भारत में जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण का संवैधानिकीकरण बनाम खतरे में सुंदरबन अभयारण्य

भारत में जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण का संवैधानिकीकरण बनाम खतरे में सुंदरबन अभयारण्य

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 के ‘ जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण, सुंदरबन से जुड़ी चुनौतियाँ, पर्यावरण प्रदूषण ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ खारे पानी का मगरमच्छ, गंगा डॉल्फिन, ओलिव रिडले कछुए, बंगाल की खाड़ी और सुंदरबन ’ खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक करंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ भारत में जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण का संवैधानिकीकरण बनाम खतरे में सुंदरबन अभयारण्य ’ से संबंधित है।)

 

ख़बरों में क्यों ?

 

  • हाल ही भारत के पर्यावरणविदों के अध्ययन के आधार पर जारी एक रिपोर्ट के अनुसार  गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के डेल्टा पर स्थित विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन भारत का सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान/ अभयारण्य को स्वच्छ जल की कमी, माइक्रोप्लास्टिक्स और रसायनों से प्रदूषण तथा तटीय कटाव सहित कई पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • इससे भारत के पश्चिम बंगाल में स्थित विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र सुंदरबन अभयारण्य का अस्तित्व गंभीर खतरे में है।    
  • पर्यावरणविदों के अध्ययन के आधार पर जारी इस रिपोर्ट केअनुसार वर्तमान समय में इस पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर खतरे से उबारने के लिए या इसकी सुरक्षा के लिए स्थायी समाधान को तलाशना अत्यंत जरूरी है।

 

सुंदरबन अभयारण्य का परिचय : 

 

  • सुंदरबन, विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन क्षेत्र है, जो बंगाल की खाड़ी में गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के डेल्टा पर स्थित है। यह वनस्पतियों, जीवों, मछलियों, पक्षियों, सरीसृपों और उभयचर प्रजातियों को आश्रय प्रदान करने वाला एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र है।
  • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र :  सुंदरबन उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के बीच भूमि और समुद्र के बीच स्थित एक पारिस्थितिकी तंत्र है।
  • वनस्पति और जीव : यहां दलदल (खारे और स्वच्छ जल की वनस्पतियाँ) और अंतर-ज्वारीय मैंग्रोव पायी जाती हैं। यह वन्यजीवों के लिए एक अभयारण्य है, जिसमें खारे पानी के मगरमच्छ, वॉटर मॉनिटर लिज़र्ड, गंगा डॉल्फिन, और ओलिव रिडले कछुए शामिल हैं।
  • सुंदरबन का संरक्षण : सुंदरबन का 40% भाग भारत में और शेष भाग बांग्लादेश में स्थित है। यह विश्व धरोहर स्थल है और यूनेस्को द्वारा भारत में 1987 में और बांग्लादेश में 1997 में इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। इसे रामसर अभिसमय या रामसर सम्मेलन के अंतर्गत भी ‘अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि’ के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • प्रोजेक्ट टाइगर : सुंदरबन में रॉयल बंगाल टाइगर की संरक्षा के लिए ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ कार्यक्रम चलाया जाता है, जिससे चराई को कम किया जा सके और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखा जा सके।
  • सुंदरबन एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र : सुंदरबन में एक स्वस्थ वन पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में बाघों की सुरक्षा, पौधों एवं जानवरों की अन्य प्रजातियों के लिए भी एक विशाल आवास स्थल को भी सुरक्षित करना शामिल है।
  • सुंदरबन की निगरानी तथा संरक्षण की जरूरत : वर्ष 2011 में भारत एवं बांग्लादेश द्वारा सुंदरबन की निगरानी तथा संरक्षण की आवश्यकता को देखते हुए, सुंदरबन के संरक्षण पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है।

 

सुंदरबन के समक्ष मुख्य चुनौतियाँ : 

 

सुंदरबन के समक्ष कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ निम्नलिखित है – 

  1. पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की हानि : सुंदरबन पारिस्थितिकी तंत्र मैंग्रोव वन मत्स्य प्रजातियों के लिए तटरेखा संरक्षण और मत्स्य पालन के लिए प्राकृतिक तालाबों जैसी महत्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान करते हैं। वनों की कटाई होने के कारण ये  सेवाएं बाधित हो रही है, जिससे तटीय समुदायों के साथ – साथ मत्स्य पालन भी प्रभावित होता है।
  2. प्रदूषकों का प्रभाव : सुंदरबन के आस-पास के शहरी क्षेत्रों और सिंधु-गंगा के मैदानी क्षेत्र से ब्लैक कार्बन कणों से युक्त प्रदूषक सुंदरबन की वायु गुणवत्ता को न्यून कर रहे हैं, जिससे इसके पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव पड़ रहा है। ये वायु प्रदूषक सुंदरबन मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र की पारिस्थितिकी एवं जैव-भू-रसायन विज्ञान को विशेष रूप से प्रभावित करते हैं।
  3. ताज़े जल की कमी : नदियों की मुख्य रूप से खारी प्रकृति के कारण सुंदरबन में मीठे पानी की कमी होती है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र और निवासियों की आजीविका दोनों प्रभावित होती हैं
  4. महासागरों का बढ़ता स्तर : जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप, महासागरों के बढ़ते जलस्तर से निचले स्तर के मैंग्रोव के जलमग्न होने का खतरा उत्पन्न हो रहा है। खारे जल की अधिकता के परिणामस्वरूप उनका संतुलन बाधित हो रहा है और यह स्थिति चक्रवातों के दौरान तूफान के प्रति उन्हें अधिक संवेदनशील बना रही है।
  5. चक्रवातों की तीव्रता में वृद्धि : जलवायु परिवर्तन ने चक्रवात पुनरावृत्ति और तीव्र तूफानों के खतरे को बढ़ा दिया है। ये चक्रवात मैंग्रोव को हानि पहुँचा सकते हैं, जिससे भौतिक क्षति हो सकती है, साथ ही उनके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण तलछट प्रणाली बाधित हो सकती है।
  6. वन्यजीवों को खतरा :  वैश्विक स्तर पर होने वाले जलवायु परिवर्तन के कारण सुंदरबन में भी मैंग्रोव आवासों के नष्ट होने से संकटापन्न या लुप्तप्राय प्रजातियाँ नष्ट हो रही हैं।
  7. नकदी और खाद्य फसलों पर पड़ने वाला प्रभाव : सुंदरबन पारिस्थितिकी तंत्र में नकदी फसलों (ऑयल पाम) और खाद्यान्न उत्पादन (धान) के लिए मैंग्रोव वनों को काटकर या इसका रूपांतरण इनको नष्ट कर सकता है। इससे न केवल इन पारिस्थितिक तंत्रों के लिए उपलब्ध क्षेत्र कम हो जाता है, बल्कि वर्तमान पारिस्थितिक तंत्र भी खंडित और क्षेत्रफल के आधार पर सीमित  हो जाते हैं, जिससे जैव विविधता भयंकर रूप से प्रभावित होती है।
  8. मैंग्रोव विविध मोलस्क और क्रस्टेशियंस के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल : भारत के पश्चिम बंगाल में स्थित सुंदरबन मैंग्रोव विविध मोलस्क और क्रस्टेशियंस जैसे जीवों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल था, लेकिन इन प्रजातियों की प्रजनन प्रथाओं और वायु प्रदूषण के संदूषित निर्वहन के कारण वे लुप्त हो रहे है। 

 

समाधान / आगे की राह : 

 

सुंदरबन के मुख्य चुनौतियों का निम्नलिखित तरीके को अपनाकर समाधान किया जा सकता है – 

  1. नदी तटों का संरक्षण करके : सुंदरबन पारिस्थितिकी तंत्र को वेटिवर जैसी गैर-स्थानिक प्रजातियों की बजाय वाइल्ड राइस, मायरियोस्टैच्या वाइटियाना, बिस्किट ग्रास, और साल्ट काउच ग्रास जैसी स्थानिक प्रजातियों को उगाकर इसके नदी तटों का स्थिरीकरण किया जा सकता है और उसके क्षरण को रोका जा सकता है।
  2. धारणीय कृषि को प्रोत्साहन देकर : किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र को मृदा-सहिष्णु धान की किस्मों और जैविक कृषि पद्धतियों को अपनाकर पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए किसानों की कृषि उत्पादकता और आय बढ़ाई जा सकती है।
  3. वर्षा जल का संचयन करके : वर्षा जल संचयन और जल-संभरण/वाटरशेड विकास पहलों को लागू कर कृषि उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
  4. स्वास्थ्य की दृष्टि से अपशिष्ट जल उपचार पद्धति को अपनाकर : भारत में सुंदरबन पारिस्थितिकी तंत्र या अन्य पारिस्थितिकी तंत्र अथवा राष्ट्रीय उद्यानों में अपशिष्ट जल उपचार के लिए प्राकृतिक प्रक्रियाओं और सूक्ष्मजीवों, जैसे लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया और प्रकाश संश्लेषक बैक्टीरिया का उपयोग करके जल की गुणवत्ता और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।
  5. भारत – बांग्लादेश द्वारा आपसी सहयोग के माध्यम से : भारत-बांग्लादेश संयुक्त कार्य-समूह (JWG) को सुंदरबन और उस पर निर्भर समुदायों के लिए जलवायु अनुकूल योजना बनाने और उसे लागू करने हेतु एक उच्चाधिकार प्राप्त बोर्ड में परिवर्तित किया जा सकता है।
  6. नवोन्मेषी समाधान उपायों को अपनाकर : भारत में सुंदरबन पारिस्थितिकी तंत्र या अन्य पारिस्थितिकी तंत्र अथवा राष्ट्रीय उद्यानों को सुधारात्मक उपायों को अपनाकर इसके क्षरण होने से या इसको गंभीर खतरे बचाया जा सकता है। उन सुधारात्मक उपायों  में सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन, विद्युत परिवहन, सब्सिडीयुक्त LPG, विनियमित पर्यटन, प्रदूषक कारखानों को बंद करना, ईंट भट्टों और भूमि उपयोग का विनियमन, और तटीय विनियमों को सशक्त बनाना शामिल है।
  7. विविध और बहु – क्षेत्रीय दृष्टिकोण को अपनाकर : भारत में सुंदरबन पारिस्थितिकी तंत्र या अन्य पारिस्थितिकी तंत्र अथवा राष्ट्रीय उद्यानों को पर्यटन, आपदा प्रबंधन, कृषि, मत्स्य पालन और ग्रामीण विकास मंत्रालयों द्वारा भागीदारी करके और बहुआयामी योजना के लिए बहुस्तरीय दृष्टिकोण अपना कर इसे बचाया जा सकता है।

स्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. निम्नलिखित संरक्षित क्षेत्रों पर विचार कीजिए। ( UPSC – 2019) 

  1. बांदीपुर  
  2. भीतरकनिका 
  3. मानस  
  4. सुंदरबन

 उपर्युक्त में से किसे भारत में टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया है?

A. केवल 1 और 2

B. केवल 2, 3 और 4

C. केवल 1, 3 और 4

D. उपरोक्त सभी। 

उत्तर – C

Q.2. भारत की जैव – विविधता के संदर्भ में सीलोन फ्रॉगमाउथ, कॉपरस्मिथ बार्बेट, ग्रे-चिन्ड मिनिवेट और ह्वाइट-थ्रोटेड रेडस्टार्ट क्या है? ( UPSC – 2020 )

A. पक्षी

B. प्राइमेट

C. सरीसृप

D. उभयचर

उत्तर – A

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में होने वाली प्रमुख पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि इस क्षेत्र में सतत् विकास और पर्यावरणीय संरक्षण के लिए क्या चुनौतियाँ है और इसका समाधान कैसे किया जा सकता है ? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

Q.2. भारत में आधुनिक कानून की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पर्यावरणीय समस्याओं का संवैधानिकीकरण है।” सुसंगत वाद विधियों की सहायता से इस कथन की विवेचना कीजिए। (UPSC CSE – 2022)

Q.3. “विभिन्न प्रतियोगी क्षेत्रों और साझेदारों के मध्य नीतिगत विरोधाभासों के परिणामस्वरूप पर्यावरण के संरक्षण तथा उसके निम्नीकरण की रोकथाम’ अपर्याप्त रही है।” सुसंगत उदाहरणों सहित टिप्पणी कीजिए। ( UPSC CSE – 2018)

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