21 Feb भारत-कतर द्विपक्षीय संबंध : मध्य-पूर्व एशिया में एक सशक्त रणनीतिक साझेदारी
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ अंतर्राष्ट्रीय संबंध, भारत-कतर द्विपक्षीय संबंध, भारत और कतर का पारस्परिक महत्त्व, पश्चिम एशिया में भारत की भूमिका, भारत के हितों पर पड़ोसी देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव ’ खण्ड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारत – कतर द्विपक्षीय संबंध, खाड़ी सहयोग परिषद, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, ज़ायर-अल-बहर, तरलीकृत प्राकृतिक गैस ’ खण्ड से संबंधित है। )
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में, कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी 17-18 फरवरी, 2025 को भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए। यह शेख तमीम की भारत की दूसरी यात्रा थी।
- भारत और कतर के बीच सामरिक संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से शेख तमीम ने इस यात्रा में व्यापार, ऊर्जा और निवेश के क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया।
- द्विपक्षीय संबंधों के तहत दोनों देशों ने आपस में अपने व्यापार को दोगुना करके 28 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाने और कतर के निवेश को भारत में बढ़ाने की योजना बनाई है।
इस यात्रा की प्रमुख बातें और महत्वपूर्ण निष्कर्ष :
- सामरिक साझेदारी का विस्तार करना : भारत और कतर ने अपने द्विपक्षीय रिश्तों को सामरिक साझेदारी में परिवर्तित करने का निर्णय लिया, जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों जैसे व्यापार, ऊर्जा, सुरक्षा और निवेश में सहयोग को प्रगति देना है।
- द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य निर्धारित करना : दोनों देशों ने वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 28 बिलियन अमेरिकी डॉलर करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- भारत में कतर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताना : कतर ने भारत में 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया और भविष्य में बुनियादी ढाँचे, नवीकरणीय ऊर्जा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त निवेश करने का आश्वासन दिया है और अपनी प्रतिबद्धता जताई है।
- कराधान समझौता पर आपस में सहमति जताना : दोनों देशों ने आपस में दोहरे कराधान से बचाव के लिए एक संशोधित समझौते पर सहमति जताई है, जिससे दोनों देशों को ही आपसी आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
- मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर आपस में वार्ता होना : मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की संभावना पर चर्चा की गई और भारत तथा खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के बीच इसे लेकर वार्ता जारी है।
- बुनियादी ढाँचा सहयोग और विस्तार पर चर्चा करना : कतर में भारत के UPI प्रणाली और GIFT सिटी के माध्यम से कतर नेशनल बैंक के विस्तार करने पर आपस में विचार किया गया।
- इज़रायल-फिलिस्तीनी मुद्दा : भारत ने इस संघर्ष के समाधान के लिए टू-स्टेट सॉल्यूशन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
भारत के लिए कतर का महत्त्व :
- ऊर्जा सहयोग : कतर भारत के लिए तरलीकृत प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम गैस का प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश है, जो भारत की ऊर्जा आवश्यकता और जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक है।
- सामरिक सहयोग : कतर भारत की लुक वेस्ट पॉलिसी में महत्वपूर्ण साझेदार है, जो GCC देशों के साथ ऊर्जा सुरक्षा और व्यापार बढ़ाने के प्रयासों में मदद करता है।
- भू-राजनीतिक रूप से महत्त्व : कतर की मध्यस्थ भूमिका भारत को अफगानिस्तान और इज़रायल-फिलिस्तीनी संघर्ष जैसे क्षेत्रीय मुद्दों में अप्रत्यक्ष रूप से भागीदार बनने की अनुमति देती है।
- आतंकवाद-रोधी सहयोग : भारत और कतर का खासकर खाड़ी क्षेत्र में, आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा पर आपस में गहरा सहयोग है, जो भारत के कच्चे तेल आयात का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
भारत और कतर के द्विपक्षीय संबंध :
- रक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग : भारत और कतर के बीच रक्षा संबंधों में सामरिक प्रशिक्षण, नौसैनिक अभियानों, द्विवार्षिक समुद्री रक्षा प्रदर्शनी (DIMDEX) और द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास “ज़ाइर-अल-बहर” (Roar of the Sea) जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
- व्यापार के क्षेत्र में आपसी सहयोग : 2023-24 में दोनों देशों के बीच व्यापार 14.08 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जिसमें भारत का निर्यात 1.7 बिलियन और आयात 12.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। कतर भारत को LPG, LNG, रसायन और एल्यूमीनियम का निर्यात करता है, जबकि भारत अनाज, लोहा, इस्पात और वस्त्रों का निर्यात करता है।
- निवेश : कतर में 15,000 से अधिक भारतीय कंपनियाँ कार्यरत हैं और भारतीय फर्मों द्वारा 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया गया है।
- आपस में सांस्कृतिक सहयोग : 2012 में सांस्कृतिक सहयोग समझौते के तहत नियमित सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है। वर्ष 2019 में भारत और कतर के बीच “संस्कृति वर्ष” मनाया गया।
- कतर में भारतीय समुदाय की स्थिति : कतर में 835,000 से अधिक भारतीय रहते हैं, जो वहाँ के सबसे बड़े प्रवासी समुदाय (जनसंख्या का 27%) हैं।
भारत-कतर द्विपक्षीय संबंधों की प्रमुख चुनौतियाँ :
- ऊर्जा निर्भरता और मूल्य अस्थिरता : भारत कतर से LNG और LPG का प्रमुख आयातक है। कतर पर अत्यधिक निर्भरता और ऊर्जा की कीमतों में उतार-चढ़ाव भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।
- व्यापार और निवेश में असंतुलन होना : भारत अधिक आयात करता है, विशेषकर ऊर्जा आयात, और इस कारण व्यापार असंतुलन उत्पन्न होता है। इसके अतिरिक्त, निवेश की मंजूरी में देरी और विनियामक बाधाएँ कतर के निवेश क्षेत्र में चुनौतियाँ उत्पन्न करती हैं।
- भू-राजनीतिक और पश्चिम एशियाई संघर्ष : कतर का ईरान, तुर्की और मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे इस्लामी समूहों से संबंध भारत के हितों के अनुरूप नहीं हो सकते। इज़रायल-फिलिस्तीनी संघर्ष और तालिबान वार्ता में कतर की मध्यस्थता कभी-कभी भारत के रुख से टकराती है।
- सुरक्षा और आतंकवाद संबंधी चिंताएँ : कतर पर कट्टरपंथी समूहों को वित्तपोषित करने का आरोप है, जिससे भारत को सुरक्षा संबंधी चिंताएँ होती हैं। फारस की खाड़ी में क्षेत्रीय तनावों के बीच भारत को अपनी ऊर्जा आपूर्ति को सुरक्षित करने की आवश्यकता है।
- प्रवासी श्रमिकों से जुड़ी समस्याएँ : कतर में भारतीय प्रवासियों के साथ दुर्व्यवहार की रिपोर्टें मिल चुकी हैं, विशेष रूप से निर्माण और सेवा क्षेत्रों में। 2022 फीफा विश्व कप के दौरान प्रवासी श्रमिकों के लिए खराब हालात और वेतन में देरी की समस्याएँ सामने आईं।
- कानूनी और न्यायिक चुनौतियाँ : कतर में भारतीय नागरिकों को धीमी कानूनी प्रक्रियाओं और वीजा प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। भारतीय पेशेवरों के लिए यात्रा और कार्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- FTA और आर्थिक बाधाएँ : भारत और कतर के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर प्रगति धीमी रही है। कतर की संरक्षणवादी नीतियाँ भारतीय कंपनियों के लिए परिचालन में कठिनाई उत्पन्न कर रही हैं।
- सांस्कृतिक और धार्मिक तनाव का उत्पन्न होना : भारत की कुछ नीतियाँ, जैसे CAA, NRC, और हिजाब प्रतिबंध, कतर में आलोचना का कारण बन चुकी हैं। विशेष रूप से 2022 में भारतीय राजनेताओं द्वारा इस्लामी पैगंबर मुहम्मद पर की गई टिप्पणियों के बाद कतर ने विरोध दर्ज कराया था, जिससे धार्मिक तनाव उत्पन्न हुआ और भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया गया था।
भारत-कतर संबंधों को सशक्त बनाने की दिशा में समाधान की राह :
- द्विपक्षीय व्यापार को प्रोत्साहित करना और निवेश में विविधता लाना : व्यापार घाटे को संतुलित करने और कतर से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को आकर्षित करने से एक स्थिर और दीर्घकालिक आर्थिक साझेदारी की नींव रखी जा सकती है। इसके लिए द्विपक्षीय व्यापार को प्रोत्साहित करना और टैरिफ अवरोधों को हटाने के उद्देश्य से भारत और कतर के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को शीघ्रता से आगे बढ़ाना आवश्यक होगा।
- नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाना और मूल्य वार्ता का सुदृढ़ीकरण करने की जरूरत : भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए LNG की अस्थिर कीमतों पर निर्भरता को कम करना जरूरी है। इसके साथ ही, हरित हाइड्रोजन, सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाना होगा।
- रक्षा और समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने की जरूरत : क्षेत्रीय सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए रक्षा संबंधों को और मजबूत किया जाना चाहिए। फारस की खाड़ी में संयुक्त सैन्य अभ्यासों और नौसैनिक सहयोग को बढ़ावा देने से भारत का रणनीतिक प्रभाव क्षेत्र में मजबूत होगा।
- भारतीय प्रवासियों के कल्याण और श्रम अधिकारों में सुधार करने की आवश्यकता : कतर में भारतीय श्रमिकों के कार्यस्थल पर बेहतर परिस्थितियाँ सुनिश्चित करने के लिए श्रम अधिकारों पर सहमति बढ़ानी होगी। 7 लाख से अधिक भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा से भारत की छवि को फायदा होगा और कतर के साथ संबंधों में सकारात्मक माहौल बनेगा।
- डिजिटल और वित्तीय सहयोग के क्षेत्र में एकीकरण और सशक्त करने की जरूरत : डिजिटल और वित्तीय क्षेत्र में एकीकरण से व्यापार की दक्षता में वृद्धि होगी और दोनों देशों के आर्थिक सहयोग को मजबूती मिलेगी। कतर में भारत के डिजिटल भुगतान ढांचे (UPI) का विस्तार करके धन प्रेषण और व्यावसायिक लेन-देन को सुगम बनाना चाहिए। साथ ही, अमेरिकी डॉलर की निर्भरता को कम करने के लिए स्थानीय मुद्रा (INR-QAR) में व्यापार निपटान को बढ़ावा देना जरूरी होगा।
- आपस में सांस्कृतिक और जनसंपर्क संबंधों को प्रगाढ़ करने की जरूरत : सांस्कृतिक कूटनीति और सॉफ्ट पावर का विस्तार भारत और कतर के बीच दीर्घकालिक सहयोग को मजबूत करेगा। “भारत-कतर संस्कृति वर्ष” जैसे सांस्कृतिक आदान-प्रदान, खेल सहयोग और पर्यटन गतिविधियाँ दोनों देशों के बीच लोगों के आपसी संबंधों को सुदृढ़ करेंगी।
- भू-राजनीतिक संवेदनशीलताओं और संकट कूटनीति का प्रबंधन करने की जरूरत : पश्चिम एशिया के संवेदनशील कूटनीतिक मुद्दों पर भारत की भूमिका को और प्रभावी बनाना, जैसे इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष, के बीच तटस्थता बनाए रखना आवश्यक है। सक्रिय और समावेशी विदेश नीति भारत के कूटनीतिक हितों की रक्षा करने में मदद करेगी।
निष्कर्ष :
- कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी की भारत यात्रा, दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। ऊर्जा, व्यापार, और कूटनीतिक सहयोग पर दोनों देशों का ध्यान केंद्रित करना, भविष्य में पारस्परिक लाभकारी संबंधों का निर्माण करेगा और भारत-कतर संबंधों को मजबूती प्रदान करेगा।
स्त्रोत – पी. आई. बी एवं द हिन्दू।
Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 21th Feb 2025
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिए।
- ओमान
- सऊदी अरब
- कुवैत
- ईरान
- भूटान
उपर्युक्त में से कौन ‘खाड़ी सहयोग परिषद’ का सदस्य देश नहीं है ?
A. केवल 1, 2 और 5
B. केवल 2, 3 और 4
C. केवल 2
D. केवल 4
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. पश्चिम एशिया की भू-राजनीतिक जटिलताओं के कारण भारत को अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है। चर्चा कीजिए कि कतर के साथ संबंधों को गहरा करने और अन्य खाड़ी देशों तथा क्षेत्रीय संगठनों के साथ अपने संबंधों को प्रबंधित करने में भारत के समक्ष कौन-कौन सी चुनौतियाँ और अवसर हैं ? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
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