21 Mar भारत का धन प्रेषण रिपोर्ट 2024 : भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति और समृद्धि की राह
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास, रुपया आहरण व्यवस्था (RDA), भारत में धन प्रेषण के स्रोत में बदलाव का प्रमुख कारण, संसाधनों का संग्रहण, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान ’ खण्ड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारत का धन प्रेषण रुझान 2024, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) 1999, उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS), खाड़ी सहयोग परिषद ’ खण्ड से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- भारत के धन प्रेषण सर्वेक्षण 2023-24″ के छठे चरण में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है कि विकसित अर्थव्यवस्थाएँ, विशेष रूप से अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम (UK), अब भारत में धन प्रेषण के प्रमुख स्रोत के रूप में खाड़ी देशों से भी आगे निकल गए हैं।
भारत का धन प्रेषण रिपोर्ट 2024 के मुख्य निष्कर्ष :
भारत के धन प्रेषण सर्वेक्षण के छठे दौर के मुख्य निष्कर्ष निम्नलिखित हैं –
- धन प्रेषण के स्रोत : भारत में कुल धन प्रेषण 2010-11 में 55.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 118.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है। वर्ष 2023-24 में, अमेरिका 27.7% हिस्सेदारी के साथ अग्रणी रहा, जबकि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) 19.2% के साथ दूसरे स्थान पर रहा। ब्रिटेन, सिंगापुर, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं का संयुक्त योगदान 50% से अधिक था। ब्रिटेन की हिस्सेदारी 3.4% (2016-17) से बढ़कर 10.8% हो गई, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने 2.3% हिस्सेदारी के साथ एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में अपनी पहचान बनाई।
- खाड़ी देशों का योगदान : खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों का संयुक्त योगदान 38% (2023-24) रहा, जो 2016-17 में 47% था।
- राज्यवार वितरण : महाराष्ट्र 20.5% हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता राज्य बना, इसके बाद केरल (19.7%) का स्थान है। अन्य प्रमुख राज्यों में तमिलनाडु (10.4%), तेलंगाना (8.1%) और कर्नाटक (7.7%) शामिल हैं। पंजाब और हरियाणा में भी धन प्रेषण में वृद्धि देखी गई।
- धन-प्रेषण हस्तांतरण के तरीके : इस रिपोर्ट के अनुसार रुपया आहरण व्यवस्था (RDA) धन प्रेषण के लिए प्रमुख चैनल के रूप में काम कर रही है, इसके बाद प्रत्यक्ष वोस्ट्रो हस्तांतरण और फिनटेक प्लेटफॉर्म का स्थान है। डिजिटल धन प्रेषण में भी वृद्धि हो रही है, और वर्ष 2023-24 में कुल लेनदेन का 73.5% डिजिटल माध्यम से होगा।
भारत में धन प्रेषण के स्रोत में आए बदलाव के प्रमुख कारण :
भारत में धन प्रेषण के स्रोत में आए बदलाव के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
- उन्नत भारतीय उद्योगों में मजबूत रोजगार बाजार का उपलब्ध होना : अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में उच्च वेतन वाली नौकरियाँ विशेष रूप से कुशल भारतीय प्रवासियों के लिए उपलब्ध हैं। कोविड-19 के बाद, अमेरिकी नौकरी बाजार में सुधार हुआ, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय पेशेवरों से धन प्रेषण में वृद्धि हुई।
- यूके-भारत प्रवासन और गतिशीलता भागीदारी (MMP) और कार्य वीजा प्राप्त करने तरीकों का आसान होना : इस साझेदारी के तहत भारतीयों के लिए कार्य वीजा प्राप्त करना आसान हुआ, जिससे 2020 में ब्रिटेन में भारतीय प्रवासियों की संख्या 76,000 से बढ़कर 2023 में 250,000 हो गई।
- कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की आव्रजन प्रणाली के तहत कुशल भारतीय पेशेवरों को प्राथमिकता देना : इन देशों की आव्रजन नीतियाँ कुशल भारतीय पेशेवरों को प्राथमिकता देती हैं, जिससे उच्च वेतन वाली नौकरियाँ प्राप्त होती हैं और धन प्रेषण में वृद्धि होती है।
- GCC देशों में रोजगार के अवसरों में कमी होना : कोविड-19 के दौरान कई भारतीय प्रवासी खाड़ी देशों से वापस लौटे और बेहतर वित्तीय अवसरों की तलाश में अन्य देशों की ओर रुख किया। इसके अलावा, खाड़ी देशों में आर्थिक विविधीकरण और स्वचालन के कारण कम कुशल श्रमिकों की मांग घट गई है। निताकत (सऊदी अरब) और अमीरातीकरण (यूएई) जैसी राष्ट्रीयकरण नीतियाँ भी प्रवासियों के लिए नौकरी के अवसरों को सीमित कर रही हैं।
- भारत में प्रवासन प्रारूपों में बदलाव होना : दक्षिणी राज्य जैसे केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना अब खाड़ी देशों के मुकाबले एशियाई देशों को प्राथमिकता दे रहे हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान से बड़ी संख्या में श्रमिक खाड़ी देशों में जा रहे हैं, जिनकी शैक्षिक योग्यता दक्षिणी राज्यों के मुकाबले कम है, जिससे वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाले देशों में कुशल नौकरियों के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते।
- शिक्षा-प्रेरित प्रवासन और धन प्रेषण में वृद्धि होना : विदेशों में भारतीय छात्रों की बढ़ती संख्या ने भी धन प्रेषण को बढ़ावा दिया है। कई छात्र पढ़ाई के दौरान काम करते हैं और घर पैसे भेजते हैं। कनाडा में 32% भारतीय छात्र, अमेरिका में 25.3%, ब्रिटेन में 13.9% और ऑस्ट्रेलिया में 9.2% भारतीय छात्र रहते हैं।
क्या होता धन विप्रेषण ?
- धन विप्रेषण वह राशि है जो विदेशी देशों में काम करने वाले श्रमिक अपने परिवारों को समर्थन देने के लिए अपने देश भेजते हैं। यह घरेलू आय में योगदान देने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था की स्थिति को भी प्रभावित करती है। वर्ष 2024 में, भारत को रिकॉर्ड 129.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का धन विप्रेषण प्राप्त हुआ, जो किसी भी देश के लिए एक वर्ष में अब तक का सबसे अधिक धन है और वैश्विक धन विप्रेषण का 14.3% है। मेक्सिको और चीन इसके बाद के प्रमुख प्राप्तकर्ता देशों में शामिल हैं।
भारत में विदेशी मुद्रा लेनदेन को नियंत्रित करने वाला प्रमुख नियामक ढाँचा :
- भारत में विदेशी मुद्रा लेनदेन को नियंत्रित करने वाला प्रमुख कानून विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 है। FEMA के तहत, “उदारीकृत विप्रेषण योजना” (LRS) के अंतर्गत भारतीय निवासी हर वर्ष 250,000 अमेरिकी डॉलर तक की राशि विप्रेषित कर सकते हैं। यदि यह सीमा पार की जाती है, तो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) से अनुमति प्राप्त करनी होती है। हालांकि, LRS के तहत जुआ, सट्टा व्यापार और आतंकवादी वित्तपोषण के लिए धन विप्रेषण पर पाबंदी है।
विप्रेषण का रिकॉर्ड और उसकी श्रेणी :
- विप्रेषण को भुगतान संतुलन (BoP) के चालू खाते में एकपक्षीय हस्तांतरण के रूप में दर्ज किया जाता है। ये विदेशी आय प्रवाह को दर्शाते हैं जो किसी प्रकार की देनदारी उत्पन्न नहीं करते है।
निष्कर्ष :
- भारत का धन प्रेषण रिपोर्ट 2024 यह दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की शक्ति और समृद्धि में निरंतर वृद्धि हो रही है।
- इस रिपोर्ट/ सर्वेक्षण के अनुसार 2023-24 में भारत ने 118.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रिकॉर्ड धन प्रेषण प्राप्त किया है, जो वैश्विक धन प्रेषण का 14.3% है, और यह भारत की बढ़ती आर्थिक स्थिति को प्रतिबिंबित करता है।
- अमेरिका और यूके जैसे विकसित देशों का योगदान बढ़ने के साथ ही खाड़ी देशों का योगदान घटा है, जो इस बात का संकेत है कि भारतीय श्रमिकों का प्रवासन अब नए देशों की ओर बढ़ रहा है।
- इसके अतिरिक्त, डिजिटल धन प्रेषण की बढ़ती हिस्सेदारी यह दिखाती है कि तकनीकी प्रगति के कारण धन प्रेषण प्रणाली में बदलाव आ रहा है, जिससे प्रक्रिया अधिक सुलभ और प्रभावी हो रही है।
- भारत के विभिन्न राज्यों, विशेषकर महाराष्ट्र और केरल, ने प्रमुख धन प्राप्तकर्ता के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया है, जबकि खाड़ी देशों से भारतीय प्रवासियों की संख्या में कमी आई है।
- इसके साथ – ही – साथ, भारतीय छात्रों की बढ़ती संख्या और विदेशी देशों में उनके द्वारा भेजे गए धन ने भी धन प्रेषण में योगदान दिया है।
- निष्कर्षतः यह रिपोर्ट भारत की आर्थिक समृद्धि, प्रवासी श्रमिकों के योगदान और वैश्विक आर्थिक नेटवर्क में भारत की बढ़ती भूमिका को स्पष्ट रूप से दर्शाती है, जो भविष्य में और अधिक मजबूती से भारत की अर्थव्यवस्था के विकास यात्रा को आकार देने में सहायक होगी।
स्त्रोत – पी. आई. बी एवं इंडियन एक्सप्रेस।
Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 21st Mar 2025
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत में धन प्रेषण के प्रमुख स्रोत में बदलाव के मुख्य कारण क्या हैं?
- अमेरिका और यूके में उच्च वेतन वाली नौकरियाँ।
- खाड़ी देशों में रोजगार के अवसरों में कमी।
- कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की आव्रजन नीतियाँ।
- शिक्षा-प्रेरित प्रवासन का बढ़ना।
नीचे दिए गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनें:
A. केवल 1, 2 और 3
B. केवल 2, 3 और 4
C. इनमें से कोई नहीं।
D. उपरोक्त सभी।
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
1. भारत धन प्रेषण सर्वेक्षण रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में धन प्रेषण के स्रोतों में हुए प्रमुख परिवर्तनों और उनके मुख्य कारणों पर चर्चा कीजिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
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