02 Jan भारत – नेपाल के सैन्य संबंधों में नई दिशा : सूर्य किरण अभ्यास का 18वां संस्करण
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ अंतर्राष्ट्रीय संबंध , भारत और इसके पड़ोसी देश , भारत को शामिल और/या इसके हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते , अंतर्राष्ट्रीय संधि और समझौते , द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों में सैन्य अभ्यास का महत्त्व ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारतीय सेना का संयुक्त अभ्यास, उच्च ऊँचाई वाले अभियान, रेगिस्तान युद्ध, शहरी युद्ध और जंगल युद्ध, आतंकवाद विरोधी अभियान, मानवीय सहायता और आपदा राहत, संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना ’ खंड से संबंधित है। )
खबरों में क्यों ?
- भारत-नेपाल के बीच प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला सैन्य अभ्यास “सूर्य किरण” का 18वां संस्करण आयोजित किया जा रहा है।
- यह अभ्यास 31 दिसंबर 2024 से 13 जनवरी 2025 तक नेपाल के सलझंडी क्षेत्र में आयोजित होगा, जिसे नेपाली सेना द्वारा संचालित किया जाएगा।
- इस अभ्यास में भाग लेने के लिए भारतीय सेना की 334 सदस्यीय टुकड़ी नेपाल के लिए रवाना हो गई है।
- “सूर्य किरण” अभ्यास की मेज़बानी हर साल बारी-बारी से भारतीय और नेपाली सेनाओं द्वारा की जाती है।
- भारत – नेपाल द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास के इस अभ्यास का 17वां संस्करण 24 नवंबर से 7 दिसंबर 2023 तक उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में आयोजित हुआ था।
18वें सूर्य किरण अभ्यास के प्रतिभागी बटालियन :
- सूर्य किरण सैन्य अभ्यास एक बटालियन स्तर का अभ्यास है।
- इस अभ्यास के 18वें संस्करण में भारतीय सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स रेजिमेंट की 334 सदस्यीय टुकड़ी भाग ले रही है।
- यह रेजिमेंट स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना की पहली रेजिमेंट थी।
- नेपाली सेना की ओर से श्रीजंग बटालियन इस अभ्यास में भाग लेगी।
भारत – नेपाल द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास सूर्य किरण का उद्देश्य और विशेषताएँ :
- सूर्य किरण सैन्य अभ्यास के 18वें संस्करण का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करना और उनके पेशेवर कौशल में वृद्धि करना है।
- यह अभ्यास विशेष रूप से जंगल युद्ध और आतंकवाद विरोधी अभियानों में संयुक्त संचालन पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत संयुक्त मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) कार्य भी किया जाएगा।
- इस अभ्यास का उद्देश्य सेनाओं की परिचालन क्षमता और युद्ध कौशल को बढ़ाना है, ताकि वे कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में एक साथ काम करने में सक्षम हो सकें।
भारत – नेपाल द्विपक्षीय रक्षा संबंध की पृष्ठभूमि और वर्तमान प्रासंगिकता :
- ईस्ट इंडिया कंपनी ने नेपाल के गोरखाओं को अपनी सेना में भर्ती करना शुरू किया था और उनका उपयोग ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा विभिन्न सैन्य अभियानों में किया गया था।
- ब्रिटिश सरकार के द्वारा शासित गुलाम भारत में भी ब्रिटिश सैनिक के रूप में गोरखाओं की भर्ती जारी रही।
- सन 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद ही , भारत, ब्रिटिश सरकार और नेपाली सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत ब्रिटिश भारत में सेवा दे रहे गोरखा रेजिमेंट को भारतीय और ब्रिटिश सेना में विभाजित कर दिया गया।
- स्वतंत्रता के बाद भी भारतीय सेना में नेपाली नागरिकों की भर्ती जारी रही, लेकिन अग्निवीर योजना की शुरुआत के बाद नेपाल ने भारतीय सेना में नेपाली नागरिकों की भर्ती बंद कर दी थी। हालांकि, भारत और नेपाल के बीच आपसी सैन्य सहयोग बना रहा।
- नेपाल में लगभग 88,000 सेवानिवृत्त नेपाली नागरिक भारतीय सेना के पूर्व सैनिक हैं।
- भारतीय और नेपाली सेनाओं के बीच संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी हैं।
- भारतीय सेना, नेपाली सैनिकों को प्रशिक्षण देती है और नेपाल में भी भारतीय सैनिक प्रशिक्षण लेते हैं। दोनों देशों के द्विपक्षीय रक्षा संबंध बहुत ही मजबूत है और गोरखा रेजिमेंट की परंपरा वर्मन समय में भी जारी है।
- इसके अलावा, दोनों देशों में एक विशेष परंपरा भी है, जिसमें नव नियुक्त सेना प्रमुख को दूसरे देश के राष्ट्रपति द्वारा जनरल के मानद पद से सम्मानित किया जाता है।
- हाल ही में, भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी को नेपाली राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल द्वारा काठमांडू में नेपाली सेना के जनरल के मानद पद से सम्मानित किया गया।
- इसी तरह, दिसंबर 2024 में, नेपाली सेना के प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल को भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली में भारतीय सेना के जनरल के मानद पद से सम्मानित किया।
उद्देश्य :
- आतंकवाद-रोधी अभियानों, जंगल युद्ध और पर्वतीय अभियानों में दोनों सेनाओं की संयुक्त संचालन क्षमता को बढ़ाना।
- संयुक्त राष्ट्र (UN) के अंतर्गत मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) के कार्यों में सहयोग बढ़ाना।
- परिचालन तैयारियों, विमानन, चिकित्सा प्रशिक्षण और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना।
भारत – नेपाल द्विपक्षीय संबंध :
- नेपाल भारत के पाँच राज्यों – सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ 1,850 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है।
- भारत-नेपाल शांति और मैत्री संधि (1950) इन देशों के बीच विशेष द्विपक्षीय संबंधों की नींव और मील के पत्थर के रूप में कार्य करता है। कोसी समझौता (1954, संशोधित 1966), महाकाली संधि (1996) और गंडक समझौता (1959, संशोधित 1964) प्रमुख जल-साझाकरण समझौते हैं।
संयुक्त सैन्य अभ्यास के प्रमुख लाभ :
- उन्नत अंतरसंचालनीयता में सहायक होना : संयुक्त सैन्य अभ्यास सैनिकों के बीच सामरिक भाषा और सांस्कृतिक समझ को बढ़ाते हैं। इससे सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल होता है, जिससे वे एक-दूसरे की कार्रवाइयों का अनुमान लगा सकते हैं और मिलकर प्रभावी रूप से कार्य कर सकते हैं।
- सेनाओं के बीच आपस में सहयोगात्मक नवाचार वातावरण को बढ़ावा देना और ज्ञान का आपस में विनिमय करने में सहायक होना : ऐसे संयुक्त सैन्य अभ्यासों से दो देशों की सेनाएँ आपस में एक-दूसरे से सीखने और वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए मिलकर काम करने का अवसर पाती हैं। यह तकनीकी प्रगति और रचनात्मकता को बढ़ावा देता है, जैसे नाटो की डिफेंडर श्रृंखला ने किया है।
- राजनयिक संबंधों को मजबूत करने में सहायक होना : दो या दो से अधिक देशों के बीच आयोजित होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास उन देशों के बीच आपसी कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने में सहायक होते हैं। उदाहरण के लिए – मालाबार नौसैनिक अभ्यास ने न केवल सेनाओं की क्षमता में वृद्धि की, बल्कि यह विश्वास बनाने और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का एक प्रभावी तरीका रहा है।
- संरचनात्मक कमियों का पता लगाने में तथा क्षमता आकलन में सहायक होना : संयुक्त सैन्य अभ्यासों के दौरान सेनाएँ अपनी संरचनात्मक कमियों का पता लगा सकती हैं। उदाहरण के लिए – वर्ष 2022 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में अमेरिका और उसके सहयोगियों के अभ्यास से संचार में सुधार की जरूरत का खुलासा हुआ, जिससे अमेरिकी सेना के भीतर संचार प्रोटोकॉल का एक महत्त्वपूर्ण पुनर्गठन हुआ और जिससे अमेरिकी सेना में सुधारात्मक कदम उठाए गए।
- सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करने में तथा मनोवैज्ञानिक युद्ध में निवारण के रूप में सहायक होना : संयुक्त सैन्य अभ्यास शत्रु देशों को सैन्य तत्परता और गठबंधन की ताकत का संदेश देते हैं। जैसे – रूस-बेलारूसी अभ्यास ने यूक्रेन और पश्चिमी देशों को मानसिक रूप से प्रभावित करने के लिए ताकत का प्रदर्शन किया। रूसी सैनिकों द्वारा किया गया यह प्रदर्शन एक प्रकार के मनोवैज्ञानिक युद्ध के रूप में भी कार्य किया, जिसका उद्देश्य संभवतः यूक्रेन और पश्चिम के देशों की सेनाओं को को भयभीत करना था।
- मानवीय सहायता की तैयारी करने में सहायक होना : कई संयुक्त अभ्यासों में नागरिकों और मीडिया की भागीदारी भी होती है, जिससे वास्तविक दुनिया की जटिलताएँ सीखी जाती हैं। संयुक्त राष्ट्र की 2023 की रिपोर्ट ने मानवीय संकटों में बेहतर अंतर-एजेंसी समन्वय की आवश्यकता को रेखांकित किया है, और ऐसे सैन्य अभ्यासों में नागरिक सहायता संगठनों को शामिल करने से इस आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है।
स्त्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. सैन्य अभ्यास “सूर्य किरण” के 18वें संस्करण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
- इस सैन्य अभ्यास का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के सैन्य कर्मियों के बीच संबंधों को मजबूत करना है।
- यह संयुक्त युद्धकौशल और आतंकवाद विरोधी अभियानों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आयोजित किया गया है।
- इस सैन्य अभ्यास के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों को बढ़ावा देना है।
- इसका आयोजन 31 दिसंबर 2024 से 13 जनवरी 2025, नेपाल के सलझंडी क्षेत्र में किया जाना है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1 और 4
B. केवल 2 और 3
C. इनमें से कोई नहीं।
D. उपरोक्त सभी।
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत – नेपाल के बीच आयोजित संयुक्त सैन्य अभ्यास सूर्य किरण जैसे द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यासों के संदर्भ में भारत और इसके पड़ोसी देशों के बीच रणनीतिक सहयोग और पारस्परिक विश्वास बढ़ाने में सैन्य अभ्यासों के महत्त्व का मूल्यांकन कीजिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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