26 May भारत – अफ्रीका डिजिटल समझौता : शून्य से सशक्तिकरण तक
सामान्य अध्ययन – 2- अंतर्राष्ट्रीय संबंध – भारत – अफ्रीका डिजिटल समझौता : शून्य से सशक्तिकरण तक
प्रारंभिक परीक्षा के लिए :
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), सागर (SAGAR), इंडो-पैसिफिक फ्रेमवर्क, ई-विद्या भारती और ई-आरोग्य भारती (e-VBAB) कार्यक्रम, साहेल और हॉर्न ऑफ अफ्रीका, अफ्रीका में अपनी उपस्थिति बढ़ाने में भारत के सामने कौन सी प्रमुख चुनौतियाँ हैं ?
मुख्य परीक्षा के लिए :
वे मुख्य क्षेत्र कौन से हैं जहाँ भारत और अफ्रीका एक साथ काम करते हैं?
खबरों में क्यों?
- हर वर्ष 25 मई को अफ्रीका दिवस अफ्रीकी एकता संगठन (OAU) की स्थापना की स्मृति में मनाया जाता है, जो बाद में एक अफ्रीकी संघ (AU) में परिवर्तित हुआ। यह दिवस अफ्रीका महाद्वीप के एकीकरण, स्वतंत्रता संघर्ष और सतत विकास की भावना का प्रतीक माना जाता है।
- वर्तमान समय में, अफ़्रीकी संघ की डिजिटल परिवर्तन रणनीति (2020-2030) ने तकनीकी नवाचार को महाद्वीपीय विकास नीति के केंद्र में स्थापित कर दिया है। यह पहल अफ़्रीकी देशों में डिजिटल ढांचे के माध्यम से समावेशी और सतत विकास को प्रोत्साहित करने पर बल देती है।
- हाल ही में भारत की अफ्रीकी महाद्वीप में भूमिका भी अब एक नए रूप में उभर रही है। परंपरागत रूप से अवसंरचनात्मक सहायता, तकनीकी प्रशिक्षण और सॉफ्ट लोन के जरिए सहयोग प्रदान करने वाला भारत अब डिजिटल साझेदारी और सामाजिक नवाचार की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। कम लागत और अधिक प्रभाव वाले तकनीकी समाधानों के माध्यम से भारत अब अफ्रीका के साथ एक अधिक समावेशी, लचीली और प्रौद्योगिकी-आधारित सहयोग नीति को आगे बढ़ा रहा है।
- भारत का यह नया दृष्टिकोण अफ़्रीका के साथ एक तकनीक-प्रधान, लचीला और समावेशी सहयोग मॉडल को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
भारत-अफ्रीका : सहयोग के प्रमुख क्षेत्र :
क्र.सं. | सहयोग का क्षेत्र | मुख्य बातें |
1. | अंकीय प्रौद्योगिकी | इंडिया स्टैक (आधार, यूपीआई), ई-वीबीएबी (दूर-शिक्षा और टेलीमेडिसिन), आईटीईसी के माध्यम से आईटी प्रशिक्षण, हैकथॉन, इनोवेशन हब। |
2. | व्यापार एवं अर्थव्यवस्था | भारत एक शीर्ष अफ्रीकी व्यापारिक साझेदार है; अफ्रीकी एलडीसी के लिए शुल्क मुक्त पहुंच; एमएसएमई और मूल्य श्रृंखला समर्थन। |
3. | शिक्षा एवं क्षमता निर्माण | छात्रवृत्तियाँ (आईटीईसी, आईसीसीआर), व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास, ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म। |
4. | स्वास्थ्य सहयोग | जेनेरिक दवाइयाँ, वैक्सीन मैत्री (कोविड-19 टीके), टेलीमेडिसिन, स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना। |
5. | ऊर्जा एवं जलवायु | आईएसए के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग; सौर पार्क, मिनी ग्रिड, हरित तकनीक, टिकाऊ कृषि। |
6. | कृषि एवं खाद्य सुरक्षा | कृषि तकनीक, सिंचाई तकनीक, जैविक खेती, कृषि व्यवसाय संवर्धन में प्रशिक्षण। |
7. | रक्षा एवं सुरक्षा | समुद्री सुरक्षा, समुद्री डकैती निरोध, रक्षा प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद निरोध, शांति स्थापना। |
8. | बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी | सड़क, बिजली, आईटी पार्क, डिजिटल इंफ्रा के लिए रियायती ऋण; क्षेत्रीय विकास के लिए सागर विजन। |
9. | बहुपक्षीय जुड़ाव | जी-20, संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन में संयुक्त कार्रवाई; जी-20 में अफ्रीकी संघ को समर्थन; वैश्विक शासन प्रणालियों में सुधार। |
हाल की पहलें और महत्वपूर्ण गतिविधियाँ :
- भारत द्वारा अपने सफल डिजिटल नवाचारों का अंतरराष्ट्रीय विस्तार : भारत ने अपने सफल डिजिटल नवाचारों जैसे आधार, यूपीआई, डिजीलॉकर और कोविन को अफ्रीकी देशों के साथ साझा कर, वहां एक समावेशी और सक्षम डिजिटल ढांचा खड़ा करने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
- ई-विद्या भारती और ई-आरोग्य भारती (e-VBAB) कार्यक्रम : यह परियोजना 20 से अधिक अफ्रीकी देशों में दूरस्थ शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रही है। साथ ही, ऑनलाइन पढ़ाई हेतु 20,000 से अधिक छात्रवृत्तियाँ उपलब्ध कराई गई है।
- भारत-अफ्रीका हैकाथॉन : यह पहल दोनों क्षेत्रों के युवाओं को तकनीकी नवाचारों जैसे एआई, फिनटेक, कृषि प्रौद्योगिकी और हेल्थटेक में सहयोग का मंच प्रदान करती है।
- भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITEC) एवं डिजिटल कौशल प्रशिक्षण : भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITEC) के तहत अफ्रीकी प्रतिभागियों को साइबर सुरक्षा, डिजिटल गवर्नेंस और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
- विकासात्मक ऋण सुविधा प्रदान करना : भारत ने डिजिटल अवसंरचना—जैसे आईटी पार्क, ब्रॉडबैंड नेटवर्क और ई-गवर्नेंस परियोजनाओं—की स्थापना हेतु अफ्रीकी देशों को रियायती वित्तीय सहयोग प्रदान किया है।
- ग्लोबल साउथ की आवाज़ सम्मेलन : भारत ने इस मंच के माध्यम से विकासशील देशों के बीच डिजिटल सहयोग, ज्ञान साझाकरण और समावेशी तकनीक के विस्तार की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता जताई है।
- अफ्रीकी संघ की डिजिटल रणनीति के साथ समन्वय : भारत की डिजिटल पहलों को अफ्रीकी संघ की 2020–2030 डिजिटल रूपांतरण नीति के अनुरूप ढाला जा रहा है, जिसमें सार्वभौमिक ब्रॉडबैंड, ई-कॉमर्स और साइबर सुरक्षा पर विशेष जोर है।
- टीकाकरण सहयोग और डिजिटल स्वास्थ्य ढांचा का विस्तार करना : कोविड-19 संकट के दौरान भारत ने टीकों की आपूर्ति के साथ-साथ अफ्रीका में टेलीमेडिसिन और मोबाइल स्वास्थ्य सेवाओं जैसे डिजिटल हेल्थ समाधानों का भी विस्तार किया।
भारत के लिए अफ्रीका का रणनीतिक महत्व :
- भौगोलिक और सामरिक प्रासंगिकता : अफ्रीका, हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित अपने महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के कारण भारत की समुद्री रणनीति और ‘सागर’ (सभी के लिए सुरक्षा और विकास) नीति का अहम हिस्सा है।
- ऊर्जा और खनिज संसाधनों की आपूर्ति : अफ्रीका में उपलब्ध तेल, गैस, यूरेनियम और रणनीतिक खनिज (जैसे कोबाल्ट और लिथियम) भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं और हरित प्रौद्योगिकीय बदलाव में सहायक हैं।
- आर्थिक सहयोग और व्यापार संबंध : अफ्रीका, भारत के व्यापार विस्तार में एक प्रमुख भागीदार है, विशेषकर फार्मास्युटिकल्स, कृषि, आईटी और आधारभूत संरचना जैसे क्षेत्रों में।
- वैश्विक मंचों पर समर्थन करना : अफ्रीकी राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में भारत के लिए समर्थन का एक मजबूत स्रोत हैं, विशेष रूप से यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी हेतु।
- विकास सहयोग एवं भारतीय सांस्कृतिक सॉफ्ट पावर को सुदृढ़ करना : भारत की शिक्षा, स्वास्थ्य और क्षमता निर्माण आधारित सहायता अफ्रीका में लोगों से लोगों के संबंध को प्रगाढ़ बनाती है और भारतीय सॉफ्ट पावर को सुदृढ़ करती है।
- दक्षिण-दक्षिण सहयोग का विस्तार : अफ्रीका, भारत के दक्षिण-दक्षिण सहयोग के दृष्टिकोण में एक मुख्य धुरी है, जहां साझे अनुभवों और डिजिटल पब्लिक गुड्स के माध्यम से परस्पर विकास को बढ़ावा दिया जाता है।
- रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का संतुलन करने में भारत की भूमिका : अफ्रीका में चीन और अन्य वैश्विक शक्तियों की उपस्थिति को संतुलित करने के लिए भारत ने सक्रिय रूप से अपने संबंध मजबूत किए हैं, जिससे वह इस महाद्वीप में रचनात्मक प्रभाव स्थापित कर सके।
अफ्रीका में भारत की भूमिका से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ :
- चीनी प्रभाव की बढ़ती पकड़ : चीन द्वारा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के अंतर्गत अफ्रीकी महाद्वीप में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचागत निवेश और आर्थिक एकीकरण भारत की अपेक्षाकृत सीमित मौजूदगी को दबा देता है, जिससे प्रतिस्पर्धा असंतुलित होती जा रही है।
- वित्तीय संसाधनों की सीमाएँ : भारत की बजटीय बाध्यताएँ उसे चीन, यूरोपीय संघ या खाड़ी देशों जैसी व्यापक आर्थिक सहायता, निवेश और ऋण वितरण क्षमता के समकक्ष खड़ा करने में अड़चन उत्पन्न करती हैं।
- भू – राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का तीव्र होना : अफ्रीका में अमेरिका, रूस, फ्रांस, तुर्की और यूएई जैसी शक्तियों की सक्रिय कूटनीति और निवेश के चलते यह क्षेत्र बहुध्रुवीय प्रतिस्पर्धा का अखाड़ा बनता जा रहा है, जिससे भारत की सापेक्ष स्थिति कमजोर हो सकती है।
- परियोजनाओं के क्रियान्वयन से संबंधित प्रमुख बाधाएँ : भारतीय परियोजनाओं में प्रशासनिक जटिलताएँ, धीमी गति और निष्पादन क्षमता की सीमाएं समयबद्धता और विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं।
- अस्थिर सुरक्षा परिदृश्य : साहेल और हॉर्न ऑफ अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में जारी राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवाद और संघर्ष भारतीय निवेशों व नागरिकों के लिए जोखिम का कारण बनते हैं।
- भारत के निजी क्षेत्र की सीमित भूमिका का होना : सरकारी समर्थन और जोखिम प्रबंधन ढांचे की कमी के कारण भारत का निजी क्षेत्र अफ्रीकी बाजार में गहराई से प्रवेश नहीं कर पा रहा है, जबकि चीनी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने वहां व्यापक जड़ें जमा ली हैं।
- संस्थागत समन्वय की कमी का होना : भारत के पास अभी तक अफ्रीका के लिए कोई समग्र रणनीति या संस्थागत फ्री ट्रेड एग्रीमेंट नहीं है, जिससे अफ्रीकी उप-क्षेत्रीय संगठनों के साथ जुड़ाव सीमित रह जाता है और दीर्घकालिक प्रभाव निर्माण में बाधा आती है।
अफ्रीका के प्रति भारत का भावी दृष्टिकोण :
- डिजिटल साझेदारी का सशक्तिकरण : इंडिया स्टैक (आधार, यूपीआई, डिजीलॉकर आदि) जैसे डिजिटल सार्वजनिक ढांचों के माध्यम से अफ्रीका के समावेशी डिजिटल परिवर्तन और ई-गवर्नेंस को गति देना।
- स्थानीय सशक्तिकरण पर आधारित विकास सहयोग : स्वास्थ्य, शिक्षा एवं कृषि के क्षेत्रों में भारतीय विकास कार्यक्रमों (जैसे ITEC, e-VBAB, रियायती ऋण) को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार सह-निर्माण के मॉडल पर आगे बढ़ाना।
- जनसंपर्क और सांस्कृतिक जुड़ाव को प्रोत्साहन देना : छात्रवृत्तियों, पेशेवर प्रशिक्षण, युवा आदान-प्रदान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से स्थायी सद्भावना और जनस्तरीय जुड़ाव को सुदृढ़ करना।
- दक्षिण-दक्षिण सहयोग में अफ्रीका की केंद्रीय भूमिका : वैश्विक दक्षिण के नेतृत्व में भारत-अफ्रीका साझेदारी को साझा विकास, आपसी सम्मान और टिकाऊ सहयोग के स्तंभ के रूप में मजबूत करना।
- व्यापार एवं निवेश के अवसरों का विविधीकरण : भारत-अफ्रीका मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में कार्य करते हुए एमएसएमई, डिजिटल व्यापार और क्षेत्रीय मूल्य श्रृंखलाओं को एकीकृत करना।
- सुरक्षा और समुद्री सहयोग का विस्तार करना : ‘सागर’ (SAGAR) और इंडो-पैसिफिक फ्रेमवर्क के तहत भारत-अफ्रीका रक्षा, नौसैनिक सुरक्षा और शांति स्थापना सहयोग को सशक्त करना।
- हरित भविष्य के लिए साझेदारी : अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और अन्य बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु-संवेदनशील कृषि और पर्यावरणीय तकनीकों में सहयोग को बढ़ाना।
निष्कर्ष :
- भारत और अफ्रीका के बीच सहयोग की प्रकृति अब एक नए मोड़ पर है, जहां पारंपरिक सहायता और अवसंरचना-आधारित सहभागिता से आगे बढ़कर यह संबंध अब डिजिटल, समावेशी और भावी संभावनाओं पर केंद्रित साझेदारी का रूप ले रहा है। जैसे-जैसे अफ्रीका वैश्विक जनसांख्यिकीय और भू-आर्थिक परिवर्तनों के केंद्र में आ रहा है, भारत अपनी पहचान एक भरोसेमंद, सहभागी और साझा मूल्यों पर आधारित विकास साझेदार के रूप में बना रहा है, जो ऐतिहासिक अनुभवों, दक्षिण-दक्षिण सहयोग की भावना और आपसी सम्मान से पोषित है।
- अफ्रीकी संघ की डिजिटल परिवर्तन रणनीति (2020–2030) भारत के लिए एक ऐसा मंच प्रस्तुत करती है, जहां वह अपने डिजिटल सार्वजनिक उत्पादों, क्षमता निर्माण में दक्षता, और निजी क्षेत्र की नवाचार क्षमता का लाभ उठाकर अफ्रीका के विकास में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
- इस उभरते अवसर के बीच तेज होती वैश्विक प्रतिस्पर्धा के बीच फिर भी, भारत से अपेक्षा करती है कि वह लंबी अवधि की समग्र नीति, वित्तीय प्रतिबद्धताओं में विस्तार, और क्षेत्रीय व महाद्वीपीय अफ्रीकी संस्थाओं के साथ रणनीतिक समन्वय के माध्यम से अपनी उपस्थिति को और अधिक संस्थागत तथा प्रभावशाली बनाए।
- अंततः, भारत-अफ्रीका संबंध अब केवल कूटनीतिक सहयोग नहीं, बल्कि परस्पर सशक्तिकरण की साझेदारी की दिशा में बढ़ रहे हैं, जहां दोनों महाद्वीप एक-दूसरे के भविष्य में सहभागी बन सकते हैं।
स्त्रोत – पी. आई. बी एवं द हिन्दू।
Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 26th May 2025
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. अफ्रीका के साथ भारत के जुड़ाव के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें :
1. ई-वीबीएबी परियोजना का उद्देश्य अफ्रीकी किसानों को जैविक कृषि पद्धतियों पर व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना है।
2. यूपीआई और आधार सहित इंडिया स्टैक को अफ्रीकी देशों को समावेशी डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए पेश किया जा रहा है।
3. भारत अफ्रीकी संघ की डिजिटल परिवर्तन रणनीति (2020-2030) का संस्थापक सदस्य है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
A. केवल 1
B. केवल 2
C. केवल 2 और 3
D. केवल 1 और 3
उत्तर – B
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. चर्चा करें कि भारत की विदेश नीति में अफ्रीका का क्या महत्व है, और भारत-अफ्रीका डिजिटल समझौते की उभरती रूपरेखा क्या संकेत देती है? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
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