भारत की सुरक्षा के संदर्भ में भारत के सेना प्रमुख के कार्यकाल का विस्तार

भारत की सुरक्षा के संदर्भ में भारत के सेना प्रमुख के कार्यकाल का विस्तार

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत  सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के ‘ भारत की आंतरिक सुरक्षा, भारत में CDS के पद की भूमिका, भारत में विभिन्न सुरक्षा बल और सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ रक्षा बलों के बीच एकीकरण, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, कारगिल युद्ध,1999, कारगिल समीक्षा समिति, सैन्य मामलों का विभाग, गलवान घाटी संघर्ष, नियंत्रण रेखा, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, राफेल लड़ाकू जेट खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक करेंट अफेयर्स के अंतर्गत ‘ भारत की सुरक्षा के संदर्भ में भारत के सेना प्रमुख के कार्यकाल का विस्तार ’ से संबंधित है।

 

खबरों में क्यों ? 

 

  • हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of Cabinet- ACC) ने वर्तमान सेनाध्यक्ष (Chief of the Army Staff- CoAS) जनरल मनोज पांडे को एक माह का सेवा विस्तार प्रदान किया है। 
  • यह विस्तार 31 मई 2024 को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख से आगे,30 जून 2024 तक के लिए है।
  • जनरल पांडे को CoAS के रूप में 30 अप्रैल 2022 को नियुक्त किया गया था और वे दिसंबर 1982 में कोर ऑफ इंजीनियर्स (The Bombay Sappers) में कमीशन प्राप्त कर चुके हैं। 
  • वे CoAS बनने से पहले आर्मी स्टाफ के वाइस चीफ के पद पर थे।
  • CoAS के रूप में उनका कार्यकाल तीन साल के बाद या 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति पर समाप्त होता है, जो भी पहले हो। 
  • भारतीय सेना के लिए इस विस्तार का अर्थ है कि अगले सेना प्रमुख का चयन अगली सरकार के लिए खुला रहेगा।

 

भारत में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ क्या होता है ? 

 

 

  • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) भारतीय सशस्त्र बलों का सर्वोच्च सैन्य अधिकारी होता है। यह पद तीनों सेनाओं के प्रमुखों से ऊपर होता है और CDS रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में काम करता हैइसके साथ – ही – साथ  वह भारत के राष्ट्रपति के प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में भी कार्य करता है। इस पद की स्थापना करगिल युद्ध के बाद की गई थी और इसका उद्देश्य सेना के तीनों अंगों के बीच बेहतर समन्वय और एकीकरण को बढ़ाना है। 
  • इस पद की स्थापना 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई घोषणा के बाद की गई थी, और दिसंबर 2019 में जनरल बिपिन रावत को भारत का पहला CDS नियुक्त किया गया था। इस पद पर बने रहने के लिए अधिकतम आयु सीमा 65 साल है।

भारत में CDS का प्रमुख कार्य : 

 

भारत में CDS का प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं – 

  1. प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री के लिए महत्वपूर्ण रक्षा और रणनीतिक मुद्दों पर सरकार के सलाहकार के रूप में कार्य करना।
  2. तीनों सेनाओं के मामलों पर रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करना।
  3. परमाणु मुद्दों पर प्रधानमंत्री के सैन्य सलाहकार के रूप में भी कार्य करना।
  4. सेना के तीनों अंगों के बीच दीर्घकालिक नियोजन, प्रशिक्षण, खरीद और परिवहन के कार्यों के लिए समन्वयक का कार्य करना।
  5. परमाणु कमान प्राधिकरण के सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करना।
  6. रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद के सदस्य के रूप में कार्य करना।
  7. चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष के रूप में कार्य करना।
  8. सैन्य मामलों के विभाग के प्रमुख के रूप में भी कार्य करना।

 

भारतीय सेना में CDS की नियुक्ति के लिए दिए जानेवाला तर्क :

  • भारत सरकार ने CDS की नियुक्ति के पीछे निम्नलिखित तर्क दिए हैं, जो भारतीय सशस्त्र बलों के बीच बेहतर समन्वय और एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
  1. संयुक्त कौशल को बढ़ावा देना और संसाधन अनुकूलन की कमी को दूर करना : भारत में CDS का कार्य थल सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच एकीकृत योजना और संसाधन अनुकूलन की कमी को दूर करना है , जो भारत की समग्र युद्ध प्रभावशीलता को प्रभावित कर रही थी।
  2. एकल सैन्य सलाहकार की स्थापना करना : भारत के रक्षा क्षेत्र में एक सशक्त, एकल-बिंदु सैन्य सलाहकार के रूप में CDS की परिकल्पना की गई, जो नागरिक-सैन्य अंतराल को दूर कर सुसंगत रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
  3. एकीकृत परिचालन तालमेल को बढ़ाना : भारत में CDS को एकीकृत थियेटर कमांड की ओर संक्रमण का नेतृत्व करने और संचालन के दौरान सेवाओं के बीच अधिक तालमेल एवं अंतर-संचालन को बढ़ावा देने का कार्य सौंपा गया है।
  4. रक्षा व्यय आवंटन को युक्तिसंगत बनाना : भारतीय सेना के CDS से रक्षा व्यय को युक्तिसंगत बनाने और सेवाओं में संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है।
  5. सेना के लिए दीर्घकालिक रक्षा योजना और सामरिक बल प्रबंधन करना : भारत में CDS को दीर्घकालिक रक्षा योजना बनाना, बल संरचना और क्षमता विकास की देखरेख करने और उभरते सुरक्षा खतरों के साथ सैन्य तैयारियों को संरेखित करने का दायित्व सौंपा गया है।

 

भारत में ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (CDS) के पद को सृजन करने का तात्कालिक कारण : 

भारत में ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (CDS) के पद के सृजन की समय रेखा निम्नलिखित है:

  • 1999: कारगिल युद्ध के बाद, के. सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता में कारगिल समीक्षा समिति ने रक्षा मामलों में सुधार के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे की समीक्षा की सिफारिश की।
  • 2001: कारगिल समीक्षा समिति की रिपोर्ट के आधार पर, मंत्रियों के एक समूह (GoM) ने CDS के पद के सृजन की अनुशंसा की।
  • 2001-2019: इस अवधि में, विभिन्न सरकारों ने CDS के पद के सृजन को लागू नहीं किया, जिसके पीछे राजनीतिक इच्छाशक्ति और आम सहमति की कमी थी।
  • 2019: 24 दिसंबर को, सुरक्षा संबंधी मंत्रीमंडलीय समिति ने CDS के पद के सृजन का ऐतिहासिक निर्णय लिया, जिसका उद्देश्य रक्षा मामलों में बेहतर और अधिक सूचित निर्णय लेने के लिए विशेषज्ञता विकसित करना था।
  • 31 दिसंबर 2019: जनरल बिपिन रावत को भारत का पहला CDS नियुक्त किया गया।
  • 28 सितंबर 2022: लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को भारत के नए CDS के रूप में नियुक्त किया गया।
  • इसके अलावा, भारत में सैन्य कार्य विभाग का गठन भी किया गया, जो भारत में सैन्य-संबंधी सभी मामलों का प्रबंधन करता है, जबकि भारत का रक्षा विभाग राष्ट्रीय रक्षा नीति पर केंद्रित है।

 

भारत के समक्ष उभरती रक्षा चुनौतियाँ : 

 

 

भारत के समक्ष उभरती रक्षा चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं, उन रक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक अधिक एकीकृत और समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है –

  1. एक प्रभावशील सैन्यबल का आधुनिकीकरण और उसके क्षमता में विकास के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता : भारत में रक्षा के क्षेत्र में एक प्रभावशील सैन्यबल आधुनिकीकरण और उसके क्षमता के विकास के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जहाँ भारत की तीनों सेनाओं की सेवाओं की आवश्यकताओं पर विचार किया जाए और अंतर-संचालनशीलता सुनिश्चित किए जाने की अत्यंत आवश्यकता है।
  2. क्षेत्रीय विवादों के कारण दो मोर्चों पर खतरे का परिदृश्य : भारत को चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर जारी तनाव और अनसुलझे क्षेत्रीय विवादों के कारण दो मोर्चों पर संघर्ष की संभावना का सामना करना पड़ रहा है।
  3. सीमापार आतंकवाद और हाइब्रिड युद्ध की चुनौती : भारत के आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के लिए हाइब्रिड युद्ध की चुनौती, जिसमें सीमापार आतंकवाद सहित परंपरागत और अपरंपरागत साधन शामिल हैं, के लिए एक व्यापक और बहुआयामी प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।
  4. अंतरिक्ष सुरक्षा और अंतरिक्ष-प्रतिरोधी क्षमताएँ : अंतरिक्ष-आधारित परिसंपत्तियों पर भारत की बढ़ती निर्भरता के साथ, अंतरिक्ष सुरक्षा सुनिश्चित करना और अंतरिक्ष-प्रतिरोधी क्षमताओं का विकास करना महत्त्वपूर्ण हो गया है।
  5. समुद्री सुरक्षा और खुले समुद्र में उपस्थिति की महत्त्वाकांक्षा : भारत को नौसेना, तटरक्षक बल और अन्य एजेंसियों को शामिल करते हुए एक सुदृढ़ और एकीकृत समुद्री रणनीति बनाने की अत्यंत आवश्यकता है।
  6. आर्कटिक और अंटार्कटिक परिचालन : वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक एवं अंटार्कटिक क्षेत्रों में नए अवसर और चुनौतियाँ सामने आई हैं, जिसके लिए संयुक्त रक्षा क्षमताओं का विकास आवश्यक है।
  7. रक्षा नीतियों और रणनीतियों में एकीकरण और समन्वय को बढ़ाना : इस तरह के तमाम चुनौतियों का सामना करने के लिए, भारत को अपनी रक्षा नीतियों और रणनीतियों में एकीकरण और समन्वय को बढ़ाना होगा, जिससे वह इन बढ़ती चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सके।

 

भारतीय सशस्त्र बलों के उन्नत एकीकरण के लिए आगे की राह / समाधान :

 

 

  1. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और तीनों सेना प्रमुखों के बीच की भूमिकाओं का स्पष्ट वितरण : चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और तीनों सेना प्रमुखों के बीच की भूमिकाओं का स्पष्ट वितरण अत्यंत आवश्यक है, जिससे कमान और नियंत्रण – प्रणाली  की चैनलों में सुधार हो सके।
  2. वाइस चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और डिप्टी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पदों का सृजन और उनकी  भूमिकाओं का स्पष्ट निर्धारण : वाइस चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और डिप्टी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पदों का सृजन CDS की कार्यक्षमता को बढ़ाएगा और उन्नत एकीकरण की दिशा में मदद करेगा।
  3. एकीकृत थियेटर कमांड के विकास को प्राथमिकता देना : भारत में तीनों सेनाओं और भारतीय सशस्त्र बलों के संयुक्त कौशल और संसाधनों के अनुकूलन के लिए एकीकृत थियेटर कमांड का विकास प्राथमिकता होनी चाहिए।
  4. एकीकृत अंतर – सेवा संगठन अधिनियम : भारत सरकार द्वारा हाल ही में घोषित अंतर-सेवा संगठन अधिनियम एकीकृत थियेटर कमांड के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
  5. विभिन्न सेवाओं के बीच कार्मिकों का क्रॉस-सर्विस रोटेशनल असाइनमेंट : भारत में रक्षा क्षेत्र से जुड़े विभिन्न सेवाओं के बीच कार्मिकों का रोटेशन उन्हें विभिन्न परिचालन वातावरणों से परिचित कराएगा और उनमें आपसी सहयोग को बढ़ावा देगा।
  6. भारत में OSINT फ्यूजन सेंटर की स्थापना करना : भारत के रक्षा क्षेत्र में OSINT फ्यूजन सेंटर की स्थापना से विभिन्न स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं का संग्रहण और विश्लेषण संभव होगा।
  7. सुरक्षित संचार नेटवर्क का विकास और क्वांटम-सिक्योर कम्युनिकेशन नेटवर्क का विकास करना : क्वांटम क्रिप्टोग्राफी और QKD प्रोटोकॉल का उपयोग करते हुए एक सुरक्षित संचार नेटवर्क का विकास भारत में संयुक्त सैन्य अभियानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। इस तरह के तमाम उपचारात्मक उपाय भारतीय सशस्त्र बलों के उन्नत एकीकरण के लिए एक स्पष्ट और सुव्यवस्थित राह प्रदान करते हैं।

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और सीमा प्रबंधन विभाग निम्नलिखित केंद्रीय मंत्रालयों में से किस मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और उससे संबंधित विभाग है ? ( UPSC – 2018, 2021)

A. रक्षा मंत्रालय।

B. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और पर्यावरण और वन मंत्रालय।

C. सीमा सुरक्षा बल विभाग और सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय।

D. गृह मंत्रालय।

उत्तर – D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत के समक्ष उभरती बहुआयामी रक्षा चुनौतियों का विश्लेषण करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत को इन बहुआयामी रक्षा चुनौतियों और संकटों का मुकाबला करने के लिए किस प्रकार के समाधानात्मक उपायों / कदमों  को अपनाने की जरूरत है? ( UPSC CSE – 2021 शब्द सीमा – 250 अंक 15)

Q.2. आंतरिक सुरक्षा खतरों तथा नियंत्रण रेखा (LoC) सहित म्याँमार, बांग्लादेश और पाकिस्तान सीमाओं पर सीमा पार अपराधों का विश्लेषण करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत के विभिन्न सुरक्षा बलों द्वारा इनसे निपटने के लिए किस प्रकार की रणनीतियां अपने गई थी? (UPSC CSE –  2020 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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