संप्रभु संपदा निधि : भारत के आर्थिक विकास का नया मार्ग

संप्रभु संपदा निधि : भारत के आर्थिक विकास का नया मार्ग

सामान्य अध्ययन- 3 भारतीय अर्थव्यवस्था का वृद्धि एवं विकास , आधारिक संरचना भारत के लिये संप्रभु संपदा निधि की आवश्यकता,

संप्रभु संपदा निधि, पेंशन फंड, नॉर्वे की सरकारी पेंशन निधि ग्लोबल, वैश्विक वित्तीय संकट 2008, योजना आयोग, NIIF, विनिवेश, विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि, गैर-ऋण वित्तीय संसाधन, चालू खाता घाटा, राजकोषीय घाटा, ESG (पर्यावरणीय, सामाजिक, शासन), हाइड्रोजन ऊर्जा, अर्द्धचालक, जैवप्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता 

 

खबरों में क्यों ?

 

  • हाल ही में भारत के केन्द्रीय बजट को प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री ने यह कहा है कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था के निष्क्रिय रूप से पड़े हुए राष्ट्रीय संपत्ति का सदुपयोग करने के लिए संप्रभु संपत्ति कोष (Sovereign Wealth Fund- BSWF) या भारत निधि (TBF) स्थापित करने पर विचार कर रहा है।

 

संप्रभु संपदा निधि (SWF) क्या होता है ? 

 

  • संप्रभु संपदा निधि (SWF) एक सरकारी स्वामित्व वाली वित्तीय निधि होती है, जो प्रायः सरकार के अधिशेष संसाधनों से बनाई जाती है। 
  • यह अधिशेष विभिन्न स्रोतों से आते हैं, जैसे कि प्राकृतिक संसाधन, व्यापार अधिशेष या बजट अधिशेष। 
  • संप्रभु संपदा निधि (SWF) का मुख्य उद्देश्य सरकार को रणनीतिक निवेश के माध्यम से वित्तीय संसाधनों का सृजन करना है, जिससे देश की आर्थिक स्थिरता और विकास सुनिश्चित हो सके।

 

संप्रभु संपत्ति कोष की प्रमुख विशेषताएँ :


सैंटियागो सिद्धांत (2008) के अनुसार, SWF को तीन प्रमुख मानदंडों के आधार पर परिभाषित किया गया है:

  1. इसे सरकारी स्वामित्व में रखा जाता है, जिसमें केंद्रीय और उप-राष्ट्रीय सरकारें दोनों शामिल हैं।
  2. इसमें मुख्य रूप से विदेशी वित्तीय परिसंपत्तियों में निवेश किया जाता है।
  3. इसका निवेश मुख्य रूप से वित्तीय उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
  4. इनमें पेंशन फंड्स और केंद्रीय बैंक की आरक्षित परिसंपत्तियाँ शामिल नहीं होती है।

 

संप्रभु संपत्ति निधि के विभिन्न प्रकार :

 

    1. स्थिरीकरण निधि : यह निधि अस्थिर राजस्व को संभालने के लिए बनाई जाती है, ताकि राजकोषीय स्थिरता बनी रहे।
    2. भावी पीढ़ी निधि : इसका उद्देश्य भविष्य की पीढ़ियों के लाभ के लिए दीर्घकालिक निवेश करना है।
    3. सार्वजनिक लाभ पेंशन रिज़र्व निधि : इसके तहत पेंशन प्रणालियों को वित्तपोषित करने के लिए इसे दीर्घकालिक दायित्वों के लिए उपयोग किया जाता है।
    4. आरक्षित निवेश निधि : इसके तहत मुद्रा स्थिरता को बनाए रखने और विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में वृद्धि करने के लिए इसे प्रबंधित किया जाता है।
    5. रणनीतिक विकास से संबंधित SWF : इसके तहत इसमें राष्ट्रीय विकास के लिए प्रमुख क्षेत्रों में निवेश करता है।
    6. विदेशी मुद्रा आरक्षित परिसंपत्तियाँ : यह मुद्रा की स्थिरता बनाए रखने और वैश्विक व्यापार में संतुलन बनाए रखने के लिए प्रयोग की जाती हैं।
  • कुछ प्रमुख उदाहरण :

  • नॉर्वे का गवर्नमेंट पेंशन फंड ग्लोबल (1.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर),
  • चाइना इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (1.35 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर),
  • अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (993 बिलियन अमेरिकी डॉलर)।

 

भारत में SWF का इतिहास :

 

  1. भारत में SWF का विचार 2007-08 में पूंजी प्रवाह में वृद्धि के कारण उठाया गया था, लेकिन 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद इसकी गति धीमी पड़ी।
  2. वर्ष 2010-11 में योजना आयोग ने इसे पुनर्जीवित किया और 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कोष के निर्माण का प्रस्ताव दिया।
  3. वर्ष 2015 में भारत ने NIIF की स्थापना की, जो देश का प्रमुख संरचित निवेश कोष बन चुका है।

सैंटियागो सिद्धांत : यह एक स्वैच्छिक दिशा निर्देशों का समूह है जो SWF के लिए पारदर्शिता, सुशासन, जवाबदेही और विवेकपूर्ण निवेश प्रथाओं को बढ़ावा देता है। यह सिद्धांत 2008 में IFSWF द्वारा स्थापित किए गए थे, जो एक अंतरराष्ट्रीय स्वैच्छिक संगठन है।

 

भारत को संप्रभु संपदा निधि (SWF) की आवश्यकता क्यों है ?

 

  1. सार्वजनिक संपत्ति का अनलॉक करने के लिए : SWF के माध्यम से राज्य-स्वामित्व वाली कंपनियों में निवेश करके और उनसे बेहतर रिटर्न प्राप्त कर, इसके तहत भारत के 80 सूचीबद्ध उद्यमों से करीब 40 लाख करोड़ रुपये (450-500 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का प्रबंधन संभव हो सकता है।
  2. राजकोषीय घाटे में कमी को दूर करने के लिए : सरकारी इक्विटी के 2% विनिवेश से हर साल 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की आय हो सकती है, जिससे भारत का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 4.9% से घटकर 4.6% तक कम हो सकता है।
  3. निवेश में विविधता लाकर उच्च रिटर्न की संभावना बढ़ना : वर्ष 2007-09 के वैश्विक वित्तीय संकट से यह स्पष्ट हुआ कि अमेरिकी ट्रेजरी जैसी ‘सुरक्षित’ प्रतिभूतियों पर निर्भर रहने के खतरे हैं। SWF से निवेश में विविधता लाकर उच्च रिटर्न की संभावना बढ़ सकती है।
  4. अतिरिक्त विदेशी मुद्रा भंडार का लाभ उठाने के लिए : भारत के पास अतिरिक्त विदेशी मुद्रा भंडार (जो लगभग नौ महीने के आयात के बराबर है) है, जिसे राष्ट्रीय संपत्ति बढ़ाने के लिए बेहतर तरीके से उपयोग किया जा सकता है।
  5. देश में दीर्घकालिक विकास और नवाचार को बढ़ावा देकर रणनीतिक क्षेत्रों में समर्थन प्राप्त करने के लिए : SWF से इलेक्ट्रिक वाहन, हाइड्रोजन ऊर्जा, अर्द्धचालक, जैव प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे क्षेत्रों में निवेश करके भारत दीर्घकालिक विकास और नवाचार को बढ़ावा दे सकता है, जिससे वह वैश्विक नेतृत्व में स्थापित हो सकता है।
  6. देश के सामाजिक कल्याण कोष को बढ़ावा देने और राजकोषीय अनुकूलन में सुधार करने के लिए : भारत के लिए SWF के जरिए सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों और राष्ट्रीय विकास निवेशों के लिए वित्तीय संसाधन जुटाए जा सकते हैं, जिससे सामाजिक कल्याण कोष को बढ़ावा मिलेगा और राजकोषीय अनुकूलन में सुधार होगा।
  7. आपदा राहत में सहायता प्रदान करके भारत की सॉफ्ट पावर को प्रक्षिप्त करने के लिए : SWF के माध्यम से भारत अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को बढ़ा सकता है, उदाहरण स्वरूप, नॉर्वे जैसे देशों के SWF में निवेश कर, आपदा राहत में सहायता प्रदान करके भारत की सॉफ्ट पावर को प्रक्षिप्त किया जा सकता है।

 

भारत में SWF से जुड़ी चिंताएँ : 

 

  1. चालू खाता घाटा : SWF आमतौर पर उन देशों के लिए होते हैं जिनके पास खनिज संपदा या व्यापार और बजट अधिशेष होते हैं, जबकि भारत लगातार चालू खाता घाटे और महत्वपूर्ण राजकोषीय घाटे का सामना कर रहा है।
  2. व्यापक आर्थिक जोखिम : वैश्विक विकास में मंदी, बढ़ता संप्रभु ऋण, और वित्तीय सख्ती SWF के निवेश प्रतिफल को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे राजकोषीय स्वास्थ्य पर दबाव बढ़ सकता है और वित्तीय अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।
  3. भू-राजनीतिक तनाव : वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और वैश्वीकरण से दूरी SWF निवेश रणनीतियों को प्रभावित कर सकती है, जिससे सीमा पार निवेश, आपूर्ति शृंखलाएँ और व्यापार नीतियाँ संकटग्रस्त हो सकती हैं।
  4. पर्यावरणीय जोखिम : यदि पर्यावरणीय नीतियाँ विफल होती हैं, विशेष रूप से जीवाश्म ईंधन के मामलों में, तो SWF को जलवायु-प्रभावित उद्योगों और फंसी हुई परिसंपत्तियों से नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
  5. प्रौद्योगिकी में कमजोरियाँ : SWF को बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन का प्रबंधन करना होता है, जो धोखाधड़ी और डेटा चोरी जैसी बढ़ती हुई तकनीकी खतरों का सामना कर सकता है। इसके साथ ही, तेज़ी से बदलती प्रौद्योगिकी पारंपरिक निवेश मॉडल को चुनौती दे सकती है।

 

समाधान / आगे की राह :

 

  1. एक मजबूत कानूनी और नियामक ढांचा स्थापित किए जाने की जरूरत : SWF के संचालन में सर्वोत्तम प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए, पारदर्शिता, जवाबदेही और सैंटियागो सिद्धांतों के पालन को प्राथमिकता देते हुए, एक मजबूत कानूनी और नियामक ढांचा स्थापित किया जाना चाहिए।
  2. रणनीतिक संपत्ति आवंटन में निवेश को बढ़ावा देने की आवश्यकता : भारत की वैश्विक ताकत को बढ़ाने के लिए, उच्च विकास की क्षमता वाले क्षेत्रों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), जैव प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रिक वाहन (EV), और सेमीकंडक्टर में निवेश को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  3. सह-निवेश करने का मॉडल को अपनाकर विशेषज्ञता का लाभ उठाने की जरूरत : वैश्विक निवेश फंडों के साथ सह-निवेश करने का मॉडल अपनाया जा सकता है, ताकि विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता का फायदा उठाते हुए बेहतर निवेश निर्णय लिए जा सकें
  4. राजकोषीय घाटे और निवेश लक्ष्यों के बीच सही संतुलन स्थापित करने की जरूरत : संसाधनों के आवंटन को चरणबद्ध तरीके से लागू करते हुए, राजकोषीय घाटे और निवेश लक्ष्यों के बीच सही संतुलन स्थापित करना महत्वपूर्ण होगा।
  5. वित्तीय संकट जैसे आर्थिक जोखिमों को प्रबंधित करने की आवश्यकता : बाजार में अस्थिरता और वित्तीय संकट जैसे आर्थिक जोखिमों को कम करने के लिए प्रभावी रणनीतियाँ विकसित करना आवश्यक है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके।
  6. जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों से बचाव करने की आवश्यकता : जलवायु परिवर्तन से प्रभावित उद्योगों में निवेश से बचने के लिए ESG (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) सिद्धांतों को अपनाना जरूरी है, ताकि फंसी हुई परिसंपत्तियों से बचा जा सके।

 

स्त्रोत – पी. आई. बी एवं इंडियन एक्सप्रेस।

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. संप्रभु संपत्ति निधि (SWF) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 

  1. यह सरकारी स्वामित्व में होती है।
  2. संप्रभु संपत्ति निधि (SWF) केवल पेंशन फंड्स और केंद्रीय बैंक की आरक्षित परिसंपत्तियों का प्रबंधन करती है।
  3. संप्रभु संपत्ति निधि (SWF) का उद्देश्य दीर्घकालिक निवेश के जरिए देश की वित्तीय स्थिरता को बढ़ाना है।
  4. संप्रभु संपत्ति निधि (SWF) के निवेश का उद्देश्य केवल राजकोषीय घाटे को कम करना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1 और 3 

B. केवल 2 और 4 

C. केवल 1 और 4 

D. केवल 2 और 3 

उत्तर – A

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. संप्रभु संपत्ति निधि (SWF) क्या है और यह कितने प्रकार का होता है? चर्चा कीजिए कि भारत में इसके महत्व एवं इससे जुड़ी चुनौतियाँ और इसके समाधान के उपाय क्या हो सकते हैं ? ( शब्द सीमा- 250 अंक – 15 ) 

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