सतत विकास की ओर : कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नवीकरणीय ऊर्जा का संतुलन

सतत विकास की ओर : कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नवीकरणीय ऊर्जा का संतुलन

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ कृत्रिम बुद्धिमत्ता, वैज्ञानिक नवाचार और खोज, सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, संसाधनों का संग्रहण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का पर्यावरणीय प्रभाव, उभरती प्रौद्योगिकियों में नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण, भारत में सतत् AI बुनियादी ढाँचा ’ खण्ड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, नवीकरणीय ऊर्जा, जीवाश्म ईंधन, दुर्लभ मृदा खनिज, इंडिया AI मिशन ’ खण्ड से संबंधित है। )

 

खबरों में क्यों? 

 

 

  • हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से जो आर्थिक फायदा होगा, वह डेटा सेंटरों में बढ़ती बिजली की खपत के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले इसके (AI) असर की लागत से ज़्यादा हो सकता है। यह बात उन देशों के लिए और भी अहम है जो नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं।
  • भारत में AI से जुड़े ढाँचागत विकास के बढ़ते कदमों को देखते हुए, अब यह आवश्यक हो गया है कि इस तकनीकी प्रगति को सतत और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के साथ समन्वित किया जाए, ताकि आर्थिक वृद्धि के साथ पर्यावरण संतुलन भी बना रहे।

 

भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) किस प्रकार आर्थिक प्रगति को गति दे सकती है ?

 

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने वाला एक प्रमुख साधन बनता जा रहा है। गूगल की रिपोर्ट के अनुसार, AI को अपनाने से 2030 तक भारत को 33.8 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त आर्थिक मूल्य प्राप्त हो सकता है। 
  • इसके माध्यम से भारत अपनी 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में अग्रसर है।
  • AI कृषि, विनिर्माण, वित्त और सार्वजनिक सेवा जैसे विविध क्षेत्रों की उत्पादकता को नई ऊँचाइयों तक पहुँचा रहा है। उदाहरण के लिए, कृषि में उपग्रह इमेजरी और मशीन लर्निंग से फसल रोगों की पूर्व जानकारी और जल व उर्वरक की बचत संभव हो रही है। वहीं, विनिर्माण में कंपनियाँ गुणवत्ता नियंत्रण और अनुरक्षण में AI की मदद से दक्षता बढ़ा रही हैं।
  • वित्तीय समावेशन में भी AI की भूमिका अहम है, जो बैंकिंग सेवाओं से वंचित वर्ग तक पहुँच को आसान बना रही है। साथ ही, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में AI का समावेश भारत को तकनीक-सक्षम शासन की ओर अग्रसर कर रहा है।

 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का पर्यावरणीय फुटप्रिंट : 

  1. ऊर्जा की खपत : कृत्रिम बुद्धिमत्ता मॉडल डेटा सेंटरों पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जहाँ AI सर्वर और स्टोरेज होते हैं। इन केंद्रों में बहुत अधिक बिजली खर्च होती है, जिसका बड़ा हिस्सा अभी भी जीवाश्म ईंधन से आता है। एक AI क्वेरी (जैसे, ChatGPT) गूगल सर्च से 10 गुना अधिक ऊर्जा लेती है। 2024 में डेटा सेंटरों ने वैश्विक बिजली खपत का लगभग 1.5% (415 TWh) इस्तेमाल किया, जो 2030 तक दोगुना होकर 945 TWh हो जाएगा, जो जापान की वर्तमान खपत से अधिक है। IMF के अनुसार, AI के विस्तार से अमेरिका में बिजली की कीमतें 9% तक बढ़ सकती हैं। नवीकरणीय ऊर्जा वाले देशों को AI विकास में कम पर्यावरणीय लागत आएगी।
  2. कार्बन उत्सर्जन : जीवाश्म ईंधन से चलने वाली AI प्रणालियाँ ग्रीनहाउस गैसें (GHG) उत्सर्जित करती हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती है। विश्व के कुल GHG उत्सर्जन का 1% AI हार्डवेयर और डेटा सेंटरों से आता है, जो 2026 तक दोगुना होने का अनुमान है।
  3. जल की उच्च खपत : डेटा सेंटरों को ठंडा रखने के लिए बहुत पानी चाहिए होता है। GPT-3 जैसे बड़े AI मॉडल को प्रशिक्षित करने में 700,000 लीटर तक पानी लग सकता है, जो 320 टेस्ला कारों के उत्पादन के बराबर है। AI से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जल्द ही डेनमार्क की पूरी आबादी से छह गुना अधिक पानी की आवश्यकता हो सकती है, जिससे पहले से ही सीमित स्वच्छ जल संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा।
  4. संसाधन का उपयोग और खनन : कृत्रिम बुद्धिमत्ता सर्वर और संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए दुर्लभ खनिजों और अन्य सामग्रियों का खनन आवश्यक है। 2 किलो के कंप्यूटर के लिए 800 किलो कच्चे माल की आवश्यकता होती है, जिनमें से ज्यादातर पर्यावरण के लिए हानिकारक खनन से आते हैं। AI उपकरण लिथियम, कोबाल्ट और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों पर निर्भर करते हैं, जिनका खनन अक्सर टिकाऊ नहीं होता है, जिससे वन कटाई और मिट्टी का कटाव होता है।
  5. ई-अपशिष्ट उत्पादन : कृत्रिम बुद्धिमत्ता इंफ्रास्ट्रक्चर के तेजी से विकास से ई-कचरा बहुत बढ़ जाता है, जिसमें सर्वर, पुराने चिप्स और बेकार इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। इनमें पारा, सीसा जैसे खतरनाक पदार्थ होते हैं, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

 

पर्यावरणीय संकटों से निपटने में और पर्यावरण की रक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता कैसे मददगार है ?

 

  1. प्रदूषण नियंत्रण के लिए : IBM की ‘ग्रीन होराइजन’ जैसी AI प्रणालियाँ वायु प्रदूषण की निगरानी करती हैं, स्रोतों का पता लगाती हैं और प्रदूषण कम करने के उपाय सुझाती हैं। शहरों में, AI वृक्षारोपण और यातायात प्रबंधन जैसे तरीकों से वायु प्रदूषण और हीट आइलैंड के प्रभावों का आकलन कर सकता है।
  2. मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के लिए : गूगल का ‘जेनकास्ट’ उपग्रह और सेंसर डेटा का विश्लेषण करके मौसम का पूर्वानुमान और जलवायु मॉडलिंग को बेहतर बनाता है। यह तूफान और बाढ़ जैसी आपदाओं की भविष्यवाणी को अधिक सटीक बनाता है और बेहतर तैयारी के लिए सबसे विश्वसनीय जलवायु मॉडलों की पहचान करता है।
  3. वन संरक्षण के लिए : कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस उपग्रह इमेजरी वनों की वास्तविक समय में निगरानी करती है, वन क्षेत्र में बदलाव, अवैध कटाई और वनोन्मूलन के हॉटस्पॉट की पहचान करती है, जिससे त्वरित कार्रवाई संभव होती है। AI वनों की वृद्धि और स्वास्थ्य का अनुमान लगाकर स्थायी वन प्रबंधन और पुनर्वनीकरण प्रयासों में मदद करता है।
  4. महासागर के संरक्षण के लिए : AI-संचालित सेंसर और कैमरे समुद्री जीवों और उनके आवासों पर नज़र रखते हैं। मशीन लर्निंग जानवरों की गतिविधियों को ट्रैक करती है, जिससे संरक्षण रणनीतियाँ बनती हैं। AI उपग्रह चित्रों से तेल रिसाव और प्लास्टिक कचरे जैसे समुद्री प्रदूषण स्रोतों का पता लगाता है, जिससे सफाई अभियान तेज हो सकता है।
  5. मत्स्य संरक्षण और अनुसंधान में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए :  ‘फिशियल.AI’ मछलियों की प्रजातियों का सबसे बड़ा ओपन-सोर्स डेटाबेस बना रहा है, जो मत्स्य संरक्षण और अनुसंधान में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा दे रहा है।

 

नवीकरणीय ऊर्जा के साथ AI को एकीकृत करने में भारत का दृष्टिकोण :

  • भारत ‘इंडियाAI मिशन’ के तहत अपने बढ़ते AI इंफ्रास्ट्रक्चर में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को शामिल करने की आवश्यकता को समझ रहा है। 
  • नीति आयोग की राष्ट्रीय AI रणनीति आर्थिक विकास और सामाजिक समावेश के लिए AI का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसमें AI विकास की ऊर्जा लागत को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा को एकीकृत करना भी शामिल है। 
  • पेरिस में AI एक्शन शिखर सम्मेलन में भारत ने AI विकास को नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के साथ जोड़ने पर जोर दिया। भविष्य में AI डेटा सेंटरों के लिए छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों का उपयोग स्वच्छ ऊर्जा का एक संभावित स्रोत हो सकता है। 
  • भारत के 2070 के नेट-ज़ीरो लक्ष्य के लिए पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को कम करने के साथ-साथ AI जैसे औद्योगिक विकास को संतुलित करना आवश्यक है।

 

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा और AI के समन्वय की मुख्य चुनौतियाँ :

भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को नवीकरणीय ऊर्जा से जोड़ने की दिशा में कई बाधाएँ मौजूद हैं। वे चुनौतियाँ निम्नलिखित है – 

 

 

 

  1. सीमित हरित ऊर्जा स्रोत : वर्तमान में गैर-जीवाश्म ईंधन से बिजली उत्पादन कम है, जो AI के लिए स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता को बाधित करता है। सौर और पवन ऊर्जा की अविश्वसनीयता और महंगी भंडारण तकनीकें भी बाधाएँ हैं।
  2. बिजली ग्रिड की पुरानी संरचना और कमज़ोर ग्रिड का होना : बिजली ग्रिड की पुरानी संरचना नवीकरणीय ऊर्जा को AI डेटा केंद्रों से जोड़ने में समस्याएँ पैदा करती है। विकेंद्रीकृत हरित ऊर्जा के लिए ग्रिड का आधुनिकीकरण आवश्यक है।
  3. AI की उच्च ऊर्जा खपत का होना : AI तकनीकें, खासकर डीप लर्निंग, बहुत अधिक बिजली की खपत करती हैं, जिससे स्थिरता चिंताएँ बढ़ती हैं और बिजली की कीमतें AI संचालन लागत को बढ़ा सकती हैं।
  4. नीतिगत स्तर पर प्रोत्साहन का कम होना : AI और नवीकरणीय ऊर्जा नीतियाँ अलग-अलग हैं, और हरित डेटा केंद्रों के लिए प्रोत्साहन कम है।
  5. वित्तीय बाधाएँ और निवेश की कमी का होना : नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढाँचे में शुरुआती निवेश की कमी और अनिश्चित ROI निजी क्षेत्र की भागीदारी को सीमित करते हैं।
  6. पर्यावरणीय नुकसान और जल संसाधनों पर बढ़ता दबाव : AI हार्डवेयर के लिए खनन और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन से पर्यावरणीय नुकसान और जल संसाधनों पर दबाव पड़ता है।

 

समाधान की राह में भारत की पहल :

 

 

  1. भारत की भौगोलिक स्थिति : भारत की भौगोलिक स्थिति उसे सौर और पवन ऊर्जा के दोहरे लाभ की ओर अग्रसर करती है। राष्ट्रीय सौर मिशन और हरित ऊर्जा गलियारा जैसी योजनाएँ AI डेटा केंद्रों को स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति में सहायक हो सकती हैं।
  2. विशाल नवीकरणीय क्षमता का उपयोग : सौर और पवन ऊर्जा की प्रचुरता AI डेटा केंद्रों को स्वच्छ ऊर्जा प्रदान कर सकती है। राष्ट्रीय सौर मिशन और हरित ऊर्जा गलियारा जैसी पहलें इस बदलाव का समर्थन कर सकती हैं।
  3. हरित बैकअप समाधान : डीजल जनरेटर के बजाय हाइड्रोजन ईंधन सेल और बैटरी का उपयोग कार्बन उत्सर्जन कम कर सकता है। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन इसमें सहायक हो सकता है, और ईंधन सेल से उत्पन्न जल AI डेटा केंद्रों की जल खपत को कम कर सकता है।
  4. AI-संचालित स्मार्ट ग्रिड एवं शीतलन तकनीकों को बढ़ावा देना : AI का उपयोग करके स्मार्ट ग्रिड बनाना और ऊर्जा-कुशल हार्डवेयर एवं शीतलन तकनीकों को बढ़ावा देना ऊर्जा और जल की खपत को कम कर सकता है। AI एल्गोरिदम से ऊर्जा मांग का पूर्वानुमान और नवीकरणीय संसाधनों का अनुकूलन जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर सकता है।
  5. सतत् अवसंरचना को प्रोत्साहन देना : 100% नवीकरणीय ऊर्जा से चलने वाले डेटा केंद्रों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  6. पायलट परियोजनाओं का समर्थन करना : सरकार को धारणीय डेटा सेंटर डिज़ाइन और ऊर्जा/जल बचत तकनीकों पर केंद्रित पायलट परियोजनाओं को वित्तपोषित करना चाहिए।
  7. हरित प्रौद्योगिकी को अपनाने में नवाचार को बढ़ावा देना : AI और स्वच्छ ऊर्जा स्टार्टअप के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करके हरित प्रौद्योगिकी को अपनाने में तेज़ी लाई जा सकती है।

 

स्त्रोत – पी. आई. बी एवं द हिन्दू।  

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q.1. पर्यावरणीय संकटों से निपटने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) किस प्रकार मददगार हो सकता है?

  1. केवल मौसम का सटीक पूर्वानुमान करके 
  2. प्रदूषण की निगरानी करके और उसे कम करने के उपाय सुझाकर 
  3. वन कटाई को बढ़ावा देकर 
  4. समुद्री प्रदूषण के स्रोतों का पता लगाकर

कूट के माध्यम से सही उत्तर का चयन करें : 

A. केवल 1 और 3

B. केवल 2 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं।

D. उपरोक्त सभी। 

उत्तर – B

व्याख्या : 

  • ‘ग्रीन होराइजन’ जैसी AI प्रणालियाँ जो प्रदूषण की निगरानी करती हैं और उसे कम करने के उपाय सुझाती हैं। AI उपग्रह चित्रों से समुद्री प्रदूषण के स्रोतों का भी पता लगा सकता है। AI वन संरक्षण में मदद करता है, न कि वन कटाई को बढ़ावा देता है। मौसम का पूर्वानुमान AI की एक उपयोगी क्षमता है, लेकिन यह पर्यावरण की रक्षा में इसकी एकमात्र भूमिका नहीं है।

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. चर्चा कीजिए कि भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को नवीकरणीय ऊर्जा के साथ एकीकृत करने में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं, और इन चुनौतियों के संदर्भ में भारत आर्थिक प्रगति और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन कैसे स्थापित कर सकता है? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

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