राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस 2025

राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस 2025

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 के अंतर्गत ‘ भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास , रोजगार , सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर , भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम से संबंधित प्रमुख मुद्दे ’ खण्ड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ स्टार्टअप इंडिया योजना , कृत्रिम बुद्धिमत्ता , भारतीय रिज़र्व बैंक , नेशनल रिसर्च फाउंडेशन , उत्पाद नवाचार , भारतीय उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र ’ खण्ड से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ?

 

  • हाल ही में भारत में 16 जनवरी 2025 को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस 2025 मनाया गया।  
  • वर्ष 2025 में स्टार्टअप इंडिया योजना के 9 वर्ष पूरे हुए, जिसे 16 जनवरी 2016 को प्रारंभ किया गया था। भारत में इस दिन को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के रूप में मनाया जाता है। 
  • इस पहल का उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना, स्टार्टअप्स का समर्थन करना और निवेश को आकर्षित करना है। 
  • राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस 2025 का मुख्य विषय –  #9YearsOfStartupIndia और #उद्यमोत्सव है।

 

स्टार्टअप इंडिया पहल का मुख्य उद्देश्य और प्रभाव : 

 

  • स्टार्टअप इंडिया योजना की शुरूआत वर्ष 2016 में भारत सरकार द्वारा किया गया था। यह केन्द्र सरकार का एक महत्वाकांक्षी सरकारी पहल है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय उद्यमियों और स्टार्टअप्स को आवश्यक समर्थन और संसाधन प्रदान करना है। इस योजना का प्रमुख लक्ष्य नवाचार, उद्यमशीलता और आर्थिक विकास के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है, जिसमें कर लाभ, सरल अनुपालन प्रक्रियाएँ और बेहतर वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

 

स्टार्टअप इंडिया योजना का मुख्य प्रावधान :

 

  1. फंड ऑफ फंड्स (FFS) : इस योजना के प्रारंभिक चरण में वित्तीय सहायता हेतु 10,000 करोड़ रुपए का कोष उपलब्ध कराया जाता है।
  2. स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS) : इसके तहत स्टार्टअप्स को उत्पाद परीक्षण, प्रोटोटाइप विकास और संकल्पना के प्रमाण हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  3. ऋण गारंटी योजना (CGSS) : इस योजना के प्रावधानों के तहत स्टार्टअप्स को संपार्श्विक-मुक्त ऋण की सुविधा या ऋण की गारंटी की सुविधा मिलती है।
  4. बौद्धिक संपदा संरक्षण (SIPP) : इसके तहत स्टार्टअप्स को पेटेंट, ट्रेडमार्क और बौद्धिक संपदा अधिकारों की पंजीकरण में कम लागत पर सहायता मिलती है।

 

स्टार्टअप इंडिया योजना की मुख्य विशेषताएँ :

 

  1. स्टार्टअप को मान्यता प्रदान करना : सरल पंजीकरण और पात्रता प्रक्रिया।
  2. इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस का सरलीकरण और स्वीकृति : स्व-प्रमाणन और बिना किसी बाधा के स्वीकृतियाँ।
  3. तीन वर्षों तक कर पर छूट होने का प्रावधान : चयनित स्टार्टअप्स को लाभ पर तीन वर्षों तक कर छूट दी जाती है।
  4. केंद्रित विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के तहत क्षेत्र-विशिष्ट नीतियाँ : जैव प्रौद्योगिकी, कृषि, और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में विशेष पहलें।
  5. मेंटरशिप कार्यक्रम के द्वारा मार्गदर्शन और प्रशिक्षण के माध्यम से क्षमता का निर्माण करने पर जोर देना : स्टार्टअप इंडिया हब और मेंटरशिप कार्यक्रम उद्यमियों को बेहतर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

 

स्टार्टअप इंडिया योजना की प्रमुख उपलब्धियाँ :

 

  1. भारत में स्टार्टअप्स की संख्या में वृद्धि होना : DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की संख्या 500 से बढ़कर 1.59 लाख हो गई।
  2. विश्व स्तरीय इकोसिस्टम का निर्माण होना : भारत अब दुनिया में तीसरे स्थान पर है, जिसमें 100 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स हैं।
  3. रोजगार के अवसरों का सृजन करना : अक्तूबर, 2024 तक, स्टार्टअप्स ने IT सेवाओं (2.04 लाख) और हेल्थकेयर और लाइफसाइंसेज (1.47 लाख) जैसे प्रमुख क्षेत्रों के साथ 16.6 लाख प्रत्यक्ष रोज़गार का सृजन किया है।
  4. उद्यमिता के क्षेत्र में महिला उद्यमियों की बढ़ती भागीदारी : वर्ष 2024 तक, 73,151 स्टार्टअप्स में कम-से-कम एक महिला निदेशक है, जो उद्यमिता में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है।
  5. गैर-मेट्रो शहरों में स्टार्टअप्स का पारिस्थितिकी तंत्र का विकसित और वृद्धि होना : इसके तहत भारत के विभिन्न राज्यों के गैर-मेट्रो शहरों में स्टार्टअप्स का पारिस्थितिकी तंत्र विकसित और सशक्त हुआ है।

 

स्टार्टअप इंडिया के अंतर्गत अन्य महत्वपूर्ण पहलें :

 

  1. स्टार्टअप महाकुंभ : यह राष्ट्रीय कार्यक्रम भारत में उद्यमिता और नवाचार को प्रदर्शित करता है। 2024 में 48,000 आगंतुकों और 392 वक्ताओं ने इसमें भाग लिया। वर्ष 2025 के संस्करण में भारत को वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया गया।
  2. ASCEND : यह पहल पूर्वोत्तर राज्यों के उद्यमियों को समर्थन देने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करती है, जिससे उनकी उद्यमिता क्षमता में वृद्धि होती है।
  3. स्टार्टअप इंडिया इनोवेशन सप्ताह : यह सप्ताह राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के अवसर पर उद्यमिता का उत्सव मनाता है और नवाचार को बढ़ावा देता है।
  4. अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव : भारत की G20 अध्यक्षता के तहत, स्टार्टअप-20 समूह की स्थापना की गई है, जो वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए काम करता है और देशों के बीच स्टार्टअप इकोसिस्टम को सुदृढ़ करता है।
  5. भास्कर (भारत स्टार्टअप नॉलेज एक्सेस रजिस्ट्री) : यह डिजिटल प्लेटफॉर्म निवेशकों, सलाहकारों और सरकारी निकायों को स्टार्टअप्स के साथ जोड़ता है, जिससे संसाधन और अवसरों की खोज करने में आसानी होती है। यह भारत को वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में प्रस्तुत करता है और गैर-मेट्रो क्षेत्रों के स्टार्टअप्स को सशक्त बनाता है।

 

भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ :

 

  1. पर्याप्त वित्तपोषण प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना : भारतीय स्टार्टअप्स, विशेष रूप से टियर-II और टियर-III शहरों में, पर्याप्त वित्तपोषण प्राप्त करने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। उदाहरणस्वरूप, अगस्त 2024 में इन शहरों में वित्तपोषण घटकर 630 करोड़ रुपये रह गया, जो जुलाई 2024 में 2,202 करोड़ रुपये था, और नवंबर 2024 में यह और घटकर 202 करोड़ रुपये हो गया। यह असमानताएँ टियर-I और अन्य शहरों के बीच वित्तीय संसाधनों में अंतर को दर्शाती हैं।
  2. स्टार्टअप्स को अनुपालन संबंधी विनियामक बाधाओं का सामना करना : भारत में जटिल और अस्पष्ट विनियामक ढांचा स्टार्टअप्स के लिए बड़ी चुनौतियाँ उत्पन्न करता है। उदाहरण के तौर पर, ओला और उबर जैसी ऐप-आधारित सेवाओं को मोटर वाहन अधिनियम के तहत वर्गीकृत करने पर उत्पन्न अनिश्चितताएँ परिचालन को प्रभावित करती हैं। इसके अतिरिक्त, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2024, के कारण स्टार्टअप्स को अनुपालन संबंधी नई कठिनाइयाँ झेलनी पड़ रही हैं।
  3. विस्तार से संबंधित चुनौतियों का सामना करना : विभिन्न शोधों के अनुसार, मजबूत वृद्धि के बावजूद लगभग 90% स्टार्टअप पहले 5 वर्षों के भीतर विफल हो जाते हैं, जिनका प्रमुख कारण विस्तार में समस्याएँ, परिचालन में अक्षमता और नए बाजारों में प्रवेश में आने वाली दिक्कतें हैं।
  4. नकदी की कमी और बाजार समेकन जैसी समस्याओं का उत्पन्न होना : भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में जैसे-जैसे प्रतिस्पर्द्धा बढ़ रही है, कई क्षेत्रों में बाजार संतृप्त होने के कारण लाभ मार्जिन घट रहे हैं। विशेष रूप से एडटेक क्षेत्र में महामारी के बाद की मंदी ने इस प्रतिस्पर्द्धा को और तीव्र किया है, जिसके कारण नकदी की कमी और बाजार समेकन जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।

 

समाधान / आगे की राह :

 

 

  1. विनियामक सैंडबॉक्स स्थापित करने की अत्यंत आवश्यकता : आरबीआई के फिनटेक मॉडल की सफलता को देखते हुए, सभी क्षेत्रों में व्यापक विनियामक सैंडबॉक्स स्थापित करना चाहिए, जिससे स्टार्टअप्स को नियंत्रित वातावरण में नवीन उत्पादों का परीक्षण करने में मदद मिलेगी और इससे नियामक बोझ कम होगा।
  2. कौशल भारत पहल के तहत क्षेत्र-विशिष्ट कौशल विकास कार्यक्रम को बढ़ावा देना : उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे AI, ब्लॉकचेन, और IoT पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए क्षेत्र-विशिष्ट कौशल विकास कार्यक्रम कौशल भारत पहल के तहत बढ़ाए जा सकते हैं।
  3. हब-एंड-स्पोक मॉडल लागू कर विकेंद्रीकृत स्टार्टअप हब की स्थापना करने की जरूरत : भारत में स्टार्टअप के लिए बुनियादी ढाँचे में सुधार और प्रोत्साहन के साथ, टियर-2 और टियर-3 शहरों को स्टार्टअप हब बनाने के लिए हब-एंड-स्पोक मॉडल लागू किया जा सकता है, जहां प्रमुख शहर आसपास के छोटे शहरों को सहयोग प्रदान करें।
  4. कर प्रोत्साहन को बढ़ावा देने की जरूरत : तकनीकी कंपनियों के लिए इज़रायल के मॉडल के तहत स्टार्टअप्स को तीन से बढ़ाकर पांच वर्षों तक कर लाभ प्रदान किए जा सकते हैं, और डीप-टेक उद्यमों के लिए अतिरिक्त छूट दी जा सकती है।
  5. पेटेंट प्रक्रिया को तेज और सुव्यवस्थित करने एव IP को संरक्षण देने की आवश्यकता : भारत में पेटेंट प्रक्रिया को तेज और सुव्यवस्थित करने के लिए फास्ट-ट्रैक परीक्षाएँ लागू की जा सकती हैं, और आईपी जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं, जैसे जापान में पेटेंट परीक्षा समय को घटाकर 14 महीने किया गया है।
  6. स्टार्टअप्स के लिए सरकारी खरीद को बढ़ावा देना : स्टार्टअप्स को सरकारी खरीद में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए, जिससे उन्हें व्यापक बाजार अवसर मिल सकें, जैसा कि अमेरिका में छोटी कंपनियों के लिए 23% खरीद लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिससे भारतीय उद्यमियों को बेहतर बाजार के अवसर मिलेंगे।

निष्कर्ष : 

  • स्टार्टअप इंडिया पहल ने न केवल भारतीय उद्यमिता और नवाचार को प्रोत्साहित किया है, बल्कि देश को वैश्विक मंच पर एक मजबूत पहचान दिलाई है। इसके विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के माध्यम से लाखों रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं और भारत को एक प्रमुख नवाचार केंद्र बनाने की दिशा में यह पहल महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। पिछले 9 वर्षों में स्टार्टअप इंडिया ने भारतीय उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है, जिससे नवाचार और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहन मिला है। 1.59 लाख से अधिक स्टार्टअप्स के साथ, भारत अब वैश्विक उद्यमिता के क्षेत्र में अपनी जगह बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। इस विकास को निरंतर बनाए रखने के लिए वर्तमान चुनौतियों का समाधान करना और समावेशिता को सुनिश्चित करना आवश्यक होगा, विशेष रूप से जब देश 2047 तक विकसित भारत के अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ रहा है।

 

स्त्रोत – पी. आई. बी एवं द हिन्दू।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास :

 

Q.1. भारतीय उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र के संबंध में निम्न स्थितियों पर विचार कीजिए।

  1. पर्याप्त वित्तपोषण की कमी
  2. जटिल विनियामक ढांचा
  3. बाजार समेकन की समस्याएँ
  4. विस्तार से संबंधित समस्याएँ

भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम के समक्ष उपरोक्त में से कौन सी प्रमुख चुनौतियाँ विद्यमान हैं?

A. केवल 1 और 2

B. केवल 2 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं।

D. उपरोक्त सभी। 

उत्तर – D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में स्टार्टअप इंडिया योजना के प्रमुख उपलब्धियों और मुख्य चुनौतियों को विश्लेषित करते हुए उसके समाधानात्मक उपायों पर तर्कसंगत चर्चा कीजिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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