23 Sep भारत-ऑस्ट्रेलिया : एक प्रगतिशील द्विपक्षीय संबंध
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ अंतर्राष्ट्रीय संबंध , महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठन और भारत के हित्तों से संबंधित महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संधि और समझौते , भारत-ऑस्ट्रेलिया : एक प्रगतिशील द्विपक्षीय संबंध ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ आपूर्ति श्रृंखला पहल , क्वाड , आरसीईपी , समृद्धि के लिए इंडो – पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) , ईसीटीए मुक्त – व्यापार समझौता , मालाबार अभ्यास और अन्य द्विपक्षीय अभ्यास ’ खंड से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के व्यापार और पर्यटन मंत्री डॉन फैरेल के निमंत्रण पर भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल 23-25 सितंबर, 2024 तक ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर जाएंगे।
- श्री पीयूष गोयल 25 सितंबर, 2024 को एडिलेड में आयोजित होने वाली 19वीं भारत-ऑस्ट्रेलिया संयुक्त मंत्रिस्तरीय आयोग की बैठक में मंत्री फैरेल के साथ सह-अध्यक्षता करेंगे, जिसके दौरान दोनों पक्ष द्विपक्षीय आर्थिक जुड़ाव को और बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य :
- भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ऐतिहासिक संबंध 1788 में ऑस्ट्रेलिया में यूरोपीय लोगों के बसने से शुरू हुए, जब व्यापार का प्रबंधन मुख्य रूप से कोलकाता के माध्यम से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा किया जाता था।
- भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच राजनयिक संबंध भारत की स्वतंत्रता से पूर्व में ही शुरू हुआ , जो सन 1941 में सिडनी में भारत व्यापार कार्यालय की स्थापना से हुई थी। इसने दोनों देशों के बीच औपचारिक जुड़ाव की शुरुआत की, जिसने भविष्य के सहयोग के लिए एक आधार स्तंभ तैयार किया।
- सन 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद ही , ऑस्ट्रेलिया के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित हुए, जो दोनों देशों के बीच के साझा मूल्यों और हितों को दर्शाते हैं।
- सन 1950 में, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने मैत्री और वाणिज्य संधि पर हस्ताक्षर किए, जिससे दोनों देशों के बीच की साझेदारी और मजबूत हुई।
भारत-ऑस्ट्रेलिया संयुक्त मंत्रिस्तरीय आयोग (JMC) :
स्थापना : भारत-ऑस्ट्रेलिया संयुक्त मंत्रिस्तरीय आयोग की स्थापना 1989 में हुई थी।
कार्यक्षेत्र : इसमें भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग से संबंधित विषयों को शामिल किया गया है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय संबंधों का महत्व : द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने और आर्थिक संबंधों में चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय संबंधों में सहयोग के आधार – स्तंभ :
- बहुलतावादी लोकतांत्रिक संबंधों का प्रतिपादक एवं भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच का साझा लोकतांत्रिक मूल्य : दोनों देश बहुलतावादी, वेस्टमिंस्टर शैली के लोकतंत्रों के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो इनके बीच का आपसी सम्मान और एक – दूसरे के प्रति सहयोग की नींव रखते है।
- भारत – ऑस्ट्रेलिया व्यापारिक साझेदारी : भारत ऑस्ट्रेलिया का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2021 में द्विपक्षीय व्यापार 22.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022 में 31.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो 41% की वृद्धि है। ऑस्ट्रेलिया को भारत से निर्यात 38% बढ़कर 8.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि ऑस्ट्रेलिया का भारत को निर्यात 42% बढ़कर 22.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। दोनों देशों के बीच का आर्थिक मुक्त व्यापार समझौता उनके द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है।
- राजनयिक और राजनीतिक सहभागिता : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच विभिन्न स्तरों पर बढ़ती राजनयिक और राजनीतिक सहभागिता वैश्विक मुद्दों पर रणनीतिक सहयोग और समन्वय को बढ़ाती है।
- दोनों देशों के लोगों के बीच का आपसी संबंध : लगभग 3% ऑस्ट्रेलियाई लोगों के पास भारतीय विरासत है, जिसमें भारत में जन्मी आबादी विदेश में जन्मा दूसरा सबसे बड़ा समूह है। भारतीय समुदाय ऑस्ट्रेलिया की गतिशीलता और उद्योग में योगदान करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाता है।
- चीन की हठधर्मिता और विस्तारवादी नीति के प्रति चिंतित : भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों चीन की हठधर्मिता और विस्तारवाद के प्रति चिंतित हैं। कौटिल्य के सिद्धांत के अनुसार, दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है कि अवधारणा यहां भी लागू होती है।
- सांस्कृतिक और खेल संबंध : क्रिकेट और हॉकी जैसे खेलों में साझा रुचि, दोनों देशों के बीच एक अद्वितीय सांस्कृतिक संबंधों को स्थापित करती है, जो सामाजिक जुड़ाव को मजबूत करती है।
- रक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा के क्षेत्र में हुए द्विपक्षीय सहयोग और संयुक्त सैन्य अभ्यासों और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रसद समर्थन के माध्यम से विस्तारित हुआ है, जिसमें ऑसिन्डेक्स, पिच ब्लैक और काकाडू सैन्य अभ्यास शामिल हैं।
- संसाधन एवं ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में मजबूत संबंध : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच महत्वपूर्ण खनिज अन्वेषण और ऊर्जा क्षेत्रों में मजबूत संबंध विकसित हुए हैं, जो आर्थिक सहयोग को और मजबूती प्रदान करते हैं।
- बहुपक्षीय सहयोग : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बहुपक्षीय संबंध क्वाड, आईपीईएफ, और सप्लाई चेन इनिशिएटिव्स (एससीआई) जैसे मंचों पर दोनों देश सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं, जो सामूहिक वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सहायक हैं।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आपसी संबंध : भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही देशों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में औपचारिक सहयोग सन 1986 में शुरू हुआ था जो अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता , नवाचार और अन्य उभरती प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों तक फैल गया है।
भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया का महत्व :
- साझा लोकतांत्रिक मूल्य : ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों लोकतांत्रिक सिद्धांतों को मानते हैं और अपनी साझेदारी को इन्हीं मूल्यों पर आधारित रखते हैं।
- क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने में सहायक : हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में ऑस्ट्रेलिया की भूमिका महत्वपूर्ण है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता बनी रहती है।यह दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को और भी प्रगाढ़ करता है।
- शांति एवं सुरक्षा : दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूती मिलती है।
- हिंद महासागर सहयोग : हिंद महासागर में संयुक्त प्रयासों से स्थिरता और समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है, जो दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है।
- आर्थिक संसाधन : ऑस्ट्रेलिया भारत को खनिज और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान करता है, जो भारत के विकास के लिए आवश्यक हैं।
- ऑस्ट्रेलिया द्वारा विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर भारत के रुख का समर्थन करना : ऑस्ट्रेलिया विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर भारत के रुख का समर्थन करता है, जिससे भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति मजबूत होती है।
- आर्थिक संबंधों और निवेश को बढ़ावा देने में प्रवासी भारतीयों की भूमिका : ऑस्ट्रेलिया में बसे भारतीय प्रवासी भारत के साथ मजबूत आर्थिक संबंधों और निवेश को बढ़ावा देते हैं।
- कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना : दोनों देशों के बीच सहयोगात्मक कौशल विकास पहल भारत की कार्यबल क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करती है।
- आतंकवाद विरोधी सहयोग : भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही देश आतंकवाद से लड़ने और क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करते हैं, जो कि वैश्विक शांति के लिए आवश्यक है। इस प्रकार, ऑस्ट्रेलिया भारत के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है, जो विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और समर्थन प्रदान करता है।
ऑस्ट्रेलिया के लिए भारत का महत्व :
- चीन को संतुलित करना : भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। जिससे क्षेत्रीय स्थिरता बनी रहती है।
- व्यापार में विविधता लाना : ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ संबंधों को मजबूत करके अपनी व्यापार साझेदारी में विविधता लाना चाहता है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिरता बढ़ती है और इससे दोनों देशों के आर्थिक हितों को बढ़ावा मिलता है।
- सुरक्षा सहयोग : सुरक्षा सहयोग के माध्यम से, ऑस्ट्रेलिया और भारत मिलकर प्रमुख क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करते हैं, जो कि आतंकवाद, समुद्री सुरक्षा, और साइबर सुरक्षा जैसी समस्याओं को शामिल करते हैं। सुरक्षा में सहयोगात्मक प्रयास प्रमुख क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करते हैं, जिससे दोनों देशों की सुरक्षा बढ़ती है।
- लघु पक्षीय सहयोग : ऑस्ट्रेलिया और भारत रणनीतिक सहयोग बढ़ाने के लिए लघु पक्षीय व्यवस्था में संलग्न हैं, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर प्रभावी समाधान निकलते हैं।
- बड़े बाजार की संभावनाएँ : भारत ऑस्ट्रेलियाई वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे ऑस्ट्रेलिया की आर्थिक वृद्धि को बल मिलता है।
- साझा लोकतांत्रिक मूल्य : दोनों देश अपनी साझेदारी को मजबूत करते हुए लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कायम रखते हैं, जिससे उनकी आपसी समझ और सहयोग बढ़ता है।
- क्षेत्रीय स्थिरता : भारत के साथ सहयोग हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता में योगदान देता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूती मिलती है।
- जलवायु परिवर्तन लक्ष्य का समर्थन करना और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करना : नवाचार और प्रौद्योगिकी में संयुक्त प्रयास जलवायु परिवर्तन पहल का समर्थन करते हैं, जिससे पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान होता है। इस प्रकार, भारत ऑस्ट्रेलिया के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है, जो विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और समर्थन प्रदान करता है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करने वाली चुनौतियाँ :
- अप्रयुक्त व्यापार क्षमता : दोनों देशों के बीच व्यापार और वाणिज्य के विस्तार की महत्वपूर्ण संभावनाएं बनी हुई हैं।
- कृषि व्यापार बहिष्करण : हाल के समझौतों ने कुछ कृषि वस्तुओं को मुक्त व्यापार से बाहर कर दिया है, जिससे व्यापक आर्थिक जुड़ाव में बाधा उत्पन्न हुई है।
- प्रवासी भारतीयों पर हमले : ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटनाएं राजनयिक तनाव पैदा करती हैं।
- दोनों देशों की विदेश नीति की प्राथमिकताएँ भिन्न – भिन्न होना : विदेश नीति की प्राथमिकताओं में अंतर विभिन्न मुद्दों पर सहयोग को जटिल बना सकता है।
- ऑकस समझौता : AUKUS समझौते में भारत का बहिष्कार क्षेत्रीय रणनीतिक गतिशीलता के बारे में चिंता पैदा करता है।
- अमेरिका-भारत संबंधों पर निर्भरता : भारत के बारे में अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी पर ऑस्ट्रेलिया की निर्भरता स्वतंत्र जुड़ाव को सीमित कर सकती है।
- विश्व व्यापार संगठन विवाद : विश्व व्यापार संगठन में संघर्ष, जिसमें भारत की सब्सिडी पर ऑस्ट्रेलिया का विरोध भी शामिल है, वह दोनों देशों के बीच के आर्थिक संबंधों में तनाव पैदा करता है।
- हिंद महासागर प्रतियोगिता : हिंद महासागर क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका और प्रतिस्पर्धा से रणनीतिक असहमति उत्पन्न हो सकती है।
- यूएनएससी सुधार : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों पर मतभेद सहयोगात्मक राजनयिक प्रयासों को प्रभावित करते हैं। अतः इन चुनौतियों के समाधान के लिए ठोस रणनीतियों की आवश्यकता है ताकि भारत-ऑस्ट्रेलिया के द्विपक्षीय संबंध मजबूत और स्थायी बने रहें।
आगे की राह :
- बहु-क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाएँ : सहयोग के लिए व्यवसाय, राजनीति, मीडिया, शिक्षा और संस्कृति जैसे प्रमुख क्षेत्रों को लक्षित करे।
- प्रवासी भारतीयों के प्रभाव का लाभ उठाएं : द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं के रूप में ऑस्ट्रेलिया में भारतीय प्रवासियों को पहचानें और सशक्त बनाएं।
- साझा मूल्यों और रुचियों पर जोर दें : हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करें। यह सहयोग को गहरा करने और विभिन्न मुद्दों पर सामूहिक रूप से काम करने में मदद करेगा।
- महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग आपसी सहयोग करना : भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही देश आपस में जल प्रबंधन, स्वच्छ ऊर्जा, आतंकवाद-निरोध और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में आपसी लाभ के लिए सहयोग के अवसरों की पहचान करें। इन क्षेत्रों में संयुक्त प्रयास से स्थायी समाधान विकसित किए जा सकते हैं। इन क्षेत्रों में संयुक्त प्रयास से स्थायी समाधान विकसित किए जा सकते हैं।
- नेतृत्व सहभागिता के माध्यम से विश्वास को मजबूत करें : भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही देश आपस में विश्वास और आपसी सम्मान को मजबूत करने के लिए नेताओं के बीच उच्च स्तरीय दौरे और संवाद को अनवरत जारी रखें।
- जलवायु परिवर्तन के प्रति सजगता : हिंद महासागर से सटी सीमाओं के कारण, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए दोनों देशों को मिलकर काम करना चाहिए। सामूहिक प्रयासों से स्थायी विकास को सुनिश्चित किया जा सकता है। इसलिए दोनों देश जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम कर सकते हैं और उस पर अच्छा काम कर सकते हैं।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग : ऑस्ट्रेलिया भारत में प्रमुख अनुसंधान संस्थान स्थापित कर सकता है, जिससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इस क्षेत्र में साझा अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। अतः ऑस्ट्रेलिया भी भारत में अपने प्रमुख अनुसंधान संस्थान खोल सकता है।
- भारत की आर्थिक रणनीति का वर्ष 2035 तक का रोडमैप : यह रोडमैप गहन आर्थिक एकीकरण की वकालत करते हुए भारत को ऑस्ट्रेलियाई व्यवसायों के लिए एक महत्वपूर्ण विकास बाजार के रूप में प्रस्तुत करता है। गहन आर्थिक एकीकरण की दिशा में ठोस कदम उठाना अनिवार्य है। इस प्रकार, उपरोक्त बिंदुओं के माध्यम से दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत किया जा सकता है, जिससे विकास, स्थिरता और समृद्धि की नई संभावनाएँ उत्पन्न होंगी।
निष्कर्ष :
- ऑस्ट्रेलिया-भारत संबंध एक मजबूत साझेदारी के रूप में विकसित हो रहा है, जो विश्वास और आपसी समझ पर आधारित है। यह सहयोग विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती हुई बातचीत को प्रोत्साहित करता है, जिसमें ऑस्ट्रेलियाई-भारतीय प्रवासी, व्यापारिक समुदाय, युवा पीढ़ी, और दोनों देशों के नेता शामिल हैं।
- इस रिश्ते का महत्व समय के साथ बढ़ रहा है, और इससे न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिलेगी, बल्कि यह आर्थिक विकास और सहयोग के नए अवसरों को भी खोलेगा।
- ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच यह दूरदर्शी दृष्टिकोण, भविष्य में दोनों देशों के लिए सामरिक और आर्थिक स्थिरता का स्रोत बन सकता है।
- ऑस्ट्रेलिया-भारत संबंध एक नई संभावनाओं की दिशा में अग्रसर है, जो न केवल दो देशों के बीच की मित्रता को बढ़ाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण सहयोग की ओर ले जाएगा।
- ऑस्ट्रेलिया-भारत द्विपक्षीय संबंधों के इस मजबूत साझेदारी के माध्यम से, यह उम्मीद किया जा सकता है कि आने वाले समय में ऑस्ट्रेलिया और भारत एक-दूसरे के साथ मिलकर वैश्विक चुनौतियों का सामना करेंगे और विकास के नए रास्ते खोलेंगे।
स्त्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।
Download plutus ias current affairs Hindi med 23rd Sep 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों निम्नलिखित में से किसके सदस्य हैं?
- जी 20
- आपूर्ति श्रृंखला पहल।
- पूर्वी आर्थिक मंच।
- सार्क।
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी।
नीचे दिए गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनें:
A. केवल दो
B. केवल तीन
C. केवल चार
D. सभी पांच।
उत्तर – A
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. हाल ही में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ईसीटीए) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस संदर्भ में, मुक्त व्यापार समझौतों की विशेषताओं को संक्षिप्त में रेखांकित करते हुए, यह चर्चा कीजिए कि भारत के समग्र आर्थिक विकास के लिए इसका क्या महत्व है? (250 शब्द 15 अंक)
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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