भारत मौसम विज्ञान विभाग : कार्य और जिम्मेदारियाँ

भारत मौसम विज्ञान विभाग : कार्य और जिम्मेदारियाँ

( यह लेख ‘ इंडियन एक्सप्रेस ’, ‘ द हिन्दू ’  ‘ जनसत्ता ’ और ‘ पीआईबी ’ के सम्मिलित संपादकीय सारांश से संबंधित हैइसमें PLUTUS IAS  टीम के सुझाव भी शामिल हैं।  यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा परीक्षा के सामान्य अध्ययन के:अंतर्गत ‘ भारतीय भूगोल ’  खंड से संबंधित है। यह लेख ‘ दैनिक करंट अफेयर्स ’  के अंतर्गत ‘ भारत मौसम विज्ञान विभाग  : कार्य और जिम्मेदारियाँ ’ से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ? 

 

  • हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने भारत में ग्रीष्म ऋतु से संबंधित अप्रैल से जून) 2024 के लिए एक अद्यतन मौसमी दृष्टिकोण से संबंधित डाटा जारी किया है।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग ने नई दिल्ली के मौसम से संबंधित वर्षा और तापमान के लिए अप्रैल 2024 का एक अद्यतन मौसमी दृष्टिकोण से संबंधित डाटा भी जारी किया गया है। 
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) हमारे देश की वैज्ञानिक प्रगति के इतिहास में 150 वर्ष की सेवा पूरी कर रहा है। भारत में मौसम विज्ञान की शुरुआत प्राचीन काल से मानी जा सकती है। 
  • भारत में मौसम विज्ञान का इतिहास समृद्ध है और कई शताब्दियों तक फैला हुआ है। मौसम विज्ञान, पृथ्वी के वायुमंडल और इसकी घटनाओं का अध्ययन, ने मौसम के पैटर्न को समझने, प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी करने और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • सार्वजनिक मौसम सेवाएं प्रदान करने के अधिदेश के साथ भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) 15 जनवरी 2025 को अपनी स्थापना के 150 वर्ष पूरे कर लेगा।

 

भारत में मौसम विज्ञान सेवाओं का ऐतिहासिक विकास – क्रम : 

 

 

  • भारत में 3000 ईसा पूर्व के प्रारंभिक दार्शनिक साहित्य और  उपनिषदों  में बादलों के निर्माण और बारिश की प्रक्रियाओं एवं सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति के कारण होने वाले मौसमी चक्रों के बारे में गंभीर चर्चाओं के साक्ष्य मिलते हैं हैं।
  • वराहमिहिर की शास्त्रीय कृति, बृहत्संहिता, जो लगभग 500 ई.पू. में लिखी गई थी, इस बात का स्पष्ट प्रमाण देती है कि वायुमंडलीय प्रक्रियाओं का गहरा ज्ञान उस समय भी मौजूद था।
  • कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्षा के वैज्ञानिक माप और देश के राजस्व और राहत कार्यों में इसके अनुप्रयोग के रिकॉर्ड शामिल हैं।
  • सातवीं शताब्दी के आसपास लिखे गए कालिदास के महाकाव्य ‘मेघदूत’ में मध्य भारत में मानसून की शुरुआत की तारीख का भी उल्लेख मिलता है और मानसून के बादलों के मार्ग का भी पता चलता है।
  • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 17वीं और 18वीं शताब्दी के दौरान भारत के विभिन्न हिस्सों में वेधशालाएँ स्थापित कीं। ये वेधशालाएँ मौसम संबंधी घटनाओं सहित खगोलीय प्रेक्षणों पर केंद्रित थीं।
  • ब्रिटिश प्रशासकों और वैज्ञानिकों ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मौसमी पैटर्न को समझने के लिए जलवायु संबंधी अध्ययन किए। 1826 में स्थापित बॉम्बे वेधशाला ने प्रारंभिक मौसम अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • भारत में दुनिया की कुछ सबसे पुरानी मौसम विज्ञान वेधशालाएँ अभी भी मौजूद हैं।
  • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के मौसम और जलवायु का अध्ययन करने के लिए सन 1785 में कलकत्ता में और 1796 में मद्रास (अब चेन्नई) में कई स्टेशन स्थापित किए।
  • एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की स्थापना 1784 में कलकत्ता में और 1804 में बॉम्बे (अब मुंबई) में हुई, जिसने भारत में मौसम विज्ञान में वैज्ञानिक अध्ययन को बढ़ावा दिया।
  • कलकत्ता में कैप्टन हैरी पिडिंगटन ने 1835-1855 के दौरान एशियाटिक सोसाइटी के जर्नल में उष्णकटिबंधीय तूफानों से संबंधित 40 पत्र प्रकाशित किए और “साइक्लोन” शब्द गढ़ा, जिसका अर्थ सांप की कुंडली है।
  • 1842 में उन्होंने “लॉज़ ऑफ़ द स्टॉर्म्स” पर अपना स्मारकीय कार्य प्रकाशित किया। 
  • 19वीं सदी के पूर्वार्ध में भारत में प्रांतीय सरकारों के अधीन कई वेधशालाएँ काम करने लगीं।

 

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) : 

 

 

 

 

  • इसकी स्थापना सन 1875 में हुई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा है और मौसम विज्ञान और उससे संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों के लिए एक प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
  • देश में सभी मौसम संबंधी कार्यों को एक केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा भारत मौसम विज्ञान विभाग के अधीन लाया गया।
  • एचएफ ब्लैनफोर्ड को भारत सरकार का मौसम रिपोर्टर नियुक्त किया गया।
  • भारत में भारत मौसम विज्ञान विभाग का पहला महानिदेशक सर जॉन एलियट थे जिन्हें मई 1889 में कलकत्ता मुख्यालय में नियुक्त किया गया था। 
  • आईएमडी का मुख्यालय बाद में शिमला, फिर पूना (अब पुणे) और अंततः नई दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया।
  • अतः वर्तमान समय में भारत मौसम विज्ञानं का मुख्यालय: नई दिल्ली में स्थित है। 
  • आईएमडी ने मौसम की स्थिति की निगरानी और रिकॉर्ड करने के लिए पूरे भारत में अनेक वेधशालाओं के माध्यम से अपने नेटवर्क का विस्तार किया है।
  • भारत मौसम विज्ञानं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES)के अधीन कार्य करती है ।
  • मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक इस संगठन के प्रमुख होते हैं।
  • भारत में वर्तमान समय में 6 क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र हैं,। 
  • प्रत्येक क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र का मुख्यालय एक उप महानिदेशक के अधीन होता है, जिनका मुख्यालय मुंबई, चेन्नई, नई दिल्ली, कलकत्ता, नागपुर और गुवाहाटी में है।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग ने भारत में कृषि, शिपिंग और अन्य क्षेत्रों को समर्थन देने के लिए मौसम पूर्वानुमान और चेतावनियाँ प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया।
  • इसके द्वारा बंगाल की खाड़ी में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के अध्ययन को समझने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किया गया है।
  • आईएमडी ने भारत में चक्रवात ट्रैकिंग और मौसम से संबंधित भविष्यवाणी के लिए अपनी क्षमताओं को विकसित किया है , जिससे अब भारत में आपदा – प्रबंधन से संबंधित तैयारियों में सुधार हुआ है।
  • भारत को स्वतंत्रता के बाद, आईएमडी ने अपने आधुनिकीकरण के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों, मौसम रडार, उपग्रह इमेजरी और कंप्यूटर मॉडल को मौसम संबंधी प्रथाओं में शामिल कर अपना आधुनिकीकरण भी किया है ।
  • आईएमडी ने भारत के विभिन्न राज्यों में मौसम की निगरानी और पूर्वानुमान सेवाओं के कवरेज को बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्रों की स्थापना की।
  • आईएमडी ने विशिष्ट कृषि, विमानन और आपदा प्रबंधन पूर्वानुमान प्रदान करने के लिए अपनी सेवाओं का विस्तार किया। 
  • भारत में अब आईएमडी की भूमिका मौसम की भविष्यवाणी से आगे बढ़कर जलवायु निगरानी और अनुसंधान करने तक हो गई है।
  • भारत 1948 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) का सदस्य बन गया ,जिससे मौसम विज्ञान विभाग को अनुसंधान और डेटा विनिमय में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की सुविधा भी मिलती है ।

 

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के कार्य और जिम्मेदारियाँ : 

 

  • मौसम पूर्वानुमान जारी करना : आईएमडी भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लिए अल्पकालिक और विस्तारित अवधि के लिए मौसम पूर्वानुमान जारी करने के लिए जिम्मेदार है। ये पूर्वानुमान कृषि, बाहरी घटनाओं और आपदा प्रतिक्रिया सहित विभिन्न गतिविधियों की योजना बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • कृषि मौसम विज्ञान के लिए विशेष सेवाएं प्रदान करना :  आईएमडी कृषि के लिए विशेष सेवाएं प्रदान करता है, जिसके तहत भारतीय किसानों को मौसम से संबंधित सलाह प्रदान करना शामिल है। ये सलाह भारत में फसल योजना, सिंचाई और कीट – प्रबंधन में सहायता करती हैं।
  • जलवायु की जानकारी प्रदान करना : आईएमडी भारत में जलवायु और उससे संबंधित तापमान पैटर्न और वर्षा से संबंधित जानकारी प्रदान करता है। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभाव सहित जलवायु अध्ययन और आकलन में योगदान देता है।
  • चक्रवात ट्रैकिंग और चेतावनी : आईएमडी बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की निगरानी और ट्रैकिंग करता है। यह चक्रवातों के प्रभाव को कम करने के लिए जनता, तटीय अधिकारियों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों को चेतावनियाँ और सलाह जारी करता है।
  • विमानन सेवाओं से संबंधित जानकारी प्रदान करना : आईएमडी देश भर के हवाई अड्डों के लिए मौसम पूर्वानुमान प्रदान करके विमानन संचालन का समर्थन करता है। यह प्रतिकूल मौसम की स्थिति के दौरान सुरक्षित टेक-ऑफ और लैंडिंग सुनिश्चित करता है।
  • मौसम संबंधी अनुसंधान और विकास गतिविधियों की जानकारी प्रदान करना :  आईएमडी मौसम संबंधी अनुसंधान और विकास गतिविधियों में संलग्न है। यह मौसम पूर्वानुमानों और जलवायु पूर्वानुमानों की सटीकता बढ़ाने के लिए अपनी प्रौद्योगिकियों और कार्यप्रणाली को लगातार अद्यतन करता रहता है।
  • भूकंप की निगरानी संबंधी जानकारी प्रदान करना :  आईएमडी भूकंपीय गतिविधियों पर नज़र रखता है और भूकंप से संबंधित जानकारी प्रदान करता है। भूकंप से संबंधित निगरानी भारत में समग्र आपदा प्रबंधन प्रयासों का एक हिस्सा होता है।

 

भारत मौसम विज्ञान द्वारा संचालित किए जाने वाले प्रमुख पहल : 

 

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) मौसम संबंधी डेटा एकत्र करने के लिए वेधशालाओं का एक नेटवर्क संचालित करता है, जिसमें सतही मौसम केंद्र, ऊपरी हवा वेधशालाएं और तटीय वेधशालाएं शामिल हैं।  अतः भारत में मौसम विज्ञानं विभाग द्वारा संचालित किए जाने वाला प्रमुख पहल निम्नलिखित है – 

 

  1. राष्ट्रीय मानसून मिशन (एनएमएम)
  2. मौसम ऐप
  3. डॉपलर मौसम रडार
  4. मेघदूत एग्रो
  5. दामिनी बिजली
  6. उमंग

 

  • भारत ने अपनी रिमोट सेंसिंग क्षमताओं को विकसित किया और मौसम की निगरानी के लिए उपग्रह लॉन्च किए, जिनमें भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (INSAT) और भारतीय मौसम विज्ञान उपग्रह कार्यक्रम (कल्पना, INSAT-3DR, आदि) शामिल हैं।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अपनी 150वीं वर्षगांठ पर जलवायु सेवाओं के लिए राष्ट्रीय ढांचा (NFCS) को लॉन्च किया है।  जो निम्नलिखित है – 

 

  • एनएफसीएस का लक्ष्य विज्ञान-आधारित जलवायु निगरानी और भविष्यवाणी सेवाओं के उत्पादन, उपलब्धता, वितरण और अनुप्रयोग को मजबूत करना है।
  • एनएफसीएस विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा शुरू किए गए ग्लोबल फ्रेमवर्क फॉर क्लाइमेट सर्विसेज (जीएफसीएस) पर आधारित है।
  • एनएफसीएस प्रमुख क्षेत्रों, अर्थात् आपदा जोखिम में कमी, कृषि और खाद्य सुरक्षा, जल संसाधन, सार्वजनिक स्वास्थ्य और ऊर्जा के लिए जलवायु जोखिमों को कम करेगा

 

निष्कर्ष / आगे की राह : 

 

 

 

  • भारत में मौसम विज्ञान विभाग का इतिहास प्रारंभिक अवलोकनों और ब्रिटिश काल की वेधशालाओं से लेकर आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना तक की क्रमिक विकास प्रक्रिया को दर्शाता है।
  • वर्तमान समय में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) मौसम पूर्वानुमान प्रदान करने, जलवायु रुझानों की निगरानी करने और मौसम संबंधी अनुसंधान में अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा भारत में मौसम पूर्वानुमान, जलवायु निगरानी और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में निरंतर प्रयास लोगों की सुरक्षा और कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान देता है। 
  • इसमें ऐसी कोई आवश्यकता नहीं बतायी गयी है कि मतदान केंद्र अधिकारियों के बैठने की जगह के परे भी शीतलन को प्राथमिकता दें। 
  • भारत में कई प्रमुख राजनेताओं द्वारा यह सुझाव दिया जाता रहा है कि भारत में होने वाले आम चुनाव को फरवरी-मार्च या अक्टूबर-नवंबर के सुहाने मौसम में कराया जाए, लेकिन मतदान खत्म होते ही यह चर्चा ठंडी पड़ जाती है। जिस पर अमल करने की अब सख्त जरूरत है।
  • भारत के आकार और आयोजन संबंधी चुनौतियों के कारण चुनाव प्रक्रिया में नवाचार देखने को मिला है और बहु-चरणीय मतदान प्रक्रिया और EVM जैसे उपाय भी अपनाये गये हैं। हर साल तापमान का रिकॉर्ड टूटने तथा लू, जलवायु एवं स्वास्थ्य के बीच संबंध और भी ज्यादा स्पष्ट होने के साथ, अब वक्त आ गया है कि चुनाव प्रक्रिया इस संकट से निपटने के लिए रचनात्मक तरीकों पर विचार करे।

 

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत मौसम विज्ञान विभाग के बारे में निम्नलिखित कथनों का विचार कीजिए।

  1. कालिदास ने ‘मेघदूत’ में मानसून की शुरुआत की तारीख का उल्लेख किया है।
  2. जनवरी, 2024 में भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अपनी स्थपाना के 100 वर्ष पूरे कर लिए।
  3. इसकी स्थापना 15 जनवरी, 1924 को हुई थी।
  4. भारत सन 1948 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) का सदस्य बन गया था।

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए। 

A. केवल 1, 3 और 4 

B. केवल 1 और 2

C. केवल 1, 2 और 3

D. केवल 1 और 4

 

उत्तर – D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q. 1.  मौसम विज्ञान विभाग’ के प्रमुख कार्यों को स्पष्ट करते हुए यह चर्चा कीजिए कि मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक केंद्र के रूप में अपनी भूमिका के माध्यम से वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक विकास में भारत मौसम विज्ञान विभाग का क्या योगदान है ? ( UPSC CSE – 2019)  ( शब्द सीमा – 250 शब्द )

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