह कम आय वाले देशों को अस्थिर ऋण का समर्थन करने की एक पहल है।
ऊपर दिए गए कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
A. केवल 1
B. केवल 2
C. 1 और 2 दोनों
D. न तो 1 और न ही 2
उत्तर: C
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. G-20 समूह बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के हितों को संतुलित करते हुए छोटे और आर्थिक रूप से कमजोर अर्थव्यवस्था वाले गरीब देशों की चिंताओं का बेहतर ढंग से समाधान कैसे कर सकता है? तर्कसंगत चर्चा कीजिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक -15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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