17 Sep सीबीआई की स्वायत्तता और निष्पक्षता बनाम संवैधानिक अधिकार और न्यायिक सुरक्षा
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारत की शासन एवं राजव्यवस्था, भारतीय संविधान, उच्चतम न्यायालय, विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप और उनके प्रारूप और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ दिल्ली आबकारी नीति , आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी और जमानत , केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) , ट्रिपल टेस्ट , भारत में प्रवर्तन निदेशालय और उसका कार्य ’ खंड से संबंधित है। )
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ज़मानत प्रदान की है। ज़मानत देने के इस फैसले के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ शर्तें भी लगाई हैं।
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने सीबीआई के आचरण पर आलोचना करते हुए कहा कि सीबीआई, जो देश की प्रमुख जांच एजेंसी है, को अपनी जांच की निष्पक्षता और गिरफ्तारियों में संभावित पक्षपात के संदेह को दूर करने के लिए पूरी तत्परता से कार्य करना चाहिए था।
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने अतीत के उस मामलों का उल्लेख किया जब भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई थी और उसकी तुलना “पिंजरे में बंद तोते” से की थी।
- सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी संकेत किया कि सीबीआई को अपने कार्यों को करने में पूरी तरह से स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनाए रखने की आवश्यकता है।
दिल्ली आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी और जमानत की समय – सीमा :
आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी और जमानत की समयरेखा इस प्रकार है-
21 मार्च, 2024 : दिल्ली के मुख्यमंत्री को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
26 जून, 2024 : पहले से ही हिरासत में रहते हुए, उन्हें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
12 जुलाई, 2024 : सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मामले में अंतरिम जमानत दी, लेकिन सीबीआई की लंबित कार्यवाही के कारण वह जेल में ही रहे।
5 अगस्त, 2024 : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई की गिरफ्तारी को बरकरार रखा और मुख्यमंत्री को जमानत के लिए निचली अदालत जाने का निर्देश दिया।
दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करना : दिल्ली के मुख्यमंत्री ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की। अंततः सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के मुख्य आधार:
जमानत मंजूर करने का निर्णय : न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने सर्वसम्मति से जमानत देने का निर्णय लिया।
ट्रिपल टेस्ट : न्यायाधीशों ने निर्धारित किया कि मुख्यमंत्री ने जमानत के लिए “ट्रिपल टेस्ट” को पूरा किया है। जिसमें सबूतों से किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ का कोई जोखिम नहीं उठाना, भागने का कोई जोखिम नहीं उठाना और गवाहों पर कोई अनुचित प्रभाव नहीं डालना शामिल है।
जमानत देने के साथ ही कुछ शर्तों का पालन करना अनिवार्य :
- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस दौरान मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय का कोई दौरा नहीं करेंगे ।
- उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना किसी भी आधिकारिक फाइलों पर दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा हस्ताक्षर नहीं किए जाएंगे।
- दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा इस मामले के बारे में कोई सार्वजनिक टिप्पणी या गवाहों से बातचीत नहीं किया जायेगा।
- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस मुकदमे में पूर्ण सहयोग और अदालती सुनवाई में उपस्थिति होना ही पड़ेगा।
गिरफ्तारी की आवश्यकता पर अलग-अलग राय :
- धारा 41(1)(बी): बिना वारंट के गिरफ्तारी की शर्तें निर्धारित करती है।
- धारा 41ए: उन मामलों में अभियुक्त को पुलिस के समक्ष उपस्थित होने से संबंधित है जहां गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं है।
- मुख्यमंत्री की दलीलें: उन्होंने तर्क दिया कि धारा 41(1)(बी) के तहत उनकी गिरफ्तारी की शर्तें पूरी नहीं हुईं और सीबीआई द्वारा पूछताछ से पहले उन्हें धारा 41ए के तहत नोटिस नहीं दिया गया था।
- न्यायमूर्ति कांत का फैसला: न्यायमूर्ति कांत ने फैसला सुनाया कि धारा 41(1)(बी) लागू नहीं होती क्योंकि सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने गिरफ्तारी को अधिकृत किया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि धारा 41ए के तहत किसी ऐसे व्यक्ति को नोटिस भेजने की आवश्यकता नहीं है जो पहले से ही न्यायिक हिरासत में है। इस प्रकार, सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को जमानत दे दी और इस मामले की सुनवाई को जारी रखा है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) :
- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) भारत की एक प्रमुख जांच एजेंसी है।
- भारत में इसकी स्थापना सन 1963 में संथानम समिति की सिफारिश के आधार पर भारत सरकार द्वारा की गई थी।
- सीबीआई भारत में एक वैधानिक निकाय नहीं है, लेकिन इसे दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के तहत जांच करने की शक्ति प्राप्त होती है।
नियंत्रण :
- सीबीआई कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कार्य करती है, जो प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधीन संचालित होता है।
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराधों की जांच के लिए सीबीआई अपना अधीक्षण भारत के केंद्रीय सतर्कता आयोग को सौंपती है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो का कार्य :
- प्रारंभ में भारत में सीबीआई की स्थापना का मूल उद्देश्य सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में भ्रष्टाचार की जांच करना था।
- बदलते समय के साथ, भारत में इसके कार्यक्षेत्र में विस्तार हुआ है।
- वर्तमान में, सीबीआई आर्थिक अपराध, साइबर अपराध, संगठित अपराध और विशेष अपराध जैसे कई प्रकार के मामलों की जांच करती है।
सीबीआई की आलोचना के प्रमुख आधार :
सीबीआई की आलोचना के प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं –
- स्वतंत्रता पूर्व अधिनियम द्वारा निर्देशित : सीबीआई अभी भी डीपीएसई अधिनियम 1946 द्वारा निर्देशित है, जिसके प्रावधान संस्थाओं की जवाबदेही और स्वायत्तता में बाधा डालते हैं।
- राजनीतिक दबाव में काम करना : सीबीआई पर राजनीतिक दबाव के कारण पक्षपातपूर्ण होने के आरोप लगते रहे हैं। उदाहरण के लिए, कोयला ब्लॉक जांच के दौरान सीबीआई को अपने निष्कर्ष सरकार के साथ साझा करने को कहा गया था।
- भारत में सीबीआई जैसी एजेंसी के संवैधानिकता पर सवाल : सन 2013 में गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने सीबीआई को असंवैधानिक करार दिया था, क्योंकि इसका कोई वैधानिक आधार नहीं है, किन्तु बाद में सुप्रीम कोर्ट ने ही इस फैसले पर रोक लगा दी थी।
- सेवानिवृत्ति के बाद लाभ का पद पाने से प्रेरित होना : सीबीआई प्रमुख को सेवानिवृत्ति के बाद लाभ का लालच मौजूदा सरकार के इशारे पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
- मामले के समाधान में देरी करना : सीबीआई की अकुशलता और अप्रभावीता के कारण मामलों के समाधान में देरी होती है।
- भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद को पोषित करने वाली एजेंसी : पूर्व सीबीआई निदेशक जोगिंदर सिंह ने अपनी पुस्तक में एजेंसी के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का खुलासा किया है।
- आंतरिक विवाद : वर्ष 2019 में एजेंसी के निदेशक और विशेष निदेशक के बीच विवाद हुआ था, जिसमें दोनों ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया था।
- सीबीआई के छवि पर धक्का : भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई को “पिंजरे में बंद तोता” बताया, जिसके कई मालिक हैं।
सीबीआई की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए न्यायमूर्ति भुइयां की आलोचना :
- न्यायमूर्ति भुइयां ने सीबीआई की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि एजेंसी को आरोपी से इस तरह के उत्तर की मांग नहीं करनी चाहिए जिससे जांचकर्ताओं को संतोष हो और आरोपी को सहयोगी माना जाए। उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20(3) का हवाला देते हुए कहा कि आरोपी को आत्म-गवाही से बचने का अधिकार है।
- उन्होंने केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय पर भी आपत्ति जताई, और कहा कि सीबीआई ने एक अन्य मामले में जमानत मिलने के तुरंत बाद उनकी हिरासत की मांग की थी।
आगे / समाधान की राह :
- दिल्ली आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलना यह दर्शाता है कि भारत की न्यायिक व्यवस्था इस मामले की समाधान न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता में निहित है।
- भारत में किसी भी न्यायालय को निष्पक्ष और त्वरित न्याय सुनिश्चित करना चाहिए ताकि जनता का विश्वास बना रहे।
- भारत में राजनीतिक दलों को भी न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए और इसे राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए।
- दिल्ली आबकारी नीति मामला भारतीय न्यायिक प्रणाली और राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण है। सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगे की न्यायिक प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है।
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ज़मानत प्रदान करने का यह आदेश न्यायालय द्वारा मामले में समाधान की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है।
- ज़मानत मिलने के बाद, मुख्यमंत्री केजरीवाल अब मामले की सुनवाई और न्यायालय की प्रक्रिया के दौरान स्वतंत्र रह सकेंगे।
- इस फैसले से न्यायालय ने यह संकेत दिया है कि वह मामले की निष्पक्षता और कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करता है, और इसके माध्यम से उचित न्याय सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है।
स्त्रोत – द हिन्दू।
Download plutus ias current affairs Hindi med 17th Sep 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1.भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ज़मानत प्रदान करते समय किन दो महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर ध्यान दिया?
A. न्यायिक स्वतंत्रता और प्रशासनिक निष्पक्षता।
B. संवैधानिक अधिकार और न्यायिक सुरक्षा।
C. प्रशासनिक प्रभाव और राजनीतिक समर्थन।
D. केवल व्यक्तियों के अधिकार और कानूनी प्रक्रिया।
उत्तर: B संवैधानिक अधिकार और न्यायिक सुरक्षा।
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत में सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) की स्वायत्तता और निष्पक्षता की अवधारणा का विश्लेषण करें। इसके संदर्भ में, हाल ही में दिल्ली आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ज़मानत प्रदान करने के निर्णय का क्या महत्व है? इस निर्णय के प्रभाव और इसके परिणामस्वरूप सीबीआई की भूमिका और न्यायिक सुरक्षा पर चर्चा करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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