08 May राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा बनाम भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 के ‘ भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था, स्वास्थ्य, भारत में स्वास्थ्य निधि में हुई वृद्धि के प्रभावी उपयोग से संबंधित चुनौतियाँ ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (NHP), राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत PMJAY ’ खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं । यह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स’ के अंतर्गत ‘ राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा बनाम भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि ’ से संबंधित है।)
ख़बरों में क्यों ?
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) द्वारा हाल ही में जारी आँकड़ों के अनुसार, भारत में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुपात में सरकारी स्वास्थ्य व्यय (GHE) में 2014-15 से 2021-22 के बीच 63% की बढ़ोतरी हुई है।
- इस वृद्धि का मुख्य कारण सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ते निवेश और आयुष्मान भारत जैसी बीमा योजनाओं में हुई वृद्धि के विस्तार से जुडी हुई है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा के इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) में भी कमी आई है, जो व्यक्तियों द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं पर सीधे किए गए खर्च को दर्शाता है।
- सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं में होने वाली यह वृद्धि भारत के नीति निर्माताओं को देश के स्वास्थ्य वित्तपोषण संकेतकों में प्रगति की निगरानी करने में सक्षम बनाती है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) का परिचय एवं इसका मुख्य उद्देश्य क्या है?
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (NHSRC) द्वारा तैयार किए जाते हैं। जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार विकसित किया गया है।
- इसकी स्थापना वर्ष 2006-07 में भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) के तहत की गई थी।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान न केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तुलनीय हैं, बल्कि ये नीति निर्माताओं को देश के स्वास्थ्य वित्तपोषण संकेतकों में प्रगति की निगरानी में भी सहायता करते हैं।
- इसका मुख्य उद्देश्य राज्यों को तकनीकी सहायता प्रदान करना और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के लिए नीति और रणनीति विकास में सहायता करना है।
- भारत में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में इस प्रकार की वृद्धि का अर्थ यह है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में अधिक निवेश कर रही है, जिससे आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ मिल सकती हैं।
- यह भारत में स्वास्थ्य नीति और निवेश में नई तकनीकों, बेहतर अस्पतालों, और अधिक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों के रूप में हो सकता है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और जन सामान्य तक आसानी से पहुँच में सुधार हो सकता है।
- इसके अलावा, यह वृद्धि भारत में स्वास्थ्य नीति और निवेश निर्णयों के लिए महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (National Health Accounts- NHA) डेटा के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं ?
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) डेटा के अनुसार, भारत में स्वास्थ्य सेवा में सरकारी निवेश में वृद्धि हुई है। 2014-15 से 2021-22 के बीच, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में सरकारी स्वास्थ्य व्यय (GHE) 1.13% से बढ़कर 1.84% हो गया है। इसी अवधि में, प्रति व्यक्ति सरकारी स्वास्थ्य व्यय लगभग तीन गुना बढ़ा है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (NHP) का उद्देश्य सभी के लिए सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना है, जिसमें 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को GDP का 2.5% तक बढ़ाने का प्रस्ताव है।
- सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं, जैसे कि आयुष्मान भारत PMJAY, में निवेश में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसमें 2013-14 से 4.4 गुना वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य पर सामाजिक सुरक्षा खर्च की हिस्सेदारी में भी वृद्धि हुई है।
- आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) में कमी आई है, जो 2014-15 से 2021-22 के बीच 62.6% से घटकर 39.4% हो गई है। इस कमी में योगदान देने वाले कारकों में आयुष्मान भारत PMJAY जैसी योजनाएं, सरकारी सुविधाओं का बढ़ता उपयोग, निशुल्क एम्बुलेंस सेवाएं, और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (AAM) पर निशुल्क दवाइयों और निदान की उपलब्धता शामिल हैं।
- जन औषधि केंद्रों द्वारा किफायती जेनेरिक औषधियों और सर्जिकल आइटमों की पेशकश से नागरिकों को अनुमानित 28,000 करोड़ रुपए की बचत हुई है, और स्टेंट और कैंसर की दवाओं के मूल्य विनियमन से बचत में और अधिक वृद्धि हुई है।
- स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों को सशक्त बनाने और स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना में निवेश के माध्यम से, सरकार ने जलापूर्ति और स्वच्छता में निवेश किया है, और प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना तथा आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के माध्यम से चिकित्सा अवसंरचना को मजबूती प्रदान की है। स्थानीय निकायों के लिए स्वास्थ्य अनुदान में वृद्धि से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली सशक्त हुई है।
- इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों को सशक्त बनाने के प्रयासों में भी वृद्धि हुई है। यह सभी प्रयास भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुँच को बेहतर बनाने की दिशा में किए गए हैं।
आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय क्या होता है ?
- आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) वह खर्च होता है जो स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बिना किसी बीमा, सरकारी सहायता, या अन्य प्रकार की वित्तीय मदद के व्यक्तियों द्वारा सीधे अदा किया जाता है।
- यह आमतौर पर डॉक्टर की फीस, दवाइयां, और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी भुगतान को दर्शाता है।
- जब व्यक्ति या परिवार अगर बड़ी स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता में हों तो इस प्रकार का खर्च व्यक्तियों और परिवारों पर और अधिक वित्तीय बोझ डाल सकता है।
भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की मुख्य चुनौतियाँ :
भारत में स्वास्थ्य सेवा निधियों के बढ़ोतरी के बावजूद, उनके प्रभावी उपयोग में कई चुनौतियाँ हैं। जो निम्नलिखित है –
- स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच में असमानता : ग्रामीण इलाकों में लोगों को लंबी दूरी तय करके स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचना पड़ता है, और विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण उन्हें समय पर उपचार नहीं मिल पाता है। नीति आयोग की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में डॉक्टर-रोगी अनुपात ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में काफी बेहतर है (1:400 बनाम 1:1100), जिससे ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
- गैर – संचारी बीमारियों (NCDs) की बढ़ती दर : राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल 2022 के अनुसार, मधुमेह और हृदय रोग जैसी NCDs की दर में वृद्धि हुई है, जिनका इलाज महंगा होता है। इससे स्वास्थ्य सेवा निधियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।
- निधियों का दुरुपयोग और अक्षमताएँ : भारत में प्रशासनिक और नौकरशाही की अक्षमताएँ, कुप्रबंधन और प्रशासनिक स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार से स्वास्थ्य निधियों का दुरुपयोग होता है, जिससे वे इच्छित लाभार्थियों तक नहीं पहुँच पाते हैं। CAG की 2018 की रिपोर्ट में भी सरकारी अस्पतालों में बढ़े हुए बिलों और अनावश्यक प्रक्रियाओं की पहचान की गई है।
- मानव संसाधन की कमी और उनसे जुड़ी बाधाएँ : डॉक्टरों, नर्सों, और अन्य स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की कमी से अधिक काम का बोझ, देखभाल की गुणवत्ता में कमी, और लंबी प्रतीक्षा समय की समस्या उत्पन्न होती है। WHO की अनुशंसा के अनुसार डॉक्टर-नर्स अनुपात 4:1 होना चाहिए, जबकि भारत में यह 1:1 है। सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक-रोगी अनुपात भी WHO की अनुशंसा 1:1000 की तुलना में काफी अधिक है।
समाधान या आगे की राह :
- भारत में ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल के विकास के लिए, योग्य चिकित्सकों को आकर्षित करने हेतु उच्च वेतन, उन्नत आवासीय सुविधाएं, और उनके करियर विकास के अवसर प्रदान करने वाले प्रोत्साहन कार्यक्रमों के साथ-साथ, सस्ते अस्पतालों और क्लिनिकों के निर्माण के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश करना आवश्यक है।
- रोगी देखभाल के लिए आवंटित धन का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए, कठोर निगरानी प्रणाली और सख्त नियमों की स्थापना जरूरी है।
- जिन अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मचारियों की संख्या कम है, वहाँ सरकारी चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने और रोगी-केंद्रित सुविधाओं में सुधार से रोगी की उचित देखभाल सुनिश्चित हो सकती है और उपचार के लिए प्रतीक्षा करने वाले समय में कमी किया जा सकता है।
- स्वस्थ जीवन शैली को प्रोत्साहित करने और रोग का शीघ्र पता लगाने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में निवेश करने से, भविष्य में स्वास्थ्य देखभाल लागत में कमी आ सकती है।
- जनता को स्वस्थ खान-पान की आदतों और नियमित जाँच के महत्व के बारे में शिक्षित करने पर खर्च बढ़ाने से, महंगे इलाज वाली पुरानी बीमारियों के प्रसार में कमी आ सकती है।
सरकार द्वारा हालिया सरकारी पहलों में निम्नलिखित योजनाएं शामिल हैं –
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) : यह भारत सरकार की एक पहल है जो स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने और सुधारने के लिए काम करती है।
- आयुष्मान भारत : यह एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन है जो निम्न आय वर्ग के परिवारों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करता है।
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY ) : यह आयुष्मान भारत का हिस्सा है और यह गरीब और वंचित परिवारों को मुफ्त अस्पताल में उपचार प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग : यह चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण को नियंत्रित करने और सुधारने के लिए एक नियामक संस्था है।
- पीएम राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम : यह कार्यक्रम गुर्दे की बीमारी से पीड़ित रोगियों को मुफ्त डायलिसिस सुविधा प्रदान करता है।
- जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK) : यह प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद की देखभाल के लिए मुफ्त सेवाएं प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) : यह कार्यक्रम बच्चों में जन्मजात विकारों, विकास संबंधी देरी, विकलांगता, बीमारियों और दोषों की जल्द पहचान और उपचार के लिए है।
निष्कर्ष : भारत में स्वास्थ्य देखभाल व्यय में वृद्धि हो रही है और सरकारी कार्यक्रमों जैसे आयुष्मान भारत के माध्यम से नागरिकों का स्वास्थ्य व्यय कम हो रहा है। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी, दुर्गमता और स्वास्थ्य कर्मियों की पहुंच की कमी जैसी चुनौतियां अभी भी मौजूद है। इन क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल की समान पहुंच सुनिश्चित करना और स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान देना एक मजबूत और समान स्वास्थ्य प्रणाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
स्रोत- द हिन्दू , इंडियन एक्सप्रेस एवं पीआईबी।
Download plutus ias current affairs Hindi med 8th May 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q. 1. भारत में आयुष्मान भारत योजना के मुख्य उद्देश्यों में शामिल है ? (UPSC – 2019)
- आयुष्मान भारत एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन है जो भारत में निम्न आय वर्ग के परिवारों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करता है।
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आयुष्मान भारत का ही एक हिस्सा है जो भारत में गरीब और वंचित परिवारों को मुफ्त अस्पताल में उपचार प्रदान करता है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1
B. केवल 2
C. कथन 1 और 2 दोनों
D. न तो कथन 1 और न ही कथन 2
उत्तर – C
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. “ एक कल्याणकारी राज्य के रूप में प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र में अवसंरचनात्मक विकास करना राज्य का प्रथम कर्तव्य है।” इस कथन के आलोक में भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों और उसके समाधान के उपायों पर तर्कसंगत चर्चा कीजिए। ( UPSC -CSE – 2021 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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