23 Jul कर्नाटक राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार विधेयक, 2024
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारतीय संविधान – ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संविधान संशोधन ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ स्थानीय लोगों के लिए कोटा, संवैधानिक प्रावधानों का प्रयोग , स्थानीय भाषा और संस्कृति ’ खंड से संबंधित है। इसमें PLUTUS IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ कर्नाटक राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार विधेयक, 2024 ’ से संबंधित है।)
खबरों में क्यों?
- हाल ही में कर्नाटक मंत्रिमंडल ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके तहत कर्नाटक राज्य में स्थित उद्योगों, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में प्रबंधन के पदों पर 50% और गैर-प्रबंधन से संबंधित पदों पर 75% स्थानीय उम्मीदवारों को नियुक्त करना अनिवार्य होगा।
- कर्नाटक के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस विधेयक को मंजूरी दे दी गई है, जिसके कारण उद्योग निकाय द्वारा इस स्थानीय नीति का विरोध किया जा रहा है।
भारतीय संविधान के अनुसार नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण : संवैधानिक या असंवैधानिक ?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत प्रावधान :
- यह भारत के सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता और कानूनों के समान संरक्षण की गारंटी देता है।
संभावित उल्लंघन :
- स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण गैर-स्थानीय लोगों के लिए असमान अवसर पैदा कर सकता है, जो भारतीय संविधान के समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 के तहत प्रावधान :
- इस अनुच्छेद के तहत भारत का संविधान भारत में किसी भी नागरिक को उसके धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है।
संभावित उल्लंघन :
- जन्म स्थान या निवास स्थिति के आधार पर स्थानीय लोगों के लिए नौकरियों को आरक्षित करना गैर-स्थानीय लोगों के विरुद्ध भेदभाव हो सकता है।
अनुच्छेद 16 के तहत प्रावधान :
- भारत का संविधान किसी भी राज्य के अधीन किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से संबंधित मामलों में भारत के सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता सुनिश्चित करता है।
संभावित उल्लंघन :
- यद्यपि यह पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की अनुमति देता है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से इस प्रावधान को निजी रोजगार तक विस्तारित नहीं करता है, जिससे स्थानीय लोगों के लिए अनिवार्य कोटा संभवतः असंवैधानिक हो जाता है।
अनुच्छेद 19 के तहत प्रावधान :
- इस अनुच्छेद के तहत भारत के किसी भी नागरिक को भारत के पूरे क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से घूमने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
भारतीय नागरिकों का किसी भी राज्य में आवागमन और निवास की स्वतंत्रता का हनन होने की संभावना :
- स्थानीय आरक्षण लागू करने से रोजगार के अवसर तलाशने वाले अन्य राज्य के लोगों / नागरिकों की भारत के विभिन्न राज्यों के बीच मुक्त आवाजाही प्रतिबंधित हो सकती है, जिससे उनके आवागमन और निवास की स्वतंत्रता का हनन हो सकता है।
सरोजिनी महिषी की रिपोर्ट :
- कर्नाटक की पहली महिला सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सरोजिनी महिषी द्वारा 1984 में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में 58 सिफारिशें शामिल थीं।
- इस रिपोर्ट में कर्नाटक राज्य में अवस्थित केंद्र सरकार के सभी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) में ग्रुप C और D की नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 100% आरक्षण की सिफारिश की गई थी।
कर्नाटक सरकार द्वारा प्रस्तावित विधेयक के विवादास्पद होने का मुख्य कारण :
कर्नाटक सरकार द्वारा प्रस्तावित विधेयक के विवादास्पद होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –
- स्थानीय आरक्षण की आवश्यकता : प्रस्तावित विधेयक में यह अनिवार्य किया गया है कि उद्योगों में 50% प्रबंधन और 70% गैर-प्रबंधन पद स्थानीय उम्मीदवारों के लिए आरक्षित किए जाएं। इस प्रावधान को व्यापारिक समुदायों द्वारा प्रतिबंधात्मक माना गया है।
- कानूनी चुनौतियाँ : हरियाणा और आंध्र प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में इसी तरह के कानूनों को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा के स्थानीय उम्मीदवार रोजगार अधिनियम, 2020 को रद्द कर दिया था, जिसमें निजी क्षेत्र की नौकरियों में राज्य के निवासियों के लिए 75% आरक्षण अनिवार्य था। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा के कानून की समानता (अनुच्छेद 14) और स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए रद्द कर दिया था।
- उद्योग जगत के प्रमुखों और व्यापारिक निकायों का विरोध : उद्योग जगत के प्रमुखों और व्यापारिक निकायों के भारी विरोध के बाद विधेयक को “अस्थायी रूप से रोक दिया गया,” जो व्यापारिक समुदाय की प्रबल आपत्ति को दर्शाता है।
- वर्तमान स्थिति : आंध्र प्रदेश का ऐसा ही कानून अभी भी न्यायिक समीक्षा के अधीन है, जबकि झारखंड का कानून अभी तक क्रियान्वित नहीं किया गया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि ऐसी आरक्षण नीतियों के साथ विवाद और कानूनी जटिलताएं जारी रहेंगी।
समाधान / आगे की राह :
- कर्नाटक सरकार द्वारा निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करने का निर्णय स्थानीय रोजगार की समस्याओं को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण नीतिगत कदम है।
- इसका उद्देश्य स्थानीय प्रतिभा को सशक्त बनाना और क्षेत्रीय रोजगार को बढ़ावा देना है, लेकिन इसके साथ ही इसके व्यवसाय संचालन और कानूनी ढांचे पर संभावित प्रभावों को लेकर चिंता भी जताई जा रही है।
- इस पहल की सफलता उसके प्रभावी कार्यान्वयन, निगरानी, और स्थानीय नौकरी चाहने वालों एवं औद्योगिक विकास के बीच संतुलन बनाने पर निर्भर करेगी। जो निम्नलिखित समाधानात्मक उपायों पर निर्भर करता है –
- श्रम अधिकारों का पालन सुनिश्चित करना : भारतीय संविधान के अनुसार यह सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सभी श्रमिकों, विशेषकर प्रवासियो, को निष्पक्ष रूप से व्यवहार किया जाए तथा वे किसी भी प्रकार के शोषण से सुरक्षित रहें।
- शोषणकारी प्रथाओं पर निगरानी रखना : रोजगार प्रदान करने वाले नियोक्ताओं को प्रवासी श्रमिकों को बिना किसी लाभ के कम वेतन पर अधिक समय तक काम करने पर मजबूर नहीं करना चाहिए।
- समान अवसर प्रदान करने को सुनिश्चित करना : स्थानीय और प्रवासी श्रमिकों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना जरूरी है, जो अनुचित श्रम प्रथाओं को रोकने पर आधारित हो।
- विकासात्मक नीतियों को प्राथमिकता दिया जाना और संरक्षणवाद से बचाव करना : स्थानीय श्रमिकों के लिए नौकरी में संरक्षणवाद एक दीर्घकालिक समाधान नहीं हो सकता; इसके बजाय, विकासात्मक नीतियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- कानूनी अनुपालन सुनिश्चित करना : संविधान के अनुच्छेद 16(3) जैसे प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए, जो निवास के आधार पर आरक्षण को सार्वजनिक रोजगार तक सीमित करता है और इसके लिए संसद की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
- इस प्रकार, आरक्षण की इस नई नीति का प्रभावी कार्यान्वयन और निगरानी सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि यह स्थानीय रोजगार के उद्देश्यों को पूरा करते हुए कानूनी और व्यावसायिक प्रभावों को संतुलित कर सके।
स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. कर्नाटक राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार विधेयक, 2024 के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह विधेयक भारतीय संविधान के समानता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।
- इससे नागरिकों के किसी भी राज्य या क्षेत्र में आवागमन और निवास करने की स्वतंत्रता का हनन हो सकता है।
- यह विधेयक नागरिकों के कानून की समानता (अनुच्छेद 14) और स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
- जन्म स्थान या निवास स्थिति के आधार पर स्थानीय लोगों के लिए नौकरियों को आरक्षित करना गैर-स्थानीय लोगों के विरुद्ध भेदभाव करना है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1, 2 और 3
B. केवल 2, 3 और 4
C. इनमें से कोई नहीं।
D. उपरोक्त सभी।
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत में विभिन्न राज्यों द्वारा स्थामीय निवासियों को रोजगार देने में आरक्षण देने का मुख्य कारण विवादस्पद क्यों होता है ? इस विवाद के समाधान के उपायों की चर्चा कीजिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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