भारत – कुवैत द्विपक्षीय संबंधों की नई दिशा : रणनीतिक सहयोग से सुरक्षा सहयोग तक

भारत – कुवैत द्विपक्षीय संबंधों की नई दिशा : रणनीतिक सहयोग से सुरक्षा सहयोग तक

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ अंतर्राष्ट्रीय संबंध , महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठन और भारत के हित्तों से संबंधित महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संधि और समझौते , भारत – कुवैत द्विपक्षीय संबंध ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ खाड़ी सहयोग परिषद , ऑर्डर ऑफ मुबारक अल-कबीर , खाड़ी राष्ट्र , संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन ’ खंड से संबंधित है। )

 

खबरों में क्यों ?

 

 

  • हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुवैत के महामहिम अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह के निमंत्रण पर 21-22 दिसंबर 2024 को कुवैत की आधिकारिक यात्रा की।
  • यह प्रधानमंत्री मोदी की कुवैत की पहली यात्रा थी, जिसमें उन्होंने 26वें अरेबियन गल्फ कप (26th Arabian Gulf Cup) के उद्घाटन समारोह में ‘सम्मानित अतिथि’ (Guest of Honour) के रूप में भाग लिया।

 

प्रधानमंत्री के कुवैत यात्रा के दौरान विभिन्न प्रमुख द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा :  

 

  • संयुक्त सहयोग आयोग (JCC) की स्थापना का स्वागत करना : दोनों देशों ने JCC की स्थापना को स्वागत योग्य कदम माना, जो द्विपक्षीय संबंधों की निगरानी और समीक्षा के लिए उच्च-स्तरीय तंत्र के रूप में कार्य करेगा। इसकी सह-अध्यक्षता दोनों देशों के विदेश मंत्रियों द्वारा की जाएगी।
  • आपसी व्यापार और निवेश के लिए अनुकूल माहौल को सुनिश्चित करने के लिए द्विपक्षीय निवेश संधि पर चर्चा करना : दोनों देशों द्वारा व्यापार, निवेश, रक्षा, शिक्षा, कृषि और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में नए संयुक्त कार्य समूह (JWG) की स्थापना की गई। द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में वृद्धि की संभावनाओं को बल दिया गया, जिसमें प्रौद्योगिकी, पर्यटन, स्वास्थ्य सेवा, खाद्य सुरक्षा, और रसद शामिल हैं। द्विपक्षीय निवेश संधि पर चर्चा हुई जिससे निवेश के लिए अनुकूल माहौल का निर्माण हो सके। आपस में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए द्विपक्षीय निवेश संधि पर चर्चा की गई, जिसका उद्देश्य निवेश के लिए अनुकूल माहौल को सुनिश्चित करना है।
  • व्यापक ऊर्जा साझेदारी विकसित करने की दिशा में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनाना : व्यापक ऊर्जा साझेदारी विकसित करने की दिशा में, तेल और गैस के अन्वेषण और उत्पादन, रिफाइनिंग, इंजीनियरिंग सेवाओं, पेट्रोकेमिकल उद्योगों, और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी।
  • दोनों देशों द्वारा रक्षा क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना : संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण, तटीय रक्षा, और रक्षा उपकरणों के विकास में सहयोग को मजबूत करने हेतु दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। आतंकवाद से निपटने, खुफिया जानकारी साझा करने, साइबर सुरक्षा में वृद्धि करने, धन शोधन, मादक पदार्थों की तस्करी और अंतर्राष्ट्रीय अपराधों के खिलाफ संयुक्त रूप से कार्य करने का संकल्प लिया गया और आपस में सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई गई।
  • स्वास्थ्य सहयोग के तहत कुवैत में भारतीय दवा निर्माण संयंत्र की स्थापना पर चर्चा करना : दोनों देशों ने कुवैत में भारतीय दवा निर्माण संयंत्र की स्थापना पर चर्चा की और चिकित्सा उत्पाद विनियमन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने हेतु औषधि नियामक प्राधिकरणों के बीच समझौता ज्ञापन पर विचार-विमर्श किया।
  • प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने पर सहमति बनाना : प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, दोनों देशों के बीच आपस में सेमीकंडक्टर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग को बढ़ावा देने पर सहमति बनी। ई-गवर्नेंस और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी क्षेत्रों में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर विशेष ध्यान दिया गया। शिक्षा क्षेत्र में, दोनों देशों ने शैक्षिक संस्थानों और शैक्षिक प्रौद्योगिकी में सहयोग को महत्वपूर्ण माना और ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों और डिजिटल पुस्तकालयों के माध्यम से शैक्षिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का प्रस्ताव किया।
  • सांस्कृतिक संबंधों के तहत सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम को नवीनीकरण करना : दोनों देशों के बीच आपसी सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (वर्ष 2025-2029) को नवीनीकरण किया गया, जिसका उद्देश्य कला, संगीत और साहित्य के माध्यम से सांस्कृतिक संबंधों को प्रगाढ़ करना है। खेल सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक कार्यकारी कार्यक्रम (वर्ष 2025-2028) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें खेल कर्मियों, कार्यशालाओं और प्रकाशनों का आदान-प्रदान शामिल है। कुवैत में भारतीय समुदाय के योगदान को भी मान्यता दी गई।
  • बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा करना : संयुक्त राष्ट्र, शंघाई सहयोग संगठन और जी.सी.सी. सहित विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा की गई। भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एस.सी.ओ.) की अध्यक्षता के दौरान कुवैत के एस.सी.ओ. में ‘वार्ता भागीदार’ के रूप में प्रवेश का स्वागत किया। 2024 की शुरुआत में भारत-जी.सी.सी. संयुक्त मंत्रिस्तरीय बैठक ने व्यापार, स्वास्थ्य, सुरक्षा, कृषि और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को सुदृढ़ करने के लिए एक ठोस मंच प्रदान किया।

 

भारत – कुवैत द्विपक्षीय संबंध के विभिन्न आयाम :  

 

 

  1. ऐतिहासिक और प्रारंभिक आर्थिक संबंध : भारत और कुवैत के रिश्ते सदियों से मजबूत हैं और कुवैत भारतीय व्यापार का एक स्वाभाविक साझीदार रहा है। तेल की खोज से पहले कुवैत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से बंदरगाह व्यापार और समुद्री गतिविधियों पर निर्भर थी। इस दौरान जहाज निर्माण, मोती गोताखोरी और मछली पकड़ने के साथ-साथ भारतीय व्यापारी कुवैत में खजूर, अरबी घोड़े और मोती लेकर आते थे। उल्लेखनीय रूप से, 1961 तक भारतीय रुपया कुवैत में वैध मुद्रा के रूप में प्रचलित था, जो दोनों देशों के बीच गहरे आर्थिक संबंधों का प्रतीक था। 2021-22 में, उनके राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ मनाई गई, जो उनके स्थिर और प्रगति को दर्शाने वाला महत्वपूर्ण अवसर था।
  2. भारत – कुवैत के बीच आपसी राजनीतिक संबंध : भारत और कुवैत के बीच ऐतिहासिक रूप से मित्रवत और सुदृढ़ संबंध रहे हैं, जो व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और अन्य सहयोगात्मक पहलुओं के माध्यम से लगातार विकसित होते रहे हैं। भारत, कुवैत की स्वतंत्रता के बाद 1961 में राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला पहला देश था। पहले भारत का प्रतिनिधित्व कुवैत में व्यापार आयुक्त के माध्यम से होता था। अगस्त 2024 में भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कुवैत का दौरा किया, जबकि कुवैती विदेश मंत्री डॉ. शेख अहमद नासिर अल-मोहम्मद अल-सबाह ने 2021 में भारत की यात्रा की।
  3. संयुक्त मंत्रिस्तरीय आयोग (जे.एम.सी.) : यह आयोग 2006 में स्थापित हुआ था दोनों देशों के आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से काम करता है, और वर्ष 2021 में इसे दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की सह-अध्यक्षता में अद्यतन भी किया गया था।
  4. विदेश कार्यालय परामर्श (FOCs) : यह तंत्र नियमित संवाद को सुनिश्चित करता है। 6वां FOC जुलाई 2024 में आयोजित हुआ था।
  5. संयुक्त राष्ट्र/बहुपक्षीय परामर्श : कुवैत में 1 जून 2023 को दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग पर पहली बैठक आयोजित की गई।
  6. हाइड्रोकार्बन के क्षेत्र में आपसी सहयोग : ऊर्जा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हेतु हाइड्रोकार्बन पर एक संयुक्त कार्य समूह गठित किया गया। इसकी हालिया बैठक जुलाई 2023 में आभासी रूप से आयोजित हुई थी।
  7. चिकित्सा के क्षेत्र में आपसी सहयोग : भारतीय डॉक्टरों और नर्सों की कुवैत में महत्वपूर्ण उपस्थिति है। दोनों देशों ने 2012 में चिकित्सा सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत ने कुवैत को चिकित्सा सहायता प्रदान की, वहीं कुवैत ने भारत को ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर भेजे।
  8. श्रमशक्ति सहयोग से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए संयुक्त कार्य समूह स्थापित करना : कुवैत में भारतीय समुदाय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। दोनों देशों ने श्रमिकों और रोजगार से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए संयुक्त कार्य समूह (जे.डब्ल्यू.जी.) स्थापित किया। 7वीं जे.डब्ल्यू.जी. बैठक 2021 में वर्चुअल रूप से आयोजित की गई थी।
  9. नागरिक उड्डयन से संबंधित द्विपक्षीय हवाई सेवा समझौते पर हस्ताक्षर : भारत और कुवैत के बीच 2007 में द्विपक्षीय हवाई सेवा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे दोनों देशों के बीच हवाई यातायात में वृद्धि हुई है। एयर इंडिया, इंडिगो और कुवैत एयरवेज जैसी प्रमुख विमानन कंपनियाँ सीधी उड़ानें संचालित कर रही हैं।
  10. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आपसी सहयोग : भारत और कुवैत ने 2009 में एक विज्ञान और प्रौद्योगिकी समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत विशेष रूप से अंतरिक्ष और पर्यावरण अनुसंधान में सहयोग किया जाता है। इसरो और कुवैत वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान इस समझौते के प्रमुख साझेदार हैं।
  11. शिक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग विकसित करना : कुवैत में 26 स्कूलों में सीबीएसई पाठ्यक्रम आधारित कक्षाएं संचालित की जाती हैं, जिसमें 60,000 से अधिक छात्र अध्ययनरत हैं। वर्ष 2024 में गल्फ यूनिवर्सिटी फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (GUST) और अन्य कुवैती विश्वविद्यालयों में ‘इंडिया कॉर्नर’ स्थापित किए गए। इसके अलावा, कुवैत में हिंदी भाषा के शिक्षण के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और GUST के बीच समझौता ज्ञापन पर 12 सितंबर 2024 को हस्ताक्षर किए गए।
  12. कुवैत द्वारा एकजुटता का संकेत प्रदर्शित करना : 26 मई, 2021 को प्रतिष्ठित कुवैत टावर्स ने “कुवैत भारत के साथ खड़ा है” संदेश के साथ भारतीय तिरंगा प्रदर्शित किया, जो दोनों देशों के बीच गहरे और स्थायी संबंधों का प्रतीक था और जो कुवैत की भारत के प्रति मित्रवत भावना को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

 

वाणिज्यिक और आर्थिक संबंध :

  • भारत कुवैत का एक प्रमुख व्यापारिक साझीदार है, और 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 10.47 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। भारतीय निर्यात में विमान पुर्जे, अनाज और कार्बनिक रसायन शामिल हैं। कुवैत भारत का 9वां सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो भारत की ऊर्जा जरूरतों का लगभग 3% पूरा करता है। कुवैत में भारतीय कंपनियों, जैसे – एलएंडटी, टाटा, विप्रो, और इंडिगो की महत्वपूर्ण उपस्थिति है।

 

सांस्कृतिक संबंध :

  • भारत और कुवैत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का इतिहास काफी समृद्ध रहा है। 200 से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव मनाया गया है। ‘स्प्लेंडर्स ऑफ इंडिया’, ‘नमस्ते कुवैत’ और ‘फेस्टिवल ऑफ इंडिया’ जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने इस संबंध को मजबूत किया है। नए सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों की शुरुआत से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और बढ़ावा मिला है।

 

कुवैत में भारतीय समुदाय :

  • कुवैत में भारतीय प्रवासी समुदाय की संख्या 10 लाख से अधिक है, जो उस देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसमें इंजीनियर, डॉक्टर, तकनीशियन और मजदूर शामिल हैं। भारतीयों की उपस्थिति खुदरा और वितरण क्षेत्रों में भी बहुत अधिक और अत्यंत महत्वपूर्ण है, और कई भारतीय स्वामित्व वाले व्यवसाय कुवैत में लंबे समय से कार्यरत हैं। भारतीय समुदाय सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों में भी सक्रिय है, और कुवैत में 200 से अधिक भारतीय संघ पंजीकृत हैं।

 

द्विपक्षीय समझौते :

भारत और कुवैत के बीच कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिनमें प्रमुख हैं – 

  • निवेश का पारस्परिक संरक्षण (2001)
  • आपराधिक मामलों में कानूनी सहायता (2004)
  • श्रम और रोजगार सहयोग (2007)
  • वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग (2009)
  • चिकित्सा सहयोग (2012)
  • सजायाफ्ता व्यक्तियों के स्थानांतरण पर समझौता (2013)
  • घरेलू कामगारों के लिए सहयोग पर समझौता (2021)

इन समझौतों के माध्यम से दोनों देशों के आर्थिक और सामाजिक संबंधों को और मजबूती मिली है। एक नए द्विपक्षीय निवेश संवर्धन समझौते पर बातचीत चल रही है, जिसका उद्देश्य उद्देश्य भविष्य में दोनों देशों के बीच आर्थिक भागीदारी को और बढ़ाना है।

 

भारत-कुवैत द्विपक्षीय संबंधों में आगे की राह :

 

 

  1. प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि उत्पादों और मशीनरी जैसे क्षेत्रों में व्यापार को और बढ़ाने की अपार संभावनाएँ होना : भारत और कुवैत के बीच तेल और ऊर्जा के क्षेत्र में मजबूत व्यापारिक संबंध हैं, लेकिन प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि उत्पादों और मशीनरी जैसे क्षेत्रों में व्यापार को और बढ़ाने की अपार संभावनाएँ हैं।
  2. बुनियादी ढांचे, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देना : कुवैत से भारत में निवेश बढ़ाने के माध्यम से बुनियादी ढांचे, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग को और बढ़ावा मिल सकता है। इसके साथ ही कुवैत को जीसीसी क्षेत्र में भारत के लिए एक प्रवेश द्वार के रूप में देखा जा सकता है।
  3. दीर्घकालिक तेल और गैस समझौतों और दोनों देशों के बीच आपसी साझेदारी को मजबूत करना : भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को देखते हुए दीर्घकालिक तेल और गैस समझौतों, रिफाइनिंग निवेश और प्राकृतिक गैस आयात को बढ़ाने की संभावनाएँ हैं, जिससे दोनों देशों के बीच साझेदारी मजबूत हो सकती है।
  4. नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं पर आपस में सहयोग करना : भारत और कुवैत दोनों ही देश नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं पर सहयोग कर सकते हैं। भारत ने कुवैत के अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सदस्य बनने के निर्णय का स्वागत किया है, जो टिकाऊ ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण कदम है।
  5. कुशल कार्यबल प्रदान करना : भारत, कुवैत को स्वास्थ्य सेवा, प्रौद्योगिकी, निर्माण और आतिथ्य जैसे क्षेत्रों में कुशल कार्यबल प्रदान कर सकता है, जो कुवैत के विकास के लिए आवश्यक हैं।
  6. रक्षा सहयोग को बढ़ाने की संभावना : दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने की संभावना है, जिसमें संयुक्त प्रशिक्षण, खुफिया जानकारी साझा करने और रक्षा खरीद शामिल हैं, ताकि मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता बनी रहे।
  7. आपस में पर्यटन को बढ़ावा देना : भारत और कुवैत पर्यटन को बढ़ावा देकर सांस्कृतिक अंतर को पाट सकते हैं और आपसी समझ को बढ़ा सकते हैं। कुवैत भारतीय पर्यटकों के लिए आकर्षक गंतव्य हो सकता है, जबकि भारत किफायती चिकित्सा पर्यटन पैकेज की पेशकश कर सकता है।

 

स्त्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।

 

 

Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 30th Dec 2024

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत और कुवैत के द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. भारत और कुवैत ने संयुक्त सहयोग आयोग (JCC) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों की निगरानी और समीक्षा करना है।
  2. भारत ने कुवैत को 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान चिकित्सा सहायता प्रदान की, जबकि कुवैत ने भारत को ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर भेजे।
  3. दोनों देशों ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है जो रक्षा उपकरणों के विकास और संयुक्त सैन्य अभ्यास को बढ़ावा देता है।
  4. भारत और कुवैत ने 2024 में एक नई द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर किए हैं।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

A. केवल एक

B. केवल दो 

C. केवल तीन 

D. उपरोक्त सभी। 

उत्तर – C केवल तीन 

व्याख्या :

  • भारत और कुवैत ने संयुक्त सहयोग आयोग (JCC) की स्थापना की है और कोविड-19 महामारी के दौरान एक दूसरे को चिकित्सा सहायता प्रदान की थी। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। हालांकि, द्विपक्षीय निवेश संधि के बारे में कोई जानकारी 2024 तक प्राप्त नहीं हुई है, इसलिए यह विकल्प सही नहीं है।

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत-कुवैत संबंधों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आयामों के संदर्भ में दोनों देशों के बीच सहयोग और समकालीन द्विपक्षीय संबंधों पर उसके प्रभाव को विश्लेषित करते हुए खाड़ी क्षेत्र में ऊर्जा सुरक्षा और भू-राजनीतिक स्थिरता के दृष्टिकोण से कुवैत के सामरिक महत्व का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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