हेमा समिति की रिपोर्ट : कार्यस्थल पर यौन शोषण की स्थिति, प्रभाव और निवारण उपायों की समीक्षा

हेमा समिति की रिपोर्ट : कार्यस्थल पर यौन शोषण की स्थिति, प्रभाव और निवारण उपायों की समीक्षा

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ महिलाओं से संबंधित मुद्दे, महिलाओं की भूमिका, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ हेमा समिति की रिपोर्ट, रोज़गार, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013, साइबर खतरे, गोपनीयता, भारतीय न्याय संहिता ’ खंड से संबंधित है।

 

खबरों में क्यों ?

 

 

  • हाल ही में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं से संबंधित न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ हो रहे यौन शोषण और भेदभाव एवं  अमानवीय व्यवहार के गंभीर और चौंकाने वाले मामले उजागर हुए हैं, जो समाज और सरकार के लिए चिंता का विषय है।
  • केरल सरकार ने जुलाई 2017 में न्यायमूर्ति हेमा की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया था। 
  • इस समिति में केरल उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति के. हेमा के अलावा अनुभवी अभिनेत्री शारदा और सेवानिवृत्त IAS अधिकारी के. बी. वलसा कुमारी भी शामिल थीं।
  • इस समिति को मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न और लैंगिक असमानता के मुद्दों की जांच का काम सौंपा गया था। 

 

न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष : 

न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष निम्नलिखित हैं- 

 

 

यौन शोषण और उत्पीड़न की व्यापकता : 

  • इस रिपोर्ट में महिलाओं को अवांछित शारीरिक संबंध बनाने का प्रस्ताव, बलात्कार की धमकियाँ और समझौता करने वाली महिलाओं के लिए कोड नामों जैसे शर्मनाक कृत्यों का उल्लेख है।
  • महिला अभिनेत्रियों को फिल्म उद्योग में काम शुरू करने से पहले ही यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

 

कास्टिंग काउच की व्यापकता :

  • इस रिपोर्ट में कास्टिंग काउच की व्यापकता को उजागर किया गया है, जिसमें महिलाओं को नौकरी की संभावनाओं के लिए यौन संबंधों को बनाने के लिए मजबूर किया जाता है।
  • फिल्म के निर्देशक और निर्माता अक्सर महिलाओं को समझौता करने के लिए मजबूर करते हैं और उन्हें ‘सहयोगी कलाकार’ के रूप में संदर्भित किया जाता है।

 

फिल्म के सेट पर महिला कलाकारों की सुरक्षा में कमी का होना :

  • फिल्म के सेट पर महिला कलाकारों की सुरक्षा में कमी होने के कारण कई महिला फिल्म कर्मी अपने माता-पिता या करीबी रिश्तेदारों को सेट पर लेकर आती हैं, ताकि उन्हें यौन उत्पीड़न और शोषण से सुरक्षा मिल सके।

 

फिल्म उद्योग का आपराधिक प्रभाव से ग्रस्त होना :

  • मलयालम फिल्म उद्योग आपराधिक प्रभाव से ग्रस्त है, जहाँ पुरुष कलाकारों द्वारा कभी-कभी शराब या ड्रग्स के प्रभाव में आकर महिला कलाकारों के होटलों के दरवाज़े खटखटाए जाते हैं।
  • भारतीय दंड संहिता और कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत दंडनीय अपराध होने के बावजूद, फिल्म उद्योग से जुड़ी महिलाएँ औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के परिणामों को लेकर चिंतित रहती हैं।
  • अपराधों की शिकायत करने से जुड़ी चिंताओं और यौन उत्पीड़न के कलंक और सार्वजनिक हस्तियों के लिए इसका प्रभाव के कारण महिलाएँ अक्सर औपचारिक शिकायत दर्ज कराने में हिचकिचाती हैं।

 

ऑनलाइन उत्पीड़न और साइबर धमकी का प्रभाव :

  • सिनेमा क्षेत्र में ऑनलाइन उत्पीड़न एक महत्वपूर्ण चुनौती है, जिसमें महिला और पुरुष दोनों कलाकार साइबर धमकी, सार्वजनिक धमकियाँ और मानहानि का सामना कर रहे हैं।
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अश्लील टिप्पणियों, छवियों, और वीडियो के लिए माध्यम बन गए हैं, जिसमें महिला कलाकारों को विशेष रूप से निशाना बनाया जाता है।

 

शौचालय की अपर्याप्त सुविधाएँ और महिलाओं के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव :

  • महिला कलाकारों को सेट पर शौचालय की अपर्याप्त सुविधाओं के कारण विशेषकर बाहरी स्थानों पर पानी पीने में कठिनाई होती है।
  • महिला कलाकारों के लिए मासिक धर्म के दौरान उनकी स्थिति और भी खराब हो जाती है, जब उन्हें सैनिटरी उत्पादों को बदलने या निपटाने में या चेंजिंग रूम की कमी जैसे समस्याओं का सामना करना पड़ता है,जिससे उन्हें  संक्रमण जैसे स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है।

 

अमानवीय कार्य परिस्थितियाँ :

  • जूनियर कलाकारों को उचित पारिश्रमिक नहीं मिलता है और कुछ मामलों में उन्हें ‘गुलामों से भी बदतर व्यवहार’ का सामना करना पड़ता है तथा उनके साथ अत्यंत खराब व्यवहार किया जाता है। 
  • बिचौलिये अक्सर जूनियर कलाकारों को उचित पारिश्रमिक या उनके पैसे का एक बड़ा हिस्सा हड़प लेते हैं और पारिश्रमिक समय पर नहीं दिया जाता है।

 

फिल्म उद्योग में यौन शोषण से निपटने के लिए कानूनी ढाँचा : 

फिल्म उद्योग में यौन शोषण के मामलों को नियंत्रित करने के लिए भारत में कई कानूनी प्रावधान मौजूद हैं। जो इस प्रकार हैं – 

  • भारतीय दंड संहिता, 1860 (अब भारतीय न्याय संहिता के रूप में प्रतिस्थापित)
  • धारा 354 : महिला की शील भंग करने के इरादे से हमला या अनुचित बल-प्रयोग।
  • धारा 354A : यौन उत्पीड़न, जिसमें यौन रूप से आपत्तिजनक व्यवहार या कृत्य शामिल हैं।
  • धारा 509 : महिला की शील भंग करने के इरादे से शब्द, इशारा या कृत्य।
  • कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 : यह अधिनियम कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों के समाधान के लिए आंतरिक शिकायत समितियों (ICC) की स्थापना को अनिवार्य बनाता है। यह प्रावधान फिल्म उद्योग में भी लागू होता है, जो सुनिश्चित करता है कि महिलाएं सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण में काम कर सकें।
  • सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000 : यह अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री के प्रकाशन और प्रसारण को नियंत्रित करता है, जिसमें फिल्मों में डिजिटल सामग्री भी शामिल हो सकती है।
  • यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 : यह अधिनियम विशेष रूप से बच्चों को यौन शोषण और दुर्व्यवहार से बचाने के लिए है, और इसमें फिल्मों में बच्चों का यौन शोषण भी शामिल है।
  • अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 (ITPA) : इस अधिनियम का उद्देश्य वाणिज्यिक यौन शोषण के लिए तस्करी को रोकना है।

 

कास्टिंग काउच : 

  • “कास्टिंग काउच” मनोरंजन उद्योग में एक ऐसी प्रथा है, जिसमें व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं से रोजगार के अवसरों के बदले में शारीरिक समझौता करने की अपेक्षा की जाती है। यह प्रथा निर्देशक, निर्माता या कास्टिंग एजेंट जैसे शक्तिशाली पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा महत्त्वाकांक्षी अभिनेताओं को समझौता करने वाली स्थितियों में धकेलने या दबाव डालने के लिए अपने अधिकार का दुरुपयोग करने को संदर्भित करती है। यह शब्द फिल्म, टेलीविजन और मनोरंजन उद्योग में कास्टिंग प्रक्रिया में सत्ता के दुरुपयोग और शोषण को उजागर करता है।

 

हेमा समिति की रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें : 

 

 

हेमा समिति की रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें निम्नलिखित है – 

  • आंतरिक शिकायत समिति (ICC) : रिपोर्ट ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के अंतर्गत आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की अनिवार्य स्थापना की सिफारिश की है। इसमें केरल फिल्म कर्मचारी संघ (FEFKA) और मलयालम मूवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (AMMA) के सदस्य शामिल होने चाहिए।
  • स्वतंत्र न्यायाधिकरण का प्रस्ताव : सिनेमा उद्योग में उत्पीड़न और भेदभाव के मामलों के लिए एक स्वतंत्र न्यायाधिकरण की स्थापना की जाए, जो बंद कमरे में कार्यवाही करें ताकि गोपनीयता बनी रहे।
  • लिखित अनुबंध पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य किया जाना : सिनेमा उद्योग में कार्यरत सभी व्यक्तियों, विशेषकर जूनियर कलाकारों के संयोजकों सहित सभी के लिए लिखित अनुबंध पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य किया जाना चाहिए। यह सभी कर्मचारियों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करेगा।
  • सभी कलाकारों और क्रू सदस्यों के लिए एक अनिवार्य लैंगिक जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम सुनिश्चित करना : यह अनिवार्य किया जाना चाहिए कि सभी कलाकार और क्रू सदस्य फिल्म निर्माण कार्य शुरू करने से पहले एक मौलिक लैंगिक जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लें। यह प्रशिक्षण सामग्री मलयालम और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध कराई जा सकती है और इसे ऑनलाइन भी उपलब्ध कराया जा सकता है।
  • महिला निर्माताओं के लिए समर्थन सुनिश्चित करना : महिलाओं द्वारा निर्मित फिल्मों को प्रोत्साहित करने के लिए बजटीय सहायता और नाममात्र ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जाए, और एकल खिड़की प्रणाली के माध्यम से शूटिंग की अनुमति को सरल बनाया जाए। इससे उत्पादन प्रक्रिया सरल होगी और अधिक – से – अधिक महिलाओं को फिल्म उद्योग में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा।

 

स्त्रोत – द हिन्दू ।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. हेमा समिति की रिपोर्ट के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. इस समिति की स्थापना कन्नड़ और तमिल फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ हो रहे यौन शोषण और भेदभाव एवं अमानवीय व्यवहार के अध्ययन करने के लिए किया गया था। 
  2. यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 बच्चों को यौन शोषण और दुर्व्यवहार से बचाने के लिए है, जिसमें फिल्मों में बच्चों का यौन शोषण भी शामिल है।
  3. महिला की शील भंग करने के इरादे से हमला या अनुचित बल-प्रयोग महिलाओं के यौन शोषण और उत्पीड़न के अंतर्गत आता है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने कथन सही है ?

A. केवल एक

B. केवल दो

C. तीनों

D. इनमें से कोई नहीं।

उत्तर – B 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. हेमा समिति की हालिया रिपोर्ट ने विशेष रूप से फिल्म उद्योग और अन्य क्षेत्रों में कामकाजी महिलाओं की स्थिति और पीड़ा पर ध्यान केंद्रित किया है। इस संदर्भ में, चर्चा कीजिए कि कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कैसे किया जा सकता है? ( शब्द सीमा- 250 अंक – 15 ) 

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