26 Aug बदलते वैश्विक संबंधों में भारत – यूक्रेन संबंध : मोदी की यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा का महत्व और नई वैश्विक चुनौतियाँ
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ अंतर्राष्ट्रीय संबंध , महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठन और भारत के हित्तों से संबंधित महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संधि और समझौते ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारत – यूक्रेन संबंध , मोदी की यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा, रूस – यूक्रेन संघर्ष , हिंद महासागर में भू-रणनीतिक सहयोग ’ खंड से संबंधित है।
ख़बरों में क्यों?
- हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा की और राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की।
- भारत के प्रधानमंत्री के इस यात्रा को रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत के एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
- 1991 में यूक्रेन की स्वतंत्रता के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है।
- सन 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने यूक्रेन का दौरा किया।
- इस यात्रा का उद्देश्य भारत-यूक्रेन संबंधों को मजबूत करना और रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत की सुसंगत स्थिति को रेखांकित करना था।
- भारत ने हमेशा संवाद और कूटनीति के माध्यम से स्थायी शांति पर जोर दिया है।
भारत – यूक्रेन संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि :
राजनयिक संबंधों की स्थापना :
- सोवियत संघ के विघटन के बाद, भारत ने जनवरी 1992 में यूक्रेन को मान्यता दी और राजनयिक संबंध स्थापित किए।
- मई 1992 में कीव में भारतीय दूतावास खोला गया।
- फरवरी 1993 में यूक्रेन ने दिल्ली में अपना दूतावास खोला।
आर्थिक संबंध :
- 2024 की पहली छमाही में द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा 1.07 बिलियन अमरीकी डॉलर थी।
- 2020 में, भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में यूक्रेन का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य था।
- 2021-22 में द्विपक्षीय व्यापार 386 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।
मुख्य निर्यात और आयात वस्तुएं :
- यूक्रेन से भारत को निर्यात : वनस्पति मूल के वसा और तेल, मक्का, कठोर कोयला।
- भारत से यूक्रेन को निर्यात : फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, रसायन, खाद्य उत्पाद।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु :
- यूक्रेन में कई भारतीय कंपनियों के प्रतिनिधि कार्यालय हैं, जैसे ‘भारतीय दवा निर्माता संघ’।
- इस यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय सहयोग को सुधारना और संबंधों को गहरा करना है।
भारत और यूक्रेन के बीच सहयोग के क्षेत्र :
भू-राजनीतिक सहयोग :
- इतिहास : सन 1971 के भारत – पाकिस्तान युद्ध में सोवियत संघ ने पाकिस्तान के खिलाफ भारत का समर्थन किया था। “हिंदी-रूसी भाई-भाई” का नारा USSR के यूक्रेनी नेता निकिता ख्रुश्चेव ने दिया था।
- उच्च स्तरीय यात्राएं : भारत और यूक्रेन के बीच नियमित उच्च स्तरीय यात्राएं और बातचीत होती रहती हैं।
- रूस-यूक्रेन युद्ध : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच नियमित टेलीफोन संचार होता है।
सैन्य सहयोग :
- सैन्य प्रौद्योगिकी : यूक्रेन भारत को सैन्य प्रौद्योगिकी और उपकरणों का स्रोत रहा है, जैसे R-27 मिसाइलें।
- रक्षा उपकरण निर्यात : रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने यूक्रेन को रक्षा उपकरण निर्यात करना शुरू किया है।
संस्थागत सहयोग :
- ITEC कार्यक्रम: भारत में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम।
- ICCR छात्रवृत्ति: भारतीय संस्थानों में उच्च-स्तरीय पाठ्यक्रम।
- केन्द्रीय हिंदी संस्थान: हिंदी भाषा पाठ्यक्रमों के लिए छात्रवृत्ति।
मानवीय आधार सहायता प्रदान करना :
- सहायता भेजना : भारत ने यूक्रेन को 99.3 टन मानवीय सहायता भेजी है।
- चिकित्सा सहायता : भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों ने 8 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की चिकित्सा सहायता प्रदान की है।
प्रवासी सहयोग :
- स्थानीय भारतीय समुदाय में व्यावसायिक पेशेवर और चिकित्सा के छात्र शामिल हैं। व्यावसायिक पेशेवर मुख्य रूप से विनिर्माण, पैकेजिंग और व्यापार में कार्यरत हैं।
- भारतीय समुदाय ने “इंडिया क्लब” नामक संघ बनाया है जो सांस्कृतिक और खेल कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
सांस्कृतिक सहयोग :
- देश भर में फैले 30 से अधिक यूक्रेनी सांस्कृतिक संघ/समूह भारतीय कला, योग, दर्शन, आयुर्वेद और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं। उदाहरण के लिए योग दिवस और महात्मा गांधी की जयंती मनाना।
- यूक्रेन में भारतीय फिल्मों की शूटिंग : ऑस्कर विजेता गाना “नाटू-नाटू” को यूक्रेन में ही शूट किया गया था।
भारत-यूक्रेन संबंधों में चुनौतियाँ :
द्विपक्षीय व्यापार में गिरावट :
- व्यापार में कमी : रूस-यूक्रेन संकट के कारण भारत-यूक्रेन व्यापार 2021-22 में 39 बिलियन डॉलर से घटकर 2023-24 में 0.71 बिलियन डॉलर हो गया है।
भारत के आयात पर असर :
- आयात में कमी : व्यापार में गिरावट का असर भारत के यूक्रेन से कृषि, मशीन-निर्माण और सैन्य सामान के आयात पर पड़ा है।
- मुद्रास्फीति में वृद्धि : सूरजमुखी तेल की आपूर्ति श्रृंखला पर प्रभाव के कारण देश में मुद्रास्फीति बढ़ गई है।
रूस के साथ भारत के संबंध :
- भू-राजनीतिक संतुलन : रूस के साथ भारत के निरंतर जुड़ाव और मॉस्को की सभी सार्वजनिक आलोचनाओं से बचने के निर्णय के कारण भारत-यूक्रेन भू-राजनीतिक सहयोग की भावना थोड़ी कम हो गई है।
यूक्रेन द्वारा भारत की नीतियों की आलोचना :
- अतीत में, यूक्रेन ने भारत की परमाणु नीति और कश्मीर नीति की आलोचना की है। ये आलोचनाएं भारत-यूक्रेन के द्विपक्षीय एवं पूर्ण संबंधों के निर्माण में एक रुकावट के रूप में कार्य करती रही हैं, जो द्विपक्षीय सहयोग को प्रभावित कर रही हैं।
भारत-यूक्रेन द्विपक्षीय संबंधों के उभरते अवसर :
भारत-यूक्रेन संबंधों के उभरते अवसरों को निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है –
- युद्धोपरांत पुनर्निर्माण के अवसर : यूक्रेन में युद्ध के बाद पुनर्निर्माण प्रक्रिया भारत के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेंगी। भारत की निर्माण कंपनियां और निर्माण सेवाएं यूक्रेन के पुनर्निर्माण कार्यों में सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंध मजबूत हो सकते हैं।
- हिंद महासागर में भू-रणनीतिक सहयोग : हिंद महासागर में यूक्रेन के साथ सैन्य सहयोग भारत के लिए रणनीतिक लाभकारी हो सकता है। यूक्रेन की नवीनतम जलजनित तकनीक, जो रूस के बेहतर काला सागर बेड़े को चुनौती देती है, भारत को हिंद महासागर में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने में सहायता कर सकती है।
- उन्नत रक्षा सहयोग प्राप्त होना : यूक्रेन की रक्षा जरूरतों के चलते भारत को अपने पुराने सोवियत हथियारों को पश्चिमी तकनीक से बदलने का अवसर मिल सकता है। यह सहयोग भारत को अपनी रक्षा क्षमताओं को उन्नत करने और नाटो प्रणालियों की ओर अग्रसर होने में सहायता कर सकता है।
- उत्पादन अड्डों का स्थानांतरण : भारत और यूक्रेन के बीच घनिष्ठ सहयोग, जैसे कि ज़ोर्या-मैशप्रोक्ट की गैस टरबाइन निर्माण कंपनी का भारत में स्थानांतरण, भारत में उद्योग और प्रौद्योगिकी क्षमता को बढ़ा सकता है।
- भारत और यूक्रेन के बीच द्विपक्षीय डिजिटल सहयोग : भारत और यूक्रेन के बीच डिजिटल सहयोग से दोनों देशों के शासन और प्रौद्योगिकी में सुधार हो सकता है। यूक्रेन का DIIA ऐप भारतीय शासन प्रणाली में नवाचार ला सकता है, जबकि भारत की पूर्व इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें यूक्रेन के लिए उपयोगी साबित हो सकती हैं।
- रोजगार सृजन के अवसरों में वृद्धि : यूक्रेन के पुनर्निर्माण कार्य भारत के श्रम बाजार के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान कर सकते हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूक्रेन यात्रा की मुख्य बातें :
- शांति के प्रति भारत का समर्थन को दोहराना : प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के शांति के प्रति समर्थन को दोहराते हुए कहा कि भारत शांति का पक्षधर है और उसकी अहिंसा की परंपरा, जो बुद्ध और गांधी से प्रेरित है, को उजागर किया।
- निर्दोष बच्चों की मृत्यु पर शोक व्यक्त करना : मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रीय इतिहास संग्रहालय में शहीद प्रदर्शनी का दौरा किया और संघर्ष में निर्दोष बच्चों की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया।
- भारत द्वारा यूक्रेन को भीष्म क्यूब्स की भेंट : भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री ने यूक्रेन को चार भीष्म क्यूब्स भेंट किए, जो आपातकालीन चिकित्सा उपचार और सर्जरी के लिए आवश्यक चिकित्सा उपकरण और आपूर्ति से लैस हैं। भीष्म (भारत स्वास्थ्य सहयोग हित और मैत्री पहल) एक मोबाइल अस्पताल है, जिसका उद्देश्य आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना है। यह पहल प्रोजेक्ट आरोग्य मैत्री के तहत शुरू की गई है और इसका उद्देश्य आपातकालीन चिकित्सा देखभाल प्रदान करना है। क्यूब्स को बहु-मोड परिवहन की अनुमति देने वाले मजबूत प्लेटफॉर्म पर स्थापित किया गया है, और ये 20 किलोग्राम तक के वजन के साथ हाथ में उठाए जा सकते हैं। एक क्यूब लगभग 200 आपातकालीन स्थितियों का प्रबंधन कर सकता है और सीमित अवधि के लिए ऊर्जा और ऑक्सीजन उत्पन्न कर सकता है।
- चार ऐतिहासिक समझौतों पर हस्ताक्षर : भारत और यूक्रेन ने कृषि, चिकित्सा, संस्कृति और मानवीय सहायता में सहयोग के लिए चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
भारत के प्रधानमंत्री मोदी की कीव (यूक्रेन) यात्रा का महत्व :
- कूटनीतिक बदलाव : प्रधानमंत्री मोदी की कीव यात्रा भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक बदलाव का प्रतीक है, क्योंकि यह यूक्रेन के साथ पुनः संपर्क स्थापित कर रही है और चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में अपनी स्थिति मजबूत कर रही है।
- यूरोपीय शांति प्रयासों में भूमिका : यूक्रेनी राष्ट्रपति के साथ मोदी की बातचीत यूक्रेन की चिंताओं को समझने और वैश्विक शांति प्रयासों में योगदान देने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।इससे भारत को संघर्ष को सुलझाने में, विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण में, अधिक सक्रिय भागीदार के रूप में स्थान मिलता है।
- कूटनीतिक और सामरिक स्थान : मोदी की यात्रा वैश्विक शक्ति गतिशीलता को आकार देने में, विशेष रूप से यूरोप में, अधिक सक्रिय भूमिका निभाने की भारत की मंशा का संकेत देती है।यह क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव और यूरोपीय सुरक्षा में अपनी भागीदारी के संबंध में अमेरिका के बदलते रुख के विपरीत है।
- भारत-यूक्रेन संबंधों को पुनर्जीवित करना : भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री की इस यात्रा का उद्देश्य यूक्रेन के साथ भारत के संबंधों को बहाल करना और बढ़ाना भी है, जो सोवियत संघ के बाद से उपेक्षित रहे हैं।आर्थिक, रक्षा और सांस्कृतिक सहयोग के साथ-साथ रणनीतिक साझेदारी के प्रति प्रतिबद्धता, दोनों देशों के बीच संबंधों के महत्वपूर्ण नवीनीकरण का प्रतिनिधित्व करती है।
आगे की राह :
- कूटनीतिक संतुलन के स्तर पर कठोर नियम बनाए रखना : भारत को रूस और यूक्रेन, साथ ही चीन और अमेरिका के साथ अपने संबंधों में कूटनीतिक संतुलन बनाए रखना चाहिए। भारत को यूक्रेन के साथ अपने संबंधों को रूस के साथ अपने समीकरणों में बदलाव करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन के साथ रूस के संबंधों का भारत के साथ उसके संबंधों पर कोई प्रत्यक्ष असर नहीं पड़ता है।
- वैश्विक शांति स्थापित करने के लिए भारत को केंद्रीय भूमिका निभाने की जरूरत : भारत को एक शांतिप्रिय और सिद्धांतवादी वैश्विक खिलाड़ी के रूप में अपनी भूमिका को महत्व देना चाहिए। विशेष रूप से, भारत को यूक्रेनी शांति वार्ताओं में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। ऐसा करने से वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं को बहाल करने और विश्व भर में भुखमरी के कारण होने वाली लाखों मौतों को रोकने में मदद मिलेगी।
- भारत को अपने विदेश नीति में गुटनिरपेक्षता की नई परिभाषा का प्रदर्शन करना : भारत को अपने विदेश नीति में गुटनिरपेक्षता की बदली हुई परिभाषा का प्रदर्शन करना चाहिए। यह परिभाषा अब सभी देशों से समान दूरी बनाए रखने से बदलकर सभी देशों के साथ घनिष्ठ और संतुलित संबंध बनाए रखने की ओर अग्रसर हो गई है। भारत को यूक्रेन के साथ अपने संबंधों को गहरा करते हुए रूस के साथ अपने घनिष्ठ सहयोग को बनाए रखना चाहिए।
- भू-राजनीतिक दलदल में रणनीतिक दिशा में एक सटीक संतुलन बनाना : रूस-यूक्रेन संघर्ष ने भारत को एक संवेदनशील स्थिति में डाल दिया है। इस परिदृश्य में, भारत को रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों और पश्चिम के साथ अपनी बढ़ती साझेदारी के बीच एक सटीक संतुलन बनाना होगा। भारत को इस भू-राजनीतिक परिदृश्य में रणनीतिक रूप से सावधानीपूर्वक आगे बढ़ना चाहिए।
स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत और यूक्रेन के द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में निम्नलिखित कथन पर विचार करें:
- भारत 1991 में यूक्रेन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने वाला पहला देश था।
- यूक्रेन-रूस युद्ध से पहले यूक्रेन भारत को सूरजमुखी तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था।
- भारतीय प्रधानमंत्री एकमात्र नेता हैं जिन्होंने दोनों युद्धग्रस्त देशों का दौरा किया।
उपर्युक्त कथनों में से कितने कथन सही हैं?
A. केवल एक
B. केवल दो
C. सभी तीन
D. इनमें से कोई नहीं।
उत्तर: A
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारतीय प्रधानमंत्री ने हाल के दिनों में रूस और यूक्रेन दोनों देशों का दौरा किया है जो भारत की रणनीतिक स्वायत्तता की नीति पर प्रकाश डालता है। इस संबंध में चर्चा कीजिए कि भारत की बदलती वर्तमान विदेश नीति के क्या निहितार्थ हैं? ( शब्द सीमा – 250 अंक -15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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