शिल्प दीदी महोत्सव

शिल्प दीदी महोत्सव

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 1 के अंतर्गत ‘ विरासत , कला एवं संस्कृति , सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण, वैश्विक आपूर्ति शृंखला में एकीकरण और वृद्धि एवं विकास ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ शिल्प दीदी कार्यक्रम , विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) कार्यालय , महिला सशक्तिकरण , पारंपरिक कारीगरों की भूमिका , ई-कॉमर्स ऑन-बोर्डिंग ’ खंड से संबंधित है।) 

 

खबरों में क्यों ?

 

 

  • हाल ही में केंद्रीय वस्त्र मंत्री ने नई दिल्ली के दिल्ली हाट में आयोजित ‘शिल्प दीदी महोत्सव’ का दौरा किया। 
  • इस महोत्सव के माध्यम से, सरकार ने शिल्प दीदी कार्यक्रम के तहत महिला कारीगरों ( जिन्हें शिल्प दीदी के रूप में जाना जाता है ) को सशक्त बनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया। 
  • भारत के वस्त्र मंत्रालय के मार्गदर्शन में, विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) कार्यालय ने 100 दिनों के लिए ‘शिल्प दीदी कार्यक्रम’ को प्रायोगिक आधार पर शुरू किया है। 
  • यह पहल महिला कारीगरों को उनकी कला और शिल्प के विकास में मदद करने के साथ-साथ आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से की गई है।

 

‘शिल्प दीदी कार्यक्रम’ की विशेषताएँ : 

 

  • शिल्प दीदी कार्यक्रम का उद्देश्य महिला कारीगरों को आर्थिक सशक्तिकरण और वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करना है। इस कार्यक्रम के तहत, 23 राज्यों के 72 जिलों से 100 महिला कारीगरों की पहचान की गई है, जिन्हें ‘शिल्प दीदी’ के नाम से जाना जाता है। इस प्रक्रिया में, विभिन्न राज्यों और जिलों से महिला कारीगरों को चुना गया, जिससे कार्यक्रम की व्यापकता और विविधता को सुनिश्चित किया गया।

शिल्प दीदी कार्यक्रम की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं – 

  • शिल्प की विविधता : इस कार्यक्रम में 30 अलग-अलग प्रकार के शिल्प शामिल हैं। ये शिल्प भारतीय सांस्कृतिक विविधता और पारंपरिक हस्तशिल्प कौशल को दर्शाते हैं। शिल्प की इस विविधता के माध्यम से न केवल स्थानीय कला और संस्कृति को संरक्षित किया जाता है, बल्कि कारीगरों को उनके पारंपरिक हुनर को प्रदर्शित करने का मंच भी मिलता है।
  • समुदाय और नेटवर्किंग का विकास : इस कार्यक्रम के माध्यम से कारीगरों को एक ऐसा मंच मिलता है जहां वे आपस में जुड़ सकते हैं, अपने अनुभव साझा कर सकते हैं और एक दूसरे से सीख सकते हैं। यह नेटवर्किंग उन्हें न केवल व्यक्तिगत रूप से बल्कि पेशेवर रूप से भी सशक्त बनाता है।
  • प्रशिक्षण और विकास : इस कार्यक्रम के द्वारा महिला कारीगरों को ई-प्रशिक्षण, ई-कॉमर्स ऑन-बोर्डिंग, उद्यमिता विकास, नियामक और सोशल मीडिया ऑन-बोर्डिंग तथा विपणन अवसर प्रदान किए जाते हैं।
  • स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रभावी पहल के रूप में प्रस्तुत करना :शिल्प दीदी’ कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल स्थानीय स्तर पर महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम करना है, बल्कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी एक प्रभावी पहल के रूप में प्रस्तुत करना है। इससे न केवल कारीगरों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, बल्कि भारतीय हस्तशिल्प की पहचान को भी सशक्त किया जाता है।
  • सरकारी समर्थन प्राप्त होना : वस्त्र मंत्रालय के मार्गदर्शन में विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) कार्यालय ने इस कार्यक्रम को प्रायोगिक आधार पर शुरू किया है। यह कार्यक्रम महिला कारीगरों को सशक्त बनाने और उनके शिल्प को बाजार में व्यापक रूप से पहुंचाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा शुरू किया गया एक महत्वपूर्ण पहल है।
  • सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण : ‘शिल्प दीदी’ कार्यक्रम के तहत महिलाओं को उनके शिल्प कौशल के लिए उचित मान्यता और समर्थन मिलता है। इससे उन्हें न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलती है, बल्कि समाज में उनकी स्थिति और सम्मान भी बढ़ता है।

 

शिल्प दीदी कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य : 

 

  • शिल्प दीदी कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पूरे भारत में महिला कारीगरों के बीच आर्थिक सशक्तीकरण और वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम की शुरुआत जून 2024 में ई-प्रशिक्षण के माध्यम से हुई थी। इस पहल के अंतर्गत निम्नलिखित घटक शामिल हैं – 
  • उद्यमिता विकास : इस घटक का उद्देश्य महिलाओं को उद्यमिता के गुण सिखाना और उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करना है। इसमें व्यवसाय योजना बनाना, वित्तीय प्रबंधन, और विपणन रणनीतियों के बारे में प्रशिक्षण देना शामिल है।
  • ई-कॉमर्स ऑन-बोर्डिंग : इस घटक के तहत महिला कारीगरों को विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर अपने उत्पादों को बेचने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। यह प्रशिक्षण उन्हें डिजिटल मार्केटिंग, ऑनलाइन बिक्री तकनीकों और ग्राहक सेवा के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • नियामक और सोशल मीडिया ऑन-बोर्डिंग : इस घटक के तहत महिलाओं को नियामक आवश्यकताओं और सोशल मीडिया के उपयोग के बारे में जानकारी दी जाती है। इसमें उन्हें विभिन्न सरकारी नियमों और नीतियों के बारे में जागरूक किया जाता है, जो उनके व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ – ही – साथ उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग करके अपने उत्पादों का प्रचार-प्रसार कैसे किया जाए, इसका भी प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • विपणन अवसर : इस घटक के माध्यम से महिला कारीगरों को अपने उत्पादों के विपणन के लिए विभिन्न अवसर प्रदान किए जाते हैं। इसमें उन्हें विभिन्न व्यापार मेलों, प्रदर्शनियों और ऑनलाइन मार्केटप्लेस में भाग लेने का अवसर मिलता है, जिससे वे अपने उत्पादों को व्यापक बाजार में प्रस्तुत कर सकें।

 

शिल्प दीदी कार्यक्रम का महत्त्व :

 

शिल्प दीदी कार्यक्रम का महत्त्व कई दृष्टिकोणों से अत्यंत महत्वपूर्ण है। जो निम्नलिखित है – 

  • महिला सशक्तिकरण : इस कार्यक्रम का एक विशेष पहलू यह है कि यह महिला कारीगरों को सशक्त बनाने पर केंद्रित है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के लिए यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे महिलाओं को अपने परिवार और समाज में सम्मान और पहचान मिलती है। 
  • पारंपरिक कारीगरों की भूमिका : तकनीकी प्रगति के बावजूद, पारंपरिक कारीगर समाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये कारीगर न केवल सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी योगदान करते हैं। उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों में कला और संस्कृति की झलक होती है, जो उन्हें विशिष्ट बनाती है।
  • पहचान और समर्थन : इन कारीगरों को पहचानने और समर्थन करने की आवश्यकता है। शिल्प दीदी कार्यक्रम के माध्यम से, सरकार और अन्य संस्थाएं इन कारीगरों को आवश्यक संसाधन, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, बल्कि उन्हें अपने कौशल को और भी निखारने का अवसर मिलता है।
  • वैश्विक आपूर्ति शृंखला में एकीकरण : शिल्प दीदी कार्यक्रम का एक और महत्वपूर्ण पहलू है कारीगरों को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में एकीकृत करना। इससे उनके उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलती है और उनकी मांग बढ़ती है। यह न केवल कारीगरों के लिए आर्थिक लाभदायक होता है, बल्कि भारतीय शिल्प को भी वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाता है।
  • सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण : शिल्प दीदी कार्यक्रम के माध्यम से पारंपरिक शिल्प और कला को संरक्षित किया जाता है। यह कार्यक्रम नई पीढ़ी को इन पारंपरिक कौशलों से परिचित कराता है और उन्हें सीखने के लिए प्रेरित करता है। इससे हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने में मदद मिलती है। इस प्रकार, शिल्प दीदी कार्यक्रम न केवल कारीगरों के जीवन में सुधार लाता है, बल्कि यह समाज और अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह कार्यक्रम पारंपरिक शिल्प को जीवित रखने और उन्हें वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 

पारंपरिक कारीगरों के उत्थान के लिए शुरू की गई सरकारी पहलें : 

 

  • मेगा क्लस्टर योजना : इस योजना के तहत, हस्तशिल्प के प्रमुख केंद्रों को विकसित किया जाता है ताकि वहां के कारीगरों को बेहतर सुविधाएं और संसाधन मिल सकें। इसका उद्देश्य उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देना है।
  • अम्बेडकर हस्तशिल्प विकास योजना : इस योजना का उद्देश्य कारीगरों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि वे अपनी हस्तशिल्प कलाओं को बेहतर बना सकें और आत्मनिर्भर हो सकें। इसके तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हस्तशिल्पकारों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है। इसमें प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और विपणन समर्थन शामिल हैं।
  • राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम : यह कार्यक्रम हस्तशिल्प के समग्र विकास के लिए है, जिसमें प्रशिक्षण, डिज़ाइन विकास, विपणन और वित्तीय सहायता शामिल हैं।
  • व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना : इस योजना का उद्देश्य हस्तशिल्प क्लस्टरों का समग्र विकास करना है, जिसमें बुनियादी ढांचे का विकास, कौशल उन्नयन और विपणन समर्थन शामिल हैं।
  • हस्तशिल्प के लिए निर्यात संवर्धन परिषद : यह परिषद भारत के हस्तशिल्प उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए काम करती है। परिषद निर्यातकों को बाजार अनुसंधान, प्रदर्शनी और निर्यात के लिए आवश्यक समर्थन प्रदान करती है, जिससे कारीगरों की उत्पादों की वैश्विक मांग बढ़े और उनकी आय में वृद्धि हो।
  • एक ज़िला एक उत्पाद कार्यक्रम : इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के प्रत्येक राज्य के प्रत्येक जिले के विशिष्ट उत्पाद को बढ़ावा देना है, जिससे स्थानीय कारीगरों को आर्थिक लाभ प्राप्त हो सके।
  • आत्मनिर्भर हस्तशिल्पकर योजना : इस योजना का उद्देश्य कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाना है, जिसमें उन्हें वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और विपणन समर्थन प्रदान किया जाता है। ये पहलें कारीगरों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

 

स्त्रोत – पीआईबी। 

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. शिल्प दीदी कार्यक्रम के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. इसका आयोजन वस्त्र मंत्रालय के द्वारा किया जाता है।
  2. यह राज्य सरकार द्वारा शुरू किया गया कार्यक्रम है।
  3. इस कार्यक्रम के द्वारा महिला कारीगरों को ई-प्रशिक्षण, ई-कॉमर्स ऑन-बोर्डिंग, उद्यमिता विकास, नियामक और सोशल मीडिया ऑन-बोर्डिंग तथा विपणन अवसर प्रदान किए जाते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1 और 3 

B. केवल 2 और 3 

C. इनमें से कोई नहीं।

D. उपरोक्त सभी।

उत्तर – A

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. शिल्प दीदी कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताओं को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत में यह कार्यक्रम किस प्रकार सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के साथ – ही – साथ महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण और वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करता है ? ( शब्द सीमा – 250 अंक -15 )

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