भारत का पर्यटन क्षेत्र : भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास और समृद्धि की कुंजी

भारत का पर्यटन क्षेत्र : भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास और समृद्धि की कुंजी

खबरों में क्यों ?

 

 

  • हाल ही में, विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर, भारत के केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने एक नई पहल की शुरुआत की है, जिसका नाम है – “पर्यटन मित्र” और “पर्यटन दीदी”। 
  • इस पहल का प्रमुख उद्देश्य आगंतुकों को स्थानीय, ‘पर्यटक-अनुकूल’ व्यक्तियों से जोड़ना है, जो अपने-अपने स्थानों के गौरवशाली राजदूत और कहानियों के प्रवक्ता के रूप में कार्य करेंगे, ताकि पर्यटकों का अनुभव और भी समृद्ध और आकर्षक हो सके।

 

भारत का पर्यटन उद्योग : 

 

  • भारत का पर्यटन उद्योग अर्थव्यवस्था के लिए न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि यह रोजगार सृजन, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में भी एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। 
  • यह क्षेत्र साल दर साल विकसित हो रहा है और वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर भारत की उपस्थिति को मजबूत कर रहा है।
  • घरेलू पर्यटन का एक विशाल बाजार का होना : भारत में घरेलू पर्यटन का एक विशाल बाजार है। हर साल लाखों भारतीय विभिन्न स्थानों की यात्रा करते हैं। 2022 में, लगभग 1.8 बिलियन घरेलू पर्यटन यात्राएँ दर्ज की गईं, जो देश के पर्यटन क्षेत्र की प्रगति और आम लोगों की यात्रा की प्रवृत्तियों को दर्शाती हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन के एक प्रमुख गंतव्य के रूप में खुद को स्थापित करना : भारत ने भी अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में खुद को स्थापित किया है। वर्ष 2022 में, 6.85 मिलियन विदेशी पर्यटक भारत आए, हालांकि इस संख्या में वैश्विक यात्रा प्रतिबंध, मुद्रा विनिमय दर और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों जैसी बाहरी परिस्थितियाँ प्रभाव डालती हैं।
  • पर्यटन से संबंधित रोजगार के अवसर उत्पन्न होना : भारत में पर्यटन न केवल आर्थिक विकास में योगदान देता है, बल्कि यह रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करता है। यह उद्योग 87 मिलियन से अधिक नौकरियों का सृजन करता है, जो देश के कुल रोजगार का लगभग 8% है, और इससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में विकास हो रहा है।
  • जीडीपी में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में योगदान देना : वर्ष 2022 में, पर्यटन क्षेत्र ने भारत की जीडीपी में लगभग 6.8% का योगदान दिया। इसमें प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष और प्रेरित योगदान शामिल हैं, जो आर्थिक विकास के विभिन्न पहलुओं में फैले हुए हैं।
  • विदेशी मुद्रा आय (एफईई) प्राप्ति के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण होना : भारत में पर्यटन से होने वाली विदेशी मुद्रा आय भी महत्वपूर्ण है। 2022 में, भारत ने विदेशी पर्यटकों से 30 बिलियन डॉलर की आय अर्जित की, जो कि देश की विदेशी मुद्रा आय का एक बड़ा हिस्सा है।

भारत में प्रमुख पर्यटन सर्किट और स्थल : 

 

भारत में विविधता से भरपूर पर्यटन क्षेत्र हैं, जो पर्यटकों को विभिन्न प्रकार के अनुभव प्रदान करते हैं। प्रमुख सर्किटों में शामिल हैं:

  • बौद्ध सर्किट (धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल)
  • तटीय सर्किट (समुद्र तट और जलक्रीड़ा)
  • डेजर्ट सर्किट (थार का रेगिस्तान)
  • इको सर्किट (प्राकृतिक और पर्यावरणीय स्थलों की यात्रा)
  • हिमालय सर्किट (पहाड़ी क्षेत्रों और साहसिक पर्यटन के लिए उपयुक्त)
  • रामायण सर्किट और बौद्ध सर्किट (धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के स्थल)
  • सूफी सर्किट (आध्यात्मिक स्थल)

 

भारत में पर्यटन क्षेत्र से संबंधित प्रमुख सरकारी योजनाएँ और महत्वपूर्ण पहलें : 

 

भारत सरकार ने पर्यटन उद्योग को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए कई पहलें शुरू की हैं:

  1. देखो अपना देश – यह पहल घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। डिजिटल प्लेटफॉर्म और सार्वजनिक अभियान के माध्यम से देश के विभिन्न आकर्षक स्थलों को उजागर किया जाता है।
  2. स्वदेश दर्शन योजना – वर्ष 2014 में शुरू की गई यह योजना थीम-आधारित सर्किटों के विकास पर केंद्रित है, जैसे रामायण सर्किट, बौद्ध सर्किट, और हिमालय सर्किट, जो धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों को बढ़ावा देती हैं।
  3. प्रसाद योजना – यह योजना तीर्थ स्थलों का कायाकल्प करने पर केंद्रित है, ताकि इन स्थानों को तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर और अधिक सुलभ बनाया जा सके।
  4. पर्यटन मित्र और पर्यटन दीदी पहल – यह पहल जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देती है, जहां स्थानीय लोग पर्यटकों को मार्गदर्शन और जानकारी प्रदान करते हैं। “पर्यटन मित्र” (पुरुष राजदूत) और “पर्यटन दीदी” (महिला राजदूत) के रूप में कार्य करते हैं।
  5. अतिथि देवो भव अभियान – भारत की प्रसिद्ध आतिथ्य संस्कृति को प्रचारित करने के उद्देश्य से इस अभियान की शुरुआत की गई है, जो यह सुनिश्चित करता है कि पर्यटकों का गर्मजोशी से स्वागत किया जाए।
  6. मेलों और त्योहारों का प्रचार – भारतीय संस्कृति और धार्मिक विविधता को प्रदर्शित करने के लिए सरकार भारतीय त्योहारों और मेलों को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने के रूप में बढ़ावा देती है, जैसे – दिवाली, होली और दुर्गा पूजा।
  7. राष्ट्रीय पर्यटन नीति – यह नीति सतत पर्यटन विकास को बढ़ावा देती है, जो पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाओं, विरासत के संरक्षण और जिम्मेदार पर्यटन के सिद्धांतों पर आधारित है।
  8. कौशल विकास और प्रमाणन कार्यक्रम – भारत सरकार द्वारा पर्यटन क्षेत्र में कार्यरत पेशेवरों, जैसे टूर गाइड, होटल कर्मचारी, और अन्य पर्यटन सेवा प्रदाताओं को प्रशिक्षित करने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण और प्रमाणन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

 

भारतीय पर्यटन क्षेत्र की संभावनाएँ :

 

  1. विविध पर्यटन आकर्षण स्थल का होना : भारत सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक धरोहरों से भरपूर एक अनूठा पर्यटन गंतव्य है, जिसमें यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त विश्व धरोहर स्थल, हिमालय की पहाड़ियां, सुंदर समुद्र तट, और रंगीन त्योहारों जैसी अनगिनत आकर्षण शामिल हैं। इन विविधताओं के कारण भारत पर्यटकों के लिए विभिन्न अनुभवों का आदान-प्रदान करने के लिए आदर्श स्थान बन गया है।
  2. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन क्षेत्र का तेजी से बढ़ना : घरेलू पर्यटन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, विशेष रूप से उन मध्यमवर्गीय परिवारों के बीच, जो अपनी बढ़ती आय और नजदीकी पर्यटन स्थलों की खोज में रुचि रखते हैं। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बेहतर वीज़ा नीतियों और वैश्विक विपणन अभियानों की मदद से भारत एक आकर्षक गंतव्य बन चुका है।
  3. बुनियादी ढांचे का विकास और अन्य सेवाओं में बड़े पैमाने पर निवेश किया जाना : यात्री अनुभव को बेहतर बनाने के लिए हवाई अड्डों, सड़कों, होटलों और अन्य सेवाओं में बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है। इससे भारतीय पर्यटन स्थलों की सुलभता बढ़ी है, जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों प्रकार के पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बनता है।
  4. पर्यटन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना : पर्यटन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में लगातार वृद्धि हो रही है। पर्यटन उद्योग में रोजगार के अवसरों के साथ-साथ महिलाओं को नेतृत्व, मार्गदर्शन और उद्यमिता के क्षेत्र में प्रगति के नए अवसर मिल रहे हैं, जो उनके आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण में योगदान करते हैं।
  5. स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाकर ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना : पर्यटन ग्रामीण क्षेत्रों में नई रोजगार संभावनाओं को उत्पन्न करता है और स्थानीय हस्तशिल्प, कृषि, और पर्यटन सेवाओं को बढ़ावा देकर स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाता है। इसके साथ ही, यह सतत विकास के सिद्धांतों का पालन करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्धि में मदद करता है।
  6. दूरस्थ क्षेत्रों के विकास को गति प्रदान करना : पर्यटन बुनियादी ढांचे में सुधार और रोजगार सृजन के माध्यम से दूरदराज के क्षेत्रों के विकास को गति प्रदान कर सकता है। इससे न केवल इन क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि यह इन क्षेत्रों को एक नए पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।
  7. भारतीय संस्कृति और धरोहर का संरक्षण और संवर्धन करना : भारतीय संस्कृति और धरोहर का संरक्षण और संवर्धन पर्यटन के माध्यम से संभव हो रहा है। सांस्कृतिक पर्यटन भारत की विरासत, लोक कला, और पारंपरिक त्योहारों को न केवल संरक्षित करता है, बल्कि उन्हें वैश्विक मंच पर प्रस्तुत भी करता है।
  8. रोजगार सृजन के अवसर उत्पन्न करना : पर्यटन क्षेत्र कई उद्योगों जैसे आतिथ्य, परिवहन, मनोरंजन, और प्रशासन में रोजगार के अवसर उत्पन्न करता है, जो समग्र आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करते हैं और लोगों की जीवन स्तरीय गुणवत्ता में सुधार करते हैं।

 

भारतीय पर्यटन क्षेत्र के सामने प्रमुख चुनौतियाँ :

 

  1. आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी होना : भारत में कई पर्यटन स्थलों में आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी है, जैसे कि अच्छी सड़कों, स्वच्छता सुविधाओं और सार्वजनिक परिवहन का अभाव है। इसके साथ ही, दूरदराज के इलाकों में कनेक्टिविटी की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है।
  2. पर्यटकों के लिए सुरक्षा संबंधी चिंताओं का होना : भारत में पर्यटकों के लिए सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ रही है। अपराध और प्राकृतिक आपदाओं की घटनाओं के कारण भारत की सुरक्षा छवि पर असर पड़ सकता है, जिससे पर्यटकों की संख्या में कमी आ सकती है।
  3. पर्यावरणीय गिरावट होने से पर्यटन क्षेत्र में प्रतिकूल प्रभाव पड़ना : अत्यधिक पर्यटन भी पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। भीड़-भाड़, अपशिष्ट प्रबंधन की समस्याएं, और प्रदूषण पर्यटन स्थलों की सुंदरता और स्थिरता को प्रभावित करते हैं।
  4. मौसमी निर्भरता पर आधारित होना : भारत में कई लोकप्रिय पर्यटन स्थलों की सफलता मुख्य रूप से पीक सीजन पर निर्भर होती है, जिससे ऑफ-सीजन के दौरान आय में गिरावट और रोजगार की अस्थिरता का सामना करना पड़ता है।
  5. कुशल कार्यबल की कमी का होना : भारत में पर्यटन क्षेत्र में कुशल पेशेवरों की कमी सेवा की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। प्रशिक्षित कर्मचारियों की जरूरत को पूरा करने के लिए सही कौशल विकास कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
  6. जटिल सरकारी प्रक्रिया और नौकरशाही बाधाओं का होना : जटिल सरकारी प्रक्रियाएँ, लाइसेंसिंग की समस्याएं और वीज़ा प्रक्रिया में देरी पर्यटन क्षेत्र के विकास और निवेश को प्रभावित करती हैं, जिससे विकास की गति धीमी हो जाती है।
  7. विपणन अंतराल का होना : भारत के कम-ज्ञात पर्यटन स्थलों का प्रचार-प्रसार कम है, जिससे देश के पर्यटन क्षेत्र की वैश्विक दृश्यता में रुकावट आती है। “अतुल्य भारत” जैसे अभियानों के बावजूद, असंगत ब्रांडिंग और प्रचार से यह समस्या बनी रहती है।

 

आगे की राह :

 

  1. पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना : भारत में पर्यटन उद्योग को ऐसे तरीकों से चलाना चाहिए जो पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डालें। इसके लिए पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने के साथ-साथ पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने पर जोर दिया जाए।
  2. जैव विविधता की रक्षा करना : पर्यटन गतिविधियों को इस प्रकार ढालना चाहिए कि वे जैव विविधता के संरक्षण में योगदान करें। इसके लिए पर्यटन नीतियों में संरक्षण से जुड़े पहलुओं को एकीकृत किया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यटन से वन्य जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र पर कोई नकारात्मक असर न हो।
  3. आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देना : भारत में पर्यटन का उद्देश्य केवल आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना ही नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि इसके सकारात्मक प्रभाव स्थानीय समुदायों पर पड़े। स्थानीय रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना और स्थानीय व्यवसायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना आवश्यक है।
  4. सामाजिक-सांस्कृतिक स्थिरता को बढ़ावा देना : पर्यटन उद्योग को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का संरक्षण करना चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विकास कार्य स्थानीय समुदायों की संस्कृति का सम्मान करें और उनकी सामाजिक भलाई को बढ़ावा दें।
  5. सतत पर्यटन प्रमाणीकरण योजना के तहत एक स्थायी विकसित करना : भारत में पर्यटन के क्षेत्र में एक स्थायी प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए जो उन पर्यटन ऑपरेटरों को पहचान सके, जो स्थायी और जिम्मेदार पर्यटन प्रथाओं को अपनाते हैं। इससे यात्रियों को पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित और टिकाऊ विकल्प चुनने में मदद मिलेगी।
  6. आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) और क्षमता निर्माण करना : भारत में पर्यटन के क्षेत्र में स्थायी पर्यटन प्रथाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक शिक्षा अभियानों की आवश्यकता है। इसके साथ-साथ स्थानीय समुदायों, व्यवसायों और अन्य हितधारकों की क्षमता को भी सशक्त किया जाए ताकि ये प्रथाएं प्रभावी रूप से लागू हो सकें।
  7. समन्वय और निगरानी के लिए मजबूत शासन संरचनाओं की आवश्यकता : पर्यटन के क्षेत्र में समन्वय और निगरानी के लिए मजबूत शासन संरचनाओं की आवश्यकता है। सरकारी एजेंसियों, निजी क्षेत्र और स्थानीय समुदायों के बीच बेहतर संवाद और विनियमन की प्रक्रिया को लागू करके यह सुनिश्चित किया जाए कि स्थायी पर्यटन नीतियां सही तरीके से लागू हों।

निष्कर्ष :

  • भारत का पर्यटन क्षेत्र अपनी सांस्कृतिक विविधता, आध्यात्मिक धरोहर और प्राकृतिक सुंदरता के कारण अपार विकास की संभावनाएँ प्रस्तुत करता है। 
  • सरकार की योजनाओं, जैसे “पर्यटन मित्र” और “स्वदेश दर्शन” के माध्यम से बुनियादी ढांचे में सुधार, जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा और पर्यटकों का अनुभव सुधारने की दिशा में कई सकारात्मक कदम उठाए गए हैं। 
  • भारत में पर्यटन के क्षेत्र में सतत विकास के लिए बुनियादी ढांचे की कमी, सुरक्षा संबंधी चिंताएं और पर्यावरणीय नुकसान जैसी चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है, ताकि यह क्षेत्र आगे बढ़ सके और यह समग्र रूप से भारतीय समाज, पर्यावरण और भारत के अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी बन सके।

 

स्त्रोत – पीआईबी, पर्यटन मंत्रालय एवं द हिन्दू।

 

Download Plutus IAS Current Affairs HINDI MED 28th Nov 2024 pdf

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q.1. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. पर्यटन मित्र और पर्यटन दीदी पहल पर्यटकों को स्थानीय राजदूतों से जोड़ने के लिए शुरू की गई थी जो जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देते हैं।
  2. स्वदेश दर्शन धार्मिक स्थलों पर बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित है और इसमें थीम-आधारित पर्यटन सर्किट को बढ़ावा देना शामिल नहीं है।
  3. देखो अपना देश पहल का उद्देश्य डिजिटल प्लेटफॉर्म और आउटरीच अभियानों के माध्यम से स्थानीय स्थलों को बढ़ावा देकर घरेलू पर्यटन को प्रोत्साहित करना है।

ऊपर दिए गए कितने कथन सही हैं?

A. केवल एक

B. केवल दो

C. तीनों

D. इनमें से कोई नहीं।

उत्तर – A

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. “भारत के पर्यटन क्षेत्र के सतत विकास में जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय समुदायों को शामिल करने में पर्यटन मित्र और पर्यटन दीदी जैसी पहल की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करें।” ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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