भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नया वित्तीय समावेशन सूचकांक प्रकाशित

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नया वित्तीय समावेशन सूचकांक प्रकाशित

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास, वित्तीय समावेशन सूचकांक , विकास से संबंधित मुद्दे और रोज़गार , समावेशी विकास और इससे उत्पन्न मुद्दे ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वित्तीय समावेशन सूचकांक का प्रकाशन , वित्तीय समावेशन के लिए भारतीय राष्ट्रीय रणनीति (NSFI) , प्रधानमंत्री जन-धन योजना ( PMJDY ) , बैंकिंग बुनियादी ढांचे का विस्तार ’  खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नया वित्तीय समावेशन सूचकांक प्रकाशित ’  खंड से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ? 

 

 

  • हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मार्च 2024 के लिए वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-सूचकांक) की घोषणा की है। 
  • वित्तीय समावेशन सूचकांक देश भर में वित्तीय समावेशन की सीमा को मापने के लिए एक माप होता है भारत में मार्च 2023 के 60.1 अंक से बढ़कर मार्च 2024 में 64.2 हो गया है। 

 

वित्तीय समावेशन सूचकांक (एफआई-सूचकांक) की ऐतिहासिक प्रगति :  

 

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 17 अगस्त, 2021 को लॉन्च किया गया वित्तीय समावेशन सूचकांक (एफआई-इंडेक्स), देश के कमजोर समूहों के लिए वित्तीय सेवाओं तक पहुंच, समय पर ऋण और सामर्थ्य सुनिश्चित करने की प्रगति को मापने में मदद करता है।

 

वित्तीय समावेशन सूचकांक ( एफआई-सूचकांक ) का उद्देश्य और निर्माण :

 

  • वित्तीय समावेशन सूचकांक में 0 से 100 तक का मूल्य होता है, जिसमें 0 पूर्ण वित्तीय बहिष्करण को दर्शाता है जबकि 100 पूर्ण वित्तीय समावेशन को दर्शाता है। 
  • वित्तीय समावेशन की गहराई को दर्शाने के लिए यह सूचकांक उप-सूचकांकों के योगदान पर आधारित होता है। यह सूचकांक भारत के वित्तीय समावेशन के महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत होता है जो देश के वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
  • यह सूचकांक बैंकिंग, निवेश, बीमा, डाक सेवाओं और पेंशन को शामिल करने वाले 97 संकेतकों पर आधारित होता है। 
  • इसका उद्देश्य वित्तीय समावेशन की गहराई और उपलब्धता को मापने में मदद करना है। 
  • यह सूचकांक बिना किसी आधार वर्ष के निर्मित किया गया है, जो पिछले कई वर्षों में वित्तीय समावेशन की दिशा में सभी हितधारकों के संचयी प्रयासों को दर्शाता है।

 

उप – सूचकांक और उसका मान / भार :

 

  • वित्तीय सेवाओं तक पहुँच के आधार पर : इसमें वित्तीय सेवाओं तक पहुंच की आसानी को मापा जाता है जिसका मान / भार 35% होता है।
  • उपयोग के आधार पर : इसके तहत वित्तीय सेवाओं के उपयोग की सीमा की गहराई को मापने के लिए किया जाता है , जिसका महत्व 45% होता है।
  • वित्तीय सेवाओं की गुणवत्ता के आधार पर : इसमें वित्तीय सेवाओं की गुणवत्ता को मापने के लिए किया जाता है, जिसका महत्व 20% होता है।

 

वित्तीय समावेशन सूचकांक का प्रकाशन :

  • एफआई-सूचकांक ( FI- INDEX) प्रतिवर्ष जुलाई माह में प्रकाशित किया जाता है।

 

वित्तीय समावेशन सूचकांक के संदर्भ में आरबीआई का दृष्टिकोण :

 

  • एफआई-इंडेक्स देश भर में आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण ऋण और सुरक्षा जाल तक देश के कमजोर समूहों या वर्गों तक पहुंच को सुगम बनाकर समावेशी विकास का समर्थन करता है।
  • भारत में आधार और मोबाइल प्रसार के विस्तार होने से डिजिटल पहलों से संवर्धित यह रिपोर्ट वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में भुगतान प्रणालियों की भूमिका को रेखांकित करती है।

 

वित्तीय समावेशन के लिए भारतीय राष्ट्रीय रणनीति (NSFI) :

वित्तीय समावेशन के लिए भारतीय राष्ट्रीय रणनीति (NSFI) का मुख्य उद्देश्य वित्तीय सेवाओं को सभी तक पहुंचाना है। इसके लिए कई पहल किए गए हैं। जो निम्नलिखित है – 

  1. प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) : यह योजना वित्तीय समावेशन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका उद्देश्य वित्तीय सेवाओं को आम लोगों तक सबसे सस्ती और आसानी से पहुंच प्रदान करना है।
  2. बैंकिंग बुनियादी ढांचे का विस्तार : प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत बैंकिंग बुनियादी ढांचे का विस्तार किया गया है। इसमें बीमा और पेंशन योजनाओं को एकीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है।
  3. शैक्षिक फोकस : अनुकूलित मॉड्यूल और विस्तारित साक्षरता केंद्रों का लक्ष्य मार्च 2024 तक राष्ट्रव्यापी कवरेज करना है। इससे वित्तीय साक्षरता में सुधार होगा और आम लोगों को वित्तीय सेवाओं के बारे में जागरूकता बढ़ेगी।
  4. वित्तीय मध्यस्थता की दक्षता में वृद्धि : वित्तीय समावेशन के अभाव में बैंकों की सुविधा से वंचित लोग मजबूरीवश अनौपचारिक बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ने के लिए बाध्य हो जाते हैं। वित्तीय समावेशन के परिणामस्वरूप न केवल उपलब्ध बचत राशि में वृद्धि होती है, बल्कि वित्तीय मध्यस्थता की दक्षता में भी वृद्धि होती है। 
  5. इस तरह की तमाम योजनाएं भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं।

 

समाधान / आगे की राह : 

 

 

  • मार्च 2024 में वित्तीय समावेशन सूचकांक में सुधार होकर 2 हो जाना, भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ाने के लिए चल रहे प्रयासों और प्रगति को उजागर करता है , जिसमें वित्तीय सेवाओं के बढ़ते उपयोग का महत्वपूर्ण योगदान है।
  • एफआई-सूचकांक भारत भर में वित्तीय समावेशन की निगरानी और उसे बढ़ावा देने, रणनीतिक पहलों और व्यापक मूल्यांकन के माध्यम से आर्थिक उत्पादन को सुदृढ़ करने, गरीबी में कमी लाने और लैंगिक सशक्तिकरण में एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करता है।
  • वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय रणनीति (एनएसएफआई) और वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीति (एनएसएफई) वित्तीय साक्षरता, उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ाने और वित्तीय पहुंच का विस्तार करने के लिए समन्वित प्रयासों के लिए एक रोडमैप की रूपरेखा तैयार करती है।
  • ग्रामीण बैंकिंग अवसंरचना के विस्तार और डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने पर निरंतर जोर भारत में व्यापक वित्तीय समावेशन प्राप्त करने में महत्वपूर्ण होगा।
  • यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई), भारत क्यूआर, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) और रुपे कार्ड जैसे डिजिटल नवाचारों ने भारत के खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय लेनदेन में क्रांति ला दी है।
  • जन धन खातों, आधार और मोबाइल फोन (जेएएम ट्रिनिटी) के एकीकरण ने दूर से बैंकिंग सेवाओं तक आसान पहुंच को सक्षम करके वित्तीय समावेशन को और अधिक सुविधाजनक बना दिया है।
  • बैंकिंग अवसंरचना के विस्तार और तमाम प्रगति के बावजूद, अभी भी बैंकिंग अवसंरचना के क्षेत्र में चुनौतियां बनी हुई हैं, जिनमें बैंकिंग सेवाओं का असमान भौगोलिक वितरण और ग्रामीण आबादी के बीच वित्तीय साक्षरता बढ़ाने की आवश्यकता शामिल है।
  • समाज के सभी वर्गों में सतत और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए इन मुद्दों का समाधान करना महत्वपूर्ण है।

 

स्रोत – पीआईबी एवं इंडियन एक्सप्रेस । 

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. वित्तीय समावेशन सूचकांक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. वित्तीय समावेशन सूचकांक 0 से 100 तक के मूल्य का होता है, जिसमें 0 पूर्ण वित्तीय बहिष्करण को जबकि 100 पूर्ण वित्तीय समावेशन को दर्शाता है।
  2. एफआई-सूचकांक ( FI- INDEX) प्रतिवर्ष जुलाई माह में प्रकाशित किया जाता है।
  3. यह सूचकांक बैंकिंग, निवेश, बीमा, डाक सेवाओं और पेंशन को शामिल करने वाले 97 संकेतकों पर आधारित होता है। 
  4. प्रधानमंत्री जन – धन योजना के तहत बीमा और पेंशन योजनाओं को एकीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1, 2 और 3 

B. केवल 2, 3 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं । 

D. उपरोक्त सभी ।

उत्तर – D

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी वित्तीय समावेशन सूचकांक के मुख्य उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि देश भर में व्यापक वित्तीय पहुँच प्राप्त करने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को कैसे बढ़ाया जा सकता है ? (UPSC – 2021 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

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