20 Jan प्रवासी भारतीय दिवस 2025
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ अंतर्राष्ट्रीय संबंध , भारतीय डायस्पोरा , भारत के हितों पर विभिन्न देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव , प्रवासी भारतीयों का विकसित भारत में योगदान एवं उससे संबंधित चुनौतियाँ तथा योजनाएँ ’ खण्ड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ 18वां प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) 2025 , महात्मा गांधी , प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना , भारत को जानो कार्यक्रम , श्री अटल बिहारी वाजपेयी ’ खण्ड से संबंधित है। )
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में भारत के ओडिशा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में 8 से 10 जनवरी 2025 तक 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन 2025 का आयोजन किया गया।
- 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन 2025 का विषय – ‘ विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों का योगदान ‘ है।
- यह सम्मेलन प्रत्येक दो वर्षों में 9 जनवरी को मनाए जाने वाले प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) के तहत आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य भारतीय प्रवासियों द्वारा अपनी मातृभूमि के लिए किए गए महत्वपूर्ण योगदान को प्रकाश में लाना होता है।
18वां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन, 2025 :
- भारत के ओडिशा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में 8 से 10 जनवरी 2025 तक आयोजित 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।
- इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री ने प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस का उद्घाटन किया, जो भारतीय प्रवासियों के लिए एक विशेष पर्यटक ट्रेन है।
- यह ट्रेन भारत के विदेश मंत्रालय की प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना के तहत चलाई जा रही है।
- इसके अतिरिक्त, गुजरात के मांडवी और ओमान के मस्कट के बीच प्रवास करने वाले व्यक्तियों के दुर्लभ दस्तावेजों की प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया।
- प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता से पूर्व भारत से भेजे गए गिरमिटिया मजदूरों के महत्व को भी रेखांकित किया, जिन्हें फिजी, त्रिनिदाद, टोबैगो और मॉरीशस जैसे देशों में काम करने के लिए भेजा गया था।
- प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में इन गिरमिटिया मजदूरों के बारे में एक विस्तृत डाटाबेस बनाने का सुझाव भी दिया गया।
प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार (PBSA) :
- प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार (PBSA), जो प्रवासी भारतीयों के योगदान को सम्मानित करने हेतु प्रदान किया जाता है, इस सम्मेलन का एक प्रमुख आकर्षण था।
- यह पुरस्कार किसी भी अनिवासी भारतीय (NRI), भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) या उनके द्वारा स्थापित संस्थाओं को दिया जाता है, जिन्होंने विदेशों में भारत के उद्देश्यों का समर्थन किया और स्थानीय भारतीय समुदाय के कल्याण की दिशा में कार्य किया है।
प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) :
- प्रवासी भारतीय दिवस, जिसे द्विवार्षिक रूप से मनाया जाता है, महात्मा गांधी के सन 1915 ई. में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने की घटना की याद में मनाया जाता है।
- प्रवासी भारतीय दिवस का मुख्य उद्देश्य भारत के विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान को रेखांकित करना, भारत के बारे में विदेशों में बेहतर समझ विकसित करना और प्रवासी भारतीयों को अपनी मातृभूमि के साथ जुड़ने का एक मंच प्रदान करना है।
- प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन की शुरुआत सन 2003 ई. में हुई थी।
- इस दिवस को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा प्रवासी भारतीयों के योगदान को मान्यता देने और उन्हें एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।
डायस्पोरा और प्रवासी भारतीय समुदाय :
- ‘ डायस्पोरा ’ शब्द ग्रीक शब्द ” डायस्पेरो “ से आया है, जिसका अर्थ होता है – ‘ प्रसार ’। भारतीय डायस्पोरा की शुरुआत गिरमिटिया मजदूरों से हुई, जिन्होंने भारतीय संस्कृति और इसकी पहचान को विभिन्न देशों में फैलाया। समय के साथ, प्रवासी भारतीय समुदाय कई देशों में फैला, जिससे भारतीयों का वैश्विक पहुँच और नेटवर्क अत्यधिक मजबूत हुआ।
प्रवासी भारतीय समुदाय का वर्गीकरण :
- अनिवासी भारतीय (NRI) : ये वे भारतीय नागरिक हैं जो विदेशों में निवास करते हैं। उन्हें NRI माना जाता है यदि वे एक वर्ष में 182 दिनों से कम या पिछले चार वर्षों में 365 दिनों से कम भारत में रहे हों।
- भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) : यह श्रेणी उन विदेशी नागरिकों के लिए है जिनके माता-पिता या दादा-दादी का जन्म भारत में हुआ हो या वे भारतीय नागरिक के जीवनसाथी हों।
- प्रवासी भारतीय नागरिक (OCI) : यह श्रेणी उन विदेशी नागरिकों के लिए है जो भारतीय नागरिकता के पात्र थे या किसी ऐसे क्षेत्र के निवासी थे जो 15 अगस्त 1947 के बाद भारत का हिस्सा बना था।
प्रवासी भारतीयों का भौगोलिक वितरण :
प्रवासी भारतीयों की सबसे बड़ी संख्या विभिन्न देशों में बसी हुई है। उदाहरण के लिए –
- USA : 5,409,062 UK : 1,864,318 संयुक्त अरब अमीरात : 3,568,848 सऊदी अरब : 2,463,509 दक्षिण अफ़्रीका : 1,700,000 कनाडा : 2,875,954 म्याँमार : 2,002,660 मलेशिया : 2,914,127 कुवैत : 995,528 ओमान : 686,635 यह आंकड़े भारतीय प्रवासियों के वैश्विक प्रभाव को दर्शाते हैं, जो भारतीय संस्कृति, अर्थव्यवस्था और समाज के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में उभर कर सामने आए हैं।
विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों की भूमिका :
- समावेशी विकास और भारत के आर्थिक सशक्तीकरण में योगदान : प्रवासी भारतीय अपने धन प्रेषण और निवेश के माध्यम से भारत की आर्थिक वृद्धि में योगदान करते हैं। वे भारतीय व्यवसायों को वैश्विक बाजार से जोड़ने और साझेदारी बढ़ाने के जरिए व्यापारिक पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाते हैं। इस प्रकार, वे वंचित क्षेत्रों को सशक्त करने और भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनाने के उद्देश्य में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए – एक अमेरिकी NRI द्वारा आविष्कृत थोरियम आधारित ईंधन ANEEL को स्वच्छ परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत में लागू किया जा रहा है।
- सीमापार साझेदारी, निवेश और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हुए वैश्विक व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने में योगदान : प्रवासी भारतीय सीमापार साझेदारी, निवेश और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हुए भारत के निर्यात आधार को विस्तारित करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, वे वैश्विक व्यापार में भारत के उत्पादों और सेवाओं की उपस्थिति को मजबूती प्रदान करते हैं।
- उभरते हुए बाजारों में व्यापारिक साझेदारियों का नेतृत्व और नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र का सृजन करने में सहायक : प्रवासी भारतीय उभरते हुए बाजारों में व्यापारिक साझेदारियों का नेतृत्व करते हैं, जिससे आपसी विकास के अवसर उत्पन्न होते हैं। साझा संसाधनों और संयुक्त उद्यमों के माध्यम से भारत को उच्च विकास वाले वैश्विक बाजारों में प्रवेश की गति मिलती है, जो इसके समग्र विकास में सहायक है।
- सतत विकास और वैश्विक नेतृत्व में अहम भूमिका निभाते हुए वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहायक : प्रवासी भारतीय समुदाय पर्यावरणीय प्रयासों और जलवायु परिवर्तन की वकालत करने में सक्रिय भागीदार हो सकता है। इस तरह, वे भारत को सतत विकास और वैश्विक नेतृत्व में अहम भूमिका निभाने में मदद कर सकते हैं। साथ ही, अपने अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव का उपयोग करते हुए वे वैश्विक नीतियों को आकार देने और भारत के विकास लक्ष्यों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने में भी सहायक हो सकते हैं।
- भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रचार करने और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने में सहायक : प्रवासी भारतीय अपने मेज़बान देशों में भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रचार करते हैं, जिससे सांस्कृतिक संबंधों में मजबूती आती है। उदाहरण स्वरूप – अमेरिका के विभिन्न राज्यों में दिवाली को अवकाश के रूप में घोषित करना सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक प्रमुख उदाहरण है।
प्रवासी भारतीयों से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ :
- सांस्कृतिक पहचान और मेज़बान समाज में एकीकरण के बीच संतुलन बनाए रखने में कठिनाई का सामना करना : प्रवासी भारतीयों को अक्सर अपनी सांस्कृतिक पहचान और मेज़बान समाज के साथ एकीकरण के बीच संतुलन बनाए रखने में कठिनाइयाँ होती हैं। इससे उन्हें अलगाव का अनुभव हो सकता है और सांस्कृतिक धरोहर की हानि हो सकती है। कई बार, विभिन्न देशों में सांस्कृतिक मूल्यों के अंतर के कारण संघर्ष भी उत्पन्न होते हैं।
- राजनीतिकरण और धार्मिक भय : पश्चिमी देशों जैसे अमेरिका और यूरोप में हिंदू और सिख समुदायों के खिलाफ राजनीतिकरण और धार्मिक भेदभाव के बढ़ते मामले सामाजिक एकता में रुकावट डालते हैं। यह प्रवासी भारतीयों के सामाजिक समागम और एकीकरण को कठिन बनाता है।
- नागरिकता अधिकार और आव्रजन कानूनों की जटिलताओं का सामना करना : प्रवासी भारतीयों को अक्सर वीज़ा स्थिति, नागरिकता अधिकार और आव्रजन कानूनों की जटिलताएँ प्रवासी भारतीयों के लिए समस्या का कारण बन सकती हैं, विशेष रूप से उन देशों में जहाँ सख्त आव्रजन नीतियाँ लागू हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका में H-1B वीज़ा को लेकर बढ़ती समस्याएँ भारतीय प्रवासियों के लिए नाराजगी का कारण बन रही हैं।
- बैंकिंग समस्याएँ और धन प्रेषण में चुनौतियों का सामना करना : आर्थिक अस्थिरता, विनिमय दर में उतार-चढ़ाव और बैंकिंग समस्याएँ प्रवासी भारतीयों द्वारा भारत में भेजे गए धन की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे उन परिवारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है जो इस सहायता पर निर्भर होते हैं।
प्रवासी भारतीयों के कल्याण के लिए शुरू की गई सरकारी पहलें :
- NRI के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना
- मतदाताओं के लिए ऑनलाइन सेवाएँ
- भारत को जानो कार्यक्रम
- ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड योजना
- भारतीय समुदाय कल्याण कोष (ICWF)
- प्रवासी भारतीय केंद्र
- प्रवासी भारतीयों का भारत विकास फाउंडेशन (IDF-OI)
इन सरकारी पहलों के माध्यम से, प्रवासी भारतीयों की स्थिति को सुधारने और उनके कल्याण को सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है।
समाधान / आगे की राह :
- प्रवासी समुदाय के कानूनी अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक : प्रवासी समुदाय के कानूनी अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि उन्हें मेज़बान देशों में समान अवसर, भेदभाव से सुरक्षा और आव्रजन कानूनों के तहत न्यायपूर्ण व्यवहार प्राप्त हो सके।
- कुशल और सुलभ कांसुलर सेवाओं की अत्यंत आवश्यकता : प्रवासी समुदाय के विभिन्न कानूनी और वित्तीय मुद्दों को हल करने के लिए कुशल और सुलभ कांसुलर सेवाओं की आवश्यकता है। नियमित आउटरीच कार्यक्रम और काउंसलिंग सेवाएँ प्रवासी नागरिकों को अपनी मातृभूमि के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने में मदद कर सकती हैं।
- सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने की जरूरत : सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शिक्षा और सामुदायिक गतिविधियों के माध्यम से प्रवासी और मेज़बान देशों के बीच बेहतर संवाद और समझ का निर्माण किया जा सकता है। विशेष रूप से, जहाँ सांस्कृतिक मतभेदों के कारण संघर्ष उत्पन्न होते हैं, वहाँ एक ऐसा वातावरण तैयार करना आवश्यक है जो विविधता की सराहना और सम्मान करता हो।
- सरल निवेश प्रक्रिया को प्रोत्साहन देने की जरूरत : भारत में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कर राहत, स्टार्टअप्स के लिए वित्तीय सहायता और सरल निवेश प्रक्रियाओं जैसे प्रोत्साहनों की आवश्यकता है। उदाहरण स्वरूप – सीमा-पार भुगतान में UPI जैसी प्रौद्योगिकी का विस्तार करके धन-प्रेषण की प्रक्रिया को और अधिक सुलभ बनाया जा सकता है, जैसा कि सिंगापुर में किया गया है।
- कौशल विकास और ज्ञान हस्तांतरण को बढ़ावा देने की जरूरत : प्रवासी भारतीयों और भारत के बीच प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और शिक्षा के क्षेत्रों में ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है। इससे भारत में कौशल विकास और नवाचार में वृद्धि होगी, जिससे दोनों पक्षों को लाभ होगा।
निष्कर्ष :
- भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ते हुए, वर्ष 2047 के लिए एक साझा दृष्टिकोण का निर्माण करेगा, जिसमें प्रवासी समुदाय की निरंतर और संरचित भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। विकसित भारत के दृष्टिकोण में दीर्घकालिक लक्ष्यों और रोडमैप को शामिल करना अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ – ही – साथ ही युवा प्रवासियों को भी इसमें सक्रिय रूप से शामिल किया जाना चाहिए। युवा भारतीय प्रवासियों के नवीन विचार और वैश्विक अनुभव भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। इन संबंधों को सशक्त बनाने से हम एक विकसित देश के साथ ही समृद्ध और समग्र भविष्य की ओर अग्रसर होंगे। प्रवासी भारतीयों के सहयोग और साझा उद्देश्य के माध्यम से हम वर्ष 2047 तक एक जीवंत और विकसित भारत की दिशा में काम कर सकते हैं।
स्त्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।
Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 20th Jan 2025
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन 2025 के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा भारतीय प्रवासी एक्सप्रेस का उद्घाटन किया गया।
- प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार 2025 मलेशिया के प्रधानमंत्री को दिया गया।
- ओडिशा सरकार द्वारा ‘ भारत को जानो कार्यक्रम ’ प्रवासी भारतीयों के कल्याण के लिए शुरू की गई है।
- इस सम्मेलन में गिरमिटिया मजदूरों पर आधारित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1 और 3
B. केवल 1 और 4
C. केवल 2 और 4
D. इनमें से कोई नहीं।
उत्तर – B
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के उद्देश्य और महत्व एवं प्रवासी भारतीयों के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों और भारत सरकार द्वारा उनके कल्याण के लिए शुरू की गई पहलों का विश्लेषण करते हुए यह चर्चा करें कि प्रवासी भारतीयों के सहयोग से भारत 2047 तक किस प्रकार एक विकसित और समृद्ध राष्ट्र बन सकता है? ( शब्द सीमा- 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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