भोपाल में भिक्षावृत्ति पर प्रतिबंध : मध्य प्रदेश में बदलाव की नई लहर

भोपाल में भिक्षावृत्ति पर प्रतिबंध : मध्य प्रदेश में बदलाव की नई लहर

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 1 के अंतर्गत ‘ सामाजिक न्याय , भारत में भिक्षावृति , सामाजिक सशक्तिकरण , भारत में सामाजिक कल्याण के लिये कानूनी ढाँचा , भिक्षावृत्ति का अपराधीकरण ’ खण्ड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारत में कमज़ोर समूह , गरीबी , बेरोज़गारी , समवर्ती सूची , प्रथम सूचना रिपोर्ट , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता , आजीविका और उद्यम के लिए हाशिए पर पड़े व्यक्तियों के लिए सहायता ’ खण्ड से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ? 

 

 

  • हाल ही में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सार्वजनिक स्थानों पर भिक्षावृत्ति पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। 
  • मध्य प्रदेश के ही इंदौर शहर के उदाहरण को अपनाते हुए यह कदम भिक्षावृत्ति के कारण यातायात में अवरोध और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उठाया गया। 
  • अधिकारियों के अनुसार, कई भिखारी अनेक आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त होते हैं और अन्य राज्यों से आते हैं, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न होता है। 
  • सार्वजनिक स्थानों पर भिक्षावृत्ति पर पूर्ण प्रतिबंध का मुख्य उद्देश्य इन समस्याओं से निपटना और लोगों की जान – माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ – ही – साथ और शहर में यातायात की व्यवस्था को सुव्यवस्थित को बनाए रखना भी है।

 

भारत में भिक्षावृत्ति पर प्रतिबंध से संबंधित कानूनी कार्रवाई : 

  1. भोपाल जिले में भिक्षावृत्ति पर प्रतिबंध भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 के तहत लागू किया गया है, जो अत्यावश्यक मामलों में मजिस्ट्रेट को आदेश जारी करने की शक्ति देती है। 
  2. इसके अतिरिक्त, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 223 के तहत उन व्यक्तियों पर कार्रवाई की जाती है जो लोक सेवकों द्वारा जारी किए गए आदेशों की अवहेलना करते हैं। 
  3. यह कदम इंदौर के उदाहरण को ध्यान में रखते हुए उठाया गया, जहां पहले भिक्षावृत्ति पर प्रतिबंध लागू किया गया था और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ FIR दर्ज की जाती थी।

 

भारत में भिक्षावृत्ति से संबंधित कानूनी प्रावधान : 

 

  1. औपनिवेशिक कानून : सन 1871 का आपराधिक जनजाति अधिनियम खानाबदोश जनजातियों को अपराधी मानते हुए भिक्षावृत्ति से जोड़ता है।
  2. वर्तमान विधिक ढाँचा : भारतीय संविधान की समवर्ती सूची के तहत, केंद्र और राज्य सरकारों को भिक्षावृत्ति, आहिंडन और घुमंतू जनजातियों पर कानून बनाने का अधिकार है। हालांकि, इस पर कोई केंद्रीय कानून नहीं है, लेकिन कई राज्यों ने बॉम्बे भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम, 1959 के आधार पर कानून बनाए हैं।
  3. विधिक निर्णय : दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2018 में कहा कि बॉम्बे अधिनियम मनमाना है और यह सम्मान से जीने के अधिकार का उल्लंघन करता है। वहीं, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे आपराधिक नहीं, बल्कि एक सामाजिक-आर्थिक समस्या माना।
  4. आजीविका और उद्यम हेतु हाशिए पर स्थित व्यक्तियों की सहायता (SMILE) योजना : वर्ष 2022 में शुरू की गई SMILE योजना का उद्देश्य वर्ष 2026 तक भिक्षावृत्ति मुक्त भारत बनाना है और इसके तहत भिक्षुकों को चिकित्सा, शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर उनका पुनर्वास किया जा रहा है।
  5. भारत में भिक्षुकों की संख्या : भारत की जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में भिक्षुकों की संख्या 4,13,670 थी। भिक्षुकों की सर्वाधिक संख्या पश्चिम बंगाल में है, उसके बाद उत्तर प्रदेश और बिहार का स्थान है।

 

भारत में भिक्षावृत्ति के मुख्य कारण :

  1. आर्थिक कारण : भारत में गरीबी, बेरोज़गारी और रोजगार के सीमित अवसर का होना भिक्षावृत्ति के प्रमुख कारण हैं। शहरों की ओर ग्रामीणों का पलायन उन्हें आर्थिक संकट में डालता है, जिससे वे भिक्षावृत्ति अपनाने के लिए मजबूर होते हैं।
  2. सामाजिक और सांस्कृतिक कारक : भारतीय समाज की सामाजिक व्यवस्था में जातिवाद और सामाजिक भेदभाव के कारण कुछ समुदायों को अवसरों से वंचित रखा जाता है, जिससे उनकी जीवनशैली प्रभावित होती है। भारत कई समुदायों जैसे नट, सैन्स और बाजीगर समुदाय के लिए भिक्षावृत्ति एक पारंपरिक व्यवसाय बन गया है।
  3. शारीरिक और मानसिक दिव्यांगता का होना : भारत में चिकित्सा देखभाल और गरीबों के पुनर्वास की कमी के कारण दिव्यांग व्यक्ति और मानसिक रूप से बीमार लोग भिक्षावृत्ति के लिए विवश होते हैं।
  4. प्राकृतिक आपदाएँ जैसे प्राकृतिक कारक : बाढ़, सूखा, और भूकंप जैसी आपदाएँ लोगों को विस्थापित कर देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे अत्यधिक गरीबी में फंस जाते हैं और भिक्षावृत्ति करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
  5. मानव तस्करी और संगठित भिक्षावृत्ति जैसे आपराधिक गिरोह का होना : भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मानव तस्करी और आपराधिक गिरोह बच्चों और महिलाओं का शोषण कर उन्हें भिक्षावृत्ति में धकेलते हैं, जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

 

भिक्षावृत्ति का समाज पर पड़ने वाला प्रभाव : 

  1. सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा और स्वच्छता की कमी से विभिन्न रोग के प्रसार का खतरा होना : भारत में भिक्षावृत्ति वाले स्थानों पर स्वच्छता की कमी से विभिन्न रोग फैलते हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा पर दबाव बढ़ता है।
  2. अपराध और शोषण का शिकार होना : संगठित भिक्षावृत्ति गिरोह बच्चों की तस्करी और जबरन श्रम में संलिप्त होते हैं। भिखारियों के गिरोह में नशीली दवाओं का सेवन तथा बच्चों और महिलाओं का शोषण अधिक होता है।
  3. भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुँचाना और शहरों में पर्यटन को प्रभावित करना : अनियंत्रित भिक्षावृत्ति शहरों में पर्यटन को प्रभावित करती है और भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुँचाती है। सार्वजनिक स्थानों पर भिक्षावृत्ति के बढ़ते मामलों से सुरक्षा और शांति पर खतरा होता है।
  4. मानवाधिकार के उल्लंघन होने की संभावना होना : भिक्षावृत्ति विरोधी कानूनों के तहत बिना पुनर्वास के कई भिखारियों को गिरफ्तार कर लिया जाता है। इन कानूनों में औपनिवेशिक पूर्वाग्रहों का असर देखा जाता है, जहां शासन को गरीबों और शहरी सौंदर्य से असंगत लोगों को गिरफ्तार करने की शक्तियां प्राप्त होती हैं।

 

समाधान / आगे की राह : 

 

 

  1. संगठित भिक्षावृत्ति गिरोहों से निपटने की आवश्यकता : भारत में भिक्षावृत्ति से जुड़े गिरोहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए पुलिस, एनजीओ और बाल कल्याण संगठनों के बीच समन्वय बढ़ाना आवश्यक है। भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 के तहत तस्करी विरोधी कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए। शोषणकारी भिक्षावृत्ति नेटवर्क को दंडित करना चाहिए, लेकिन कारावास के बजाय पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित किया जाए, इसको भी सुनिश्चित करने की जरूरत है।
  2. भिक्षावृत्ति के दुष्परिणामों के विरुद्ध सामुदायिक जागरूकता को बढ़ावा देने की जरूरत : भारत में भिक्षावृत्ति के दुष्परिणामों के बारे में लोगों को जागरूक करना, विश्वसनीय धर्मार्थ संस्थाओं और सामुदायिक परियोजनाओं के लिए दान को बढ़ावा देना आवश्यक है। इसके साथ ही, पुनर्वास प्रयासों के लिए धन उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
  3. कौशल प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के साथ ही शहरी नियोजन और रात्रि आश्रय स्थलों का विस्तार करने की आवश्यकता : सरकार को बेहतर सुविधाओं के साथ रात्रि आश्रयों (Night Shelters) की संख्या बढ़ानी चाहिए। इसके अलावा, भिखारियों के पुनर्वास में सहायता के लिए कौशल प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
  4. सामाजिक बहिष्कार जैसे मूलभूत कारणों पर ध्यान देते हुए नीतिगत स्तर पर सुधार करने की जरूरत : बेरोज़गारी और सामाजिक बहिष्कार जैसे मूलभूत कारणों पर ध्यान देते हुए नीतियों का निर्माण करना चाहिए, जिससे भिक्षावृत्ति की समस्या की रोकथाम की जा सके।
  5. भारत के विभिन्न मंत्रालयों के बीच आपसी समन्वय से भिक्षावृत्ति की समस्या का समग्र समाधान करने की जरूरत : भिक्षावृत्ति की जटिल समस्या का समाधान विभिन्न मंत्रालयों जैसे सामाजिक न्याय, शहरी मामलों और श्रम मंत्रालयों के समन्वय से ही संभव है।
  6. आजीविका के स्थायी अवसर पैदा करने के लिए स्थानीय साझेदारी को सुनिश्चित करने की अत्यंत आवश्यकता : पुनर्वासित व्यक्तियों के लिए स्थायी आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए स्थानीय व्यवसायों और उद्योगों के साथ साझेदारी करना चाहिए, ताकि वे दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता प्राप्त कर सकें।

Download Plutus IAS Current Affairs (Hindi) 06st Feb 2025

 

स्त्रोत – द हिन्दू।

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में भिक्षावृत्ति पर कानूनी कार्रवाई किस धारा के तहत की जाती है?

  1. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163
  2. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 223
  3. आपराधिक जनजाति अधिनियम 1871
  4. बॉम्बे भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम 1959

उपर्युक्त में से कौन सा विकल्प सही है ?

A. केवल 1 और 3 

B. केवल 1 और 2 

C. केवल 2 और 4 

D. केवल 2 और 3 

उत्तर – B

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में भिक्षावृत्ति से संबंधित कानूनी प्रावधानों, इसके मुख्य कारणों और समाज पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा करते हुए, इससे निपटने के लिए उठाए जाने वाले समाधानात्मक उपायों पर विस्तार से प्रकाश डालिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

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