विश्व जनसंख्या दिवस 2024 और भारत में जनसंख्या से संबंधित मुद्दे

विश्व जनसंख्या दिवस 2024 और भारत में जनसंख्या से संबंधित मुद्दे

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारतीय संविधान और शासन व्यवस्था, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठन और संस्थान, महत्वपूर्ण प्राधिकरण और राष्ट्रीय महिला आयोग , महिलाओं से संबंधित मुद्दे, महिलाओं की भूमिका ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत भारत की जनसंख्या , विश्व जनसंख्या दिवस 2024, राष्ट्रीय महिला आयोग , महिलाओं का प्रजनन – दर , भारत में जन्म और मृत्यु दर में मुख्य अंतर ’ खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख दैनिक कर्रेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत विश्व जनसंख्या दिवस 2024 और भारत में जनसंख्या से संबंधित  मुद्दे ’  खंड से संबंधित है।)

 

ख़बरों में क्यों ?

 

 

  • हाल ही में 11 जुलाई 2024 को वैश्विक जनसंख्या मुद्दों और प्रजनन स्वास्थ्य तथा अधिकारों के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से विश्व जनसंख्या दिवस 2024 मनाया गया। 
  • प्रति वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने के लिए इस दिवस की स्थापना वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी।

 

विश्व जनसंख्या दिवस का प्रारंभिक इतिहास और विकास – क्रम : 

विश्व जनसंख्या दिवस का प्रारंभिक इतिहास और विकास – क्रम इस प्रकार है – 

शुरुआत और विकास : 

  • 11 जुलाई, 1987 को, दुनिया की जनसंख्या करीब 5 अरब दर्ज की गई थी। 
  • इस घटना ने विश्व बैंक के एक वरिष्ठ जनसांख्यिकी विशेषज्ञ डॉ. के.सी. जकारिया का ध्यान आकर्षित किया, जिन्होंने इस दिन को प्रत्येक वर्ष मनाने का सुझाव दिया। 
  • संयुक्त राष्ट्र ने जनसंख्या से संबंधित चुनौतियों को पहचानते हुए डॉ. के.सी. जकारिया के इस सुझाव को अपनाया और वर्ष 1989 में आधिकारिक तौर पर 11 जुलाई को प्रति वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने की घोषणा करते हुए इसकी स्थापना की। 
  • अतः वैश्विक जनसंख्या वृद्धि के विषय पर लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

विश्व जनसंख्या दिवस का महत्व : 

  • इस दिन का उद्देश्य विभिन्न जनसंख्या मुद्दों जैसे कि परिवार नियोजन, लिंग समानता, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य और मानव अधिकारों का महत्व आदि विषयों पर लोगों की जागरूकता बढ़ाना है। 
  • विश्व जनसंख्या दिवस वैश्विक स्तर पर बढ़ती आबादी और उससे उत्पन्न होने वाली अनेक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करता है और उन पर समाधान खोजने की प्रेरणा देता है।

 

विश्व जनसंख्या दिवस 2024 का विषय ( Theme ) :

  • विश्व जनसंख्या दिवस 2024 का विषय है – ” किसी को पीछे न छोड़ें, सभी की गिनती करें (Leave no one behind, count everyone) “ 
  • विश्व जनसंख्या दिवस दुनिया के हर देश की सरकारों, संगठनों और जनसंख्या से संबंधित सभी लोगों के लिए यह दिशा प्रदान करता है कि कैसे उन्हें जनसंख्या संबंधी मुद्दों पर काम करना चाहिए और उनके लिए योजनाएं बनानी चाहिए। 
  • यह दिन वैश्विक स्तर पर बढ़ती आबादी और उससे उत्पन्न होने वाली अनेक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करता है और उन पर समाधान खोजने की प्रेरणा देता है। 
  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने विश्व जनसंख्या दिवस 2024 के विषय / थीम पर अपने बयान में, जनसंख्या चुनौतियों को संबोधित करने में डेटा की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि जटिल मुद्दों को समझने, उचित समाधान तैयार करने और सार्थक प्रगति करने के लिए व्यापक डेटा संग्रह में निवेश करना अत्यंत आवश्यक है।
  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने यह भी कहा कि कोई भी सटीक और समावेशी डेटा वह आधार है जिस पर कोई भी प्रभावी नीतियां और कार्यक्रम बनाए जाते हैं।

 

भारत में जनसंख्या से संबंधित मुद्दे :

भारत में जनसंख्या से संबंधित निम्नलिखित मुद्दे है – 

जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि होना :

  • भारत विश्व के क्षेत्रफल के केवल 2% भूभाग में ही सीमित है, लेकिन यहाँ की आबादी वैश्विक जनसंख्या का 16% है।
  • भारत वर्तमान समय में दुनिया का सर्वाधिक आबादी वाला देश बनने की कगार पर है और आने वाले समय में वह जनसंख्या के मामले में वह चीन से भी आगे निकल जाएगा।

 

भारत में जन्म और मृत्यु दर में अंतर उत्पन्न होना :

  • भारत की जनसंख्या में पिछले कुछ दशकों में तेजी से वृद्धि हुई है।
  • भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) में वर्तमान समय में भले ही गिरावट दर्ज की गई है। 
  • भारत में वर्तमान समय में कुल प्रजनन दर 2.2 प्रति महिला है, जो 2.1 की प्रतिस्थापन दर के करीब है।

 

शिक्षा और जनसंख्या वृद्धि :

  • शिक्षा का अभाव महिलाओं को गर्भ निरोधकों के उपयोग और अधिक बच्चों को जन्म देने से पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी में बाधक है।
  • जनसंख्या विस्फोट में गरीबी और अशिक्षा का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • भारत में अखिल भारतीय स्तर पर कुल साक्षरता दर लगभग 77.7% है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर महिलाओं की अपेक्षा अधिक है।
  • महिलाओं की शिक्षा का स्तर उनकी प्रजनन क्षमता पर प्रभाव डालता है।

 

बेरोज़गारी :

  • भारत में उच्च युवा बेरोज़गारी एक जनसांख्यिकीय लाभांश है, जिसे ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ के रूप में भी जाना जाता है। भारत की युवा बेरोज़गारी जनसांख्यिकीय लाभांश को जनसांख्यिकीय आपदा में बदल रही है।
  • युवा क्षमता को उपयुक्त शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण से लैस होने पर वे देश के आर्थिक विकास में भी प्रभावी योगदान कर सकते हैं लेकिन भारत में युवाओं को यदि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण से लैस किया जाता है तो उन्हें न केवल उपयुक्त रोज़गार मिलेगा बल्कि वे देश के आर्थिक विकास में भी प्रभावी योगदान दे सकते हैं। 
  • इस कदम से भारत न केवल अपनी इस उपलब्ध युवा आबादी को जनसांख्यिकीय लाभांश में बदल सकता है , बल्कि बेरोजगारी की समस्या का समाधान भी कर सकता है। 
  • इन मुद्दों पर समय-समय पर ध्यान देना और उन्हें समझना, समाधान ढूंढना आवश्यक है जिससे कि हमारी जनसंख्या के विकास में सामाजिक और आर्थिक सुधार संभव हो सके।

 

समाधान / आगे की राह : 

 

 

भारत में जनसंख्या वृद्धि के समस्याओं का समाधान और आगे की राह को तय करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण दिशानिर्देश या समाधान निम्नलिखित हैं – 

  • परिवार नियोजन के लिए प्रोत्साहित करना : जनसंख्या वृद्धि को स्थिर करने के लिए परिवार नियोजन एक प्रमुख उपाय है। सरकार, संगठन, और समाज को जनसंख्या नियंत्रण के महत्व को समझाने और इसे प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
  • महिलाओं के यौन और प्रजनन अधिकारों की वकालत और जागरूकता को बढ़ावा देना : महिलाओं को उनके यौन और प्रजनन अधिकारों की जागरूकता और पहुँच को बढ़ावा देना चाहिए।
  • भारत में गर्भनिरोधक के उपयोग को प्रोत्साहित करना : भारत में गर्भनिरोधक के उपयोग को बढ़ावा देने से जनसंख्या को नियंत्रित करने में सहायता मिल सकती है।
  • आर्थिक विकास के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में सतत् विकास को प्रोत्साहित करना : भारत में व्याप्त गरीबी को कम करने, लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करने और स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वजानिक पहुँच को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। इससे भारत में जनसंख्या वृद्धि के समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। 
  • इन दिशानिर्देशों के साथ, हम भारत में जनसंख्या वृद्धि के समस्याओं को समझने और उन्हें समाधान करने के लिए साथ मिलकर काम कर सकते हैं।

 

स्रोत – द हिंदू एवं पीआईबी। 

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. विश्व जनसंख्या दिवस के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. विश्व जनसंख्या दिवस वैश्विक जनसंख्या वृद्धि के विषय पर लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
  2. विश्व जनसंख्या दिवस 2024 का विषय/ थीम  है – किसी को पीछे न छोड़ें, सभी की गिनती करें।
  3. डॉ. के.सी. जकारिया के सुझाव पर संयुक्त राष्ट्र ने प्रति वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।
  4. 1 जुलाई, 1989 को, दुनिया की जनसंख्या करीब 5 अरब दर्ज की गई थी।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है? 

a. केवल 1, 2 और 3 

B. केवल 1, 2 और 4 

C. केवल 2, 3 और 4 

D. उपरोक्त सभी। 

उत्तर – A

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q.1. जनसांख्यिकीय लाभांश से आप समझते हैं? भारत में जनसंख्या वृद्धि से संबंधित विभिन्न समस्याओं को रेखांकित करते हुए उसके समाधानात्मक उपायों पर विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए(UPSC – 2021 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )  

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