भारत-आसियान संबंध : सहयोग और चुनौतियाँ

भारत-आसियान संबंध : सहयोग और चुनौतियाँ

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ अंतर्राष्ट्रीय संबंध , महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठन और भारत के हित्तों से संबंधित महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संधि और समझौते , भारत – आसियान संबंध : सहयोग और चुनौतियाँ ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गतआसियान , 21वां आसियान – भारत शिखर सम्मेलन , 19वां पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन , ‘ माँ के लिए एक पेड़ लगाओ ’ अभियान , जलवायु लचीलापन अभियानखंड से संबंधित है। )

 

खबरों में क्यों ?

 

 

  • हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लिया। 
  • यह सम्मेलन 10 अक्टूबर 2024 को लाओस के वियनतियाने में आयोजित हुआ था, जहां आसियान का वर्तमान अध्यक्ष लाओस था।
  • इस सम्मेलन में आसियान के 10 सदस्य देशों के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, रूस और अमेरिका जैसे आठ (08) महत्वपूर्ण साझेदार देश भी शामिल हुए थे। 
  • इस शिखर सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भारत-आसियान संबंधों को मजबूती प्रदान करना था। 
  • भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-आसियान सहयोग को बढ़ावा देने के लिए 10 सूत्री योजना की घोषणा की और बताया कि भारत एशिया में अपनी महत्वपूर्ण साझेदारियों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • इस वर्ष की शुरुआत में ही, भारत ने मलेशिया और वियतनाम के प्रधानमंत्रियों की मेज़बानी की थी, जबकि भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के कई विदेश मंत्रियों से मुलाकात की थी। 
  • भारत द्वारा शुरू की गई इन प्रयासों ने आसियान क्षेत्र में भारत की स्थिति को और अधिक सुदृढ़ किया है, जिससे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में भारत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

 

आसियान  (Association of Southeast Asian Nations) : 

  • आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संघ) एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 8 अगस्त 1967 को हुई। 
  • इस दिन को आसियान दिवस के रूप में मनाया जाता है। 
  • आसियान का मुख्य उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा और सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना है। 
  • इस महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन का आदर्श वाक्य है –  ” वन विजन, वन आइडेंटिटी, वन कम्युनिटी”। 
  • इसका सचिवालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में स्थित है। 
  • वर्तमान में, आसियान के 10 सदस्य देश हैं: इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया। 
  • आसियान का गठन दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के बीच क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है, जिससे इसके सदस्य देशों के बीच आपसी संबंध मजबूत हों और आपस में विकास की संभावनाएँ बढ़ें।

 

 

भारत-आसियान संबंधों को मजबूत करने के लिए पीएम मोदी की 10 सूत्री योजना :

  1. वर्ष 2025 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष के रूप में घोषित किया जाना : आसियान-भारत पर्यटन वर्ष को 2025 के लिए नामित/ घोषणा करे, जिसमें भारत आसियान के सदस्य देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 5 मिलियन डॉलर आवंटित करेगा।
  2. छात्रवृत्तियों की संख्या को विस्तृत करते हुए दोगुना किया किया जाना : नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रवृत्तियों की संख्या को दोगुना किया जाए और भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों में आसियान छात्रों के लिए नए अनुदान कार्यक्रम शुरू किए जाएं।
  3. एक्ट ईस्ट पॉलिसी के दशक का जन-केंद्रित गतिविधियों के माध्यम से उत्सव मनाया जाना : युवा शिखर सम्मेलन, स्टार्ट-अप फेस्टिवल और हैकाथॉन जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से एक्ट ईस्ट पॉलिसी के दशक का उत्सव मनाया जाए।
  4. महिला वैज्ञानिकों के लिए एक सम्मेलन आयोजित किया जाना : आसियान-भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास निधि के तहत महिला वैज्ञानिकों के लिए एक सम्मेलन आयोजित किया जाए।
  5. स्वास्थ्य लचीलापन ट्रैकर स्थापित किया जाना : आसियान देशों में स्वास्थ्य लचीलापन को बढ़ावा देने के लिए एक नया स्वास्थ्य मंत्री ट्रैकर  स्थापित किया जाए।
  6. ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित कार्यशाला का आयोजन किया जाना : टिकाऊ ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित कार्यशाला का आयोजन किया जाए।
  7. व्यापार समझौते की समीक्षा करना : वर्ष 2025 तक आसियान-भारत व्यापार और वस्तु समझौते की समीक्षा करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की जाए, ताकि आर्थिक क्षमता को और अधिक बढ़ाया जा सके।
  8. आपदा लचीलापन पहलों को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त आर्थिक आवंटन किया जाना : किसी भी तरह की आपदा की स्थिति में आपदा लचीलापन पहलों को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त 5 मिलियन डॉलर आवंटित किए जाएं।
  9. साइबर नीति वार्ता का एक नियमित तंत्र स्थापित किया जाना : डिजिटल और साइबर लचीलेपन को सुदृढ़ करने के लिए आसियान-भारत साइबर नीति वार्ता का एक नियमित तंत्र स्थापित किया जाए।
  10. माँ के लिए एक पेड़ लगाओ अभियान के तहत जलवायु लचीलापन अभियान में सभी आसियान नेताओं की भागेदारी सुनिश्चित करना : वैश्विक स्तर पर जलवायु लचीलापन को बढ़ावा देने के लिए ‘ माँ के लिए एक पेड़ लगाओ ’ अभियान में सभी आसियान नेताओं को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाए।

 

भारत और आसियान देशों के बीच सहयोग के मुख्य क्षेत्र : 

 

भू-राजनीतिक सहयोग : 

  • भारत और आसियान के बीच का जुड़ाव एक बहु-स्तरीय बातचीत प्रक्रिया पर आधारित है। भारत, आसियान के नेतृत्व वाले ढांचे में शामिल है, जिसमें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS), आसियान क्षेत्रीय मंच (ARF), आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (ADMM+) और विस्तारित आसियान समुद्री मंच (EAMF) जैसी नियमित बैठकों में भाग लेता है।

 

भू-रणनीतिक सहयोग : 

  • भारत और आसियान के बीच संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी में विकसित किया गया है, जिसमें विशेष रूप से समुद्री सहयोग पर ध्यान दिया गया है। इसके तहत, विभिन्न सहयोगी परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए आसियान-भारत सहयोग कोष और भारत – आसियान विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास कोष जैसे तंत्र स्थापित किए गए हैं।

 

भू-आर्थिक सहयोग : 

  • व्यापार संबंध : आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार लगभग 70 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँच गया है।
  • वस्तु व्यापार : भारत और आसियान के बीच वस्तु व्यापार अप्रैल 2021-मार्च 2022 में 110.39 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें आसियान को 42.327 बिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात और आसियान से 68.07 बिलियन अमरीकी डॉलर का आयात शामिल है।
  • परामर्श तंत्र : आसियान आर्थिक मंत्री-भारत परामर्श (AEM + भारत) और आसियान-भारत व्यापार परिषद (AIBC) भारत और आसियान क्षेत्र के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
  • निवेश पहल : 2000-2019 के बीच, आसियान से भारत में संचयी FDI $117.88 बिलियन रहा, जिसमें मुख्य रूप से सिंगापुर का योगदान ($115 बिलियन) है।

 

कनेक्टिविटी सहयोग : 

  • भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान मल्टीमॉडल परियोजना, जो भारत और आसियान देशों के बीच परिवहन संपर्क में सुधार लाने के लिए स्थापित की गई हैं। पूर्वोत्तर भारत तक पहुँच बढ़ाने के उद्देश्य से भारत और आसियान देशों के बीच परिवहन संपर्क में सुधार करना है।

 

सांस्कृतिक और सामाजिक सहयोग :

 

  • शैक्षिक आदान-प्रदान : भारतीय संस्थानों में आसियान छात्रों के लिए छात्रवृत्तियाँ और विभिन्न सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करते हैं।
  • क्षमता निर्माण : भारत और आसियान के बीच सहयोगात्मक प्रयासों में विभिन्न क्षेत्रों में क्षमता निर्माण शामिल है, जिससे सामाजिक विकास कार्यक्रमों में युवाओं और महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा मिलता है। अतः भारत और आसियान देशों के बीच सहयोग के क्षेत्र विभिन्न स्तरों पर विस्तृत हैं, जो दोनों पक्षों के लिए रणनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं।

भारत-आसियान संबंधों के बीच की मुख्य चुनौतियाँ : 

 

  • भू-राजनीतिक चिंताएँ : भारत-आसियान संबंधों में एक प्रमुख चिंता अमेरिका-चीन संघर्ष का तीव्र होना और बीजिंग के साथ भारत की बढ़ती समस्याएँ हैं। इसके अलावा, हाल ही में पुनर्जीवित क्वाड में भारत की सदस्यता ने क्षेत्र में और चिंताएँ उत्पन्न की हैं।
  • भू-रणनीतिक चुनौतियाँ : दक्षिण चीन सागर विवाद जैसे क्षेत्रीय विवादों में आसियान सदस्य देशों का उलझना भारत के लिए चुनौती है, क्योंकि यह स्थिरता को बढ़ावा देते हुए इन विवादों को निपटाना चाहता है।

 

आर्थिक चिंताएँ : 

 

  • भारत का क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) से बाहर निकलना : भारत का क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) से बाहर निकलने का निर्णय आसियान के सदस्य देशों में निराशा पैदा करता है।
  • बढ़ता व्यापार असंतुलन : भारत और आसियान के बीच व्यापार घाटा बढ़ रहा है, और चीन सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। कार्यान्वयन और गैर-टैरिफ बाधाएँ व्यापार में प्रगति में रुकावट डालती हैं।
  • कनेक्टिविटी परियोजनाओं का धीमा कार्यान्वय : भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना में धीमी प्रगति, खासकर चीन की बेल्ट एंड रोड पहल की तुलना में, चिंता का विषय है।
  • व्यापार और निवेश संबंधी बाधाएँ : जटिल सीमा शुल्क प्रक्रियाएँ और असंगत विनियम भारत-आसियान के बीच व्यापार और निवेश में बाधा डालती हैं।
  • आंतरिक विभाजन : म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद आसियान के सदस्यों के बीच भिन्न प्रतिक्रियाएँ आई हैं, जिससे सामूहिक कार्रवाई जटिल हो गई है। यह भारत के लिए क्षेत्रीय स्थिरता और लोकतांत्रिक बहाली की नीतियों को आसियान के साथ संरेखित करना मुश्किल बना देता है। इन चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है ताकि भारत-आसियान संबंधों में सुधार हो सके और सहयोग की संभावनाएँ बढ़ाई जा सकें।

 

आगे की राह : 

 

 

  1. भू-राजनीतिक चिंताओं का निवारण : भारत को आसियान के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे में अपने समर्थन को पुनः स्पष्ट करना चाहिए। दिल्ली के प्रयासों ने कुछ हद तक सफलता पाई है, जिससे क्षेत्र में अधिक रक्षा और सुरक्षा सहयोग के लिए संभावनाएँ खुली हैं।
  2. उन्नत विनिर्माण जैसे नए और उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना : भारत को डिजिटलीकरण, स्वास्थ्य, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और उन्नत विनिर्माण जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर देना चाहिए ताकि क्षेत्रीय संबंध मजबूत हों।
  3. सेमीकंडक्टर कूटनीति का विस्तार करना : भारत की ‘सेमीकंडक्टर कूटनीति’ को, विशेषकर मलेशिया और सिंगापुर के साथ, अन्य आसियान सदस्य देशों में भी बढ़ाना चाहिए, जहां सेमीकंडक्टर उत्पादन की महत्वपूर्ण क्षमताएँ मौजूद हैं।
  4. प्रमुख कनेक्टिविटी परियोजनाओं का तेजी से निर्माण से व्यापार और जनसंपर्क में वृद्धि होना : भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान मल्टीमॉडल परियोजना जैसी प्रमुख कनेक्टिविटी परियोजनाओं में तेजी लाने से व्यापार और जनसंपर्क में वृद्धि होगी।
  5. आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के दायरे और प्रभावशीलता का विस्तार करना : आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के दायरे और प्रभावशीलता का विस्तार व्यापार असंतुलन को दूर करने और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने में सहायक हो सकता है।
  6. इन उपायों के माध्यम से भारत और आसियान के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक ठोस आधार तैयार किया जा सकता है, जिससे दोनों पक्षों के लिए लाभकारी संबंध स्थापित होंगे।

 

स्त्रोत – पीआईबी एवं इंडियन एक्सप्रेस। 

 

Download plutus ias current affairs Hindi med 14th Oct 2024

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत-आसियान संबंधों के सहयोग के पहलुओं को दर्शाते हैं?

  1. भारत और आसियान के बीच मुक्त व्यापार समझौता स्थापित किया गया है।
  2. आसियान देशों ने भारत के साथ सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने का निर्णय लिया है।
  3. भारत और आसियान देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  4. भारत ने आसियान देशों में सैन्य अभ्यास शुरू किए हैं।

नीचे दिए गए कूट के माध्यम से सही उत्तर का चुनाव करें।

A. केवल 1, 2 और 3

B. केवल 2 , 3 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं। 

D. उपरोक्त सभी।

उत्तर – A

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत और आसियान देशों के बीच व्यापार और निवेश के संबंधों के विकास के मुख्य कारण क्या हैं और इनमें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? चर्चा कीजिए कि भारत-आसियान संबंधों का भविष्य कैसा हो सकता है, और इनमें किन क्षेत्रों में अधिक सहयोग की आवश्यकता है? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

No Comments

Post A Comment