28 Apr रेत से गंगा तक : भारत और सऊदी अरब संबंधों के साझेदारी की नई उड़ान
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ अंतरराष्ट्रीय संबंध, महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठन और भारत के हितों से संबंधित महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संधि और समझौते , भारत – सऊदी अरब द्विपक्षीय संबंध ’ खण्ड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ खाड़ी सहयोग परिषद , हिंद महासागर में भू-रणनीतिक सहयोग, खाड़ी सहयोग परिषद, क्षेत्रीय संतुलन और संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन ’ खंड से संबंधित है। )
खबरों में क्यों?
- जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले, जिसमें 20 से अधिक लोगों की जान चली गई, ने भारत की कूटनीतिक गतिविधियों पर गहरा असर डाला। इस त्रासद घटना के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी प्रस्तावित सऊदी अरब यात्रा को संक्षिप्त कर दिया।
- जेद्दा पहुंचने के बाद, उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ होने वाली मुलाकात में विलंब किया ताकि कश्मीर की गंभीर स्थिति की समीक्षा की जा सके।
- भारत के प्रधानमंत्री के लिए इस कठिन समय में उनकी उपस्थिति भारत में अधिक आवश्यक थी, फिर भी प्रधानमंत्री मोदी ने निर्धारित द्विपक्षीय वार्ता और रणनीतिक साझेदारी परिषद की बैठक में भाग लेकर भारत-सऊदी संबंधों की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। हालांकि उन्होंने औपचारिक रात्रिभोज में भाग नहीं लिया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मूल कार्यक्रम के अनुसार उनकी वापसी बाद में निर्धारित थी, लेकिन भारत की आंतरिक हालात को देखते हुए उन्होंने समय से पहले भारत लौटने का निर्णय लिया।
- इस यात्रा ने एक ओर जहाँ दोनों देशों के बीच मजबूत होते संबंधों की पुष्टि की, वहीं दूसरी ओर यह दर्शाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और संवेदनशील मुद्दों को प्रधानमंत्री सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।
भारत-सऊदी अरब संबंधों का विकास :
चरण | अवधि | मुख्य विशेषताएं |
प्राचीन संबंध | पूर्व 1947 | समुद्री व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और धार्मिक संबंध (मक्का की तीर्थयात्रा)। |
स्वतंत्रता के बाद का युग | 1947- 2000 | राजनयिक संबंध स्थापित; तेल व्यापार और भारतीय प्रवासी कल्याण पर ध्यान केन्द्रित। सीमित राजनीतिक सहभागिता। |
रणनीतिक बदलाव | 2000- 2010 | 2006 के दिल्ली घोषणापत्र ने संबंधों को “रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी” के स्तर तक बढ़ा दिया; आतंकवाद निरोध और आर्थिक सहयोग की पहल की गई। |
रणनीतिक साझेदारी युग | 2010 – 2019 | 2010 रियाद घोषणापत्र ने संबंधों को “रणनीतिक साझेदारी” तक उन्नत किया; रक्षा, सुरक्षा और प्रवासी कल्याण में वृद्धि। |
परिवर्तनकारी चरण | 2019 – वर्तमान | सामरिक भागीदारी परिषद (2019) का गठन; ऊर्जा संक्रमण, फिनटेक, डिजिटल अर्थव्यवस्था, रक्षा और अंतरिक्ष सहयोग में संबंधों को गहरा करना; सऊदी विजन 2030 के साथ संरेखण। |
भारत और सऊदी अरब के बीच सहयोग के बढ़ते आयाम :
- ऊर्जा सुरक्षा से ऊर्जा परिवर्तन की ओर : सऊदी अरब, भारत के लिए कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा (वित्त वर्ष 2023-24 में 14.3% आयात) और एलपीजी का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता (18.2%) बना हुआ है। अब दोनों राष्ट्र हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, नवीकरणीय ऊर्जा के अनुसंधान एवं विकास, और ऊर्जा परिवर्तन की आधुनिक तकनीकों में अपने सहयोग को विस्तृत कर रहे हैं।
- रणनीतिक और रक्षा साझेदारी का सुदृढ़ीकरण : वर्ष 2024 में आयोजित ऐतिहासिक प्रथम संयुक्त भूमि अभ्यास, EX-SADA TANSEEQ ने दोनों देशों के रक्षा संबंधों को और प्रगाढ़ किया है। नए समझौतों का मुख्य ध्यान संयुक्त रक्षा उत्पादन, साइबर सुरक्षा, और खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान को बढ़ाकर रणनीतिक सुरक्षा सहयोग को अधिक प्रभावी बनाना है।
- व्यापार और निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि होना : वित्त वर्ष 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार का आंकड़ा 42.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है। सऊदी अरब का सार्वजनिक निवेश कोष (पीआईएफ) भारत के लॉजिस्टिक्स, आधारभूत संरचना, और आईएमईसी व्यापार गलियारे में महत्वपूर्ण निवेश करने की योजना बना रहा है, जबकि भारतीय कंपनियां सऊदी अरब के ‘विजन 2030’ के तहत नए अवसरों की तलाश में हैं।
- डिजिटल और तकनीकी क्षेत्र में आपसी सहयोग : भारत और सऊदी अरब ने यूपीआई और आधार जैसे सफल डिजिटल सार्वजनिक प्लेटफार्मों को संयुक्त रूप से विकसित करने पर सहमति व्यक्त की है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), ब्लॉकचेन और सेमीकंडक्टर नवाचार जैसी उभरती हुई प्रौद्योगिकियों में भी सहयोग तीव्र गति से बढ़ रहा है।
- अंतरिक्ष और स्वास्थ्य सेवा में संयुक्त प्रगति : दोनों देशों ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों (उपग्रह डेटा साझाकरण, चंद्र मिशन) के लिए अंतरिक्ष सहयोग पर एक नए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में, वे नियामक अनुमोदन प्रक्रियाओं को तेज करने और फार्मास्युटिकल व बायोटेक नवाचार को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं।
- सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देना : सऊदी ‘विजन 2030’ के अंतर्गत पर्यटन, बॉलीवुड के साथ सहयोग और शिक्षा क्षेत्र में साझेदारियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। योग के प्रचार और शैक्षणिक विनिमय कार्यक्रमों के माध्यम से सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत किया गया है।
- श्रमिक कल्याण और प्रवासी भागीदारी को महत्व देना : सऊदी अरब में कार्यरत 2.6 मिलियन भारतीयों के हितों को ध्यान में रखते हुए, दोनों पक्षों ने प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा, कफाला प्रणाली में सुधार, और प्रवासियों की शिकायतों के निवारण के लिए त्वरित तंत्र स्थापित करने हेतु समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।
- क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर आपसी समन्वय स्थापित करना : भारत और सऊदी अरब एक बहुध्रुवीय और नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए जी20, ब्रिक्स+, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), और खाड़ी सहयोग परिषद प्लस जैसे महत्वपूर्ण मंचों पर सक्रिय रूप से समन्वय कर रहे हैं।
भारत – सऊदी अरब संबंधों की प्रमुख चिंताएँ :
- भू-राजनीतिक दृष्टिकोण में भिन्नता और असहमति का होना : सऊदी अरब और पाकिस्तान के घनिष्ठ संबंध, विशेष रूप से कश्मीर मुद्दे पर, भारत की सुरक्षा प्राथमिकताओं से टकरा सकते हैं और रणनीतिक संतुलन को प्रभावित करते हैं।
- ऊर्जा निर्भरता से उत्पन्न जोखिम : सऊदी अरब के तेल पर भारत की अत्यधिक निर्भरता (कच्चे तेल के आयात का 14.3%) इसे वैश्विक स्तर पर कीमतों में होने वाली अस्थिरता और आपूर्ति में व्यवधानों के प्रति संवेदनशील बनाती है।
- निवेश संबंधी प्रतिबद्धताओं का धीमा क्रियान्वयन होना : सार्वजनिक निवेश कोष (पीआईएफ) के माध्यम से किए गए अरबों डॉलर के सऊदी निवेश के वादे या तो विलंबित हो रहे हैं या उनका कार्यान्वयन अपेक्षा से कम है, जिससे आर्थिक प्रगति प्रभावित हो सकती है।
- प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों और कल्याण से जुड़े मुद्दे : सुधारों के बावजूद, सऊदी अरब में कार्यरत भारतीय श्रमिकों (जिनकी संख्या 2.6 मिलियन है) को अभी भी कफाला प्रणाली के बाद विकसित हो रही श्रम व्यवस्था के तहत वेतन संबंधी विवादों और कानूनी सहायता की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता के क्षेत्र : हज कोटे पर बातचीत, महिला तीर्थयात्रियों के अधिकारों और सऊदी अरब के कठोर सामाजिक-सांस्कृतिक मानदंडों से संबंधित चुनौतियां बनी हुई हैं, जो भारत के सॉफ्ट पावर के प्रयासों को सीमित कर सकती हैं।
- व्यापार में असंतुलन की स्थिति : भारत-सऊदी व्यापार में भारी असमानता है—भारत सऊदी से ऊर्जा का आयात तो करता है, परंतु निर्यात अपेक्षाकृत कम है, जिससे व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में नहीं रहता है। अतः दोनों देशों के बीच का द्विपक्षीय व्यापार अभी भी विषम है (भारत द्वारा तेल का अधिक आयात बनाम कम निर्यात), जिसके कारण आर्थिक लाभ का संतुलन सीमित है।
- रणनीतिक दृष्टिकोण में असमानता : इजरायल और ईरान के साथ भारत के संबंध हमेशा सऊदी अरब के क्षेत्रीय गठबंधनों के अनुरूप नहीं होते हैं, जिससे व्यापक मध्य पूर्व कूटनीति में कुछ असहजता पैदा हो सकती है।
- हरित ऊर्जा परिवर्तन पर अनिश्चितता : जैसे-जैसे भारत नवीकरणीय ऊर्जा की ओर तेजी से बढ़ रहा है, सऊदी अरब की तेल-केंद्रित अर्थव्यवस्था दीर्घकालिक ऊर्जा रणनीति में एक संभावित असंतुलन पैदा कर सकती है।
संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए रणनीतिक सुझाव :
- आर्थिक सहयोग का विविधीकरण : दोनों देशों को तेल से इतर क्षेत्रों—जैसे प्रौद्योगिकी, फिनटेक, स्वास्थ्य, एआई और नवीकरणीय ऊर्जा—में साझेदारी बढ़ाएं। सऊदी निवेश को भारत के स्टार्टअप और अधोसंरचना परियोजनाओं की ओर आकर्षित करें।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना : संयुक्त रक्षा उत्पादन, सैन्य अभ्यास और साइबर सुरक्षा में सहयोग बढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना चाहिए।
- प्रवासी और श्रमिक हितों की सुरक्षा : श्रम सुधारों को आगे बढ़ाते हुए प्रवासी भारतीयों के लिए न्यायिक सहायता, विवाद समाधान और सुरक्षित प्रवासन की नीति को और प्रभावी बनाया जाए।
- सांस्कृतिक और शैक्षिक सहभागिता का विस्तार करना : शैक्षणिक आदान-प्रदान, सांस्कृतिक उत्सव, पर्यटन और बॉलीवुड-सऊदी सहयोग जैसे माध्यमों से ‘सॉफ्ट पावर’ को सशक्त करें।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार में सहयोग बढ़ाने की जरूरत : दोनों देश आपस में संयुक्त इनोवेशन हब स्थापित कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और क्लीन एनर्जी तकनीकों में संयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा दें। यूपीआई और आधार जैसे भारतीय मॉडलों को साझा करें।
- अंतरिक्ष और वैज्ञानिक सहयोग को मजबूत करना : अंतरिक्ष अनुसंधान, उपग्रह डाटा साझाकरण और जैव प्रौद्योगिकी में सहयोग को गहरा करें, जिससे वैज्ञानिक कूटनीति को मजबूती मिल सके।
- हरित ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी को सशक्त बनाने की जरूरत : हरित हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा और स्थिरता परियोजनाओं में संयुक्त निवेश और अनुसंधान करें।
- बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ाना : वैश्विक स्थिरता और मध्य पूर्व में शांति को बढ़ावा देने के लिए जी 20, ब्रिक्स, संयुक्त राष्ट्र और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) में मिलकर काम करना चाहिए ताकि वैश्विक स्थिरता, जलवायु परिवर्तन और क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा दे सके।
निष्कर्ष :
- भारत और सऊदी अरब के संबंध, जो कभी प्राचीन व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की नींव पर टिके थे, आज एक सुदृढ़ रणनीतिक साझेदारी के रूप में विकसित हो चुके हैं। ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा, प्रौद्योगिकी और क्षेत्रीय सहयोग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दोनों राष्ट्र एक साथ आगे बढ़ रहे हैं। भू-राजनीतिक भिन्नताओं और श्रम कल्याण से जुड़े विषयों जैसी चुनौतियों के बावजूद, सऊदी अरब के ‘विज़न 2030’ और भारत की ‘थिंक वेस्ट’ नीति के साझा दृष्टिकोण के अंतर्गत अपने संबंधों को और अधिक गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस साझेदारी को और अधिक मजबूत बनाने के लिए, दोनों देशों को आर्थिक सहयोग के दायरे को विस्तृत करने, रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने, श्रम संबंधी मुद्दों का समाधान करने और सांस्कृतिक तथा शैक्षिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान देना होगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वच्छ ऊर्जा जैसी उभरती हुई तकनीकों का लाभ उठाकर, और जी20 तथा ब्रिक्स जैसे मंचों पर बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ाकर, भारत और सऊदी अरब एक भविष्य-अनुकूल और पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंध सुनिश्चित कर सकते हैं।
स्त्रोत – पी. आई.बी एवं द हिन्दू।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत-सऊदी अरब संबंधों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. सऊदी अरब भारत के शीर्ष तीन कच्चे तेल आपूर्तिकर्ताओं में से एक है।
2. द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए 2019 में भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद का गठन किया गया था।
3. सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश कोष (पीआईएफ) ने भारत के बुनियादी ढांचे और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश किया है।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
A. केवल 1 और 2
B. केवल 1 और 3
C. केवल 2 और 3
D. उपर्युक्त तीनों।
उत्तर – A
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. चर्चा कीजिए कि भारत-सऊदी अरब संबंधों का विकास किस प्रकार हुआ है? भारत और सऊदी अरब के बीच विकसित होते द्विपक्षीय संबंधों की पृष्ठभूमि में, व्यापार, रक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और सशक्त बनाने के लिए कौन-कौन से ठोस उपाय किए जा सकते हैं? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
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