03 Jul भारत में तीन नए आपराधिक कानूनों का लागू होना
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारतीय संविधान और शासन व्यवस्था , विधायिका , सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure- CrPC), भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) ’ खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ भारत में तीन नए आपराधिक कानूनों का लागू होना ’ से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में 1 जुलाई 2024 से भारत में भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लागू हो गए हैं।
- ये तीनों नए आपराधिक कानून औपनिवेशिक युग में अंग्रेजों के समय बने भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure- CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर अधिनियमित आपराधिक कानूनों की जगह लेने का काम कर रहे हैं।
नए आपराधिक कानून की प्रमुख विशेषताएँ :
नए आपराधिक कानून का मुख्य उद्देश्य :
- इन नए कानूनों का उद्देश्य औपनिवेशिक युग के दंडों को न्याय-केंद्रित दृष्टिकोण से बदलना है। इसमें पुलिस जाँच और अदालती प्रक्रियाओं में तकनीकी प्रगति को एकीकृत करना शामिल है।
नए अपराधों में शामिल विभिन्न वर्गीकरण :
नए कानूनों में निम्नलिखित अपराधों के लिए विशेष प्रावधान और वर्द्धित दंड शामिल हैं:
- आतंकवाद।
- मॉब लिंचिंग (असंयत भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति की हत्या करना ) ।
- संगठित अपराध।
- महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध होने वाले अपराध।
नए कानूनों के सहज क्रियान्वन के लिए उठाए गए प्रमुख कदम :
- भारतीय न्याय प्रणाली को आधुनिक बनाने का उद्देश्य से नए आपराधिक कानूनों में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं, जिसमें से कुछ मुख्य बदलाव निम्नलिखित हैं –
- भारतीय न्याय संहिता (BNS) : इसके तहत राजद्रोह को खत्म किया गया है और अब आतंकवाद को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) : यह संहिता लैंगिक अपराधों के खिलाफ विरुद्ध होने वाले लोगों ( पुरुषों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के विरुद्ध होने वाले लैंगिक अपराधों ) को संबोधित करने के लिए एक धारा को भी शामिल करेगी।
- राज्यों को स्वायत्तता : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के कुछ प्रावधानों में राज्यों को स्वयं के संशोधन करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
- अंतरिम उपाय : जब तक संशोधन प्रस्तावित नहीं किया जाता, तब तक पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे BNS के अंतर्गत अन्य संबद्ध धाराओं का उपयोग कर सकते हैं यदि उन्हें शारीरिक क्षति और गलत तरीके से बंधक बनाने जैसी शिकायतें प्राप्त होती हैं।
- IPC और CrPC में हुए महत्वपूर्ण बदलाव : IPC और CrPC नए कानूनों के साथ ही क्रियान्वित रहेंगे क्योंकि कई मामले अभी भी न्यायालयों में लंबित हैं तथा 1 जुलाई 2024 से पहले हुए कुछ अपराध, जिनकी रिपोर्ट बाद में की गई है, उन्हें IPC के तहत दर्ज करना होगा।
- CCTNS और ऑनलाइन FIR : अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (CCTNS) के माध्यम से ऑनलाइन प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की जा सकती है, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की आवश्यकता के बिना कई भाषाओं में ई-FIR और ज़ीरो FIR दर्ज की जा सकती है।
- प्रशिक्षण और सहायता का प्रबंधन : भारत के सभी राज्यों को नई प्रणाली के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिए प्रशिक्षण और सहायता का प्रबंधन किया गया है।
- ई-साक्ष्य एप्लिकेशन मोबाइल एप : गृह मंत्रालय द्वारा विकसित ई-साक्ष्य एप्लिकेशन के माध्यम से अपराध स्थल के साक्ष्य रिकॉर्ड किए जा सकते हैं और उन्हें ई-साक्ष्य एप्लिकेशन मोबाइल एप द्वारा अपलोड भी किया जा सकता है, वहीं भारत के विभिन्न राज्यों ने अपनी क्षमताओं के आधार पर अपनी स्वयं की प्रणालियाँ विकसित की हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली पुलिस ने ई-प्रमाण एप्लिकेशन विकसित की है।
नए कानूनों के प्रमुख प्रावधान :
नए कानूनों के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
- सामुदायिक सेवा का प्रावधान : छोटे अपराधों के दंड के रूप में सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है।
- आतंकवादी कृत्य : नए कानूनों में आतंकवादी कृत्य को भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा, या आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालने के आशय से या संभावित रूप से किया जाने वाले कृत्य या लोगों को आतंकित करने के आशय से परिभाषित किया गया है।
- मॉब लिंचिंग के लिए दंड : इन नवीन कानूनों में नस्ल, जाति, समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, वैयक्तिक मान्यता पर आधारित पाँच या उससे अधिक लोगों द्वारा की गई मॉब लिंचिंग के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान किया गया है।
- भगोड़े/प्रपलायी अपराधियों की अनुपस्थिति में मुकदमा चलाना : भगोड़े या प्रपलायी अपराधियों की अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जा सकेगा।
- संक्षिप्त सुनवाई : 3 वर्ष तक की सज़ा संबंधी मामलों में संक्षिप्त सुनवाई की जाएगी, जिसका लक्ष्य सत्र न्यायालयों में 40% से अधिक मामलों का समाधान करना है।
- तलाशी और ज़ब्ती के दौरान वीडियोग्राफी : इन कानूनों में तलाशी और ज़ब्ती के दौरान वीडियोग्राफी करना अनिवार्य किया गया है। ऐसी रिकॉर्डिंग के बिना कोई आरोप-पत्र मान्य नहीं होगा।
- पहली बार अपराध करने पर न्यायालय द्वारा ज़मानत पर रिहा किया जाना : पहली बार अपराध करने वाला किसी भी व्यक्ति को जिसने कारावास की सज़ा का एक तिहाई हिस्सा पूरा कर लिया है, उसे न्यायालय द्वारा ज़मानत पर रिहा कर दिया जाएगा।
- फोरेंसिक विशेषज्ञों की सहायता लेना अनिवार्य किया जाना : सात साल या उससे अधिक अवधि के कारावास वाले प्रत्येक मामले में फोरेंसिक विशेषज्ञों की सहायता लेना अनिवार्य किया गया है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) :
- BNS में कुल 358 धाराएं हैं, जो IPC की 511 धाराओं की तुलना में कम हैं।
- 21 नए अपराध बीएनएस में जोड़े गए हैं।
- 41 अपराधों में जेल की सजा बढ़ी है और 82 अपराधों में जुर्माने की रकम बढ़ी है।
- 25 अपराधों में न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है।
- 19 धाराएं हटाई गई हैं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) :
- BNSS में कुल 531 धाराएं हैं, जिसमें 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है।
- 14 धाराएं खत्म हटा दी गई हैं।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) :
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत अपराधिक मामलों की FIRs लिखी जाएंगी।
- पुराने मामलों पर नए कानूनों का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- इस कानून के तहत ऑनलाइन FIR रजिस्टर करने की सुविधा है, जिससे पुलिस थाने जाने की जरूरत नहीं होगी।
ये तीनों नए कानून भारत की न्यायिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव के साथ – ही – साथ आपराधिक मामलों की त्वरित और सुगम न्यायिक प्रक्रिया को सुनिश्चित करता है।
सरकार द्वारा इससे संबंधित शुरू की गई प्रमुख पहल :
- न्याय प्रदान करने और कानूनी सुधारों के लिए राष्ट्रीय मिशन (AI पोर्टल SUPACE) : भारत सरकार ने न्याय प्रदान करने और कानूनी सुधारों के लिए राष्ट्रीय मिशन के तहत AI पोर्टल SUPACE की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य न्याय प्रणाली को तेजी से और अधिक प्रभावी बनाना है।
- भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023 : भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023 ने भारतीय न्याय प्रणाली में सुधार किए हैं। इसमें न्यायिक प्रक्रिया, दंड प्रक्रिया, और अन्य कानूनी प्रावधानों में बदलाव किया गया है।
- भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 : यह संहिता भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए नए कानूनी प्रावधानों को लागू करता है।
- भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023: इस विधेयक के तहत साक्ष्य प्रक्रिया में सुधार किए गए हैं। यह न्यायिक प्रक्रिया में और अधिक प्रभावी और तेजी से साक्ष्य प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है।
- पुलिस का आधुनिकीकरण : इसके तहत भारत में पुलिस बल और उससे संबंधित अनुसंधान की प्रक्रिया में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए भारत में पुलिस का आधुनिकीकरण करना अनिवार्य किया गया है।
स्रोत – द हिंदू एवं पीआईबी।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए।
कानून नया कानून
- भारतीय दंड संहिता (IPC) a. भारतीय न्याय संहिता, 2023
- दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) b. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
- इंडियन एविडेंस एक्ट c. भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023
उपरोक्त कानूनों में से कौन सा कानून सही सुमेलित है ?
A. केवल 1 और 2
B. केवल 1 और 3
C. केवल 2 और 3
D. उपरोक्त सभी ।
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भीड़ हिंसा ( मोब लिंचिंग ) से आप क्या समझते हैं? भारत में हाल के दिनों में भीड़ हिंसा विधि के शासन का राज और कानून – व्यवस्था के लिए एक गंभीर समस्या के रूप में उभर रही है। भारत में इस प्रकार की हिंसा के प्रमुख कारणों एवं परिणामों का विश्लेषण कीजिए। ( UPSC CSE – 2019 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
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