भारत का आगामी अंतरिक्ष मिशन : चंद्रमा और वीनस की ओर

भारत का आगामी अंतरिक्ष मिशन : चंद्रमा और वीनस की ओर

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं से संबंधित जानकारी और जागरूकता , मिशन चंद्रयान 4 और  शुक्र ऑर्बिटर मिशन का महत्व ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ मिशन चंद्रयान- 4 , शुक्र ऑर्बिटर मिशन (VOM) , अंतरिक्ष – प्रौद्योगिकी , भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) , नासा , सीएनईएस (फ्रांस) ’ खंड से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ?

 

  • हाल ही में भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों को मंजूरी दी है, जिनमें चंद्रयान-4 मिशन , वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM), गगनयान, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और नेक्स्टजेन लॉन्च वाहनों का विकास शामिल है।
  • चंद्रयान-4 मिशन जिसकी लागत 2104.06 करोड़ रुपए है और इसका प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा से नमूने वापस लाने और लैंडिंग के लिए तकनीक को विकसित करना है।
  • वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) इस मिशन का लागत बजट 1,236 करोड़ रुपए है और इसे मार्च 2028 में शुक्र ग्रह का अध्ययन करने के लिए लॉन्च किया जाएगा। ये मिशन भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान में बढ़ती क्षमताओं और महत्वाकांक्षाओं को दर्शाते हैं।

 

चंद्रयान-4 मिशन क्या है ?  

 

  • चंद्रयान-4 मिशन भारत का एक महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित किया जा रहा है। 
  • इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्रित कर उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है। 
  • यह भारत के चंद्रयान कार्यक्रम का चौथा मिशन है, जो सन 2003 में शुरू हुआ था।
  • मिशन की कुल लागत 2104.06 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है, जिसमें अंतरिक्ष यान विकास, दो LVM3 लॉन्च, डीप स्पेस नेटवर्क का समर्थन, और विशेष परीक्षण शामिल हैं।

 

मिशन का प्रमुख लक्ष्य और उद्देश्य : 

 

चंद्रयान-4 मिशन के मुख्य उद्देश्य और लक्ष्य निम्नलिखित है – 

  1. चंद्रमा पर उतरने और वापस लौटने के लिए आवश्यक तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करना तथा चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी विकसित करना।
  2. चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरना और नमूने एकत्रित करना और उन नमूनों को पृथ्वी पर सुरक्षित रूप से वापस लाना और उनका विश्लेषण करना।
  • मिशन की लागत और समय सीमा : इस मिशन की कुल लागत ₹2104.06 करोड़ है, जबकि इस मिशन को पूरा करने की अवधि 36 महीने निर्धारित किया गया है।
  • मिशन के प्रक्षेपण और उससे संबंधित तकनीकी विवरण : इस मिशन को दो चरणों में दो LVM3 रॉकेटों के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाएगा। इसमें एसेंडर मॉड्यूल, डिसेंडर मॉड्यूल, प्रोपल्शन मॉड्यूल, ट्रांसफर मॉड्यूल और री-एंट्री मॉड्यूल जैसे विभिन्न मॉड्यूल शामिल होंगे। 
  • उद्योग और शिक्षा जगत की भागीदारी और भारत की भविष्य की योजनाएं : इस मिशन में उद्योग और शिक्षा जगत की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी, जिससे तकनीकी विकास और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा और इसके साथ – ही – साथ चंद्रयान-4 मिशन के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद, भारत चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन भेजने की योजना बना रहा है। यह मिशन न केवल चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्रित करेगा, बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए आवश्यक तकनीकों का भी प्रदर्शन करेगा।अतः चंद्रयान-4 मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

 

वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) : 

 

  • वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) या शुक्र ऑर्बिटर मिशन, जिसे शुक्रयान-1 भी कहा जाता है, इसरो का आगामी मिशन है, जिसका लक्ष्य 2028 में प्रक्षेपण करना है। इस मिशन का उद्देश्य शुक्र ग्रह की सतह, उपसतह और वायुमंडल का अध्ययन करना है ताकि इस ग्रह पर उपस्थित प्राणियों के जीवन से संबंधित  विकास – क्रम को समझा जा सके।
  • लॉन्च करने की समय सीमा और इस मिशन में खर्च का अनुमानित बजट : मार्च 2028 में लॉन्च होने वाला यह मिशन 1,236 करोड़ रुपये के बजट के साथ स्वीकृत हुआ है, जिसमें से 824 करोड़ रुपये अंतरिक्ष यान पर खर्च किए जाएंगे।
  • मिशन की अवधि : इस मिशन की अवधि 4 वर्ष निर्धारित किया गया है।
  • अंतरिक्ष यान का विवरण और कक्षा एवं पेलोड की स्थिति : अंतरिक्ष यान एक अण्डाकार कक्षा में संचालित होगा, जिसकी अपोप्सिस दूरी 60,000 किमी और पेरियाप्सिस दूरी 500 किमी होगी। इसका पेलोड 100 किलोग्राम का है और यह 500 वाट से संचालित होगा।
  • अध्ययन के क्षेत्र : इस मिशन का उद्देश्य शुक्र की सतह, वायुमंडल, ज्वालामुखीय गतिविधि और आयनमंडल के साथ सौर हवा की परस्पर क्रिया का अध्ययन करना है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रौद्योगिकी और सहयोग : इस मिशन के पेलोड और प्रौद्योगिकी के लिए नासा, सीएनईएस (फ्रांस) और रूस के साथ सहयोग स्थापित किया गया है। अतः यह मिशन शुक्र और पृथ्वी के विकास के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करेगा और अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा तथा भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई संभावनाओं का द्वार खोलेगा।

 

इन मिशनों का तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति के क्षेत्र में पड़ने वाला प्रभाव :

  • चंद्रयान-4 मिशन में डॉकिंग, अनडॉकिंग, लैंडिंग, चंद्र नमूना संग्रह और पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी जैसी प्रमुख तकनीकों का प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा, शुक्र मिशन शुक्र के परिवर्तन के बारे में महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देने और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को डेटा प्रदान करने में मदद करेगा।

 

आर्थिक और रोजगार के अवसर प्रदान करने के क्षेत्र में पड़ने वाला प्रभाव :

  • अंतरिक्ष परियोजनाओं में भारतीय उद्योग महत्वपूर्ण रूप से शामिल होंगे, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। ये मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए भारत के बड़े दृष्टिकोण का हिस्सा हैं, जिसमें 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक मानव चंद्रमा पर उतरना शामिल है।

 

सहयोग और भविष्य के लक्ष्य :

  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाले आगामी सभी मिशन, मिशन चंद्रयान-3 की सफलता पर आधारित होंगे, जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता में योगदान देंगे। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विज्ञान कार्यशालाओं के माध्यम से शिक्षाविदों को शामिल करने की योजना बनाई गई है, और चंद्र नमूनों के विश्लेषण के लिए सुविधाएँ स्थापित की जाएंगी, ताकि उन्हें राष्ट्रीय संपत्ति के रूप में स्थापित किया जा सके। 

 

आगे की राह :

  • चंद्रयान-4 मिशन और अन्य अंतरिक्ष मिशनों के माध्यम से, भारत अंतरिक्ष अन्वेषण में अपनी स्थिति को मजबूत करेगा और वैश्विक वैज्ञानिक समुदायों के लिए भी अनुसंधान करने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देगा। 
  • अतः भारत का भविष्य अंतरिक्ष अन्वेषण में मजबूत है, जिसमें नवाचार, शोध, और शिक्षा के लिए निरंतर प्रयास जारी रहेंगे। 
  • इन मिशनों से न केवल तकनीकी उन्नति होगी, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को भी स्थापित और उजागर करेगा।

 

स्त्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q.1. चंद्रयान-4 मिशन का एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक लक्ष्य और वीनस ऑर्बिटर मिशन में शामिल उपकरणों के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

A. मिशन चंद्रयान-4 का लक्ष्य चंद्रमा पर जल की मौजूदगी का पता लगाना है, जबकि वीनस ऑर्बिटर में केवल मैपिंग कैमरा होगा। 

B. मिशन चंद्रयान-4 का लक्ष्य चंद्रमा की भूगर्भीय संरचना का अध्ययन करना है, जबकि वीनस ऑर्बिटर में तापमान मापने वाले सेंसर शामिल होंगे।

C. मिशन चंद्रयान-4 का लक्ष्य चंद्रमा के वातावरण का विश्लेषण करना है, जबकि वीनस ऑर्बिटर में केवल तापमान मापने वाले सेंसर होंगे।

D. मिशन चंद्रयान-4 का लक्ष्य चंद्रमा पर जल की मौजूदगी का पता लगाना है और वीनस ऑर्बिटर में रडार, स्पेक्ट्रोमीटर, और मैपिंग कैमरा शामिल होंगे।

 

उत्तर – D. मिशन चंद्रयान-4 का लक्ष्य चंद्रमा पर जल की मौजूदगी का पता लगाना है और वीनस ऑर्बिटर में रडार, स्पेक्ट्रोमीटर, और मैपिंग कैमरा शामिल होंगे।

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. इसरो के हाल के मिशनों, विशेष रूप से मिशन चंद्रमा 4 और शुक्र पर आगामी मिशन का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए, क्या आपको लगता है कि इस तरह के अंतरिक्ष मिशन भारत के निजी स्पेस सेक्टर को अन्य विकसित देशों की तरह बढ़ावा देंगे? टिप्पणी करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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