12 Apr भारत में वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक 2024 का महत्व
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 – ‘अंतर्राष्ट्रीय संबंध और अंतर्राष्ट्रीय संगठन’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारत में वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक 2024 का महत्व, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क, यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट और डब्ल्यूएचआर, वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक 2024 में भारत का स्थान, शिक्षा , उच्च शिक्षा , लैंगिक एवं जातीय समूह के पहचान के आधार पर जारी सूचकांक ’ खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘दैनिक करंट अफेयर्स’ के अंतर्गत ‘ भारत में वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक 2024 का महत्व ’ से संबंधित है।)
ख़बरों में क्यों ?
- वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित 20 मार्च 2024 को प्रकाशित वार्षिक वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक 2024 में फिनलैंड लगातार सातवें साल भी दुनिया का सबसे खुशहाल देश बना रहा।
- वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक 2024 के अनुसार – विश्व भर के खुशहाल देशों में से शीर्ष 10 देशों में डेनमार्क, आइसलैंड, स्वीडन, इजराइल, नीदरलैंड, नार्वे, लक्जमबर्ग , स्विट्जर्लैंड और आस्ट्रेलिया है। जबकि इस सूचकांक के घोषित निष्कर्षों के अनुसार – लीबिया , इराक, फिलिस्तीन और नाइजर जैसे देशों के बाद भारत इस सूचकांक में पिछले साल की तरह ही 126वें स्थान पर है।
- पूरे विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्व भर के अनेकों देशों के लोगों को उनके द्वारा स्वस्थ जीवन जीने के तरीके के रूप में खुशी के महत्व के बारे में सूचित करना एवं लोगों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए जागरूक करना है। इस अवसर पर विश्व भर के अनेक देशों के लोगों के जीवन में आने वाले खुशी के क्षणों के महत्व को और इस ख़ुशी के पल से उनके जीवन में उत्पन्न होने वाले लाभों के बारे में वैश्विक स्तर लोगों को जागरुक किया जाता है।
- वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक 2024 के अनुसार नॉर्डिक देशों ने 10 सबसे खुशहाल देशों में अपना स्थान बरकरार रखा है, डेनमार्क, आइसलैंड और स्वीडन फिनलैंड से अभी भी बहुत पीछे हैं।
- सन 2020 में तालिबानियों के शासन के नियंत्रण में आने के बाद से मानवीय तबाही से त्रस्त अफगानिस्तान वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक 2024 में शामिल 143 देशों में सबसे नीचे और दुनिया का सबसे नाखुश देश है।
- एक दशक से अधिक समय पहले तक और इस सूचकांक के प्रकाशित होने के बाद पहली बार, अमेरिका और जर्मनी विश्व के शीर्ष 20 देशों में सबसे खुशहाल देशों में नहीं है।
- 2024 के इस सूचकांक के अनुसार अमेरिका और जर्मनी वैश्विक स्तर पर पहली बार क्रमशः 23वें और 24वें स्थान पर शामिल खुशहाल देश हैं।
- वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक 2024 के अनुसार चीन 60वें, नेपाल 93वें, पाकिस्तान 108वें, म्यांमार 118वें, श्रीलंका 128वें और बांग्लादेश 129वें स्थान पर है।
- मध्य पूर्वी देशों में संयुक्त अरब अमीरात 22वें और सऊदी अरब 28वें स्थान पर रहा। एशियाई देशों में सिंगापुर 30वें स्थान पर रहा। जापान 50वें स्थान पर और दक्षिण कोरिया 51वें स्थान पर है।
- विश्व प्रसन्नता सूचकांक गैलप वर्ल्ड पोल डेटा, आक्सफोर्ड येलबोइंग रिसर्च सेंटर, यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट और डब्ल्यूएचआर द्वारा संचालित सतत विकास समाधान नेटवर्क का एक प्रकाशन है। यह सरकारी नीति के मानदंड के रूप में खुशी और कल्याण पर अधिक ध्यान देने की विश्वव्यापी मांग को दर्शाता है। यह आज दुनिया में खुशी की स्थिति की समीक्षा करता है और दिखाता है कि कैसे खुशी का विज्ञान खुशी में व्यक्तिगत और राष्ट्रीय भिन्नताओं की व्याख्या करता है।
वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक 2024 का मुख्य विषय :
- वैश्विक स्तर पर प्रत्येक वर्ष अंतरर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस मनाने के लिए एक विषय निर्धारित किया जाता है।
- वर्ष 2024 के अंतरर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस का मुख्य विषय – “खुशी के लिए पुनः जुड़ना: लचीले समुदायों का निर्माण” है।
- संयुक्त राष्ट्र वैश्विक स्तर पर हर प्रकार के देशों के लोगों को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के आयोजन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस का इतिहास :
- इस दिवस का इतिहास 2013 से आरंभ होता है जब इसे पहली बार संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा मनाया गया था।
- जीवन में खुशी के महत्व और लोगों को प्रसन्न करने के तरीकों को पहचानने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा 2012 में इसकी शुरुआत की गई थी।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार,- यह प्रस्ताव भूटान द्वारा आरंभ किया गया था।
- 12 जुलाई 2012 को, संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस के रूप में घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया।
- प्रथम ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस’ वर्ष 2013 में मनाया गया था।
- अतः वर्ष 2013 से ही प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को ही वैश्विक स्तर पर यह दिवस मनाया जाता है।
- भूटान ने 1970 के दशक की शुरुआत से राष्ट्रीय आय पर राष्ट्रीय प्रसन्नता के मूल्य को मान्यता दी थी। भूटान ने सकल राष्ट्रीय उत्पाद पर सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता के लक्ष्य को अपनाया था।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा के 66वें सत्र के दौरान भूटान ने “प्रसन्नता और कल्याण : एक नए आर्थिक प्रतिमान को परिभाषित करना“ विषय पर एक उच्च स्तरीय बैठक की मेजबानी भी की थी।
संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क ( यूएन एसडीएसएन ) :
- यूएन एसडीएसएन 2012 से संयुक्त राष्ट्र महासचिव के तत्वावधान में काम कर रहा है।
- एसडीएसएन सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) और पेरिस जलवायु समझौते के कार्यान्वयन सहित सतत विकास के लिए व्यावहारिक समाधानों को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञता जुटाता है।
- इसका उद्देश्य संयुक्त शिक्षा में तेजी लाना और एकीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है जो दुनिया के सामने आने वाली परस्पर जुड़ी आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करता है।
- एसडीएसएन संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, बहुपक्षीय वित्तपोषण संस्थानों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के साथ मिलकर काम करता है।
- एसडीएसएन के संगठन और शासन का लक्ष्य सभी क्षेत्रों और विविध पृष्ठभूमियों से बड़ी संख्या में नेताओं को नेटवर्क के विकास में भाग लेने में सक्षम बनाना है।
- एसडीएसएन का एक छोटा सचिवालय है जिसके कार्यालय न्यूयॉर्क, नई दिल्ली और पेरिस में हैं।
वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक में देशों को रैंकिंग प्रदान करने के महत्वपूर्ण कारक :
वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक कई कारकों के आधार पर विश्व के अनेक देशों को रैंकिंग प्रदान करती है। जिसमें से महत्वपूर्ण कारक निम्नलिखित है –
- वास्तविक सामाजिक समर्थन,
- प्रति व्यक्ति जी डी पी,
- किसी के जीवन में चयन की स्वतंत्रता,
- स्वस्थ जीवन प्रत्याशा और जीवन प्रत्याशा दर
- भ्रष्टाचार की धारणाएँ और
- उदारता।
अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस का महत्व :
- इस संसार में पत्येक व्यक्तियों के जीवन में प्रसन्नता का होना एक सार्वभौमिक अधिकार है और विश्व के किसी भी देश के किसी भी नागरिक को किसी को भी प्रसन्न होने के अधिकार से उसे वंचित नहीं किया / रखा जा सकता है।
- हम अपने प्रियजनों को प्रसन्न करने के लिए कई तरीके ढूंढते हैं। जब हम उन्हें मुस्कुराते हुए और प्रसन्न देखते हैं, तो वे क्षण ही हमारे जीवन को खुशहाल बनाते हैं।
- अंतरर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस हमारे द्वारा किए जाने वाले छोटे-छोटे प्रयासों या पहलों से अपने आस-पास के सभी लोगों को खुश करने का अवसर प्रदान करता है।
- इस दिवस के माध्यम से हम लोगों को उनके जीवन में ख़ुशी प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने से लेकर अपने आस – पास के लोगों के जीवन में ‘जीवन के प्रति सकारात्मकता दृष्टिकोण रखने” और उसे अपने समाज तक खुशियाँ फ़ैलाने तक के प्रयासों को शामिल कर सकते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास के लिए सभी के लिए और अधिक समावेशी, न्यायसंगत और संतुलित दृष्टिकोण रखने का आह्वान करती है जो हमारे आसा – पास के सभी लोगों के जीवन में खुशी और मानवता के लिए सभी का कल्याण करने के दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस लोगों को यह विचार करने के लिए प्रोत्साहित करता है कि खुशी पाने के कई तरीके हैं, जिनमें दूसरों के साथ सार्थक रिश्ते, अच्छा मानसिक स्वास्थ्य और आत्म-संतुष्टि शामिल हैं। इस दिन को लोगों और संगठनों द्वारा अपने और अपने समुदायों की खुशी के मानकों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के आह्वान के रूप में मनाया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस मनाने का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य यह भी है कि यदि हम अपने जीवन में होने वाले खुशी के पलों को स्वीकार करें और उसे मुख्य रूप से प्राथमिकता देते हैं तो हम इस दुनिया के सभी लोगों के लिए अधिक खुशहाल और अधिक संतुष्टिदायक जगह बना सकते हैं।
- इस सूचकांक / रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम खुश हैं।
- इस सूचकांक के अनुसार वैश्विक स्त्सर पर उम्र बढ़ने के साथ – ही – साथ लैंगिक अंतर (लिंग पर आधारित अंतर) भी बढ़ता जा रहा है।
भारत के संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता सूचकांक का महत्व :
- भारत का इस पूरे संसार के सभी प्राणियों के प्रति हमेशा से “ वसुधैव कुटुम्बकम ” की भावना रही है।
- भारत के धर्मग्रंथ भी सदैव से “ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।” अर्थात इस संसार के सभी प्राणी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े। किसी के जीवन में भी कोई भी कष्ट नहीं हो।
- भारत में अधिक उम्र का संबंध उच्च जीवन संतुष्टि से है। हालाँकि, वृद्ध भारतीय महिलाओं ने वृद्ध पुरुषों की तुलना में कम जीवन संतुष्टि और कम जीवन प्रत्याशा की सूचना प्रदान की है ।
- इस सूचकांक में यह भी बताया गया है कि भारत में लोगों में शिक्षा और उसकी जाति भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ।
- माध्यमिक या उच्च शिक्षा वाले वृद्ध वयस्कों और उच्च सामाजिक जातियों के लोगों ने औपचारिक शिक्षा के बिना अपने समकक्षों और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की तुलना में उच्च जीवन संतुष्टि की जानकारियां दी है।
- यह सूचकांक यह भी बताता है कि भारत की वृद्ध आबादी दुनिया भर में दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। जिसमें 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 14 करोड़ भारतीय हैं , जो 25 करोड़ अपने चीनी समकक्षों के बाद दूसरे स्थान पर है ।
- भारत में 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के भारतीयों की औसत वृद्धि दर देश की समग्र जनसंख्या दर से तीन गुना अधिक है ।
- भारत में प्रसन्नता के मामले में भारतीय नागरिकों के बीच पाए जाने वाले शिक्षा. उच्च शिक्षा, जाति और सामाजिक स्थिति ( आर्थिक आधार पर उसकी हैसियत) भी एक महत्वपूर्ण कारक होता है।
स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक 2024 के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- भारत इस सूचकांक में 134 देशों में 126 वें स्थान पर है ।
- इस सूचकांक 2024 में फिनलैंड लगातार सातवें साल भी दुनिया का सबसे खुशहाल देश है।
- वर्ष 2024 के अंतरर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस का मुख्य थीम – “खुशी के लिए पुनः जुड़ना: लचीले समुदायों का निर्माण” है।
- अफगानिस्तान वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक 2024 में शामिल देशों में सबसे नीचे और दुनिया का सबसे अधिक खुशहाल देश है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1 और 3
B. केवल 2 और 4
C. केवल 1 और 4
D. केवल 2 और 3
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक में रैंकिंग प्रदान करने के लिए अपनाए जाने वाले कारकों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत के संदर्भ में खुशहाली के लिए कौन – कौन से कारक महत्वपूर्ण है और भारत के नागरिकों के जीवन में प्रसन्नता के रैंक में समग्र सुधार करने के लिए क्या समाधान हो सकता है ? तर्कपूर्ण व्याख्या प्रस्तुत कीजिए।
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