भारत–यूके द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA)

भारत–यूके द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA)

पाठ्यक्रम – सामान्य अध्ययन – 2 – अंतर्राष्ट्रीय संबंध- भारत-यूके CETA: सेवा व्यापार की संभावनाओं का दोहन

प्रारंभिक परीक्षा के लिए : 

भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA) के अंतर्गत सेवा क्षेत्र में भारत के लिए प्रमुख लाभ क्या हैं?

मुख्य परीक्षा के लिए : 

भारत-यूके CETA के सेवा-संबंधी प्रावधानों को लागू करने में भारत को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है?

ख़बरों में क्यों ?

 

  • भारत और यूनाइटेड किंगडम ने व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (Comprehensive Economic and Trade Agreement – CETA) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता है और दोनों देशों के दीर्घकालिक संबंधों में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। 
  • यह समझौता भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल और यूके के व्यापार सचिव श्री जोनाथन रेनॉल्ड्स द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और यूके के प्रधानमंत्री सर कीर स्टारमर की उपस्थिति में हस्ताक्षरित किया गया।
  • यह समझौता 6 मई 2025 को वार्ताओं की सफल समाप्ति के बाद हुआ है और यह दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच आर्थिक संबंधों को और प्रगाढ़ करने की साझा आकांक्षा को दर्शाता है। 
  • वर्तमान में भारत–यूके द्विपक्षीय व्यापार 56 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच चुका है, जिसे 2030 तक दोगुना करने का लक्ष्य है।

 

भारत – यूके सेवा व्यापार में महत्वपूर्ण प्रगति : 

 

  • CETA केवल वस्तुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि सेवाओं के क्षेत्र को भी समाहित करता है, जो भारत की अर्थव्यवस्था की प्रमुख शक्ति है। वर्ष 2023 में भारत ने यूके को 19.8 अरब अमेरिकी डॉलर की सेवाओं का निर्यात किया, और यह समझौता इस व्यापार को और व्यापक बनाने का अवसर प्रदान करता है।
  • पहली बार यूके ने आईटी, स्वास्थ्य सेवा, वित्त और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भारतीय पेशेवरों के लिए गतिशीलता को सरल बनाया है। इस समझौते के अंतर्गत Contractual Service Suppliers, Business Visitors, Intra-Corporate Transferees, और Independent Professionals (जैसे योग प्रशिक्षक, रसोइये, और संगीतज्ञ) के लिए प्रवेश को आसान बनाया गया है।
  • एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि Double Contribution Convention (DCC) है, जिसके अंतर्गत भारतीय कंपनियों और कर्मचारियों को यूके में दोहरी सामाजिक सुरक्षा में योगदान नहीं देना होगा। इससे भारतीय कंपनियों को ₹4,000 करोड़ से अधिक की बचत होगी।
  • यह समझौता रोजगार सृजन, निर्यात में वृद्धि, और भारत–यूके आर्थिक सहयोग को मजबूत बनाने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल के शब्दों में – “यह एफटीए समावेशी विकास के उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा, जिससे किसान, कारीगर, श्रमिक, एमएसएमई, स्टार्टअप और नवप्रवर्तक लाभान्वित होंगे, साथ ही यह भारत के मूलभूत हितों की रक्षा करते हुए हमें वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ाएगा।”

 

भारत – यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA) की प्रमुख विशेषताएँ :

 

व्यापक शुल्क समाप्ति : 

 

  1. भारत–यूके CETA के तहत, भारत से यूके को होने वाले 99% निर्यात पर अब शून्य आयात शुल्क लगेगा, जिससे भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी।
  2. इस निर्णय से वस्त्र, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, रत्न एवं आभूषण, खिलौने, रसायन, इंजीनियरिंग सामान और कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों को विशेष लाभ मिलेगा।
  3. वहीं, डेयरी, अनाज, दलहन, सोना और स्मार्टफोन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को समझौते के तहत संरक्षण प्रदान किया गया है।
  4. मेक इन इंडिया और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के अनुरूप, इन क्षेत्रों में 5 से 10 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से उदारीकरण किया जाएगा।
  5. अचानक आयात में अत्यधिक वृद्धि की स्थिति से निपटने के लिए द्विपक्षीय सुरक्षा उपायों का प्रावधान भी किया गया है।

 

सरल उत्पत्ति एवं उत्पाद-विशिष्ट नियम : 

 

  1. निर्यातकों को अब उत्पाद के मूल देश का प्रमाण पत्र स्वयं तैयार करने की अनुमति दी गई है, जिससे निर्यात प्रक्रिया अधिक सरल और तेज हो गई है।
  2. इसके अलावा, £1,000 से कम मूल्य की खेपों के लिए उत्पत्ति प्रमाणपत्र की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
  3. भारतीय आपूर्ति श्रृंखलाओं की विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए, उत्पाद-विशिष्ट नियम (Product-Specific Rules) बनाए गए हैं।

 

पेशेवर गतिशीलता और सेवाओं को बढ़ावा देना : 

 

  1. यूके ने 137 सेवा उप-क्षेत्रों में भारत को बाज़ार पहुँच प्रदान की है, जिनमें आईटी, वित्त, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं।
  2. इसके बदले भारत ने भी यूके को 108 सेवा उप-क्षेत्रों में प्रवेश की अनुमति दी है।
  3. भारत के पेशेवरों के लिए पाँच श्रेणियों – जैसे Intra-Corporate Transferees (ICTs), निवेशक, Contractual Service Suppliers (CSS) आदि के तहत अस्थायी प्रवेश की सुविधा दी गई है।
  4. यूके ने भारतीय पेशेवरों पर आर्थिक आवश्यकता परीक्षण (ENT) या संख्यात्मक सीमा जैसे प्रतिबंधों को हटा दिया है।
  5. इसके अतिरिक्त, भारतीय योग प्रशिक्षकों, शेफ और सांस्कृतिक कलाकारों के लिए 1,800 वार्षिक कोटा निर्धारित किया गया है।

 

दोहरा योगदान सम्मेलन (Double Contribution Convention – DCC) : 

 

  1. इस प्रावधान के अंतर्गत, भारतीय पेशेवरों और कंपनियों को तीन वर्षों तक यूके में सामाजिक सुरक्षा योगदान से छूट प्राप्त होगी।
  2. इससे लगभग 75,000 भारतीय पेशेवरों और 900 से अधिक भारतीय कंपनियों को लाभ पहुंचेगा।
  3. इसके माध्यम से भारत को ₹4,000 करोड़ (लगभग 500 मिलियन डॉलर) की वार्षिक बचत होगी।

 

भारत को सेवा क्षेत्र में प्राप्त होने वाले प्रमुख लाभ : 

 

आर्थिक महत्व : 

 

  1. भारत की कुल सकल मूल्य वर्धन (GVA) में सेवा क्षेत्र का योगदान 55% है, जबकि यूके की अर्थव्यवस्था में इसका हिस्सा 81% है।
  2. भारत को सेवाओं के क्षेत्र में यूके के साथ $6.6 अरब का व्यापार अधिशेष प्राप्त है, जो इस समझौते से और बढ़ने की संभावना है।

 

द्विपक्षीय सेवा व्यापार और सहयोग को बढ़ावा : 

 

  1. यूके ने भारत को 137 उप-क्षेत्रों में प्रवेश देकर, भारत की 99% सेवा व्यापारिक प्राथमिकताओं को मान्यता दी है।
  2. भारत ने भी यूके को 108 उप-क्षेत्रों में पहुँच प्रदान की है, जिससे द्विपक्षीय सेवा व्यापार और सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

 

डिजिटल और व्यावसायिक लाभ : 

 

  1. भारतीय आईटी और डिजिटल सेवा कंपनियाँ अब यूके के $200 अरब के डिजिटल सेवाओं के बाजार में सरलता से प्रवेश कर सकेंगी।
  2. भारतीय स्टार्टअप को नियामक अनुपालन में छूट मिलेगी, जिससे उनके लिए यूके में विस्तार करना आसान होगा।
  3. इससे भारत के वैश्विक सेवा केंद्र (GCCs) को नई मजबूती प्राप्त होगी।

 

पेशेवर गतिशीलता की अनुमति प्रदान करना : 

 

  1. भारत और यूके के बीच नर्सिंग, लेखांकन और वास्तुकला जैसे पेशों के लिए आपसी मान्यता समझौते 12 महीनों के भीतर लागू किए जाएंगे।
  2. व्यापार आगंतुकों को 90 दिन, ICTs को 3 वर्ष और स्वतंत्र पेशेवरों को 12 महीने तक यूके में कार्य करने की अनुमति मिलेगी।
  3. इन श्रेणियों में कोई संख्यात्मक सीमा या आर्थिक आवश्यकता परीक्षण लागू नहीं होगा।

दोहरा योगदान सम्मेलन (Double Contribution Convention – DCC) का लाभ : 

 

  • DCC के माध्यम से, भारत को प्रति वर्ष ₹4,000 करोड़ से अधिक की बचत होगी, जो कंपनियों और पेशेवरों दोनों के लिए अत्यधिक लाभकारी है।

 

प्रमुख सेवा क्षेत्र : 

 

  1. आईटी और आईटीईएस क्षेत्र में अब व्यापार अधिक सुगम होगा और कौशल गतिशीलता में सुधार होगा।
  2. स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में विशेष रूप से EdTech के माध्यम से सीमा-पार साझेदारी और सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
  3. वित्तीय सेवाओं में फिनटेक निवेश, डेटा सुरक्षा और पारदर्शिता को सुनिश्चित करते हुए निष्पक्ष व्यवहार की गारंटी दी गई है।

 

रणनीतिक संरक्षण प्रदान करना : 

 

  • भारत ने CETA के अंतर्गत डेयरी, अनाज, स्वर्ण, ऑटोमोबाइल, और एमएसएमई जैसे रणनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों को प्रभावी रूप से संरक्षित किया है।

 

समावेशी और लचीला व्यापार का प्रभाव : 

 

  1. आपूर्ति श्रृंखला और प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार : व्यापार प्रक्रियाओं को सरल और डिजिटल बनाए जाने से MSMEs को लाभ होगा और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
  2. डिजिटल परिवर्तन और नवाचार को बढ़ावा देना : पेपरलेस व्यापार, ई-प्रमाणीकरण और डिजिटल व्यापार सुविधा से स्टार्टअप और लघु उद्यमों को सीधा लाभ मिलेगा। डेटा गोपनीयता और उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
  3. हरित विकास और स्थिरता को बढ़ावा देना : इस द्विपक्षीय समझौते में स्वच्छ प्रौद्योगिकियों, नवीकरणीय ऊर्जा, और सतत उत्पादन को प्रोत्साहित किया गया है, जो भारत के हरित विकास लक्ष्यों से मेल खाता है।
  4. कौशल विकास और श्रमिक गतिशीलता को बढ़ावा देना : व्यावसायिक पात्रताओं की आपसी मान्यता से पेशेवरों को वैश्विक अवसर मिलेंगे। इंजीनियरों, आर्किटेक्ट्स और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए स्पष्ट और पूर्वानुमानित मार्ग तय किए गए हैं।
  5. सामाजिक और आर्थिक समावेशन : CETA महिलाओं, युवाओं और वंचित वर्गों के लिए वैश्विक व्यापार में प्रवेश के समान अवसर प्रदान करता है। लैंगिक समानता, नवाचार सहयोग और समावेशी व्यापार को विशेष रूप से प्रोत्साहन दिया गया है।

 

निष्कर्ष : 

 

  • भारत–यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) भारत की व्यापार कूटनीति में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह न केवल कृषि, इंजीनियरिंग और सेवाओं जैसे क्षेत्रों में विशाल अवसर प्रदान करता है, बल्कि समावेशी, हरित और लचीले व्यापार की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। यह समझौता 2030 तक व्यापार को दोगुना करने और भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को मजबूती देने के लिए एक सशक्त कदम है।

 

स्त्रोत – पी.आई. बी एवं द हिन्दू। 

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q.1. भारत–यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. यह समझौता वस्तुओं और सेवाओं दोनों क्षेत्रों को कवर करता है।
  2. भारत ने यूके के बाज़ार में 130 से अधिक सेवा उपक्षेत्रों में पहुँच प्राप्त की है।
  3. यह समझौता यूके में कार्यरत भारतीय पेशेवरों को स्थायी निवास की अनुमति देता है।

नीचे दिए गए कूट के माध्यम से सही उत्तर चुनिए :
A. केवल 1 और 2
B. केवल 2 और 3
C. केवल 1 और 3
D. 1, 2 और 3

उत्तर – A

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q.1. भारत–यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA) के अंतर्गत सेवा क्षेत्र में भारत को हुए प्रमुख लाभों की चर्चा कीजिए। यह समझौता भारत के व्यापक रणनीतिक और आर्थिक लक्ष्यों को कैसे समर्थन प्रदान करता है? (शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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